HIV AIDS Myths and Facts in Hindi एचआईवी एड्स के बारे में लोगों के मन में ना जाने कितने मिथक मौजूद होते हैं। आज हम आपको एचआईवी एड्स से जुसे मिथक और तथ्य की जानकारी देने वाले हैं। यदि आप एचआईवी और एड्स के बारें में प्रचलित गलत धारणाओं के बारें में जान जायेंगे तो आप अपने आप को एचआईवी से बचा सकते हैं। एड्स एक घातक बीमारी है जो धीरे-धीरे इंसान को अपनी गिरफ्त में ले लेती है और इसका कोई इलाज भी नहीं है लेकिन सही जानकारी और एड्स जागरूकता के माध्यम से इससे बचा जा सकता है लेकिन इन सबके लिए आपको एचआईवी एड्स से जुसे मिथक और उनकी सच्चाई जानना बहुत जरूरी है। आइये एचआईवी एड्स से जुड़े मिथक और तथ्य को विस्तार से जानते हैं।
विषय सूची
एड्स: मिथक और तथ्य – AIDS Myths and Facts in Hindi
आइये जानते है एचआईवी एड्स को लेकर गलतफेमियां कौन सी हैं और उनकी सच्चाई क्या है एचआईवी एड्स के बारे में सही और गलत धारणाएं कौन सी है जो आपको पता होनी चाहिए। आइये जानते है एचआईवी और एड्स से जुड़े मिथकों के बारे में :
एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस, human immunodeficiency virus ) संक्रमण के अंतिम चरण में एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनोडिफिशिएंसी सिंड्रोम) होता है। यदि कोई व्यक्ति एक बार एचआईवी से संक्रमित हो जाता है, तो वह जीवन भर के लिए रहता है, लेकिन यह एचआईवी सभी लोगों के लिए एड्स का कारण नहीं बनता है। एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी उपचार (antiretroviral therapy treatment) (ART), लोगों को एचआईवी संक्रमण के साथ सामान्य जीवन जीने का मार्ग उपलब्ध करता है।
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एचआईवी आकस्मिक संपर्क से, पानी से, व्यंजन साझा करने से, वायु से, शौचालय की सीट का उपयोग करने से या लार से नहीं फैलता है। यह वायरस शरीर से बाहर वातावरण में लम्बे समय तक नहीं रह सकता है। एचआईवी संक्रमण रक्त, वीर्य और स्तन दूध सहित सभी शारीरिक तरल पदार्थ के माध्यम से फैल सकता है इसके साथ ही असुरक्षित यौन संबंध बनाने और सुई का साझा करने से भी रोग फैलाना संभव है। आम तौर पर एचआईवी स्तन दूध और रक्त संचरण के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुँच सकता है।
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एड्स महामारी के शुरूआती दौर में, जीवन जीने की उम्मीद केवल कुछ ही साल की थी, परन्तु अब ऐसी स्थिति नहीं है। दवाओं और उपचारों के माध्यम से एचआईवी पीड़ित लोगों के जीवन जीने की समय सीमा में बढ़ोतरी हुई है, और एक एचआईवी संक्रमित व्यक्ति भी सामान्य व्यक्तियों की तरह जीवन जी सकता है। एचआईवी संक्रमण के शुरुआती दौर में इलाज करवाने से इसको एड्स बनने से रोका जा सकता है।
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एचआईवी से संक्रमित होने पर किसी भी तरह के लक्षण प्रगट नहीं होते हैं। एचआईवी संक्रमण के 2 से 4 सप्ताह के भीतर सम्बंधित लोगों में फ्लू (flu) जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, जिन्हें “तीव्र रेट्रोवायरल सिंड्रोम” (acute retroviral syndrome) (ARS) या “प्राथमिक एचआईवी संक्रमण” कहा जाता है। इन लक्षणों में बुखार
, गले में दर्द, ग्रंथियों में सूजन, लाल चकते (rash), थकान, सिरदर्द और मांसपेशियों तथा जोड़ो में दर्द शामिल हो सकते हैं। हालांकि ये लक्षण विभिन्न संक्रमणों के समान हैं। एचआईवी को सुनिश्चित करने के लिए परीक्षण करवाना अनिवार्य है। केवल लक्षणों के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है की किसी को एचआईवी संक्रमण हो गया है।(और पढ़े – बुखार कम करने के घरेलू उपाय…)
वर्तमान में ऐसी कोई दवा नहीं है, जो एचआईवी संक्रमण का इलाज कर सके। लेकिन वर्तमान में ऐसे उपचार अवश्य मौजूद हैं जो वायरस को नियंत्रित करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को सुरक्षित रखने में मदद कर सकते हैं, और साथ ही संभवतः एचआईवी को एड्स बनने से रोक सकते हैं। वर्तमान में एचआईवी दवाओं (HIV drugs) के पांच अलग-अलग “वर्ग” हैं।
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रोग नियंत्रण केंद्र (Centres for Disease Control (CDC)) का अनुमान है कि 13 वर्ष और उससे अधिक आयु के अत्यधिक लोग एचआईवी से संक्रमित होते हैं। कोई भी व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित हो सकता है। पुरुषों और महिलाओं के साथ असुरक्षित यौन संबंध रखने वाले किसी भी व्यक्ति में एचआईवी संक्रमण होने की सम्भावना सर्वाधिक होती है।
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भले ही योन संबंध बनाने वाले दोनों साझेदार एचआईवी पॉजिटिव या लक्षण मुक्त हों, फिर भी कोई एक साझेदार ओर अधिक यौन संक्रमित संक्रमण (एसटीआई) से ग्रस्त हो सकता है। इसके अतिरिक्त दोनों साझेदारों के एचआईवी वायरस में विभिन्न प्रकार के बदलाव हो सकते हैं। अतः सेक्स के दौरान कंडोम और डेंटल डैम (dentals dams) का उपयोग करना हमेशा सुरक्षित होता है। लेटेक्स कंडोम (Latex condoms) एचआईवी संक्रमण से बचने का सबसे अच्छा उपाय है। लैम्ब स्किन कंडोम (lambskin condoms) इस हेतु सुरक्षा प्रदान नहीं करता है क्योंकि इससे HIV वायरस गुजर सकते है।
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एचआईवी पॉजिटिव गर्भवती महिलाएं, अपने बच्चों को भी एचआईवी वायरस ट्रांसफर कर सकती हैं। यह वायरस गर्भावस्था के दौरान, योनि प्रसव के दौरान या स्तनपान कराने के दौरान माँ से बच्चों तक पहुँच सकता है। अगर गर्भावस्था के दौरान मां का एंटीरेट्रोवायरल दवाओं के साथ उपचार किया जाता है और सी-सेक्शन डिलीवरी के द्वारा बच्चे को जन्म दिया जाता है और स्तनपान से बचाया जाता है, ऐसा करने से बच्चे को संक्रमण होने के जोखिम को कम किया जा सकता है।
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एचआईवी के कारण लोगों में जो कमजोर संक्रमण होते है, वे अवसरवादी संक्रमण कहलाते हैं। इनमें तपेदिक, निमोनिया, सेप्टिसिमीया (रक्त विषाक्तता), कैंडिडिआसिस, हर्पीस (herpes), साइटोमेगागोवायरस (cytomegalovirus), और कुछ एचआईवी से जुड़े कैंसर जैसे कपोसी के सारकोमा (Kaposi’s sarcoma), लिम्फोमा (lymphoma), और स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (squamous cell carcinoma) शामिल हैं। एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी उपचार सीडी 4 कोशिकाओं की संख्या को बढ़ाकर इन अवसरवादी संक्रमणों (opportunistic infections) के जोखिम को बहुत कम कर सकता है। और यह संक्रमण, अन्य संक्रमण दवाओं के उपचार से रोके जा सकते है।
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यदि आपके पास कोई बीमा नहीं है, तो ऐसे अनेक कार्यक्रम हैं जिनकी मदद से आपको अपनी एचआईवी / एड्स के इलाज के लिए देखभाल की व्यवस्था की जाती है। और कुछ कार्यक्रम ऐसे भी हैं जो दवाओं के लिए भुगतान करने में मदद करते हैं।
वे कार्यक्रम जो दवाओं के लिए भुगतान करने में मदद करते हैं उनमें शामिल हैं: – रयान व्हाइट एड्स ड्रग असिस्टेंस प्रोग्राम (एडीएपी), रोगी सहायता कार्यक्रम, और क्लिनिकल परीक्षण।
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