“खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब, पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब” बच्चों के लिए यह जुमला अक्सर इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन क्या यह वास्तव में सही है। अच्छे भविष्य और बेहतर करियर के लिए पढ़ाई का जितना महत्व है, उतना ही महत्व बेहतर जीवन के लिए खेलों का भी है। आजकल हमारे भी देश में खेलों का महत्व पहले की अपेक्षा बहुत ज्यादा बढ़ गया है। अब स्कूल, कॉलेज और राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर के खेलों में सिर्फ लड़के ही नहीं बल्कि लड़कियां भी बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं। लेकिन कोई व्यक्ति अचानक ही खेल खेलना शुरू नहीं करता है बल्कि वह अपने विद्यार्थी जीवन से प्रेरित होकर और निरंतर अभ्यास से ही एक दिन खेल में कुछ बड़ा करता है। इस आर्टिकल में हम बताने जा रहे हैं कि विद्यार्थियों के जीवन में खेलों का कितना महत्व होता है।
विषय सूची
शरीर के उचित विकास और फिजिकल फिटनेस के लिए विद्यार्थियों के जीवन में खेलों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यार्थी जीवन में क्रिकेट, हॉकी, वॉलीबाल, बैडमिंटन सहित अन्य खेल गतिविधियों में भाग लेने से लड़कों को तो फायदा होता ही है साथ में लड़कियों की भी लंबाई में वृद्धि होती है और शरीर फिट रहता है। स्टडी में पाया गया है कि जो बच्चे विद्यार्थी जीवन में विभिन्न तरह के खेल गतिविधियों में भाग लेते हैं बड़े होने पर उनके शरीर का विकास भी एकदम अलग तरह से होता है और शरीर में पर्याप्त स्टैमिना आती है।
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वास्तव में खेल को एकता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए विद्यार्थियों के जीवन में खेल की भूमिका बढ़ जाती है। जो बच्चे अपने स्कूल के समय से विभिन्न तरह के खेल खेलते हैं तो उन्हें ये तो पता चलता ही है कि कोई खेल कैसै खेला जाता है, साथ में टीम के साथ कैसे खेला जाता है, टीम में एकता और एकजुटता के लिए क्या महत्वपूर्ण है, बच्चा यह भी स्किल सीखता है। जिसके कारण उसमें टीम के नेतृत्व की भावना विकसित होती है। इसका आगे के जीवन में एक बड़ा फायदा यह होता है कि बच्चे को हर व्यक्ति के साथ तालमेल बिठाने आ जाता है।
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)माना जाता है कि खेल विद्यार्थियों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने में सबसे अधिक भूमिका निभाता है। बचपन से ही खेल में भाग लेने वाला हर विद्यार्थी धीरे धीरे यह सीख जाता है कि किसी भी खेल में या तो जीत होगी या फिर हार होगी। हार जीत के इस खेल में वह धीरे धीरे इसका आदी हो जाता है। वह हर खेल में अपनी सफलता और असफलता को बराबर तरीके से देखता है। जीतने पर बहुत अधिक उत्साहित नहीं होता और ना ही हारने पर शोक मनाता है। यह भावना विद्यार्थियों को अपनी कमियों को दूर करके बेहतर तरीके से सीखने में सहायक होती है।
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इंटरनेट और कंप्यूटर के जमाने में ज्यादातर बच्चे मोबाइल और लैपटॉप पर गेम खेलने में ही व्यस्त रहते हैं और घर से बाहर नहीं निकलना चाहते हैं। ऐसे में विद्यार्थियों के जीवन में आउटडोर स्पोर्ट्स की भूमिका बढ़ जाती है। स्कूल, कॉलेज या फिर घर से बाहर जाकर खेलने से विद्यार्थी के समय का रचनात्मक तरीके से उपयोग हो जाता है और वह अपना समय वीडियोगेम खेलने में नहीं बर्बाद करता है। इसके अलावा खेल खेलने से विद्यार्थियों की हड्डियां मजबूत होती हैं। जब बच्चा घर से बाहर निकलकर या फिर स्कूल में खेलता है तो वह आलसपन का शिकार नहीं होता है जो किसी भी विद्यार्थी के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है।
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जो विद्यार्थी नियमित रुप से कोई न कोई खेल खेलता है वह कोई खेल ना खेलने वाले बच्चों की अपेक्षा अधिक स्वस्थ रहता है। वास्तव में डॉक्टरों का मानना है कि बच्चों के शरीर के विकास के लिए सिर्फ पोषक पदार्थों से युक्त भोजन और अन्य खाद्य पदार्थों की ही जरूरत नहीं होती है बल्कि अच्छी सेहत और बेहतर विकास के लिए खेलों का भी उतना ही महत्व है। रोजाना खेल गतिविधियों में भाग लेने से बच्चे के शरीर में रक्त का प्रवाह भी बेहतर तरीके से होता है जिससे बच्चे को बीमारियां नहीं लगती हैं।
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ज्यादार बच्चे बहुत शर्मीले होते हैं और वह अपने ही घर में मेहमानों के सामने नहीं आते हैं और ना ही उन्हें नमस्ते बोलते हैं। ऐसे में किसी भी विद्यार्थी के जीवन में खेलों की भूमिका काफी बढ़ जाती है। वास्तव में खेल खेलने से विद्यार्थियों के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। इससे उनकी झिझक, शर्म और संकोच दूर होती है। जब बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ता है तो वह खेलने के लिए पहल भी करता है और अपने अन्य साथियों को खेल खेलने के लिए प्रेरित करता है। इसके अलावा खेल खेलने का एक अन्य फायदा यह भी होता है कि बच्चा सभी तरह के लोगों से बिना संकोच बात करना सीख जाता है। इससे वह अपनी कक्षा में भी शिक्षक से सवाल पूछने में डरता नहीं है।
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हम सभी जानते हैं कि क्रिकेट, फुटबाल सहित अन्य खेलों को खेलने के लिए एक टीम या समूह की जरूरत पड़ती है। जब एक टीम में कई खिलाड़ी होते हैं तो सभी को अलग अलग तरह की जिम्मेदारियां भी दी जाती हैं। इस स्थिति में विद्यार्थी के अंदर कई तरह के गुण विकसित होते हैं। टीम में कोई भी खेल खेलने से विद्यार्थियों के अंदर निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है। शुरूआत में वह सही गलत निर्णय करते करते एक बेहतर और सबसे हित में निर्णय लेना सीख जाता है जो जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी काम आता है। इसलिए विद्यार्थियों के जीवन में खेल काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
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कोई भी खेल आत्मसम्मान को बढ़ाता है, स्वतंत्रता का विकास करता है, जो विद्यार्थियों को नैतिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाता है। खेल गतिविधियों में भाग लेते लेते विद्यार्थियों का डर दूर हो जाता है और धीरे धीरे उसे यह लगने लगता है कि वह भी अच्छा खेल सकता है जिससे उसे अपने ऊपर विश्वास होने लगता है और उसका डर भी गायब हो जाता है। जब उसके साथी उसे प्रेरित करते हैं या प्रशंसा करते हैं तो बच्चे का मनोबल और अधिक बढ़ता है। इसके अलावा स्पोर्ट्स खेलने से विद्यार्थियों के व्यक्तिगत चरित्र का भी निर्माण होता है।
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स्कूली बच्चों में मोटापा आजकल एक आम समस्या हो गयी है। ज्यादातर स्कूलों में ऐसे बहुत से बच्चे देखने को मिल जाते हैं जो मोटापे के कारण अपने सहपाठियों से अधिक उम्र के और कभी कभी असामान्य भी दिखायी देते हैं। इसलिए विद्यार्थियों को खेल खेलने का एक बड़ा फायदा यह होता है कि वे बचपन में ही मोटापे का शिकार नहीं होते हैं। स्पोर्ट्स विद्यार्थियों को वजन बढ़ने से बचाने में काफी मददगार साबित होता है।
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