Insulin In Hindi: इंसुलिन कैसे बनता है? इंसुलिन अग्न्याशय में बनने वाला एक हार्मोन है, यह शरीर को ग्लूकोज से ऊर्जा का उत्पादन करने की अनुमति प्रदान करता है। ग्लूकोज एक प्रकार की शर्करा है, जो अनेक कार्बोहाइड्रेट आहार में पाई जाती है। यदि मानव शरीर में इंसुलिन का स्तर बहुत कम या ज्यादा होता है, तो अत्यधिक उच्च या निम्न रक्त शर्करा से सम्बंधित लक्षणों के उत्पन्न होने का कारण बन सकता है। निम्न या उच्च रक्त शर्करा की स्थिति के परिणामस्वरूप गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं विकसित हो सकती हैं। चूँकि इंसुलिन, शरीर की कोशिकाओं को ग्लूकोज से उर्जा उत्पादन करने के लिए आवश्यक होता है, इसलिए इसे जिंदा रहने के लिए बहुत जरूरी हार्मोन माना गया है।
आज के इस लेख में आप जानेगें कि शरीर में इंसुलिन का उत्पादन कैसे होता है, इसके कार्य और स्रोत क्या क्या हैं, तथा इसकी अधिकता से होने वाले नुकसान के बारे में।
विषय सूची
- इंसुलिन क्या है – What is insulin in Hindi
- इंसुलिन कैसे बनता है – How insulin is formed in Hindi
- इंसुलिन उपचार के प्रकार – Types of insulin in Hindi
- इंसुलिन के कार्य – insulin function in Hindi
- इंसुलिन स्त्रोत – insulin source in Hindi
- इंसुलिन की अधिकता से नुकसान – Insulin overdose side effects in Hindi
- इन्सुलिन की कमी – Insulin deficiency in Hindi
- इन्सुलिन की कमी के लक्षण – Insulin deficiency symptoms in Hindi
- इंसुलिन का भंडारण और सुरक्षा – Insulin storage and safety in Hindi
इंसुलिन क्या है – What is insulin in Hindi
इंसुलिन एक हार्मोन है, जिसका निर्माण अग्न्याशय में होता है। यह रक्त में उपस्थित ग्लूकोज को कोशिकाओं में प्रवेश करने और कार्य करने के लिए आवश्यक ऊर्जा का उत्पादन करने की अनुमति प्रदान करता है। अतः इंसुलिन रक्त शर्करा को नियंत्रित करने और ऊर्जा का अवशोषण करने के लिए एक आवश्यक हार्मोन है। मानव शरीर में ग्लूकोज का स्तर जितना अधिक होगा, अग्न्याशय रक्त में शर्करा के स्तर को संतुलित करने के लिए उतना ही अधिक इंसुलिन उत्पादन करेगा।
अग्न्याशय अमाशय के पीछे उपस्थित एक ग्रंथि है, जो शरीर में इंसुलिन का मुख्य स्रोत है। अग्न्याशय में कोशिकाओं के समूह, जो इंसुलिन हार्मोन का उत्पादन करते हैं और शरीर में रक्त शर्करा के स्तर के आधार पर इंसुलिन की मात्रा का निर्धारण करते हैं, आइलेट (islets) कहलाते हैं।
हार्मोन, रासायनिक संदेशवाहक और शरीर में किसी विशेष कार्य का समर्थन करते हैं। यह कुछ कोशिकाओं या ऊतकों को उचित तरीके से कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं। शरीर में इंसुलिन की कमी मधुमेह के विकसित होने का कारण बनती है। इसके अतिरिक्त इंसुलिन की आवश्यकता से अधिक मात्रा हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia) सहित अन्य समस्याओं के उत्पन्न होने का कारण बनती है।
(और पढ़ें – रक्त ग्लूकोज (ब्लड शुगर) परीक्षण क्या है)
इंसुलिन कैसे बनता है – How insulin is formed in Hindi
प्राकृतिक रूप से इन्सुलिन का उत्पादन अग्न्याशय (pancreas) में होता है। इंसुलिन एक प्रकार की प्रोटीन श्रृंखला या पेप्टाइड हार्मोन होता है। इंसुलिन के एक अणु में 51 अमीनो एसिड होते हैं। इंसुलिन का आणविक भार 5808 dalton (1dalton = 1 g/mol) होता है। अग्न्याशय (Pancreas) में लैंगरहैंस कोशिकाओं के आइलेट्स (islets) में इंसुलिन का उत्पादन होता है। ये कोशिकाएं लगातार इंसुलिन की थोड़ी मात्रा जारी करती रहती हैं, लेकिन जब रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि होती है तब अग्न्याशय (Pancreas) स्त्राव होने वाले इंसुलिन की मात्रा में भी वृद्धि हो जाती है।
इंसुलिन की संरचना जानवरों की प्रजातियों के बीच थोड़ी भिन्न होती है। सूअर और गाय दोनों के इंसुलिन, मानव इंसुलिन के समान ही होते हैं। अतीत काल में, गाय और सुअर से इंसुलिन को निकाला जाता था।
प्रयोगशाला में मानव इंसुलिन का संश्लेषण आम बैक्टीरिया की उपस्थिति में किया जाता है। वर्तमान में एशेरिकिया कोलाई (Escherichia coli) नामक बैक्टीरिया का इस्तेमाल व्यापक रूप से किया जाता है, लेकिन यीस्ट (yeast) का उपयोग भी इंसुलिन के निर्माण में किया जाता है।
इंसुलिन उपचार के प्रकार – Types of insulin in Hindi
सभी प्रकार के इंसुलिन मानव शरीर में एक ही प्रभाव पैदा करते हैं। विभिन्न प्रकार के इंसुलिन को तेजी से काम करने की दर और प्रभावी समय के आधार पर 4 वर्गों में बांटा गया है, जैसे:
- रैपिड-एक्टिंग इंसुलिन (Rapid-acting insulin) – इस प्रकार का इंसुलिन मानव शरीर में इंजेक्शन लगाने के लगभग 15 मिनट बाद अपना काम करना शुरू कर देता है। इस प्रकार के इंसुलिन का प्रभाव तीन से चार घंटे तक रह सकता है। इसका उपयोग अक्सर भोजन से पहले किया जाता है।
- शॉर्ट-एक्टिंग इंसुलिन (Short-acting insulin) – इस प्रकार के इंसुलिन को भोजन से पहले शरीर में इंजेक्ट करने की आवश्यकता होती है। इसके शरीर में इंजेक्ट होने के 30 से 60 मिनट बाद यह काम करना शुरू कर देता है और पांच से आठ घंटे तक प्रभावी रहता है।
- इंटरमीडिएट-एक्टिंग इंसुलिन (Intermediate-acting insulin) – इस प्रकार का इंसुलिन इंजेक्शन शरीर में प्रवेश करने के बाद एक से दो घंटे में काम करना शुरू कर देता है, और इसका प्रभाव 14 से 16 घंटे तक रह सकता है।
- लॉन्ग-एक्टिंग इंसुलिन (Long-acting insulin) – यह इंसुलिन इंजेक्शन लगाने के लगभग दो घंटे से अधिक समय के बाद काम करना शुरू कर सकता है। इस प्रकार के इंसुलिन का प्रभाव 24 घंटे या उससे अधिक समय तक रह सकता है।
इंसुलिन के कार्य – insulin function in Hindi
इंसुलिन एक रासायनिक संदेशवाहक है, जो कोशिकाओं को रक्त से ग्लूकोज (शर्करा) को अवशोषित करने की अनुमति देता है। इंसुलिन कोशिका झिल्ली पर रिसेप्टर्स के रूप में कार्य करता है। यह ट्रांसपोर्ट अणुओं के एक सेट को सक्रिय करता है, जिसके माध्यम से ग्लूकोज और प्रोटीन अणु कोशिकाओं के अन्दर प्रवेश करते हैं। ग्लूकोज का कोशिकाओं के अन्दर जाने के बाद ही इसका उपयोग उर्जा उत्पादन में किया जा सकता है। इंसुलिन शरीर में निम्न तरह के कार्यों को करता है, जैसे:
- जब मानव का पाचन तंत्र आहार में उपस्थित कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोज में बदल देता है, तब उत्पन्न हुआ ग्लूकोज, छोटी आंत में अस्तर के माध्यम से रक्तप्रवाह में अवशोषित हो जाता है। अतः कोशिकाओं द्वारा ग्लूकोज या रक्त शर्करा को अवशोषित करने और ग्लूकोज से ऊर्जा उत्पादन करने के लिए इंसुलिन जरुरी होता है।
- इंसुलिन यकृत कोशिकाओं, मांसपेशियों और वसा ऊतकों द्वारा रक्त से ग्लूकोज को ग्रहण कर ग्लाइकोजन में परिवर्तित करने का कारण बनता है, ग्लाइकोजन को यकृत और मांसपेशियों में उर्जा स्त्रोत के रूप में संग्रहित किया जाता है।
- इंसुलिन, शरीर द्वारा वसा का उपयोग ऊर्जा स्रोत के रूप में करने से रोकता है। इंसुलिन की कमी या अनुपस्थिति में, शरीर की कोशिकाओं द्वारा ग्लूकोज का अवशोषण नहीं किया जाता है, अतः इस स्थिति में शरीर ऊर्जा स्रोत के रूप में वसा का उपयोग करना शुरू कर देता है, जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। अतः इन्सुलिन, वसा का उर्जा स्त्रोत के रूप में उपयोग होने से रोकता है।
- इंसुलिन अन्य शरीर प्रणालियों (Body systems) को भी नियंत्रित करने का कार्य करता है। यह शरीर की कोशिकाओं द्वारा अमीनो एसिड को नियंत्रित करता है।
- इंसुलिन रक्त शर्करा के स्तर को बहुत अधिक (हाइपरग्लेसेमिया) या बहुत कम (हाइपोग्लाइसीमिया) होने से रोकता है।
- यह पूरे शरीर में अनेक उपचय प्रभाव (anabolic effects) भी दर्शाता है, इंसुलिन हड्डी के विकास और मांसपेशियों में वृद्धि का कारण बनता है।
(और पढ़ें – मानव पाचन तंत्र कैसा होता है, और कैसे इसे मजबूत बनायें)
इंसुलिन स्त्रोत – insulin source in Hindi
शरीर की कोशिकाओं को जीवित रहने और उचित तरीके से कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यक मात्रा शर्करा से प्राप्त की जाती है। चूँकि कोशिकाएं शर्करा का अवशोषण करने में सक्षम नहीं होती हैं। अतः इन्सुलिन इस शर्करा को कोशिकाओं के अन्दर पहुचाने में मदद करता है। जब भोजन का सेवन किया जाता है तो रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है, इस स्थिति में रक्त शर्करा को नियंत्रित करने के लिए अग्न्याशय की बीटा कोशिकाएं रक्तप्रवाह में इंसुलिन जारी करती हैं। अतः मानव शरीर में अग्न्याशय इंसुलिन स्त्रोत के रूप में कार्य करता है।
यदि शरीर किसी कारण से पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है, तो व्यक्तियों को रक्त शर्करा के नियंत्रण के लिए इंसुलिन सप्लीमेंट लेने की आवश्यकता होती है। इंसुलिन दवाओं का उत्पादन मुख्य रूप से मधुमेह रोगियों के लिए किया जाता है। वर्तमान में इंसुलिन इंजेक्शन का उपयोग मधुमेह की स्थिति में रक्त शर्करा को नियंत्रित करने के लिए अत्यधिक उपयोग में लाया जाता है।
इसके अतिरिक्त इंसुलिन कार्य का समर्थन करने के लिए एक उच्च फाइबर सामग्री युक्त कार्बोहाइड्रेट या “कम-ग्लाइसेमिक” (low-glycemic) खाद्य पदार्थ प्राकृतिक रूप से ग्लूकोज को नियंत्रित करने के लिए बेहतर होते हैं। यह पाचन क्रिया को धीमा कर रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में योगदान देते हैं।
(और पढ़ें – मधुमेह को कम करने वाले आहार)
इंसुलिन की अधिकता से नुकसान – Insulin overdose side effects in Hindi
इंसुलिन थेरेपी के दौरान मानव शरीर में इंसुलिन की अधिकता देखने को मिलती है। डायबिटीज से सम्बंधित व्यक्ति को उपचार के लिए इंसुलिन दवाओं की सिफारिश की जाती है। अगर डायबिटीज से ग्रसित व्यक्ति सही तरीके से इंसुलिन ग्रहण न कर, अधिक मात्रा में ग्रहण करता है तो, इंसुलिन ओवरडोज के फलस्वरूप मानव शरीर में अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती है, जिनमें शामिल हैं:
- हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia) या निम्न रक्त शर्करा (Low blood sugar)
- त्वचा सम्बन्धी प्रतिक्रियाएं (जैसे इंजेक्शन साइट पर लालिमा, सूजन, खुजली या लाल चकत्ते),
- डायबिटिक रेटिनोपैथी (diabetic retinopathy) की स्थिति बिगड़ना,
- शरीर में वसा के वितरण में बदलाव होना (लाइपोडिस्ट्रोफी) (lipodystrophy),
- एलर्जी प्रतिक्रियाएं,
- सोडियम रिटेंशन (sodium retention)
- शरीर में सूजन
- इंसुलिन वजन बढ़ने का कारण
- रक्त में पोटेशियम का स्तर कम होना
- इन दुष्प्रभावों के अलावा इनहेलर इंसुलिन गले में दर्द या जलन और खाँसी का कारण बनता है।
हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia) या निम्न रक्त शर्करा, इन्सुलिन की अधिकता का सबसे आम साइड इफेक्ट है, जो इंसुलिन थेरेपी के परिणामस्वरूप उत्पन्न हो सकता है।
(और पढ़ें – डायबिटीज कंट्रोल करने वाले आहार)
हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia) के सामान्य लक्षणों में निम्न शामिल हैं:
- सरदर्द होना
- घबराना
- अत्यधिक जम्हाई लेना
- भ्रम (Confusion) उत्पन्न होना
- जी मिचलाना
- धुंधली दृष्टि की समस्या उत्पन्न होना
- शरीर के तापमान में कमी होना
- चिड़चिड़ापन
- थकान महसूस होना
- पसीना आना
- उंगलियों में झुनझुनी आना
- झटके (Tremors)
- मांसपेशी में कमज़ोरी
- चक्कर आना या बेहोशी उत्पन्न होना, इत्यादि।
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इन्सुलिन की कमी – Insulin deficiency in Hindi
मानव शरीर में रक्त शर्करा को नियंत्रित करने के लिए आवाश्यकता से कम मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन, इंसुलिन कमी का कारण बनता है। जब प्रतिरक्षा प्रणाली अग्नाशय की आइलेट्स या बीटा-कोशिकाओं पर हमला करती है, तब यह कोशिकाएं इंसुलिन का पर्याप्त उत्पादन नहीं कर पाती हैं। यदि शरीर पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है, तब रक्त शर्करा के स्तर में अत्यधिक वृद्धि होती है। अतः इन्सुलिन की कमी के कारण रक्त शर्करा में अत्यधिक वृद्धि, हाइपरग्लाइसेमिया (hyperglycemia) कहलाती है। यह समस्या अनेक प्रकार की जटिलताओं का कारण बन सकती है। मुख्य रूप से जो लोग इंसुलिन की आवश्यक मात्रा का उत्पादन नहीं करते हैं, उन्हें मधुमेह की समस्या उत्पन्न होती है।
(और पढ़ें – रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय)
इन्सुलिन की कमी के लक्षण – Insulin deficiency symptoms in Hindi
इंसुलिन के बिना या इंसुलिन की कमी के कारण रक्त में अधिक रक्त शर्करा का निर्माण होता है और कोशिकाएं उर्जा उत्पादन के लिए रक्त शर्करा का अवशोषण नहीं कर पाती है, जिसके कारण निम्न लक्षण प्रगट हो सकते हैं:
- थकान महसूस होना
- लगातार संक्रमण की समस्या उत्पन्न होना
- आंखों में धुंधलापन
- मासपेशियों में अकड़न की समस्या
- हाथ या पैर में झुनझुनी आना
- प्यास में वृद्धि होना
- चोट या कट का धीमी गति से उपचार, इत्यादि।
इंसुलिन की कमी की स्थिति में कोशिकाएं, वसा का उपयोग उर्जा उत्पादन में करने लगती हैं। यदि इंसुलिन की कमी बहुत लंबे समय के लिए होती है, तो शरीर में लिवर द्वारा कीटोन्स (Ketones) का उत्पादन किया जाता है। यह कीटोन्स (Ketones) जहरीले हो सकते हैं तथा अधिक समय तक शरीर में निर्माण के फलस्वरूप कोशिकाओं को नष्ट भी कर सकते हैं। जिसके परिणामस्वरूप गंभीर बीमारी और कोमा (coma) की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
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इंसुलिन का भंडारण और सुरक्षा – Insulin storage and safety in Hindi
इंसुलिन दवाओं के भंडारण और उपयोग से सम्बंधित कुछ सामान्य बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है, जो इस प्रकार हैं:
- कोल्ड इंसुलिन (cold insulin) के इस्तेमाल से इंजेक्शन साइट में अत्याधिक दर्द हो सकता है।
- सिरिंज भरने से पहले इंसुलिन की बोतल को हाथों के बीच घुमाकर बोतल को गर्म किया जा सकता है।
- इंसुलिन की बोतलों को फ्रिज में स्टोर करके रखना चाहिए।
- इंसुलिन को कभी भी बहुत ठंडे या बहुत गर्म तापमान पर नहीं रखना चाहिए, क्योंकि अत्यधिक तापमान परिवर्तन पर इंसुलिन नष्ट हो सकता है।
- इंसुलिन को सीधे फ्रीजर में या धूप में नही रखना चाहिए।
- इंसुलिन बोतल 30 दिनों से अधिक समय तक खुली होने पर इसकी क्रियाशीलता कम हो सकती है।
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