Indian Toilet vs Western Toilet In Hindi इंडियन टॉयलेट और वेस्टर्न टॉयलेट को लेकर लोगों के मन में यह दुविधा बनी रहती है कि इन दोनों में से कौन बेहतर है। हम सभी लोग यह महसूस करते हैं कि आज कल पश्चिमी संस्कृति हमारे व्यक्तिगत जीवन मे अपना स्थान बना चुकी है। हम लोग अपना खान-पान, रहन-सहन, पोषाक आदि सभी चीजों में पश्चिमी सभ्यता का अनुकरण कर रहे हैं। यदि व्यक्तिगत जीवन की बात की जाए तो शौचालय जैसी चीजों में भी हम पश्चिमी देशों की पद्यतियों को अपनाते जा रहे हैं। लेकिन इनका उपयोग करने से पहले हमें इंडियन टॉयलेट का उपयोग और वेस्टर्न टॉयलेट के उपयोग के फायदे और नुकसान के बारे में पता होना चाहिए। आइए जाने इंडियन टॉयलेट और वेस्टर्न टॉयलेट में क्या अंतर है और कौन सी व्यवस्था हमारे लिए अनुकूल है।
विषय सूची
1. इंडियन टॉयलेट सीट के फायदे – Indian Toilet Ke Fayde In Hindi
2.इंडियन टॉलेट के नुकसान – Indian Toilet Ke Nuksan In Hindi
3.वेस्टर्न टॉयलेट कैसा होता है – Western Toilet Kaisa Hota Hia In Hindi
4. वेस्टर्न टॉयलेट के फायदे – Western Toilet Ke Fayde In Hindi
5. पश्चिमी टॉयलेट के नुकसान – Western Toilet Ke Nuksan In Hindi
भारत में सबसे ज्यादा इंडियन टॉयलेट का उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग करते समय व्यक्ति अपने पैरों के सहारे बैठकर मल त्याग करता है। इस प्रकार की व्यवस्था को स्क्वेटिंग पोजिशन (Squatting Position) कहते हैं।
आप व्यायाम के महत्व को जानते हैं, यह आपके जीवन में बहुत ही आवश्यक है। आप इंडियन टॉयलेट का उपयोग कर रोजाना व्यायाम कर सकते हैं जो आपकी आयु-संभाव्यता (Life Expectancy) को बढ़ा सकते हैं। कुछ लोग जो वेस्टर्न टॉयलेट का उपयोग करते हैं वे भारतीय शौचालयों का महत्व नहीं समझते हैं। भारतीय शौचालयों का उपयोग करते समय आप न केवल अपने हाथों का उपयोग करते है बल्कि पैरों का भी उपयोग करते हैं। जिससे आपके शरीर में व्यायाम की स्थिति बनती और आपको पसीना भी आता है।
ऐसा माना जाता है कि जिस तरह से हम इंडियन टॉयलेट में बैठते हैं, इस स्थिति में रक्त परिसंचरण अच्छी तरह से होता है और आपके हाथों और पैरों को व्यायाम करने में भी मदद करता है।
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गर्भवती महिलाओं को इंडियन सीट का उपयोग करना चाहिए यह उनके स्वास्थ्य के अनुकूल होता है। इंडियन टॉयलेट का उपयोग उन्हें प्राकृतिक तरीके से फायदा पहुंचाता है। इंडियन टॉयलेट का उपयोग करने पर यह उनके गर्भाशय पर दबाव देने से बचाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि भारतीय शौचालयों का उपयोग गर्भवती महिला को प्राकृतिक डिलीवरी (Normal delivery) के लिए और प्रसव अधिक आसान और सुरक्षित बनाने में मदद करता है।
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शौच क्रिया के बाद साफ-सफाई बहुत ही आवश्यक है जो भारतीय परंपरा के अनुरूप है। आपको शायद मालूम हो कि वेस्टर्न टॉयलेट का उपयोग करने के बाद पेपर या जेड स्प्रे का उपयोग किया जाता है। इंडियन टॉयलेट का उपयोग करने के बाद हम अपने अंगों को पानी से हाँथ से साफ करते हैं और उसके बाद साबुन और पानी के साथ अपने हाथों को साफ करते हैं। अपने गुदा द्वार को केवल पेपर से साफ करके आप पूरी तरह स्वच्छ नहीं रह सकते हैं। इसलिए अपने गुदा द्वार को साबुन से साफ करना बेहतर है ताकि बैक्टीरिया वहां न रहे। इसलिए इंडियन टॉयलेट का उपयोग बहुत ही फायदेमंद और स्वच्छ और स्वास्थ्यकर होता है।
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पानी को काफी हद तक भारतीय शौचालयों का उपयोग कर बचाया जा सकता है। पानी की बचत एक महत्वपूर्ण विषय है। यदि हम पानी की बचत नहीं करेगें तो निश्चित रूप से भविष्य में हमे पानी के संकट का सामना करना पड़ सकता है। जब हम इंडियन टॉयलेट का उपयोग करते हैं तो आमतौर पर केवल 2 या 4 मग पानी की आवश्यकता होती है। लेकिन यदि हम वेस्टर्न टॉयलेट का उपयोग करते हैं तो हमें बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है जो कि फ्लैश सिस्टम के द्वारा बर्बाद किया जाता है। इसलिए पानी की बर्बादी को रोकने के लिए इंडियन टॉयलेट का उपयोग करना फायदेमंद होता है।
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पेट से संबंधित कोलन कैंसर और अन्य बीमारियों को रोकने में इंडियन टॉयलेट का उपयोग फायदेमंद होता है। इंडियन टॉयलेट सीट में बैठना (Squatting) हमारे शरीर में कोलन से मल को पूरी तरह से निकालने में मदद करता है। इस प्रकार यह कब्ज, एपेंडिसाइटिस, कोलन कैंसर और अन्य प्रकार की बीमारियों की संभावनाओं को कम करने में मदद करता है।
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कुछ लोग इंडियन टॉयलेट और वेस्टर्न टॉयलेट में अंतर बताते हैं कि दोनों में इंडियन टॉयलेट पर्यावरण के अनुकूल होते हैं। जब आप वेस्टर्न टॉयलेट का उपयोग करते हैं तो इसके साथ ही आपको पेपर की आवश्यकता होती है जिससे इस प्रकार के कागजों की बर्बादी होती है। वेस्टर्न टॉयलेट का उपयोग करने पर पानी भी अधिक मात्रा में खर्च किया जाता है। जबकि इंडियन टॉयलेट का उपयोग करने पर आपको बहुत ही कम मात्रा में पानी की जरूरत होती है और आप साबुन का उपयोग कर आपने आपको स्वच्छ भी रख सकते हैं। इंडियन टॉयलेट का उपयोग करने पर आपको किसी भी प्रकार के पेपरों को बर्बाद करने की जरूरत नहीं होती है। इसलिए इंडियन टॉयलेट का उपयोग किया जाना फायदेमंद होता है।
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यदि आप अपने दैनिक जीवन में इंडियन टॉयलेट का उपयोग करते हैं तो यह आपके पाचन के लिए अच्छा माना जाता है। जब आप इंडियन टॉयलेट मे बैठते हैं तो यह भोजन को पचाने में मदद करता है। क्योंकि बैठते समय आपके पेट में दबाव पड़ता है जिससे मल को बाहर निकालने में आसानी होती है। जबकि वेस्टर्न टॉयलेट में ऐसा नहीं होता है। इनका उपयोग करते समय पेट में किसी प्रकार का दबाव नहीं पड़ता है और उपयोगकर्ता सुविधाजनक स्थिति में बैठता है।
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हमारे शरीर में मौजूद अपशिष्ट पदार्थों को पूरी तरह से बाहर निकालने में इंडियन टॉयलेट मदद करते हैं। इंडियन टॉयलेट का उपयोग करने पर यह हमारे शरीर में पर्याप्त दबाव देता है जिससे हमारा पेट अच्छी तरह से साफ हो जाता है। डॉक्टरों द्वारा किये गए अध्ययनों से पता चलता है कि भारतीयों की तुलना में पश्चिमी देशों के लोगों में पेट से संबंधित समस्याओं का खतरा अधिक होता है। इस प्रकार इंडियन टॉयलेट का उपयोग करके कब्ज और अन्य पेट की समस्याओं को दूर किया जा सकता है।
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यदि आप इंडियन टॉयलेट का उपयोग करते हैं तो यह आपके लिए फायदेमंद है क्योंकि इसका उपयोग करने पर आपको मूत्र पथ संक्रमण या यूटीआई आदि की संभावनाएं कम होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि टॉयलेट सीट से आपका सीधा संबंध नहीं होता है। आप अपने पैरों के सहारे इंडियन टॉयलेट का उपयोग करते, जबकि वेस्टर्न टॉयलेट से आपका सीधा संपर्क होता है जिसके कारण आपको ऊपर बताए गए संक्रमणों का खतरा ज्यादा होता है।
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आपके द्वारा यदि इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल किया जाता है तो यह आपके लिए फायदेमंद होता है। लेकिन इसका उपयोग कुछ विशेष लोगों के लिए नुकसान दायक भी हो सकता है। आइए जाने इंडियन टॉयलेट किन लोगों को नुकसान पहुंचा सकता है।
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पश्चिमी सभ्यता के टॉयलेट सीट शौच क्रिया करने का ऐसा स्थान है जहां पर आप आसानी के साथ अपने कूल्हों की सहायता से बैठकर मल त्याग कर सकते हैं। वेस्टर्न टॉयलेट आजकल बहुत ही प्रचलित हो रहे हैं। इसे मुख्य रूप से ब्रिटेन में प्रारंभ किया गया था जो पश्चिमी देशों से होते हुए भारत जैसे अन्य देशों में भी उपयोग किया जाने लगा है। मल त्याग करने की इस व्यवस्था को सिट डाउन पॉजिशन (Sit Down Position) कहा जाता है।
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आप जानते हैं कि भारत में भी वेस्टर्न टॉयलेट का उपयोग काफी प्रचलित है। इसका उपयोग करने के कुछ विशेष फायदे होते हैं जो इसकी उपयोगिता को बढ़ाते हैं। आइए जाने वेस्टर्न टॉयलेट के फायदे क्या हैं।
इंडियन टॉयलेट की अपेक्षा वेस्टर्न टॉयलेट को अधिक आराम दायक माना जाता है। इसका उपयोग करने पर आपको किसी भी प्रकार से मांसपेशियों में तनाव नहीं आता है। वेस्टर्न टॉयलेट विशेष रूप से वृद्धावस्था वाले लोगों के लिए सुविधा जनक होता है। इसके फायदे उन लोगों के लिए भी होते हैं जो ऑस्टियोआर्थराइटिस के रोगी हैं और जिन्होंने हाल ही में सर्जरी कराई है।
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यदि आप इंडियन टॉयलेट का उपयोग करते हैं लेकिन वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल करने की सोच रहे हैं तो आपको पता होना चाहिए कि वेस्टर्न टॉयलेट का उपयोग करने पर आपको किस प्रकार के नुकसान हो सकते हैं।
कुल मिलाकर, दोनों टॉयलेट सीट के अपने फायदे और नुकसान हैं। हालांकि, हमें हमेसा पानी की बचत और अपने शरीर की साफ सफाई का ध्यान रखना चाहिए। यह आपके ऊपर है कि आप किसे चुनते हैं, कोई भी आपको मजबूर नहीं कर रहा है। लेकिन जब भी आप टॉयलेट सीट के लिए किसी दुकानदार के पास जाते हैं तो भारतीय और पश्चिमी शौचालयों (वेस्टर्न टॉयलेट) के फायदे और नुकसान के बारे में उनसे बात करें और अपनी जरुरत के हिसाब से दोनों में से किसी को भी चुन सकते हैं।
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