होमियोपैथी का जन्म बेशक पश्चिमी देशों में हुआ, पर भारत जैसे गरीब मुल्कों में होमियोपैथी के मुरीदों की कोई कमी नहीं है। अक्सर लोग बात करते हैं कि होम्योपैथिक इलाज (homeopathic treatment) असरदार है। लेकिन पाश्चात्य संस्कृति के अनेक वैज्ञानिक इसकी प्रमाणिकता को सिरे से खारिज करते हैं। इस लेख में हम होम्योपैथिक दवा सच या फिर अंधविश्वास है, इसे जानने की कोशिश करेंगे।
होम्योपैथिक इलाज – Homeopathic treatment in hindi
होम्योपैथी आज एक तेजी से बढ़ रही प्रणाली है और लगभग पूरी दुनिया भर में इसे व्यवहार में लाया जा रहा है। भारत में होम्योपैथिक दवा इलाज की कोमलता की वजह से एक घरेलू नाम बन गया है। एक अनौपचारिक अध्ययन में कहा गया है कि भारतीय जनसंख्या का 10% अपने स्वास्थ्य की देखभाल की जरूरत के लिए केवल होम्योपैथी पर निर्भर है।
होम्योपैथिक दवा से उपचार – Treatment with Homeopathic Medicine in hindi
शब्द ‘होम्योपैथी‘ दो ग्रीक शब्दों, होमोइस अर्थात समान और पैथोस अर्थात करुणा से बना है। होम्योपैथी का सरल अर्थ है दवा की ऐसी कम खुराकों द्वारा किसी रोग का उपचार, जो यदि स्वस्थ लोगों द्वारा ली जाएँ तो उनमें उस रोग के लक्षण पैदा करने में सक्षम हों।
“उपचार ” होम्योपैथी में एक तकनीकी शब्द है जो उस पदार्थ के लिए संदर्भित होता है जिसे एक विशेष प्रक्रिया के साथ तैयार किया गया हो और रोगी के लिए उपयोग करने का मकसद हो, इस शब्द के आम तौर पर स्वीकार किए जाने वाले उपयोग से भ्रमित नहीं होना चाहिए, जिसका अर्थ है “एक दवा या चिकित्सा जो रोग को ठीक करती है या दर्द से निजात दिलाती है।”
आयुर्वेद और एलोपैथी की तरह ही होम्योपैथिक इलाज करने की एक प्रचलित विधि है। जर्मन डॉक्टर सैमुएल हनीमेन (1755-1843) द्वारा 19 वीं सदी को इसका जनक माना जाता है। होम्योपैथिक इलाज में अक्सर रोग जैसे ही लक्षण पैदा करने वाली दवाएँ दी जाती हैं। एक डोज़ में दवा की इतनी कम मात्रा होती है, कि उसका पता लगाना लगभग न मुमकिन होता है।
होम्योपैथिक दवा के सक्रिय तत्व – Active ingredients of homeopathic medicine in hindi
हनीमैन के अनुसार होम्योपैथिक इलाज की दवा में मौजूद सक्रिय तत्वों को पारम्परिक रूप से हिलाने पर जो कम्पन होता है उससे एक तरह की ऊर्जा उत्पन्न होती है, यह ऊर्जा रोग का नाश करती है। होम्योपेथी के डॉक्टरों के अनुसार हिलाने से जो कम्पन उत्पन्न होता है वो खुराक में समां जाता है परन्तु विज्ञान इसे नहीं मानता है।
होम्योपैथिक दवा को कई तत्वों को साथ में मिलाकर बनाया जाता है आपको जानकर हैरानी होगी की होम्योपैथी में अक्सर आर्सेनिक, प्यूटोनियम, पोटैशियम सायनाइड और मर्करी सायनाइड जैसे तत्वों का इस्तेमाल किया जाता रहा है होम्योपैथिक दवा उपचार में कई पशु, पौधे, खनिज, और कृत्रिम पदार्थों का उपयोग करती है।
रोगी को पूरी जानकारी ना देना – Not giving full information to the patient in hindi
जहाँ होम्योपैथिक इलाज में केवल होम्योपैथी डॉक्टर को ही रोगी को दी जाने वाली दवा में इस्तेमाल तत्व की जानकारी होती है। क्योकि होम्योपैथिक दवाओं पर लैटिन नाम दिया रहता है, जिसे हर रोगी के लिए समझना मुश्किल है। जर्मन आलोचक हर होम्योपैथिक दवा की सम्पूर्ण और विस्तृत जानकारी देने की माँग करते रहे हैं।
होम्योपैथिक दवा का असर – Effect of homeopathic medicine in hindi
होम्योपैथिक दवाएँ क्रिस्टल शुगर के कारण गोल आकार में होती हैं, जिन्हें ग्लोबुली कहते हैं। तरल होम्योपैथिक दवाओं में एल्कोहल और पानी से अधिक कुछ नहीं होता है, जिस पर बाहर के वातावरण का असर हो सकता है। ये क्रिस्टल शुगर की गोलियाँ नुक़सानदेह नहीं होती हैं।
होमियोपैथी पर संदेह में एक बड़ी भूमिका उन सिद्धांतों की भी है जिन पर यह कार्य करती है। जैसे समानता का सिद्धांत, यानी जिन चीजों से रोग के लक्षण पैदा होते हैं, उन्हीं चीजों से वे लक्षण खत्म भी किये जा सकते हैं। जैसे की कैफीन युक्त पदार्थ हमें जगाए रखने में सहायक है, वही अनिद्रा के इलाज में भी कैफीन कारगर हो सकती है।
इसके अलावा दूसरा सिधांत कहता है की किसी दवा को जितना ज्यादा विरल बनाया जाता है उस दवा की ताकत उतनी ही बढ़ जाती है। जैसे आर्सेनिक अलबम के मामले में आर्सेनिक ऑक्साइड के एक भाग को 99 भाग पानी या अल्कोहल में मिलाया जाता है।
तैयार घोल का एक हिस्सा लेकर उसे फिर 99 भाग पानी या अल्कोहल में मिलाया जाता है। यह प्रक्रिया 30 बार दोहराने पर 30 की शक्ति (थर्टी एक्स) वाली आर्सेनिक अलबम तैयार होती है। एक मिलियन की ताकत वाली दवा में इस प्रक्रिया के बार-बार दोहराने के बाद तैयार घोल या मिश्रण में आरंभिक तत्व की कितनी सूक्ष्म मात्रा बच पाती होगी- इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
होम्योपैथी के घातक परिणाम – Fatal consequences of homeopathy in hindi
कुछ लोग जानलेवा बीमारियों में भी होम्योपैथी पर अंधविश्वास करते हैं। जिससे बहुत सा समय व्यर्थ चला जाता है। उदाहरण के लिए कैंसर जैसे जानलेवा रोग का इलाज में इनका सेवन करना।
कैंसर का इलाज तभी सम्भव है, जब उसका पता लगाकर जितनी जल्दी जांच के साथ एलोपैथिक और आयुर्वेदिक उपचार किया जाए। सही समय पर की गई जाँच और उचित उपचार रोगी को ठीक कर सकता है।
रोगी पर मनोविज्ञान का प्रयोग – Use of Psychology on patient in hindi
सभी होम्योपैथ डॉक्टर रोगी से देर तक बात करके उसकी मन:स्थिति जानने का प्रयास करते हैं जैसा की एक मनोचिकित्सक करता है और उसको ऐसा भरोसा दिलाते हैं कि दवा के असर से वह जल्द ही ठीक हो जाएगा। इसी भरोसे से बहुत से मरीज़ को स्वास्थ्य लाभ भी होता हैं। क्योकि उसका मानसिक तनाव उन बातो को सुनकर कम हो जाता है लेकिन कई बड़ी बीमारी जैसे कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह या चोट जैसी अन्य परिस्थितियों में होम्योपैथिक दवा के असर के पर्याप्त परिणाम अभी तक ज्ञात नहीं हुये हैं।
होम्योपैथी पर हंगामा क्यों – Why ruckus on homeopathy in hindi
ब्रिटेन की एक संस्था मर्सीसाइड स्केपटिक्स सोसायटी के तत्वावधान में ’10:23′ कैंपेन के तहत फूड पॉइजनिंग और इन्सोमनिया (अनिद्रा) जैसी कई बीमारियां दूर करने में सहायक होमियोपैथी दवा आर्सेनिक अलबम की एक शीशी (84 गोलियां) गटक कर यह साबित करने की कोशिश की कि होम्योपैथिक दवाएं असल में चीनी की मीठी गोलियों से ज्यादा कुछ नहीं हैं और इस चिकित्सा पद्धति के नाम पर असल में सिर्फ दुकानदारी हो रही है। क्या होमियोपैथी पर ये आरोप सही हैं? या फिर इसके पीछे उन दवा कंपनियों की घबराहट है जिनका कारोबार होमियोपैथी के फैलते बाजार से बुरी तरह प्रभावित हो रहा है? इसक सच सभी के सामने आना बहुत जरुरी है।
कुछ साल पहले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि एचआईवी, टीबी और मलेरिया जैसी बीमारियों के लिए होमियोपैथी के इलाज पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। डब्ल्युएचओ के स्टॉप टीबी विभाग की निदेशक डॉ. मारियो रेविग्लियां ने कहा था कि टीबी के इलाज के लिए हमारे निर्देश और इंटरनैशनल स्टैंडर्ड्स ऑफ ट्यूबरकोलॉसिस केयर – दोनों ही होमियोपैथी के इस्तेमाल की सिफारिश नहीं करते। इसी तरह डब्ल्युएचओ के एक अन्य डॉक्टर ने कहा था कि अभी तक ऐसे प्रमाण नहीं मिले हैं कि बच्चों में अतिसार की समस्या दूर करने में होमियोपैथी सहायक है।
इन पर सोसाइटी ऑफ़ होमियोपैथ्स की मुख्य कार्यकारी पाओला रॉस का कहना था, “ये होमियोपैथी के बारे में दुष्प्रचार करने की एक और नाकाम कोशिश है. होमियोपैथी के इलाज़ के बारे में अब बहुत ही पुख़्ता सबूत सामने आ रहे हैं जो बढ़ते जा रहे हैं. इसमें बच्चों में अतिसार इत्यादी भी शामिल है.”।
क्यों है इतना खतरा – Why there is so much danger in Hindi
दुनिया के जिन दूरदराज और ग्रामीण इलाकों में कोई भी चिकित्सा पहुंचाना मुश्किल काम है, वहां जब प्रभावी इलाज की जगह होमियोपैथी आ जाती है तो अनेक लोगों को अपनी जान गवानी पड़ती है।
पर इतने आरोपों के बाद भी दुनिया में ऐसे लोगों की कमी नहीं जो होमियोपैथी को असरदार चिकित्सा मानते हैं। एक वर्ग ऐसा भी है जिसका मानना है कि अगर ये दवाएं सिर्फ प्लेसिबो इफेक्ट (छद्म मस्तिष्क प्रभाव या झूठी तस्ली) ही पैदा करती हैं, तो इस आधार पर ही इन्हें आजमाने में क्या हर्ज।
होमियोपैथी पर इतने संदेहों की एक बड़ी वजह उन शोधकार्यों की बहुत कमी होना है जो इसे प्लेसिबो इफेक्ट से बेहतर बता सकें और इसकी दवाओं के असर को उद्घाटित कर सकें। होमियोपैथी को इन सारे झंझटों से बाहर निकालने के लिए इस पर व्यवस्थित शोध होने चाहिए और खुद होमियोपैथ डॉक्टरों को आगे बढ़कर इस पर शक पैदा करने वाले मुद्दों के ठोस जवाब देने चाहिए। हो सकता है आज भी होमियोपैथी इलाज कई रोगों के लिए असरदार चिकित्सा हो, लेकिन रोगी को अपने रोग के कारण, लक्षण और गंभीरता के आधार पर उचित इलाज को अपनाना चाहिए।
नोट – हम (healthunbox) किसी भी उपचार पद्धति का विरोध या समर्थन नहीं कर रहें है रोगी अपने रोग के लक्षण की गंभीरता के आधार पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार उचित इलाज पद्धति आपनाने के लिए स्वतंत्र है, हमारा उद्देश्य आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रखना है ।
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