बीमारी

पीलिया के कारण, लक्षण और उपचार – Jaundice Causes, Symptoms and Treatment in Hindi

पीलिया रोग जिसे ज्वाइंडिस (Jaundice) भी कहा जाता है, लीवर से संबंधित बीमारी है जिससे हर वर्ष हजारों लोगों की मृत्यु हो जाती है। पीलिया का मतलब पीले रंग की त्वचा से है, जो कि पीलिया होने का मुख्य प्रमाण होता है। पीलिया होने का मुख्य कारण लिवर (liver) की कमजोरी है, लिवर में सूजन और पित्त नली की समस्या को माना जाता है। यदि पीलिया का समय पर इलाज नहीं किया गया तो, यह समस्या किडनी फेल, लिवर फेलियर और कैंसर का भी कारण बन सकता है। अतः इसके लक्षणों का समय पर निदान कर सफलता पूर्वक इलाज किया जा सकता है।

आप इस लेख में पीलिया क्या है, पीलिया के कारण, लक्षण, जाँच और उपचार के साथ-साथ पीलिया से बचने के उपाय के बारे में जानेगें।

विषय सूची

पीलिया क्या है – What is Jaundice in Hindi

ज्वाइंडिस (पीलिया) एक बहुत ही आम यकृत विकार (लिवर संबंधी रोग) है, जिसमें मरीज की त्वचा और आंखों का सफ़ेद भाग पीला हो जाता है। नवजात शिशु अक्सर इस बीमारी से ग्रस्त हो जाते हैं। लेकिन वयस्कों में भी यह बीमारी आम है। इसका मुख्य कारण शरीर में बनने वाला एक पदार्थ होता है, जिससे बिलीरुबिन (Bilirubin) कहा जाता है। बिलीरुबिन एक अपशिष्ट पदार्थ है जो कि रक्त में पाया जाता है। बिलीरुबिन का निर्माण लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने से होता है, इसका रंग पीला होता है।

जब हमारा लीवर बिलीरुबिन को शरीर से बाहर नहीं निकाल पाता, तो रक्त में इसका स्तर बढ़ जाता है और व्यक्ति पीलिया रोग से ग्रस्त हो जाता है। समय से पहले पैदा होने वाले शिशुओं में पीलिया रोग होने की संभावना अधिक होती है। हालांकि पीलिया सभी उम्र के लोगों को हो सकता है जिसका मुख्य कारण यकृत में जुड़ी समस्या होती है।

पीलिया के प्रकार – Types of jaundice in Hindi

ज्वाइंडिस (पीलिया) मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है:

  • हेपैटोसेलुलर ज्वाइंडिस (Hepatocellular jaundice) – यकृत रोग (liver disease) या लिवर में चोट के परिणामस्वरूप हेपैटोसेलुलर पीलिया रोग होता है।
  • हेमोलिटिक ज्वाइंडिस (Hemolytic jaundice) – हेमोलिटिक पीलिया, लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने या हेमोलिसिस (Hemolysis) के फलस्वरूप बिलीरुबिन के उत्पादन में वृद्धि के कारण उत्पन्न होता है।
  • ऑब्सट्रक्टिव ज्वाइंडिस (Obstructive jaundice) – ऑब्सट्रक्टिव पीलिया पित्त नली में रुकावट के कारण उत्पन्न होता है। इस स्थिति में लीवर से बिलीरुबिन बाहर नहीं आ पाता है।

पीलिया से संबंधित मुख्य बातें – Facts on jaundice in Hindi

  • ज्वाइंडिस रक्त में बिलीरुबिन (Bilirubin) नामक एक अपशिष्ट पदार्थ के अधिक निर्माण के कारण होता है।
  • पीलिया होने का मुख्य कारण लिवर (liver) की कमजोरी है, लिवर में सूजन और पित्त निर्माण में कमी होना माना जाता है।
  • इसके लक्षणों में त्वचा का पीला होना, आंखों का सफेद होना, मूत्र का लाल होना और खुजली होना मुख्य रूप से शामिल होते हैं।
  • पीलिया के निदान के लिए यूरिन टेस्ट, ब्लड टेस्ट और कई तरह के परीक्षण शामिल हो सकते हैं।
  • ज्वाइंडिस (पीलिया) के कारणों को जानकर इसका इलाज किया जा सकता है और पूरी तरह पीलिया से मुक्ति पाई जा सकती है।

पीलिया का कारण – Causes of jaundice in Hindi

पुरानी लाल रक्त कोशिकाएं लिवर में जाकर टूट जाती हैं, जिससे बिलीरुबिन का निर्माण होता है। पीलिया का मुख्य कारण यकृत द्वारा शरीर से बिलीरुबिन (Bilirubin) को बाहर न निकाल पाना होता है।

हमारा लिवर खून को फ़िल्टर कर अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालता है, जिसमें बिलीरुबिन भी शामिल होता है। लेकिन जब लिवर बिलीरुबिन को फ़िल्टर नहीं कर पाता तो यह अन्य रसायनों के साथ संलग्न हो जाता है, जिससे हमें घातक परिणाम प्राप्त होते हैं और अंत में पीलिया रोग हो जाता है।

पीलिया रोग के मुख्य दो कारण हो सकते हैं एक तो किसी कारणवश बहुत अधिक लाल रक्त कोशिकाओं के नष्ट होने के कारण बिलीरुबिन के उत्पादन में वृद्धि और दूसरा लिवर द्वारा बिलीरुबिन को शरीर से बाहर न निकाल पाना।

बिलीरुबिन के उत्पादन में वृद्धि का कारण – Jaundice causes increased production of bilirubin in Hindi

  • हेमेटोमा (large hematoma)
  • सिकल सेल एनीमिया (sickle cell anemia)
  • हेमोलिटिक एनीमिया (Hemolytic anemia) ।

पित्त नलिकाओं में रुकावट के कारण – Jaundice due to blockage in the bile ducts in Hindi

पीलिया के अन्य कारण – Other causes of jaundice in Hindi

  • लिवर की सूजन (Hepatitis)
  • गिल्बर्ट सिंड्रोम (Gilbert’s syndrome)
  • कोलेस्टेसिस (Cholestasis) – यकृत से पित्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाना
  • शराब का अधिक सेवन
  • ऑटोइम्यून विकार
  • अग्न्याशय का कैंसर (pancreatic cancer)
  • एक्यूट पैंक्रियाटिटीज (acute pancreatitis)
  • कुछ दवाएं जैसे- एसिटामिनोफेन विषाक्तता, पेनिसिलिन (penicillins), मौखिक गर्भ निरोधकों, क्लोर्प्रोमजीन (chlorpromazine) और एस्ट्रोजेनिक या एनाबॉलिक स्टेरॉयड (anabolic steroids) सहित दवाएं।

(और पढ़े – लीवर की कमजोरी कारण लक्षण और दूर करने के उपाय)

पीलिया के लक्षण – Symptoms of jaundice in Hindi

ज्वाइंडिस जिसे पीलिया के नाम से जानते हैं सबसे आम लक्षणों में त्वचा का पीला होना पाया जाता है, इसके अतिरिक्त पीलिया के निम्नलिखित लक्षण होते हैं।

(और पढ़े – ऐसे दूर रहें वायरल फीवर से)

नवजात शिशुओं में पीलिया – Newborn Jaundice in Hindi

नवजात शिशुओं में पीलिया होना एक सामान्य स्वास्थ समस्या है। हर साल पैदा होने वाले शिशुओं में से लगभग 60% नवजात शिशुओं में पीलिया रोग देखा जाता है। पीलिया के लक्षण शिशुओं में जन्म के 72 घंटों के भीतर दिखाई देते हैं।

शिशु में पीलिया रोग होने पर उनके शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं टूटने या प्रतिस्थापित होने लगती हैं। जिससे अधिक बिलीरुबिन का उत्पादन होता है। इसके अलावा शिशुओं की छाती कम विकसित होती है और लीवर ठीक से काम न कर पाने के कारण बिलीरुबिन को छानने में कठिनाई आती है जिससे पीलिया रोग उत्पन्न होता है।

शिशुओं में पीलिया रोग के लक्षण बगैर किसी ट्रीटमेंट के 2 हफ्ते के अंदर ही ठीक हो जाते हैं। लेकिन यदि शिशु में बिलीरुबिन की मात्रा अधिक है तो उसे इलाज की आवश्यकता होती है जिसमें ब्लड ट्रांसफ्यूजन और फोटोथेरेपी का सहारा लिया जाता है। शिशुओं में पीलिया रोग होने पर उपचार आवश्यक है क्योंकि नवजात शिशुओं में पीलिया कार्निकेटरस (kernicterus) को पैदा कर सकता है। यह बहुत ही दुर्लभ प्रकार है जिसमें मस्तिष्क की क्षति होने की संभावना बनी रहती है।

(और पढ़ें – नवजात शिशु में पीलिया (जॉन्डिस) के लक्षण, कारण और इलाज)

पीलिया की जाँच – Diagnosis of Jaundice in Hindi

डॉक्टरों को पीलिया का निदान और बिलीरुबिन के बढ़े हुए स्तर की पुष्टि करने के लिए रोगी के चिकित्सकीय इतिहास की जानकारी लेगा और शारीरिक परीक्षण के माध्यम से पेट की सूजन और लीवर की सूजन की पहचान करेगा।

  • एक नरम लीवर, लिवर सिरोसिस का कारण होता है।
  • जबकि यह सख्त लीवर, लिवर कैंसर को दर्शाता है।

पीलिया की जांच के लिए कई परीक्षण किए जा सकते हैं जिसमें सबसे पहले लिवर फंक्शन टेस्ट होता है और उसमें यह पता लगाया जाता है कि आपका यकृत ठीक से काम कर रहा है या नहीं।

इसके अलावा डॉक्टर पीलिया के कारणों का सही से पता लगाने के लिए रक्त परीक्षण का आदेश दे सकता है जिसके अंतर्गत मुख्य 3 परीक्षण शामिल किये जा सकते हैं:

  • बिलीरूबिन परीक्षण (Bilirubin tests) – इस परीक्षण में संयुग्मित बिलीरुबिन की तुलना में असंयुग्मित बिलीरुबिन के स्तर की जांच की जाता है, जिसका उच्च स्तर हेमोलीटिक पीलिया की ओर संकेत देता है।
  • सम्पूर्ण रक्त परीक्षण (complete blood count) – इस प्रकार के रक्त परीक्षण में लाल रक्त कोशिकाओं, श्वेत रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स की गिनती के आधार पर पीलिया रोग की पहचान की जाती है।
  • हेपेटाइटिस ए, बी और सी परीक्षण – यकृत संक्रमण (liver infections) की एक श्रृंखला (हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी) की पहचान करने के लिए इस प्रकार के परीक्षण की सिफारिश की जाती है।

इसके अतिरिक्त डॉक्टर लिवर से सम्बंधित रोगों की जांच करने के लिए इमेजिंग टेस्ट की सहायता ले सकते हैं, जिसके अंतर्गत एमआरआई, सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड को शामिल किया जाता है।

अंत में एक यकृत बायोप्सी के के माध्यम से यकृत की सूजन, लिवर सिरोसिस, लिवर कैंसर और फैटी लिवर की जांच की जा सकती है।

(और पढ़ें – फैटी लिवर के लक्षण, कारण, उपचार और बचाव के बारे में )

पीलिया रोग होने पर बिलीरुबिन का स्तर – Bilirubin levels when having jaundice in Hindi

बिलीरुबिन का स्तर रक्त परीक्षण के द्वारा पता लगाया लगाया जाता है, जो कि पीलिया के निदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

बिलीरुबिन स्तर को मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (मिलीग्राम / डीएल) मे मापा जाता है। वयस्क और बड़े बच्चों में रक्त बिलीरुबिन का सामान्य स्तर 0.3 से 0.6 एमजी / डीएल तक होना चाहिए। 9 महीने की गर्भावस्था के बाद पैदा हुए 97 प्रतिशत शिशुओं में 13 मिलीग्राम / डीएल सामान्य रक्त बिलीरुबिन स्तर होता है यदि वे इससे उच्च स्तर दिखाते हैं तो उन्हें आमतौर पर आगे की जांच के लिए भेज दिया जाता है।

(और पढ़ें – बिलीरुबिन ब्लड टेस्ट क्या है, कीमत, परिणाम और सामान्य स्तर)

पीलिया रोग का इलाज – Jaundice Treatment in Hindi

जॉन्डिस का उपचार अंतर्निहित कारणों पर निर्भर करता है। पीलिया के उपचार के तहत मुख्यतः पीलिया के लक्षणों का उपचार न करके इसके उत्पन्न होने के कारण को ही खत्म किया जाता है।

  • एनीमिया के द्वारा पीलिया रोग होने पर आयरन सप्लीमेंट दी जाती है। इसके अलावा अधिक आयरन युक्त खाद्य पदार्थ खाने से रक्त में आयरन की मात्रा को बढ़ाकर पीलिया का इलाज किया जाता है।
  • हेपेटाइटिस से प्रेरित पीलिया का इलाज करने के लिए एंटीवायरल या स्टेरॉयड दवाओं की आवश्यकता होती है।
  • रुकावट से संबंधित पीलिया का इलाज करने के लिए चिकित्सक सर्जरी की सिफारिश कर सकता हैं, जिसमें रुकावट को दूर कर पीलिया का इलाज किया जता है।
  • यदि पीलिया किसी दवा के सेवन के कारण हुआ है तो उपचार के लिए वैकल्पिक रूप से उस दवा को बदलना शामिल होता है।

(और पढ़ें – हेपेटाइटिस बी के लक्षण, कारण, जांच, उपचार और रोकथाम)

पीलिया के जोखिम और जटिलताएं – Jaundice Risks & Complications in Hindi

जटिलताओं की गंभीरता पीलिया होने के कारण पर निर्भर करती है। पीलिया रोग होने पर पीड़ित व्यक्ति को निम्नलिखित जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है:

इसके अतिरिक्त जैसा कि बताया गया है कि पीलिया यकृत से संबंधित बीमारी है, तो पीलिया के जोखिम में यकृत में तीव्र सूजन उत्पन्न हो सकती  है।

पीलिया से बचाव के उपाय – Prevention of Jaundice in Hindi

सामान्‍य रूप से पीलिया एक लिवर से संबंधित बीमारी है। इसलिए आवश्यक है कि व्यक्ति अपने यकृत (लिवर) को स्वस्थ रखें औरअपने खाने की आदतों को सुधारें। चूँकि पीलिया के अनेक कारण हैं, इसलिए इससे पूरी तरीके से बचना और इसकी रोकथाम करना कठिन है। फिर भी कुछ रोकथाम उपाय अपनाकर इसके जोखिम को कम किया जा सकता है, जैसे:

  • नियमित रूप से कसरत करते रहें।
  • हेपेटाइटिस संक्रमण से बचने के लिए उचित उपाय अपनाएं।
  • स्वस्थ वजन बनाए रखें।
  • कोलेस्ट्रॉल का प्रबंधन करें।
  • लिवर से संबंधित बीमारियों में शराब के सेवन को त्याग देना चाहिए, क्योंकि शराब सर्वाधिक यकृत (लिवर) को प्रभावित करती है।

(और पढ़े – शराब पीना कैंसर का कारण बन सकता है…)

पीलिया होने पर भोजन – Diet For Jaundice Patient In Hindi

हर किसी बीमारी को ठीक करने में भोजन की अहम् भूमिका होती है। पीलिया का इलाज कराने के साथ अगर संतुलित आहार का सेवन किया जाए, तो आप पीलिया को जल्द से जल्द ठीक कर सकते हैं। इसके लिए आपको थोड़े-थोड़े भोजन की मात्रा का सेवन दिन में चार-पांच बार करना है।

खाने से पहले साफ सफाई का ध्यान अवश्य रखें, जिसमें हाथों का धोना और साफ पानी को पीना शामिल है।

पीलिया से ग्रस्त रोगी को हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए। इसके साथ ही साथ वह सब्जी और फलों के जूस को भी ले सकते हैं, जैसे कि करेला का जूस इसमें लाभदायक होता है। करेले के जूस के साथ नींबू का रस, टमाटर, मूली, जौ, गन्ना और गाजर भी पीलिया को ठीक करने के लिए उपयोगी मानी जाती है।

ज्वाइंडिस रोग से बचने के लिए और उससे जल्दी ठीक होने के लिए आप छाछ और नारियल पानी का सेवन भी कर सकते हैं और ड्राई फ्रूट का सेवन भी इसके इलाज में फायदेमंद है।

(और पढ़ें – पीलिया में क्या खाएं और क्या न खाए)

पीलिया मे परहेज – Piliya me kya na khaye in Hindi

ज्वाइंडिस (पीलिया) को एक गंभीर बीमारी के रूप में जाना जाता है। पीलिया लीवर से संबंधित बीमारी है इसलिए आपको मसालेदार, नमकीन और तेल युक्त भोजन करने से बचना चाहिए। पीलिया होने पर शराब का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। तेल युक्त भोजन का सेवन करने पर यह भोजन हमारे शरीर के अंदर पच नहीं पाता, क्योंकि हमारा लीवर सही से काम नहीं करता है। इसलिए पीलिया होने पर तेलीय पदार्थों से बने भोजन को लेने से बचें। इसके साथ ही दाल और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर भोजन खाने से भी बचना चाहिए।

आपको यह भी जानना चाहिए – 

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