Implantation bleeding in Hindi गर्भवती होने के बाद महिलाओं को अपने शरीर में कुछ ऐसी चीजें दिखायी देती हैं जिसके आधार पर यह सुनिश्चित होता है कि वे वास्तव में प्रेगनेंट हैं। इनमें से एक मुख्य संकेत है इंप्लांटेशन ब्लीडिंग। प्रेगनेंट होने के बाद शुरूआत के आठ सप्ताह के अंदर ज्यादातर महिलाओं को इंप्लांटेशन ब्लीडिंग होती है। इंप्लांटेशन ब्लीडिंग क्या है, कितने दिन तक होती है, इसके लक्षण क्या हैं, यह पीरियड से किस तरह अगल है, यह सब जानने के लिए पूरा आर्टिकल पढ़ें।
विषय सूची
1. इंप्लांटेशन ब्लीडिंग क्या होती है – What Is Implantation Bleeding in Hindi
2. आरोपण रक्तस्राव (इंप्लांटेशन ब्लीडिंग) कितने दिन तक होती है – implantation bleeding kitne din hoti hai in hindi
3. इंप्लांटेशन ब्लीडिंग के लक्षण – Symptoms of implantation bleeding in Hindi
4. इंप्लांटेशन ब्लीडिंग से किस तरह की परेशानी होती है – Complications of implantation bleeding in Hindi
5. इंप्लांटेशन ब्लीडिंग और पीरियड में क्या अंतर है – Difference between implantation bleeding and periods in Hindi
6. इंप्लांटेशन ब्लीडिंग होने पर डॉक्टर के पास कब जाएं – When to see a doctor when implantation bleeding in Hindi
जब 6 से 12 दिन पुराना निषेचित अंडा महिला के गर्भाशय की आंतरिक परत में प्रत्यारोपित हो जाता है तब महिला को हल्की ब्लीडिंग होती है। इसे इंप्लांटेशन ब्लीडिंग या आरोपण रक्तस्राव कहा जाता है। आमतौर पर यह ब्लीडिंग अंडों के इधर उधर गति करने के कारण होती है जो कि पूरी तरह से सामान्य होता मानी जाती है और इसके लिए चिकित्सक के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ती है।
गर्भावस्था के शुरूआत में हर तीसरी महिला को इंप्लांटेशन ब्लीडिंग होती है। आमतौर पर यह ब्लीडिंग पीरियड के समय या कुछ दिनों पहले होती है जिसके कारण कुछ महिलाएं इस बात को लेकर भ्रम में रहती हैं कि उन्हें इंप्लांटेशन ब्लीडिंग हो रही है या मासिक धर्म।
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आमतौर पर इंप्लांटेशन ब्लीडिंग महिलाओं को गर्भावस्था के शुरूआत में होती है। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि सभी महिलाओं को इंप्लांटेशन ब्लीडिंग हो। प्रेगनेंट होने के बाद इस तरह की ब्लीडिंग बहुत मामूली होती है या मसूढ़ों से खून निकलने के बराबर ही होती है। ज्यादातर मामलों में इंप्लांटेशन ब्लीडिंग कुछ घंटों तक ही होती है लेकिन कभी-कभी यह तीन दिनों तक भी हो सकती है। इसलिए इसमें चिंता करने जैसी कोई बात नहीं होती है। प्रेगनेंसी के शुरूआती आठ हफ्तों में यह ब्लीडिंग किसी भी समय हो सकती है।
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आरोपण रक्तस्राव (इंप्लांटेशन ब्लीडिंग) के कुछ ही लक्षण एकदम अलग होते हैं। बाकी अन्य लक्षण गर्भावस्था के ही होते हैं जिसके आधार पर योनि से खून निकलने पर यह पहचाना जाता है कि यह इंप्लांटेशन ब्लीडिंग है।
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आमतौर पर इंप्लांटेशन ब्लीडिंग होने पर महिला के स्वास्थ्य को किसी तरह का खतरा नहीं होता है। जब गर्भाशय में भ्रूण का विकास शुरू होता है तब इंप्लांटेशन ब्लीडिंग होना सामान्य माना जाता है। लेकिन यदि गर्भवती होने के बाद आपको भारी ब्लीडिंग हो तब यह गंभीर समस्या का लक्षण हो सकता है। इस स्थिति में आपको दोबारा से प्रेगनेंसी टेस्ट
कर लेना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो जाए कि आप वास्तव में गर्भवती हैं या किसी अन्य वजह से ब्लीडिंग हो रही है। ताकि आप सही समय पर डॉक्टर के पास जा सकें। ज्यादा ब्लीडिंग होना गर्भपात का संकेत भी हो सकता है।(और पढ़े – गर्भपात के बाद ब्लीडिंग रोकने के उपाय…)
आमतौर पर प्रत्यारोपण के बाद होने वाला रक्तस्राव (इंप्लांटेशन ब्लीडिंग) महिलाओं के सामान्य मासिक धर्म से काफी अलग होती है। लेकिन यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि मासिक धर्म के दौरान सभी महिलाओं को एक जैसी ब्लीडिंग नहीं होती है यानि कुछ महिलाओं को अधिक तो कुछ को कम ब्लीडिंग होती है। आइये जानते हैं कि इंप्लांटेशन ब्लीडिंग और पीरियड में क्या अंतर है।
मासिक धर्म के दौरान होने वाली ब्लीडिंग में खून का रंग गहरा लाल होता है जबकि इंप्लांटेशन ब्लीडिंग में खून का रंग हल्का भूरा या गुलाबी होता है।
माहवारी के दौरान खून थक्के के रूप में निकलता है जबकि इंप्लांटेशन ब्लीडिंग के दौरान खून थक्के के रूप में नहीं बल्कि पतला खून निकलता है।
पीरियड के दौरान ब्लीडिंग होने पर महिलाओं को पैड या टैम्पोन लगाने की जरूरत पड़ती है जबकि इंप्लांटेशन ब्लीडिंग इतनी हल्की होती है कि कभी-कभी इसका पता ही नहीं चल पाता है और पैड लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है।
माहवारी कई दिनों तक होती है और इस दौरान ब्लीडिंग भी ज्यादा होती है जबकि इंप्लांटेशन ब्लीडिंग बहुत हल्की और मात्र कुछ ही घंटों या दिन रहती है।
इन सभी अंतरों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आपको इंप्लांटेशन ब्लीडिंग हो रही है या पीरियड।
इंप्लांटेशन ब्लीडिंग सामान्यतौर पर ओवुलेशन के दस दिन बाद होती है जबकि मासिक धर्म ओवुलेशन के 14 दिन बाद होती है। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आपको इंप्लांटेशन ब्लीडिंग हो रही है या माहवारी।
इंप्लांटेशन के दौरान जब भ्रूण गर्भाशय से जुड़ता है तो पेट में ऐंठन या हल्का दर्द होता है जबकि मासिक धर्म के दौरान पेट में बहुत तेज दर्द होता है और पूरे शरीर में ऐंठन होती है।
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