फिटनेस के तरीके

हाई इंटेंसिटी वर्कआउट या लो इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग जाने कौन सी एक्सरसाइज है आपके लिए बेस्ट

HIIT vs LIIT in Hindi क्या आप भी अपनी फिटनेस के प्रति सतर्क रहते हैं और अपनी फिटनेस को बनाए रखने के लिए किसी अच्छी एक्सरसाइज के बारे में जानना चाहते हैं तो हम आपको हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेंनिंग और लो इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग के बीच प्रमुख अंतर बता रहे हैं। HIIT और LIIT दोनों इंटरवल ट्रेनिंग वर्कआउट हैं, लेकिन एक दूसरे से काफी अलग हैं। इस लेख में, हम आपको उनके स्वास्थ्य लाभों के साथ HIIT और LIIT के बीच प्रमुख अंतर को भी बताएंगे।

पूरी  दुनिया में लोग अपनी फिटनेस को बरकरार रखने के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज करते हैं अभी तक देखा गया है कि लोग हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेंनिंग (HIIT) को अधिक करना पसंद करते हैं। क्योंकि इसे कम समय में किया जा सकता है और इसमें तेजी से कैलोरी बर्न होती है और साथ ही साथ मसल्स डिवेलप करने में भी यह एक्सरसाइज मदद करती है। लेकिन क्या आपने लो इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग (LIIT) के बारे में सुना है, अगर नहीं तो जान लीजिए कि यदि इसे सही ढंग से किया जाए तो यह भी उतनी ही प्रभावी होती है जितना कि high-intensity इंटरवल ट्रेनिंग होती है।

हाई इंटेंसिटी वर्कआउट और लो इंटेंसिटी वर्कआउट दोनों ही काफी अच्छे वर्कआउट माने जाते हैं, लेकिन यह दोनों एक दूसरे से बिकुल विपरीत होते हैं। एक वर्कआउट में आपको तेज गति से एक्सरसाइज को करना होता है जबकि दूसरे में आपको उन्हीं एक्सरसाइज को धीमी गति से करना होता है। यदि आप किसी कारण से तेज गति वाली एक्सरसाइज को करना पसंद नहीं करते हैं तो आप लो इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग को चुन सकते हैं हम यहां आपको हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेंनिंग और लो इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग के बीच मुख्य अंतर को बताएंगे और यह भी बताएंगे कि कौन सी कसरत आपके लिए लाभदायक है और किस व्यक्ति को कौन सी एक्सरसाइज करनी चाहिए।

हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेंनिंग (HIIT)

HIIT या हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेंनिंग एक तेजी से किया जाने वाला वर्कआउट सेशन होता है। जिसे कम समय में किया जाता है, जिसमें आप किसी भी तरह के व्यायाम कर सकते हैं बस आपको इन्हें अधिक तेजी से करना होता है। इस तरह की कसरत करने से आपके हार्ट की गति तेज हो जाती है, और आपके शरीर से कैलोरी बर्न भी तेजी से होने लगती है। HIIT उन लोगों के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है जो कम समय में अधिक कैलोरी बर्न करना चाहते हैं या उन्हें एक्सरसाइज करने के लिए अधिक समय नहीं होता है। बस 10 से 30 मिनट तक रोजाना इस एक्सरसाइज को करने से बहुत अधिक फायदे होते हैं।

लो इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेंनिंग (LIIT)

LIIT या लो इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेंनिंग, हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेंनिंग (HIIT) के ही समान एक्सरसाइज है। लेकिन इसमें फर्क इतना होता है कि इसे करते समय आपको अपनी एक्सरसाइज की गति को धीमा रखना होता है। लो इंटेंसिटी वर्कआउट (LIIT) को करने में अधिक समय लगता है साथ ही साथ इसके रिकवरी का समय भी लंबा होता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह कम प्रभावी है और इसका कोई परिणाम नहीं दिखता है। LIIT HIIT की तरह प्रभावी है। यदि आप पर्याप्त समय अपनी एक्सरसाइज को देना चाहते हैं तो यह बहुत अधिक प्रभावी है। यह व्यक्ति की गतिशीलता को बढ़ाने में मदद करती है, स्टेमिना बढ़ाती है और आपके हृदय की गति को स्थिर रखने में भी मदद करती है।

हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेंनिंग Vs लो इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेंनिंग

हाई-इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग और लो-इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग (HIIT vs LIIT in Hindi) दोनों में सबसे बड़ा अंतर आप समझ गए होंगे। दोनों प्रकार की कसरत करने में मुख्य अंतर कसरत करने की तीव्रता और समय से है। लो-इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग में आपको एक्सरसाइज की स्पीड को कम रखना पड़ता है इसमें आप उस तरह की एक्सरसाइज कर सकते हैं जिसमें आप की गति धीमी होती है, जैसे कि जॉगिंग

करना। जबकि हाई इंटेंसिटी वर्कआउट में आपको अपनी कसरत की गति तेज रखनी पड़ती है, इसमें आप उस तरह के व्यायाम कर सकते हैं जिसमें आप अपने शरीर का तेजी से उपयोग करते हैं जैसे कि स्प्रिंट लगाना।

दोनों में से कौन सा वर्कआउट ज्यादा फायदेमंद है

HIIT और LIIT के बीच 4 प्रमुख अंतर:

1. HIIT तेजी से किये जाने वाले व्यायाम का एक रूप है और सभी एक उच्च तीव्रता वाली कसरत को पसंद नहीं करते हैं। हाई-इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग करने से आपकी मसल्स कमजोर भी हो सकती हैं उनमें चोट लग सकती है और इसके साथ-साथ high-intensity वर्कआउट करने से आपके शरीर में कोर्टिसोल का उत्पादन बढ़ सकता है जिससे आप जल्दी थक सकते हैं। इसलिए जो व्यक्ति इस टाइप की एक्सरसाइज नहीं कर सकते उनके लिए लो इंटेंसिटी ज्यादा फायदेमंद होती है। हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेंनिंग कभी-कभी जोड़ों में दर्द और अन्य परेशानियों का कारण भी बन सकती है, जबकि लो इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेंनिंग को आप जोड़ों में दर्द और छोटी मोटी समस्या होने पर भी कर सकते हैं। LIIT ऑस्टियोपोरोसिस या अन्य जॉइंट पैन से पीड़ित लोगों के लिए एकदम सही है।

2. हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेंनिंग उन लोगों के लिए तो बहुत अच्छा वर्कआउट है जो एथलीट हैं या किसी तरह के स्पोर्ट्स में अपना प्रदर्शन बेहतर बनाना चाहते हैं। इससे उन लोगों में मांसपेशियों का निर्माण होता है साथ ही स्टेमिना में भी वृद्धि होती है लेकिन कई बार यह एक्सरसाइज मांसपेशियों में सूजन का कारण भी बन सकती है।

3. HIIT और LIIT दोनों को बिना किसी उपकरण के साथ किया जा सकता है, लेकिन इन दोनों में आपका शरीर का अलग अलग तरह से इस्तेमाल किया जाता है। हाल ही में हुए अध्ययन बताते हैं कि लो इंटेंसिटी एक्सरसाइज करना आपको एरोबिक अवस्था में ले जाता है, जो एनारोबिक एक्सरसाइज (एनारोबिक प्रणाली का उपयोग ऊर्जा के लिए 10 सेकंड से 2 मिनट तक के गहन अभ्यास के छोटे मुकाबलों के दौरान किया जाता है) की तुलना में को तेजी से फैट बर्न करती है। इसके साथ ही यदि आप तनाव से जूझ रहे हैं तो आपको हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेंनिंग नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह कॉर्टिसोल का उत्पादन बढ़ाती है, जो आपके तनाव के स्तर को और अधिक बढ़ा सकता है। इसलिए आप इसके स्थान पर लो इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग (LIIT) को चुन सकते हैं।

4. ज्यादातर लोग सोचते हैं कि दोनों व्यायामों को करने के दौरान जली हुई कैलोरी की संख्या में भारी अंतर हो सकता है, लेकिन यह सच नहीं है। हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेंनिंग और लो इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेंनिंग (HIIT vs LIIT in Hindi) दोनों ही लगभग समान रूप से कैलोरी बर्न करती हैं। बस इन में फर्क होता है इनके समय का यदि आप कम समय में ज्यादा कैलोरी बर्न करना चाहते हैं तो आप हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेंनिंग को चुन सकते हैं, यदि आप ज्यादा समय तक एक्सरसाइज कर कम कैलोरी बर्न करना चाहते हैं तो आप लो इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेंनिंग को चुन सकते हैं। यदि आप 30 मिनट के लिए HIIT करते हैं तो एक घंटे के लिए LIIT करने पर समान परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।

HIIT vs LIIT दोनों ही एक्सरसाइज के कुछ खतरे हैं जो हमने आपको लेख में बताए हुए हैं। आप अपनी सुविधा और सेहत के अनुसार अपने लिए सही वर्कआउट रूटीन को चुन सकते हैं।

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Shivam

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