गर्भावस्था

आई यू आई क्या है प्रक्रिया, प्रेगनेंसी के लक्षण और सफलता दर – IUI Procedure Symptoms Risk And Success Rate In Hindi

IUI in Hindi अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (Intrauterine insemination) (IUI) एक प्रजनन उपचार है जिसे आर्टिफिशियल इन्सेमिनेशन भी कहा जाता है। इसमें फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया के लिए एक महिला के गर्भाशय के अंदर शुक्राणु को रखा जाता है। इंट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन (आई.यू.आई.) प्रक्रिया का लक्ष्य शुक्राणुओं की संख्या को बढ़ाना है जो फैलोपियन ट्यूब तक पहुंचते हैं और बाद में फर्टिलाइजेशन की संभावना को बढ़ाते हैं। इस प्रक्रिया को दूसरी आर्टिफीसियल तकनीक जैसे IVF और ICSI से ज्यादा सुरक्षित और कारगर माना गया है। भारत में इस प्रक्रिया की लागत भी कम है और इसकी सफलता दर ज्यादा है। तो आईये जानते है आईयूआई तकनीक कैसे काम करती है और इसकी प्रक्रिया के बाद प्रेगनेंसी के क्या लक्षण, जोखिम और सफलता दर है।

विषय सूची

1. इंट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन (आईयूआई) क्या है – What is IUI in Hindi
2. आईयूआई प्रक्रिया कैसे की जाती है – Procedure of doing IUI in Hindi
3. आईयूआई के बाद प्रेगनेंसी के लक्षण – After IUI pregnancy symptoms in hindi

4. आईयूआई के कितने दिन बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करना चाहिए – IUI ke kitne din baad pregnancy test kare in Hindi
5. आईयूआई के जोखिम – Risk of IUI in Hindi
6. आईयूआई के बाद सावधानी – Precautions after IUI treatment in hindi
7. आईयूआई की प्रक्रिया की सफलता दर – Success rate of IUI in hindi
8. आईयूआई की प्रक्रिया की सफलता के लिए टिप्स – Success tips for IUI in hindi

इंट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन (आईयूआई) क्या है – What is IUI in Hindi

आईयूआई (Intrauterine insemination) को कभी कभी डोनर इन्सेमीनेशन, अल्टरनेटिव इन्सेमीनेशन या आर्टिफीसियल इन्सेमीनेशन या कृत्रिम गर्भाधान भी कहा जाता है। यह प्रक्रिया इनफर्टिलिटी (infertility) का इलाज करने का एक सही तरीका है। इस प्रक्रिया में पति या दूसरे डोनर द्वारा स्पर्म लेकर पहले उसे लैब में अच्छी तरह साफ किया जाता है उसके बाद एक प्लास्टिक के कैथेटर ट्यूब के द्वारा सीधे महिला के गर्भाशय में मौजूद अंडे के पास छोड़ा जाता है जिससे स्पर्म अंडे में जाकर फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया आसानी से पूरी कर पाता है। आप चाहें तो इन्सेमीनेशन की प्रक्रिया से पहले फर्टिलिटी मेडिसिन ले सकती है। यह दवाईयां आपके ओवुलेशन की प्रक्रिया को बढ़ावा देती हैं। आईयूआई की प्रक्रिया एक सरल और अन्य प्रजनन उपचार तकनीकों के मुकाबले कम खर्चीली है।

(और पढ़े – गर्भधारण कैसे होता है व गर्भधारण की प्रक्रिया क्या होती है…)

आईयूआई प्रक्रिया कैसे की जाती है – Procedure of doing IUI in Hindi

अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (IUI) की प्रक्रिया शुरू करने से पहले, महिला को ओव्यूलेशन-उत्तेजक दवाईयां (ovulation-stimulating medications) दी जाती है और अल्ट्रासोनोग्राफी का उपयोग करके फोलिकल्स के आकार और संख्या को मापा जाता है, उसके बाद महिला को मानव कोरियोनिक गोनाडोट्रॉफ़िन (Human Chorionic Gonadotrophin) (HCG) इंजेक्शन दिया जाता है अंडों को परिपक्व करने के लिए और फोलिकल्स को निश्चित आकार तक पहुंचने के लिए। एचसीजी इंजेक्शन देने के 24-36 घंटे बाद आईयूआई किया जाता है। आईयूआई प्रक्रिया को महिला के ओव्यूलेशन के समय के आसपास किया जाता है।

सबसे पहले वीर्य का नमूना (semen sample) लैब द्वारा धोया जाएगा ताकि वीर्य को सेमिनल फ्लूइड (seminal fluid) से अलग किया जा सके। अब एक कैथेटर ट्यूब की मदद से स्पर्म को सीधे गर्भाशय में डाला जाता है। यह प्रक्रिया स्पर्म सेल्स की संख्या को बढ़ाने में मदद करती है, जिससे गर्भाधान की संभावना बढ़ जाती है। आईयूआई (IUI) प्रक्रिया होने में केवल कुछ मिनट लगते हैं और इसमें असुविधा होने की समस्या भी कम हो जाती है। इस प्रक्रिया के पूरे होने के बाद भी अगला कदम गर्भावस्था के संकेतों और लक्षणों को देखना है। परन्तु सबसे महत्वपूर्ण यह है की सभी महिलाओं में इसका असर अलग अलग होता है उनके शरीर और प्रजनन क्षमता के हिसाब से ही।

(और पढ़े – गर्भवती होने के लिए पूरा गाइड…)

आईयूआई के बाद प्रेगनेंसी के लक्षण – After IUI pregnancy symptoms in Hindi

  1. प्रत्यारोपण के बाद होने वाला रक्तस्राव – Implantation Bleeding in hindi
  2. मासिक धर्म में देरी – Menstrual Delay in hindi
  3. स्तनों में कोमलता आना – Tenderness in Breasts in hindi
  4. जी मिचलाना – Nausea in Hindi
  5. थकान महसूस होना – feeling of fatigue in Hindi
  6. लगातार शरीर का तापमान उच्च बने रहना – Consistently High Body Temperature in hindi

आईयूआई की प्रक्रिया के दो से तीन हफ्ते के बाद कुछ निम्न तरह के लक्षण दिखाई दे सकते है जिससे आप अंदाजा लगा सकती है की स्पर्म एग के साथ ओवुलेट हुआ या नहीं और आप प्रेग्नेंट हुई या नहीं, परन्तु इस तकनीक के लक्षण सभी महिलाओं में अलग अलग हो सकते है। आईये जाने आईयूआई की प्रक्रिया के बाद प्रेगनेंसी के कौन से लक्षण दिखाई देते है, इसमें शामिल है-

प्रत्यारोपण के बाद होने वाला रक्तस्राव – Implantation Bleeding in Hindi

इम्प्लांटेशन के सबसे पहले लक्षणों में से एक है इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग। यह लक्षण हर महिला को अनुभव नहीं होता है, परन्तु यह लक्षण सामान्य है। प्रत्यारोपण रक्तस्राव तब होता है जब अंडा गर्भाशय के अस्तर में खुद को जमा कर लेता है जिसके कारण योनि स्राव होने लगता है जिसे पीरियड्स समझने की भूल ना करें। इसी ब्लीडिंग के साथ ऐंठन भी हो सकती है। यह लक्षण आमतौर पर गर्भाधान के छह से बारह दिन बाद दिखाई देता है।

(और पढ़े – इंप्लांटेशन ब्लीडिंग (आरोपण रक्तस्राव) क्या है, लक्षण, कितने दिन तक होती है…)

मासिक धर्म में देरी – Menstrual Delay in Hindi

मासिक धर्म में देरी होना या पीरियड्स मिस हो जाना आईयूआई के बाद गर्भधारण की संभावना की ओर एक बड़ा संकेत होता है। अगर आपको गर्भधारण के बाद भी बीच बीच में स्पॉटिंग या हल्का रक्तस्राव देखाई देता है तो भी यह चिंता की बात नहीं है, परन्तु अगर आप तब भी संतुष्ट नहीं है और ब्लीडिंग के बारे में चिंतित है तो आप अपने डॉक्टर से सलाह ले सकती हैं।

(और पढ़े – मासिक धर्म (पीरियड्स) के देर से आने के कारण और उपाय…)

स्तनों में कोमलता आना – Tenderness in Breasts in Hindi

यदि आपके स्तन भारी, संवेदनशील और थोड़े गले हुए से लग रहे है, तो आपके आईयूआई के बाद गर्भवती होने की पूरी संभावना है। स्तनों में सूजन आना और कोमलता महसूस होना यह ऐसे लक्षण हैं जो पीरियड्स के दौरान भी महिलाओं में आम हैं। हालाँकि, यदि यह लक्षण आपके पीरियड्स में देरी होने के बाद भी बने हुए है, तो आपको गर्भावस्था परीक्षण करवाना बहुत जरुरी है।

(और पढ़े – ब्रेस्ट में सूजन के लक्षण, कारण, जांच, इलाज और बचाव…)

जी मिचलाना – Nausea in Hindi

गर्भावस्था के सामान्य लक्षणों में मतली या मॉर्निंग सिकनेस भी शामिल है। यह परेशानी एक तीव्र गंध के कारण या कभी-कभी बिना किसी कारण के शुरू हो जाते है। ऐसा इसलिए होता है क्योकि आपके शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है।

(और पढ़े – उल्टी और मतली को रोकने के उपाय…)

थकान महसूस होना – Feeling of fatigue in Hindi

गर्भवती महिलाएं को बहुत अधिक थकान महसूस होती है क्योकि उनके शरीर में प्रोजेस्टेरोन का स्तर बहुत अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि यह हार्मोन नींद को प्रेरित करने के लिए ही जाना जाता है। इसके अलावा, रक्तचाप और रक्त शर्करा का स्तर कम होने पर रक्त उत्पादन (blood production) में वृद्धि होती है। जिसकी वजह से शरीर की बहुत अधिक ऊर्जा खर्च होती है और थकान की भावना महसूस होती  है।

(और पढ़े – महिलाओं की कमजोरी के कारण, लक्षण और दूर करने के उपाय…)

लगातार शरीर का तापमान उच्च बने रहना – Consistently High Body Temperature in Hindi

प्रोजेस्टेरोन के स्तर में वृद्धि होने के कारण आपके शरीर का तापमान बढ़ा हुआ रह सकता है। यदि आपके शरीर का तापमान 20 दिनों से अधिक समय से बढ़ा हुआ है तो आपके लिए यह एक अच्छा संकेत है, और शायद आप आईयूआई के बाद गर्भवती हो गयी हैं।

(और पढ़े – शरीर का सामान्य तापमान कितना होता है, सामान्य रेंज और महत्व…)

आईयूआई के कितने दिन बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करना चाहिए – IUI ke kitne din baad pregnancy test kare in Hindi

आईयूआई प्रक्रिया के कम से कम दो सप्ताह या 14 दिनों के बाद ही आपको गर्भावस्था परीक्षण करना सबसे अच्छा है। क्योकि भले ही आईयूआई प्रक्रिया में अंडे के फर्टिलाइजेशन के बाद सीधे स्पर्म को गर्भाशय में इम्प्लांट किया जाता है, लेकिन फिर भी स्पर्म को गर्भाशय तक पहुंचने में लगभग चार से छह दिन लगते है। उसके बाद इम्प्लांटेशन में एक से पांच दिन या उससे अधिक समय लग सकता हैं। एचसीजी का स्तर जो गर्भवस्था परीक्षण करने पर गर्भावस्था का संकेत देता हैं, उसे भी बढ़ने में कुछ और दिन लग जाते है। इसलिए सही और बेहतर परिणाम के लिए आप कम से कम 2 हफ्ते बाद ही आप प्रेगनेंसी टेस्ट करें। और अगर आपका प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव आता है तो उसे निर्धारित करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप रक्त परीक्षण करवा सकती है, क्योंकि यह गर्भावस्था के सटीक परिणाम सुनिश्चित करता है।

(और पढ़े – प्रेगनेंसी टेस्ट कब करना चाहिए…)

आईयूआई के जोखिम – Risk of IUI in Hindi

आईयूआई वैसे तो अपेक्षाकृत एक बहुत ही सरल और सुरक्षित प्रक्रिया है, और इसमें गंभीर जटिलताओं का जोखिम भी कम है। फिर भी इसके कुछ सामान्य जोखिमों में शामिल हैं-

संक्रमण (Infection)- इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप किसी तरह का संक्रमण विकसित होने का थोड़ा जोखिम उत्पन्न हो सकता है।

स्पॉटिंग (Spotting)- कभी-कभी गर्भाशय में कैथेटर रखने की प्रक्रिया के समय योनि से थोड़ी मात्रा में रक्तस्राव होने का जोखिम हो सकता है। परन्तु यह आपके गर्भवती होने के अवसर पर कोई प्रभाव नहीं डालता है।

एकाधिक गर्भावस्था (Multiple pregnancy)- आईयूआई की प्रक्रिया वैसे तो कई गर्भावस्था जैसे जुड़वाँ, ट्रिपल या अधिक बच्चे के होने के जोखिम से जुड़ा नहीं है। लेकिन, जब ओव्यूलेशन-उत्प्रेरण दवाओं (ovulation-inducing medications) के साथ इसका समन्वय किया जाता है, तो कई गर्भावस्था होने का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है। सिंगल प्रेगनेंसी की तुलना में मल्टीप्ल प्रेगनेंसी में अधिक जोखिम होता है, जिसमें शामिल है समय से पहले प्रसव और जन्म के समय बच्चे का कम वजन होना।

(और पढ़े – प्रेगनेंसी की जानकारी और प्रकार, क्या आप जानते है…)

आईयूआई के बाद सावधानी – Precautions after IUI treatment in Hindi

आपको अपने आईयूआई उपचार के बाद कुछ सावधानी बरतनी चाहिए क्योकि आईयूआई की प्रक्रिया होने के बाद ये सावधानियां रखने से आपकी गर्भावस्था की संभावनाएं बढ़ सकती है, इन सावधानियों में शामिल है-

(और पढ़े – गर्भावस्था के दौरान खाये जाने वाले आहार और उनके फायदे…)

आईयूआई की प्रक्रिया की सफलता दर – Success rate of IUI in Hindi

आईयूआई (IUI) की सफलता कई कारकों पर निर्भर करती है। यदि किसी दंपति ने प्रत्येक महीने आईयूआई प्रक्रिया की है, तो सफलता की दर 20% प्रति चक्र तक पहुंचने की संभावना हो सकती है, जिसके कई कारण है जैसे कि महिला आयु, बांझपन का कारण और प्रजनन क्षमता की दवाओं का उपयोग। इसके आलावा भी सफलता दर के बदलाव के पीछे कई अन्य कारण हो सकते है।

(और पढ़े – महिला बांझपन के कारण, लक्षण, निदान और इलाज…)

आईयूआई की प्रक्रिया की सफलता के लिए टिप्स – Success tips for IUI in Hindi

आप अपनी विभिन्न जीवनशैली में परिवर्तन करके आईयूआई प्रक्रिया में सफलता पा सकती हैं। इसलिए हम निचे आपको आईयूआई के द्वारा गर्भावस्था की सफलता के लिए कुछ उपाय  बता रहे है, जिनमें शामिल है-

  • किसी एक्सपर्ट से मिलें
  • इस प्रक्रिया के बारे में अच्छी तरह से रिसर्च करें
  • एक स्वस्थ आहार अपनाएं
  • व्यायाम करना शुरू करें
  • धूम्रपान से बचें
  • अपने आप को स्ट्रेस से दूर रखे
  • एक्यूपंक्चर करने का प्रयास करें
  • डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही सप्लीमेंट लेने पर विचार करें
  • हमेशा खुश रहे
  • डॉक्टरों का कहना है कि IUI प्रक्रिया के बाद सेक्स करने से वास्तव में प्रेग्नेंट होने मदद मिलती है।

(और पढ़े – प्रेगनेंसी में करें प्री नेटल योग जो है मां और बच्चों के लिए फ़ायदेमंद…)

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