Hypothyroidism in Hindi हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब व्यक्ति की थायरॉयड ग्रंथि पर्याप्त थायराइड हार्मोन का उत्पादन नहीं करती है। इस बीमारी को अवटु अल्पक्रियता या “जड़मानवता” भी कहा जाता है। भारत में इसके प्रति वर्ष 1 करोड़ से भी अधिक मामले सामने आते हैं। हाइपोथायरायडिज्म के शुरुआती चरणों में ध्यान देने योग्य लक्षण पैदा नहीं होते हैं, लेकिन समय के साथ लक्षण गंभीर होते जाते हैं। यदि समय पर हाइपोथायरायडिज्म की समस्या का इलाज नहीं किया जाता तो यह अनेक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे मोटापा, जोड़ों का दर्द, बांझपन और हृदय रोग, इत्यादि का कारण बन सकती है। इसलिए हाइपोथायरायडिज्म के लक्षणों को ध्यान में रखते हुए समय पर जांच और उपचार किया जाना आवश्यक होता है। आज के इस लेख में आप हाइपोथायरायडिज्म क्या है, इसके कारण, लक्षण और निदान के साथ-साथ हाइपोथायरायडिज्म के इलाज और हाइपोथायरायडिज्म आहार के बारे में भी जानेगें।
1. हाइपोथायरायडिज्म (अंडरएक्टिव थायराइड) क्या है – What is hypothyroidism in Hindi
2. हाइपोथायरायडिज्म के बारे में तथ्य और आंकड़े – Facts and statistics about hypothyroidism in Hindi
3. हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण – Hypothyroidism Symptoms in Hindi
4. हाइपोथायरायडिज्म का कारण – Hypothyroidism Causes in Hindi
5. हाइपोथायरायडिज्म के जोखिम कारक – Hypothyroidism Risk factors in Hindi
6. हाइपोथायरायडिज्म की जटिलताएं – Hypothyroidism Complications in Hindi
7. हाइपोथायरायडिज्म की जांच – Hypothyroidism Diagnosis in Hindi
8. हाइपोथायरायडिज्म का इलाज – Hypothyroidism Treatment in Hindi
9. हाइपोथायरायडिज्म से बचाव – Hypothyroidism Prevention in Hindi
10. हाइपोथायरायडिज्म में परहेज – Food to avoid for Hypothyroidism in Hindi
अंडरएक्टिव थायराइड यानि कि हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति में पीड़ित व्यक्ति की थायरॉयड ग्रंथि, शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त मात्रा में थायराइड हार्मोन का उत्पादन नहीं कर पाती है। हाइपोथायरायडिज्म को अंडरएक्टिव थायराइड भी कहा जाता है, जो कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करती है। जब थायरॉइड हार्मोन का स्तर कम होता है, तो शरीर की कार्य क्षमता धीमी और शिथिल हो जाती है, जिससे सम्बंधित व्यक्ति थकान, वजन बढ़ने, यहां तक कि अवसाद (डिप्रेशन) के साथ-साथ कई प्रकार के लक्षण महसूस कर सकता है। हाइपोथायरायडिज्म किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन आमतौर पर 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को अधिक प्रभावित करता है। इसका निदान लक्षणों के शुरू होने के बाद एक नियमित रक्त परीक्षण के माध्यम से किया जा सकता है।
थायरॉयड मनुष्यों के गले के सामने उपस्थित एक छोटी, तितली के आकार की अंतःस्रावी ग्रंथि है। इस ग्रंथि के द्वारा उत्पन्न होने वाले हार्मोन- ट्राईआयोडोथायरोनिन (टी3) और थायरोक्सिन (टी4), शरीर की ऊर्जा को विनियमित करने और उसका उपयोग करने में मदद करते हैं। थायरॉयड शरीर के लगभग सभी अंगों को ऊर्जा प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है। यह दिल, पाचन तंत्र सम्बन्धी कार्यों में भी मदद करता है।
(और पढ़े – थायराइड के लक्षण कारण व घरेलू उपचार…)
हाइपोथायरायडिज्म (अंडरएक्टिव थायराइड) के संकेत और लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न-भिन्न होते हैं। स्थिति की गंभीरता भी लक्षणों को प्रभावित कर सकती है। एक अंडरएक्टिव थायराइड आमतौर पर चयापचय दर के कमी का कारण बन सकता है, जिससे वजन या मोटापा बढ़ने से सम्बंधित लक्षण प्रगट होते हैं। हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति जितनी अधिक गंभीर होगी, वजन बढ़ने की संभावना उतनी ही अधिक होगी। जैसे-जैसे थायराइड द्वारा हार्मोन का उत्पादन अधिक धीमा होता जाता है, वैसे-वैसे लक्षण अधिक आसानी से पहचाने जा सकते हैं। हाइपोथायरायडिज्म के सबसे आम संकेतों और लक्षणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
(और पढ़े – चेहरे पर सूजन के लक्षण, कारण, इलाज और घरेलू उपचार…)
जब थायराइड ग्रंथि पर्याप्त हार्मोन का उत्पादन नहीं करती है, तो शरीर में रासायनिक प्रतिक्रियाओं का संतुलन बिगड़ सकता है। ऑटोइम्यून रोग, हाइपरथायरायडिज्म का उपचार, विकिरण थेरेपी, थायरॉयड सर्जरी, आयोडीन की कमी और कुछ दवाओं सहित अनेक कारक थायराइड हार्मोन के उत्पादन में कमी कर सकते हैं। हाइपोथायरायडिज्म के सामान्य कारणों में निम्न शामिल हैं, जैसे:
हाइपोथायरायडिज्म (अंडरएक्टिव थायराइड) का सबसे आम कारण एक ऑटोइम्यून रोग है, जिसे हाशिमोटो थायरोडिटिस (Hashimoto’s thyroiditis) के रूप में जाना जाता है। ऑटोइम्यून विकार तब उत्पन्न होता है, जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा उत्पन्न एंटीबॉडी, स्वस्थ कोशिकाओं या ऊतकों पर हमला करती है। अतः हाशिमोटो थायरोडिटिस की स्थिति में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के साथ थायरॉयड ग्रंथि को प्रभावित कर हार्मोन उत्पादन क्षमता को कम कर देती हैl
(और पढ़े – रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय…)
यदि किसी व्यक्ति की थायरॉयड ग्रंथि बहुत अधिक थायराइड हार्मोन का उत्पादन करती है, तो उसे हाइपरथायरायडिज्म के रूप में जाना जाता है। इस स्थिति में उपचार द्वारा थायराइड हार्मोन उत्पादन को कम कर, सामान्य करने का प्रयास किया जाता है। कभी-कभी, हाइपरथायरायडिज्म के उपचार (अधिकांशतः रेडियोधर्मी आयोडीन उपचार) के फलस्वरूप थायराइड हार्मोन का स्तर स्थायी रूप से कम हो सकता है, और हाइपोथायरायडिज्म का कारण बन सकता है।
यदि थायराइड की समस्याओं का निदान करने के लिए सर्जरी द्वारा थायरॉयड ग्रंथि को हटा दिया जाता है, तो यह स्थिति हाइपोथायरायडिज्म को विकसित कर सकती है। अतः इस स्थिति में जीवन भर उपचार के लिए थायरॉयड दवा का उपयोग करना पड़ता है।
यदि सर्जरी द्वारा थायरॉयड ग्रंथि का केवल एक ही हिस्सा हटाया जाता है, तो इस स्थिति में थायरॉयड पर्याप्त हार्मोन का उत्पादन करने में सक्षम हो सकता है। अतः इस स्थिति में एक रक्त परीक्षण यह निर्धारित करने में मदद कर सकता है कि सम्बंधित व्यक्ति को थायरॉयड दवा की आवश्यकता है या नहीं।
यदि किसी व्यक्ति में सिर, गर्दन, लिम्फोमा (lymphoma) या ल्यूकेमिया (leukemia) कैंसर या गोइटर का इलाज करने के लिए रेडिएशन थेरेपी का उपयोग किया जाता है। तो इस स्थिति में उपयोग की जाने वाली रेडिएशन थायराइड हार्मोन के उत्पादन को अवरुद्ध या धीमा कर सकती है। अतः विकिरण उपचार हमेशा हाइपोथायरायडिज्म को जन्म दे सकता है, हाइपरथायरायडिज्म को नहीं।
(और पढ़े – रेडिएशन थैरेपी क्या है, कैसे की जाती है, फायदे, नुकसान और कीमत…)
अनेक प्रकार की दवाएं थायराइड हार्मोन के उत्पादन को अवरुद्ध या कम कर हाइपोथायरायडिज्म (अंडरएक्टिव थायराइड) का कारण बन सकती हैं। इन दवाओं में मनोवैज्ञानिक स्थितियां (psychological conditions), कैंसर और हृदय रोग का इलाज करने के लिए उपयोग की जाने वाली दवाओं को शामिल किया जाता है, जो कि निम्न हैं:
(और पढ़े – मानव हृदय की संरचना (ह्यूमन हार्ट एनाटॉमी) हार्ट की बीमारियाँ और इलाज…)
जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति में, मनुष्य की थायरॉयड ग्रंथि जन्म से ही अच्छी तरह से काम नहीं करती है। इस स्थिति में शारीरिक और मानसिक विकास से सम्बंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, लेकिन शुरुआती उपचार इन जटिलताओं को रोकने में मदद कर सकता है।
(और पढ़े – मानसिक रोग के लक्षण, कारण, उपचार, इलाज, और बचाव…)
यदि पिट्यूटरी ग्रंथि (पीयूष ग्रंथि) ठीक से काम करना बंद कर दे, तो थायरॉयड ग्रंथि थायराइड हार्मोन का उचित मात्रा में उत्पादन नहीं कर पाती है। शीहान सिंड्रोम (Sheehan’s syndrome), पिट्यूटरी ट्यूमर या पिट्यूटरी सर्जरी आदि समस्याएँ पीयूष ग्रंथि को नुकसान पहुंचाकर, इसके कार्य को प्रभावित कर सकती हैं। जिससे पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा उत्पन्न थायराइड-उत्तेजक हार्मोन (टीएसएच) का उत्पादन कम हो सकता हैं, और हाइपोथायरायडिज्म का कारण बन सकता है।
कुछ महिलाएं, गर्भावस्था के दौरान या बाद में हाइपोथायरायडिज्म की समस्या (postpartum hypothyroidism) का अनुभव कर सकती हैं। हाइपोथायरायडिज्म को यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो गर्भपात (miscarriage), समय से पहले प्रसव (premature delivery) और प्रीक्लेम्पसिया (preeclampsia preeclampsia) का खतरा बढ़ जाता है।
(और पढ़े – गर्भपात (मिसकैरेज) के कारण, लक्षण और इसके बाद के लिए जानकारी…)
अंडरएक्टिव थायराइड या हाइपोथायरायडिज्म के जोखिम को बढ़ाने वाली स्थितियों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
(और पढ़े – गठिया का आयुर्वेदिक उपचार…)
यदि हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति का इलाज न किया जाए, तो यह कई स्वास्थ्य समस्याओं के उत्पन्न होने का कारण बन सकती है, जिनमें शामिल हैं:
घेंघा रोग या गोइटर (Goiter) – हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति में अधिक हार्मोन का उत्पादन करने की लगातार उत्तेजना के फलस्वरूप थायरॉयड ग्रंथि बड़ी हो सकती है, जिसे गोइटर के रूप में जाना जाता है। आमतौर पर यह स्थिति निगलने या सांस लेने में बाधा उत्पन्न कर सकती है।
हृदय की समस्याएं (Heart problems) – हाइपोथायरायडिज्म (अंडरएक्टिव थायराइड) के कारण कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (LDL), जिसे “खराब” कोलेस्ट्रॉल के रूप में भी जाना जाता है, के उच्च स्तर का कारण बन सकता है। जिसके कारण हाइपोथायरायडिज्म की समस्या से पीड़ित व्यक्ति में हृदय रोग और दिल की विफलता का जोखिम अधिक बढ़ जाता है।
मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं – हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति अवसाद के साथ साथ चिंता उदासी और अन्य मानसिक स्वास्थ्य ससम्बन्धी मुद्दों के उत्पन्न होने का कारण बन सकती है। अतः हाइपोथायरायडिज्म मानसिक कामकाज को धीमा कर सकता है।
परिधीय न्यूरोपैथी (Peripheral neuropathy) – अनियंत्रित हाइपोथायरायडिज्म की समस्या परिधीय तंत्रिकाओं (peripheral nerves) को नुकसान पहुंचा सकती है। जिससे प्रभावित क्षेत्रों में दर्द, सुन्नता और झुनझुनी जैसी संवेदनाएं उत्पन्न हो सकती हैं।
बांझपन (Infertility) – थायराइड हार्मोन का निम्न स्तर ओव्यूलेशन (ovulation) के साथ हस्तक्षेप कर सकता है, जो प्रजनन क्षमता में कमी का कारण बनता है। इसके अलावा, हाइपोथायरायडिज्म का कारण बनने वाली ऑटोइम्यून डिसऑर्डर जैसी स्थितियां भी प्रजनन क्षमता को ख़राब कर सकती हैं।
जन्म दोष (Birth defects) – अनुपचारित थायरॉयड रोग से पीड़ित महिलाओं के जन्म लेने वाले शिशुओं में जन्म दोष का खतरा अधिक होता है। इन बच्चों में गंभीर रूप से बौद्धिक और विकासात्मक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
(और पढ़े – घेंघा रोग क्या है, गोइटर के प्रकार, लक्षण, कारण और इलाज…)
उम्र बढ़ने के साथ हाइपोथायरायडिज्म (अंडरएक्टिव थायराइड) के कुछ लक्षण अधिक सामान्य हो जाते हैं, जिनको महसूस कर पाना मुश्किल होता है। अतः यदि किसी व्यक्ति को संदेह है, कि उसके पास थायरॉयड समस्या से सम्बंधित लक्षण हैं, तो डॉक्टर से परामर्श लेना महत्वपूर्ण होता है। डॉक्टर मरीज में हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति को निर्धारित करने के लिए रक्त परीक्षण का आदेश दे सकते हैं। हाइपोथायरायडिज्म का सटीक निदान के लिए थायराइड फंक्शन टेस्ट (thyroid function tests) भी उपलब्ध है।
लक्षणों की जाँच करने और हाइपोथायरायडिज्म के निदान की पुष्टि करने के लिए रक्त परीक्षण एकमात्र प्रभावी तरीका है। रक्त परीक्षण के अंतर्गत निम्न परीक्षणों को अपनाया जा सकता है, जैसे:
(और पढ़े – थाइरोइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन टेस्ट, प्रक्रिया, रिजल्ट और कीमत…)
सिंथेटिक थायराइड हार्मोन (synthetic thyroid hormone) के साथ उपचार आमतौर पर सरल, सुरक्षित और प्रभावी होता है। डॉक्टर हाइपोथायरायडिज्म के लक्षणों को कम करने के लिए इन दवाओं की सिफारिश कर सकते हैं, जैसे:
हाइपोथायरायडिज्म (अंडरएक्टिव थायराइड) का इलाज लेवोथायरोक्सिन (levothyroxine) (लेवोथायरॉइड, लेवोक्सिल) दवाओं का दैनिक सेवन करके किया जाता है। लेवोथायरोक्सिन, थायरोक्सिन (T4) हार्मोन का सिंथेटिक रूप है, जो शरीर में थायराइड हार्मोन के सामान्य उत्पादन में मदद करता है। दवाओं द्वारा उपचार किये जाने पर लक्षणों से राहत महसूस करने में कई सप्ताह का समय लग सकता है।
शुरूआत में लेवोथायरोक्सिन की उचित खुराक का निर्धारण करने के लिए, डॉक्टर आमतौर पर छह से आठ सप्ताह के बाद टीएसएच के स्तर की जांच करने की सिफारिश कर सकते हैं। उसके बाद, आमतौर पर छह महीने बाद रक्त में थायराइड हार्मोन के स्तर की जाँच की जाती है।
इसके अतिरिक्त यदि आयोडीन की कमी हाइपोथायरायडिज्म का कारण बनती हैं, तो डॉक्टर द्वारा आयोडीन सप्लीमेंट की भी सिफारिश की जा सकती है।
(और पढ़े – सोडियम क्या है – स्रोत, मात्रा, फायदे और नुकसान…)
हाइपोथायरायडिज्म को रोकने का कोई उचित तरीका नहीं है, लेकिन कुछ उपाय अपनाकर इसके जोखिम और लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। हाइपोथायरायडिज्म की रोकथाम के लिए निम्न उपाय अपनाए जा सकते हैं, जैसे:
(और पढ़े – स्वस्थ आहार के प्रकार और फायदे…)
जब आपकी थायरॉयड ग्रंथि ठीक से काम नहीं करती है, तो यह आपके शरीर के कई कार्यों को धीमा कर देती है। इसमें वह दर भी शामिल है जिस पर आप ऊर्जा, या चयापचय दर का उपयोग करते हैं।
यदि आपकी थायरॉयड ग्रंथि ठीक से काम नहीं करती है, तो आपकी आराम या बेसल चयापचय दर कम हो सकती है। उस कारण से, एक अंडरएक्टिव थायराइड आमतौर पर वजन बढ़ने से जुड़ा होता है। जितनी अधिक गंभीर स्थिति होगी, आपका वजन बढ़ने की संभावना उतनी अधिक होगी।
स्थिति का सही तरीके से इलाज कराने से आपको अपने वजन को कम करने में मदद मिल सकती है जब आपके थायराइड का स्तर अनियंत्रित था। हालाँकि, यह जानना महत्वपूर्ण है कि हमेशा ऐसा नहीं होता है कि वजन बढ़ने सहित अंडरएक्टिव थायराइड के लक्षण, लंबे समय तक विकसित होते रहें।
कम थायराइड हार्मोन वाले लोगों के लिए यह असामान्य नहीं है कि वे स्थिति का इलाज खोजने के बाद एक बार भी अपना वजन कम न करें। इसका मतलब यह नहीं है कि हालत का ठीक से इलाज नहीं किया जा रहा है। इसके बजाय, वजन बढ़ना या कम न होना हार्मोन के निम्न स्तर के बजाय जीवन शैली का परिणाम हो सकता है।
यदि आपको हाइपोथायरायडिज्म की बीमरी है और आपका इलाज चल रहा है, लेकिन आपके वजन में कोई बदलाव नहीं दिखता है, तो भी आप अपना वजन कम कर सकते हैं। अपने चिकित्सक, पंजीकृत आहार विशेषज्ञ या व्यक्तिगत प्रशिक्षक के साथ बातकरके एक स्वस्थ-डाइट प्लान और एक्सरसाइज के बारे में बात करें जो आपको वजन कम करने में मदद कर सके।
(और पढ़े – वजन घटाने के लिए इंडियन डाइट चार्ट…)
आपकी थायरॉयड ग्रंथि हार्मोन बनाती है जो बड़ी संख्या में शारीरिक कार्यों के लिए जिम्मेदार होते हैं। इन कार्यों में ऊर्जा का उपयोग करना, शरीर के तापमान को नियंत्रित करना, अंगों का सही से काम करना और चयापचय को विनियमित करना शामिल है।
शोध से पता चलता है कि जब थायराइड हार्मोन का स्तर कम होता है, तो लोगों का वजन बढ़ने की अधिक संभावना है। इसकी संभावना इसलिए भी है क्योंकि उनके शरीर में एक अस्वस्थ थायरॉयड के साथ एक शरीर के रूप में कुशलता से ऊर्जा नहीं जलती है। हालाँकि, वजन बढ़ने की मात्रा बहुत अधिक नहीं है। अधिकांश लोगों को 5 और 10 पाउंड (लगभग 2-4) के बीच कहीं लाभ होगा।
एक बार जब आप इस स्थिति के लिए इलाज कराते हैं, तो आप अपना बढ़ा हुआ वजन भी कम कर सकते हैं। यदि उपचार अतिरिक्त वजन को कम करने में मदद नहीं करता है, तो आपको आहार में बदलाव और व्यायाम में वृद्धि के साथ वजन कम करने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि जब एक बार आपके थायरॉयड का स्तर बहाल हो जाता है, तो आपके वजन को सामान्य करने की आपकी क्षमता बढ़ जाती है।
(और पढ़े – साइंस पर आधारित वजन कम करने के सरल उपाय…)
हालांकि हाइपोथायरायडिज्म (अंडरएक्टिव थायराइड) वाले व्यक्तियों के लिए कोई विशिष्ट आहार नहीं है। फिर भी हाइपरथाइरॉयडिज़्म के घरेलू उपचार के तहत आयोडीन की उच्च मात्रा युक्त आहार के अधिक सेवन की सिफारिश की जा सकती है, जिसमें शामिल है:
एक संतुलित आहार खाएं: आपके थायराइड को पूरी तरह से काम करने के लिए पर्याप्त मात्रा में आयोडीन की आवश्यकता होती है। इसके लिए आपको आयोडीन के सप्लीमेंट्स लेने की आवश्यकता नहीं है। साबुत अनाज, बीन्स, लीन प्रोटीन और रंगीन फल और सब्जियों का संतुलित आहार पर्याप्त आयोडीन प्रदान करते हैं इसलिए इन्हें अपने भोजन में शामिल करना चाहिए।
(और पढ़े – संतुलित आहार के लिए जरूरी तत्व , जिसे अपनाकर आप रोंगों से बच पाएंगे…)
यदि कोई व्यक्ति हाइपोथायरायडिज्म के उपचार के दौरान लेवोथायरोक्सिन (levothyroxine) दवा का सेवन करते हैं, तो सम्बंधित व्यक्ति द्वारा ली जाने वाली कुछ दवाएं, सप्लीमेंट और कुछ खाद्य पदार्थ लेवोथायरोक्सिन को अवशोषित करने की क्षमता में बदलाव कर सकते हैं। अतः इस स्थिति में डॉक्टर लेवोथायरोक्सिन का सेवन करने के तुरंत बाद या पहले निम्न से परहेज करने की सलाह दे सकते हैं, जैसे:
लेवोथायरोक्सिन (Levothyroxine) को अधिकांशतः हर दिन खाली पेट, खाने या अन्य दवाएं लेने से एक घंटे पहले सेवन करने की सलाह दी जाती है। यदि कोई व्यक्ति लेवोथायरोक्सिन का सेवन रात में सोते समय करता है, तो उसे अंतिम भोजन या नाश्ते करने के चार घंटे बाद का समय चुनना चाहिए।
आपको अपने संपूर्ण जीवन काल के दौरान अपने शरीर में हो रहे बदलावों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। यदि आप एक महत्वपूर्ण अंतर देखते हैं या महसूस करते हैं या आपका शरीर कुछ अलग प्रतिक्रिया दे रहा है, तो अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें कि क्या थायराइड की समस्या के कारण आपको ये लक्षण तो नहीं दिख रहे हैं।
(और पढ़े – लैक्टोज असहिष्णुता क्या है, लक्षण, कारण, जांच, उपचार, रोकथाम और आहार…)
इसी तरह की अन्य जानकरी हिन्दी में पढ़ने के लिए हमारे एंड्रॉएड ऐप को डाउनलोड करने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं। और आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।
Homemade face pack for summer गर्मी आपकी स्किन को ख़राब कर सकती है, जिससे पसीना,…
वर्तमान में अनहेल्दी डाइट और उच्च कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन का सेवन लोगों में बीमारी की…
Skin Pigmentation Face Pack in Hindi हर कोई बेदाग त्वचा पाना चाहता है। पिगमेंटेशन, जिसे…
चेहरे का कालापन या सांवलापन सबसे ज्यादा लोगों की पर्सनालिटी को प्रभावित करता है। ब्लैक…
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जिन्हें पहचान कर आप…
त्वचा पर निखार होना, स्वस्थ त्वचा की पहचान है। हालांकि कई तरह की चीजें हैं,…