Insulin In Hindi: इंसुलिन कैसे बनता है? इंसुलिन अग्न्याशय में बनने वाला एक हार्मोन है, यह शरीर को ग्लूकोज से ऊर्जा का उत्पादन करने की अनुमति प्रदान करता है। ग्लूकोज एक प्रकार की शर्करा है, जो अनेक कार्बोहाइड्रेट आहार में पाई जाती है। यदि मानव शरीर में इंसुलिन का स्तर बहुत कम या ज्यादा होता है, तो अत्यधिक उच्च या निम्न रक्त शर्करा से सम्बंधित लक्षणों के उत्पन्न होने का कारण बन सकता है। निम्न या उच्च रक्त शर्करा की स्थिति के परिणामस्वरूप गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं विकसित हो सकती हैं। चूँकि इंसुलिन, शरीर की कोशिकाओं को ग्लूकोज से उर्जा उत्पादन करने के लिए आवश्यक होता है, इसलिए इसे जिंदा रहने के लिए बहुत जरूरी हार्मोन माना गया है।
आज के इस लेख में आप जानेगें कि शरीर में इंसुलिन का उत्पादन कैसे होता है, इसके कार्य और स्रोत क्या क्या हैं, तथा इसकी अधिकता से होने वाले नुकसान के बारे में।
विषय सूची
इंसुलिन एक हार्मोन है, जिसका निर्माण अग्न्याशय में होता है। यह रक्त में उपस्थित ग्लूकोज को कोशिकाओं में प्रवेश करने और कार्य करने के लिए आवश्यक ऊर्जा का उत्पादन करने की अनुमति प्रदान करता है। अतः इंसुलिन रक्त शर्करा को नियंत्रित करने और ऊर्जा का अवशोषण करने के लिए एक आवश्यक हार्मोन है। मानव शरीर में ग्लूकोज का स्तर जितना अधिक होगा, अग्न्याशय रक्त में शर्करा के स्तर को संतुलित करने के लिए उतना ही अधिक इंसुलिन उत्पादन करेगा।
अग्न्याशय अमाशय के पीछे उपस्थित एक ग्रंथि है, जो शरीर में इंसुलिन का मुख्य स्रोत है। अग्न्याशय में कोशिकाओं के समूह, जो इंसुलिन हार्मोन का उत्पादन करते हैं और शरीर में रक्त शर्करा के स्तर के आधार पर इंसुलिन की मात्रा का निर्धारण करते हैं, आइलेट (islets) कहलाते हैं।
हार्मोन, रासायनिक संदेशवाहक और शरीर में किसी विशेष कार्य का समर्थन करते हैं। यह कुछ कोशिकाओं या ऊतकों को उचित तरीके से कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं। शरीर में इंसुलिन की कमी मधुमेह के विकसित होने का कारण बनती है। इसके अतिरिक्त इंसुलिन की आवश्यकता से अधिक मात्रा हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia) सहित अन्य समस्याओं के उत्पन्न होने का कारण बनती है।
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प्राकृतिक रूप से इन्सुलिन का उत्पादन अग्न्याशय (pancreas) में होता है। इंसुलिन एक प्रकार की प्रोटीन श्रृंखला या पेप्टाइड हार्मोन होता है। इंसुलिन के एक अणु में 51 अमीनो एसिड होते हैं। इंसुलिन का आणविक भार 5808 dalton (1dalton = 1 g/mol) होता है। अग्न्याशय (Pancreas) में लैंगरहैंस कोशिकाओं के आइलेट्स (islets) में इंसुलिन का उत्पादन होता है। ये कोशिकाएं लगातार इंसुलिन की थोड़ी मात्रा जारी करती रहती हैं, लेकिन जब रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि होती है तब अग्न्याशय (Pancreas) स्त्राव होने वाले इंसुलिन की मात्रा में भी वृद्धि हो जाती है।
इंसुलिन की संरचना जानवरों की प्रजातियों के बीच थोड़ी भिन्न होती है। सूअर और गाय दोनों के इंसुलिन, मानव इंसुलिन के समान ही होते हैं। अतीत काल में, गाय और सुअर से इंसुलिन को निकाला जाता था।
प्रयोगशाला में मानव इंसुलिन का संश्लेषण आम बैक्टीरिया की उपस्थिति में किया जाता है। वर्तमान में एशेरिकिया कोलाई (Escherichia coli) नामक बैक्टीरिया का इस्तेमाल व्यापक रूप से किया जाता है, लेकिन यीस्ट (yeast) का उपयोग भी इंसुलिन के निर्माण में किया जाता है।
सभी प्रकार के इंसुलिन मानव शरीर में एक ही प्रभाव पैदा करते हैं। विभिन्न प्रकार के इंसुलिन को तेजी से काम करने की दर और प्रभावी समय के आधार पर 4 वर्गों में बांटा गया है, जैसे:
इंसुलिन एक रासायनिक संदेशवाहक है, जो कोशिकाओं को रक्त से ग्लूकोज (शर्करा) को अवशोषित करने की अनुमति देता है। इंसुलिन कोशिका झिल्ली पर रिसेप्टर्स के रूप में कार्य करता है। यह ट्रांसपोर्ट अणुओं के एक सेट को सक्रिय करता है, जिसके माध्यम से ग्लूकोज और प्रोटीन अणु कोशिकाओं के अन्दर प्रवेश करते हैं। ग्लूकोज का कोशिकाओं के अन्दर जाने के बाद ही इसका उपयोग उर्जा उत्पादन में किया जा सकता है। इंसुलिन शरीर में निम्न तरह के कार्यों को करता है, जैसे:
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शरीर की कोशिकाओं को जीवित रहने और उचित तरीके से कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यक मात्रा शर्करा से प्राप्त की जाती है। चूँकि कोशिकाएं शर्करा का अवशोषण करने में सक्षम नहीं होती हैं। अतः इन्सुलिन इस शर्करा को कोशिकाओं के अन्दर पहुचाने में मदद करता है। जब भोजन का सेवन किया जाता है तो रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है, इस स्थिति में रक्त शर्करा को नियंत्रित करने के लिए अग्न्याशय की बीटा कोशिकाएं रक्तप्रवाह में इंसुलिन जारी करती हैं। अतः मानव शरीर में अग्न्याशय इंसुलिन स्त्रोत के रूप में कार्य करता है।
यदि शरीर किसी कारण से पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है, तो व्यक्तियों को रक्त शर्करा के नियंत्रण के लिए इंसुलिन सप्लीमेंट लेने की आवश्यकता होती है। इंसुलिन दवाओं का उत्पादन मुख्य रूप से मधुमेह रोगियों के लिए किया जाता है। वर्तमान में इंसुलिन इंजेक्शन का उपयोग मधुमेह की स्थिति में रक्त शर्करा को नियंत्रित करने के लिए अत्यधिक उपयोग में लाया जाता है।
इसके अतिरिक्त इंसुलिन कार्य का समर्थन करने के लिए एक उच्च फाइबर सामग्री युक्त कार्बोहाइड्रेट या “कम-ग्लाइसेमिक” (low-glycemic) खाद्य पदार्थ प्राकृतिक रूप से ग्लूकोज को नियंत्रित करने के लिए बेहतर होते हैं। यह पाचन क्रिया को धीमा कर रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में योगदान देते हैं।
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इंसुलिन थेरेपी के दौरान मानव शरीर में इंसुलिन की अधिकता देखने को मिलती है। डायबिटीज से सम्बंधित व्यक्ति को उपचार के लिए इंसुलिन दवाओं की सिफारिश की जाती है। अगर डायबिटीज से ग्रसित व्यक्ति सही तरीके से इंसुलिन ग्रहण न कर, अधिक मात्रा में ग्रहण करता है तो, इंसुलिन ओवरडोज के फलस्वरूप मानव शरीर में अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती है, जिनमें शामिल हैं:
हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia) या निम्न रक्त शर्करा, इन्सुलिन की अधिकता का सबसे आम साइड इफेक्ट है, जो इंसुलिन थेरेपी के परिणामस्वरूप उत्पन्न हो सकता है।
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मानव शरीर में रक्त शर्करा को नियंत्रित करने के लिए आवाश्यकता से कम मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन, इंसुलिन कमी का कारण बनता है। जब प्रतिरक्षा प्रणाली अग्नाशय की आइलेट्स या बीटा-कोशिकाओं पर हमला करती है, तब यह कोशिकाएं इंसुलिन का पर्याप्त उत्पादन नहीं कर पाती हैं। यदि शरीर पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है, तब रक्त शर्करा के स्तर में अत्यधिक वृद्धि होती है। अतः इन्सुलिन की कमी के कारण रक्त शर्करा में अत्यधिक वृद्धि, हाइपरग्लाइसेमिया (hyperglycemia) कहलाती है। यह समस्या अनेक प्रकार की जटिलताओं का कारण बन सकती है। मुख्य रूप से जो लोग इंसुलिन की आवश्यक मात्रा का उत्पादन नहीं करते हैं, उन्हें मधुमेह की समस्या उत्पन्न होती है।
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इंसुलिन के बिना या इंसुलिन की कमी के कारण रक्त में अधिक रक्त शर्करा का निर्माण होता है और कोशिकाएं उर्जा उत्पादन के लिए रक्त शर्करा का अवशोषण नहीं कर पाती है, जिसके कारण निम्न लक्षण प्रगट हो सकते हैं:
इंसुलिन की कमी की स्थिति में कोशिकाएं, वसा का उपयोग उर्जा उत्पादन में करने लगती हैं। यदि इंसुलिन की कमी बहुत लंबे समय के लिए होती है, तो शरीर में लिवर द्वारा कीटोन्स (Ketones) का उत्पादन किया जाता है। यह कीटोन्स (Ketones) जहरीले हो सकते हैं तथा अधिक समय तक शरीर में निर्माण के फलस्वरूप कोशिकाओं को नष्ट भी कर सकते हैं। जिसके परिणामस्वरूप गंभीर बीमारी और कोमा (coma) की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
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इंसुलिन दवाओं के भंडारण और उपयोग से सम्बंधित कुछ सामान्य बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है, जो इस प्रकार हैं:
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