HIV AIDS in Hindi एचआईवी एड्स का नाम सुनते ही एक भयानक और गंभीर बीमारी की तस्वीर सामने आती है। वैसे तो ज्यादातर बीमारियाँ गंभीर और बुरी ही होती है परन्तु एचआईवी एड्स का नाम सुनते ही हर किसी के रोंगटे खड़े हो जाते है क्योकि सभी जानते है की एड्स एक ऐसी गंभीर बीमारी है जिसमे व्यक्ति जीने की चाह छोड़ देता है और बुरी तरह अवसादग्रस्त हो जाता है।
इसलिए एचआईवी एड्स क्या है और यह कैसे होता है इसके क्या लक्षण है कैसे इनसे बचाव किया जा सकता है यह सब जानना बहुत अधिक आवश्यक भी है। ताकि समय रहते हम इस बीमारी का इलाज करवा सके और एक स्वस्थ जीवन जी सकें।
आज के लेख में हम यही जानेंगे की एचआईवी एड्स क्या है इसके लक्षण, कारण, जांच, इलाज और बचाव क्या है।
- एचआईवी एड्स क्या है – HIV AIDS kya hai in hindi
- एचआईवी और एड्स में क्या अंतर है इसे पहचाने – HIV AIDS me kya antar hai ise pehchane in hindi
- एचआईवी एड्स होने का कारण – HIV AIDS hone ka karan in hindi
- एचआईवी एड्स के लक्षण – HIV AIDS ke lakshan in hindi
- एचआईवी एड्स से होने वाली जटिलताये – HIV AIDS se hone wali jatiltaye in hindi
- एचआईवी एड्स की जांच – HIV AIDS ki janch in hindi
- एचआईवी एड्स का इलाज – HIV AIDS ka ilaj in hindi
- एचआईवी एड्स से बचाव – HIV AIDS se bachav in hindi
- एचआईवी और एड्स के मिथक और तथ्य – HIV AIDS Myths and Facts in Hindi
एचआईवी एड्स क्या है – HIV AIDS kya hai in hindi
एचआईवी को मानव प्रतिरक्षा वायरस (human immunodeficiency virus) कहते है, यह एक तरह का वायरस है जो हमारे शरीर में जाकर उन कोशिकाओ (CD4 cells or T cells) को नुकसान पहुंचाता है जो हमारे शरीर में बीमारियों से लड़ती है और हमे स्वस्थ रखती है। यह वायरस हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) को कमजोर कर देता है और हमे बीमार बना देता है जिससे इस वायरस को हमारे शरीर को संक्रमित करना और भी आसान हो जाता है। और इसके संक्रमण से व्यक्ति ना केवल बीमार होता है बल्कि उसकी जान भी जा सकती है। यदि कोई व्यक्ति एचआईवी से ग्रसित हो गया है तो यह वायरस उम्रभर उनके शरीर में रहता है।
एचआईवी की बीमारी कभी ठीक तो नही हो सकती और ना ही इसके लक्षण बहुत लम्बे समय तक पता चल पाते है, परन्तु दवाईयों से कुछ हद तक इसका इलाज संभव है और उनसे स्वस्थ रहा जा सकता है। एचआईवी की दवाईया लेकर इस बीमारी को इस हद तक ठीक किया जा सकता है की इसके लक्षण इनकी विशेष जांच में भी पता नहीं चल पायेंगे और आप लम्बे समय तक एक स्वस्थ जीवन जी सकते है।
परन्तु एचआईवी की जाँच ही एक मात्र उपाय है जिससे आप स्वस्थ रह सकते है नही तो यह बीमारी एड्स में बदल सकती है पर अगर आप एचआईवी की दवाईयों की मदद लेते है तो एचआईवी पीड़ित होकर भी आप एक लम्बा जीवन जी सकते है।
(और पढ़े – HIV एड्स के शुरुआती लक्षण जो आपको पता होने चाहिए…)
एचआईवी और एड्स में क्या अंतर है इसे पहचाने – HIV AIDS me kya antar hai ise pehchane in hindi
एचआईवी एक तरह का वायरस है जो एड्स का कारण बनता है। एड्स को एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम (acquired immune deficiency syndrome) कहा जाता है। एचआईवी और एड्स को एक ही चीज कहना बिलकुल गलत होगा, क्योकि ज़रूरी नही है की एचआईवी पीड़ित लोगों को हमेशा एड्स हो।
किसी व्यक्ति में एड्स होने की संभावना तब बढ़ जाती है जब CD4 या T cells एचआईवी से बहुत ज्यादा संक्रमित हो चुकी हो और बिलकुल कमजोर हो चुकी हो क्योकि तब हमारे शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता खत्म हो चुकी रहती है और हमारा शरीर एकदम कमजोर हो जाता है। एड्स को एचआईवी का सबसे खतरनाक स्तर माना जाता है क्योकि एड्स होने के बाद व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।
एचआईवी एड्स होने का कारण – HIV AIDS hone ka karan in hindi
एचआईवी एड्स होने के कई कारण होते है, जिनकी सूचि नीचे दी गयी है-
असुरक्षित यौन सम्बन्ध स्थापित करना– यदि आप किसी भी एचआईवी पीड़ित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन सम्बन्ध स्थापित करते है तो आपको भी एड्स होने की संभावना हो सकती है, यह भी एड्स होने का मुख्य कारण हो सकता है।
दूषित रक्त किसी को चढ़ाना- यदि किसी स्वस्थ व्यक्ति को एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति का रक्त चढ़ाया जाये, तब इस स्तिथि में भी उस स्वस्थ व्यक्ति को एड्स होने की संभावना बढ़ जाती है।
संक्रमित सुई का इस्तेमाल करना- कभी भी किसी व्यक्ति की इस्तेमाल की हुए सुई खुद इस्तेमाल करने से भी एचआईवी संक्रमित होने का खतरा रहता है। ज़्यादातर लोग ड्रग्स लेने के लिए एक दूसरे की इस्तेमाल की हुई सुई खुद भी इस्तेमाल करते है परन्तु हो सकता है वह व्यक्ति एचआईवी संक्रमित हो जिससे आपकी जान को भी खतरा हो सकता है और टैटू गुदवाने या पियरसिंग के लिए भी किसी अन्य व्यक्ति की सीरिंज (syringes) या सुई उपयोग करना खतरनाक हो सकता है।
एचआईवी संक्रमित माँ का अपने बच्चे को स्तनपान कराना- यदि कोई महिला पहले से एचआईवी संक्रमित है और वह किसी बच्चे को जन्म देती है और उसे अपना स्तनपान करवाती है तो यह संभावना उत्पन्न हो सकती है की माँ का स्तनपान कराने से उस बच्चे को भी एड्स हो जाये इसलिए बच्चे के जन्म से पहले ही महिला को अपनी जाँच और इलाज करवाना चाहिए।
संक्रमित गर्भवती महिला द्वारा बच्चे को जन्म देना- यदि कोई महिला गर्भवती है तो उसे शुरुआती महीनों में ही अपना एचआईवी का टेस्ट करवाना चाहिए यदि वह टेस्ट में एचआईवी संक्रमित निकलती है तो उस संक्रमण का सही समय पर इलाज करवाना बहुत जरुरी है ताकि उनका होने वाला बच्चा इस बीमारी से सुरक्षित रहे नही तो उसे भी यह गंभीर बीमारी हो सकती है।
इन सभी कारणों से एड्स होने की संभावना रहती है इसलिए इन सभी कारणों को ध्यान रखे और ऐसा कुछ भी हुआ हो तो डॉक्टर से सलाह अवश्य ले और एचआईवी की जाँच कराएं।
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एचआईवी एड्स के लक्षण – HIV AIDS ke lakshan in hindi
ज़्यादातर एचआईवी संक्रमित लोगों में वायरस के प्रवेश करने के महीनो और सालों तक इस तरह के कोई भी लक्षण दिखाए नही देते है परन्तु लगभग 80 प्रतिशत लोगों में फ्लू जैसे लक्षण उत्पन्न होते है जिसे 2-6 हफ्ते के बीच में पता चलने पर इसका तुरन्त इलाज करवाना चाहिए। इसे तीव्र रेट्रोवायरल सिंड्रोम (acute retroviral syndrome) के रूप में भी जाना जाता है।
एचआईवी संक्रमण के कुछ लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:
- बुखार
- ठंड लगना
- जोड़ों का दर्द
- मांसपेशी में दर्द
- गले में खराश
- पसीना आना (विशेष रूप से रात में)
- बढ़ी हुई ग्रंथियां
- एक लाल चकत्ते या दाद होना
- थकान
- दुर्बलता
- अचानक वजन कम होना
- मौखिक खमीर संक्रमण (thrush)
- दस्त
यह सभी लक्षण एचआईवी के शुरूआती लक्षण हो सकते है परन्तु इन लक्षणों से यह मतलब नही है की आपको एचआईवी हो यह किसी अन्य बीमारी के लक्षण भी हो सकते है इसलिए यदि आपको ऐसा लगता है तो एचआईवी का टेस्ट जरुर करवाएं। जब हमारा शरीर एचआईवी के वायरस की वजह से कमजोर हो जाता है और हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता ख़त्म हो जाती है तब एड्स होने की संभावना बढ़ जाती है। वैसे तो एचआईवी संक्रमित व्यक्ति भी हमेशा स्वस्थ दिखाई देता है और ज़्यादातर मामलों में तक़रीबन 10 साल तक इस बीमारी का पता नही चलता है,परन्तु यदि हमें ऐसे कोई भी लक्षण दिखाई दे तो टेस्ट जरुर करवाना चाहिए इसलिए हमें एड्स के कुछ शुरूआती लक्षणों को भी पहचाना बहुत जरुरी है, इसलिए एड्स के कुछ लक्षणों की सूचि नीचे दी गयी है:-
- धुंधला दिखाई देना
- दस्त (जो लम्बे समय से चल रहा हो)
- सूखी खांसी
- हफ्तों तक चलने वाला 100 ° F (37 ° C) का बुखार
- रात को पसीना आना
- बहुत अधिक थकान लगना
- सांस की तकलीफ या अपच
- हफ्तों तक रहने वाली ग्रंथियों में सूजन
- अचानक बहुत तेजी से वजन कम होना
- जीभ या मुंह पर सफेद धब्बे होना
इन सभी लक्षणों के चलते जान का खतरा हो सकता है इसलिए शुरूआती स्तर पर ही एचआईवी की दवाईयों के साथ इसका सही इलाज करवाने से काफी हद्द तक इस बीमारी की रोकथाम की जा सकती है।
अवसरवादी संक्रमण की रोकथाम
वैसे तो लेट स्टेज एचआईवी में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और हमारे शरीर में किसी भी तरह के संक्रमण, बीमारियों या कैंसर से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है परन्तु यदि एड्स के लक्षण दिखाई देने से पहले कोई भी संक्रमण हमारे शरीर में होता है तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्या पैदा कर सकता है जिससे जान का जोखिम भी हो सकता है, इसी तरह की स्थिति को डॉक्टर अवसरवादी संक्रमण कहते है। यदि किसी भी तरह की जांच में कोई ऐसा संक्रमण दिखाई देता है तो डॉक्टर एड्स की जाँच कराने का कहते है।
(और पढ़े – महिलाओं में एचआईवी एड्स के लक्षण…)
एचआईवी एड्स से होने वाली जटिलताये – HIV AIDS se hone wali jatiltaye in hindi
एचआईवी संक्रमण आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को इस तरह कमजोर कर देती है की अन्य गंभीर बीमारियाँ होने की संभावना कई अधिक बढ़ जाती है, कई विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ इसमें शामिल है जैसे-
संक्रमण से होने वाली बीमारी जैसे-
- क्षय रोग (टीबी)
- साइटोमेगालोवायरस (Cytomegalovirus)
- कैंडिडिआसिस (Candidiasis)
- क्रिप्टोकोकल मेनिन्जाइटिस (Cryptococcal meningitis)
- टोक्सोप्लाज़मोसिज़ (Toxoplasmosis)
विभिन्न प्रकार के कैंसर जैसे-
- कपोसी सारकोमा (Kaposi’s sarcoma)
- लिंफोमा (Lymphoma)
कुछ अन्य जटिलताये भी हो सकती है जैसे–
- न्यूरोलॉजिकल जटिलताये (Neurological complications)
- गुर्दे की बीमारी (kidney diseases)
- वेस्टिंग सिंड्रोम (wasting syndrome)
(और पढ़े – टीबी के कारण, लक्षण, निदान एवं बचाव…)
एचआईवी एड्स की जांच – HIV AIDS ki janch in hindi
एचआईवी संक्रमण की जाँच के लिए कई तरह के टेस्ट उपलब्ध है जिन्हें करवाकर आप सही समय पर इलाज शुरू कर सकते है जैसे-
एलिसा टेस्ट (ELISA Test) – एलिसा टेस्ट में रक्त का सैंपल लेकर एचआईवी संक्रमण की जाँच की जाती है अगर उसमे आपका रिजल्ट पॉजिटिव आता है तो इसका मतलब यह नहीं है आप एचआईवी संक्रमित है यह सकारात्मक परिणाम किसी अन्य बीमारी जैसे लाईम रोग, सिफलिस और ल्यूपस की वजह से भी हो सकता है इसलिए इसे सुनिश्चित करने के लिए अन्य तरह की जाँच की जाती है।
वेस्टर्न ब्लॉट (western blot) – यदि किसी व्यक्ति का एलिसा टेस्ट पॉजिटिव निकलता है तो उसे पक्का करने के लिए वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट किया जाता है अगर उसमें परिणाम पॉजिटिव ही आता है तो इसका मतलब वह व्यक्ति एचआईवी संक्रमित है।
CD4 काउंट टेस्ट (CD4 Count test) – CD4 कोशिकाएँ एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका (white blood cells) होती हैं जो विशेष रूप से एचआईवी के वायरस द्वारा लक्षित होती है और यह वायरस उसे नष्ट कर देता है। एक स्वस्थ व्यक्ति की सीडी 4 काउंट 500 से 1,000 तक होती है, परन्तु यदि किसी व्यक्ति की सीडी 4 काउंट 200 से कम हो जाती है तब वह एड्स से संक्रमित हो सकता है।
(और पढ़े – एचआईवी टेस्ट क्या है, प्रकार, प्रक्रिया…)
एचआईवी एड्स का इलाज – HIV AIDS ka ilaj in hindi
फिलहाल तो एचआईवी एड्स का कोई इलाज मौजूद नही है परन्तु कुछ दवाईयों की मदद से इसे कंट्रोल किया जा सकता है। कुछ दवाईयों के नाम की सूचि निचे दी गयी है-
आपातकालीन एचआईवी की गोलियाँ, या पोस्ट-एक्सपोज़र प्रोफिलैक्सिस (PEP)
यदि किसी व्यक्ति को ऐसा लगता है कि वह पिछले 3 दिनों के भीतर एचआईवी वायरस के संपर्क में आ गया हैं, तो एंटी-एचआईवी दवाएं, जिसे पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (पीईपी) कहा जाता है, उस दवाई को लेकर संक्रमण को रोक सकते है। वायरस के संभावित संपर्क में आने के बाद जितनी जल्दी हो सके पीईपी लें और संक्रमण की रोकथाम करें।
पीईपी कुल 28 दिनों तक चलने वाला उपचार है, और चिकित्सकिय उपचार पूरा होने के बाद एचआईवी की निगरानी करना जरुरी है अन्यथा यह संक्रमण जानलेवा हो सकता है।
एंटीरेट्रोवाइरल ड्रग्स (Antiretroviral Drugs)
एचआईवी के उपचार में एंटीरेट्रोवाइरल (antiretroviral drugs) दवाएं भी शामिल हैं जो एचआईवी संक्रमण से लड़ती हैं और शरीर में वायरस के असर को कम कर देती हैं। एचआईवी संक्रमित लोग आम तौर पर अत्यधिक सक्रिय एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (HAART) नामक दवाओं के साथ एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (कार्ट) का मेडिकेशन लेते हैं।
कुछ अन्य प्रकार के एंटीरेट्रोवाइरल ड्रग्स (antiretroviral drugs) भी है जिनके नाम है-
प्रोटीज अवरोधक (Protease Inhibitors)
प्रोटीज एक एंजाइम है जिसमें एचआईवी को दोहराने (replicate) की क्षमता होती है। ये दवाएं एंजाइम की क्रिया को बांधती देती हैं और इसकी कार्य करने की क्षमता को रोकती हैं, जिससे एचआईवी स्वयं की प्रतियां (copy) नही बना पाता है, और यह एचआईवी से होने वाले संक्रमण को रोकता है जिससे एड्स जैसी गंभीर बीमारी को रोका जा सकता है और उसका उपचार किया जा सकता है।
इंटीग्रेज इनहिबिटर(Integrase Inhibitors)
टी कोशिकाओं को संक्रमित करने के लिए एचआईवी को एक और एंजाइम की आवश्यकता होती है जिसे इंटीग्रेज इनहिबिटर कहा जाता है। एचआईवी एड्स के इलाज में यह दवा इंटीग्रेज एंजाइम को ब्लाक करने का काम करती है। जिससे एड्स होने की संभावना कम हो जाती है।
न्यूक्लियोसाइड / न्यूक्लियोटाइड रिवर्स ट्रांस्क्रिप्टेज़ इनहिबिटर (NRTIs)
इन दवाओं को नूकस (nukes) भी कहा जाता है, यह एचआईवी के वायरस के साथ हस्तक्षेप करते हैं और उसे अपनी प्रतियाँ (replica) बनाने से रोकते है। जिससे एड्स या एचआईवी संक्रमण का इलाज किया जा सकता है।
गैर-न्यूक्लियोसाइड रिवर्स ट्रांस्क्रिप्टेज़ इनहिबिटर (NNRTIs)
NNRTIs और NRTIs एक समान तरीके से काम करते हैं, जिससे एचआईवी वायरस को प्रतियाँ बनाने में और अधिक मुश्किल होती है।
(और पढ़े – 30 साल की उम्र के बाद हर महिला को करवाने चाहिए ये मेडिकल टेस्ट…)
एचआईवी एड्स से बचाव – HIV AIDS se bachav in hindi
अपने आप को एचआईवी से संक्रमित होने से बचाने के लिए आपको कुछ सावधानियों पर गौर करना होगा जैसे-
असुरक्षित यौन सम्बन्ध करने से बचें – कभी भी अपने साथी के साथ सावधानी का प्रयोग जैसे कंडोम का इस्तेमाल करके ही यौन सम्बन्ध स्थापित करें।
संक्रमित सुई का इस्तेमाल ना करें – कभी भी किसी व्यक्ति की इस्तेमाल की हुए सुई खुद इस्तेमाल ना करें ज़्यादातर लोग ड्रग्स लेने के लिए एक दूसरे की इस्तेमाल की हुई सुई खुद भी इस्तेमाल करते है परन्तु हो सकता है वह व्यक्ति एचआईवी संक्रमित हो जिससे आपकी जान को भी खतरा हो सकता है और टैटू गुदवाने या पियरसिंग के लिए भी किसी अन्य व्यक्ति की सीरिंज (syringes) या सुई उपयोग ना करें इससे एड्स होने का खतरा हो सकता है।
दूषित रक्त कभी ना चढ़ाये – कभी भी किसी स्वस्थ व्यक्ति को एचआईवी संक्रमित व्यक्ति का रक्त ना चढ़ाये, हमेशा रक्त चढ़वाने से पहले उसकी जाँच करवाएं। अन्यथा उस व्यक्ति को भी एचआईवी होने का खतरा हो सकता है।
शरीर के तरल पदार्थ का संपर्क – खुले घाव या कट पर दूषित रक्त, वीर्य (semen) या योनी का तरल पदार्थ (vaginal fluid) गिर जाने से भी एड्स होने की संभावना उत्पन्न हो सकती है।
संक्रमित महिला के स्तनपान कराने से – यदि कोई महिला एचआईवी संक्रमित है तो वह बच्चे के जन्म से पहले अपनी अच्छी तरह जाँच करवाएं और उस संक्रमण का इलाज करवाएं नही तो महिला के स्तनपान कराने से नवजात को भी संक्रमण हो सकता है और उसे भी एड्स होने की संभावना हो सकती है।
(और पढ़े – कंडोम के बिना सेक्स करने के फायदे और नुकसान…)
एचआईवी और एड्स के मिथक और तथ्य – HIV AIDS Myths and Facts in Hindi
हमारे समाज में एचआईवी और एड्स से पीड़ित लोगों को हेय की दृष्टि से देखा जाता है और उनको लगता है की ऐसे लोगों के साथ उठने, बैठे, खाने, पीने या हाथ मिलाने से दूसरो को भी यह संक्रमण हो जायेगा परन्तु यह सब बातें गलत है, नीचे दी गयी सूचि में से कुछ भी करने से यह संक्रमण नही फैलता है, जैसे –
- पीड़ित से हाथ मिलाने
- गले लगाने
- एक ही बर्तन में खाना खाने से
- पीड़ित की खांसी या छींकों से
- एक ही टॉयलेट इस्तेमाल करने से
- एक ही तौलिया इस्तेमाल करने से
इन सभी बातों का ध्यान रखे और किसी भी एचआईवी और एड्स पीड़ित व्यक्ति को हेय दृष्टि से ना देखे और अगर आप इस बीमारी से संक्रमित है तो अपना अच्छे से इलाज करवाएं।
(और पढ़े – एचआईवी एड्स से जुड़े मिथक और तथ्य विस्तार से…)
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Hallo Good Morning,
Thanks its very important point given by you, time to time for health cleverness and anatomically very clearly explained .
thanks