How to get pregnant with twins in Hindi एक बच्चा आपके जीवन में असीम खुशी लाता है, और अगर बच्चे जुड़वां हो तो आपकी खुशी दुनिया के शीर्ष पर होगी। लेकिन सभी माता-पिता एक ही दृष्टिकोण के नहीं होते हैं। ऐसे कई लोग हैं जो एक ही समय में जुड़वा या अधिक बच्चे पैदा करने के बारे में सोचते हैं। आपका भी जुड़वा बच्चों का सपना साकार हो सकता है अगर आप कुछ उपायों को अपनाएंगी तो क्योकि यह आपके जीन्स पर साथ ही साथ आपकी खान-पान की आदतों और जीवनशैली पर भी निर्भर करता हैं। आज इस लेख में हम जानेंगे की जुड़वा बच्चे कैसे पैदा होते है और जुड़वा बच्चे पैदा होने के लक्षण कारण जोखिम सावधानियां और उपाय क्या है।
विषय सूची
जुड़वा या मल्टीप्ल गर्भधारण तब होता है जब एक अंडा प्रत्यारोपित (implant) होने से पहले ही अलग हो जाता है या जब प्रत्येक अंडे को अलग अलग स्पर्म द्वारा फ़र्टिलाइज़ किया जाता है। जुड़वा बच्चे दो प्रकार के होते है-
आइडेंटिकल ट्विन्स तब होते है जब एक ही अंडे के फर्टिलाइजेशन के साथ ही अंडा बाद में दो या तीन समान भ्रूणों में विभाजित हो जाता हैं। आइडेंटिकल ट्विन्स की एक ही जेनेटिक पहचान होती है, हमेशा एक ही तरह के सेक्स होते हैं मतलब या तो दोनों लड़के होंगे या दोनों लड़कियां और दोनों बच्चे लगभग एक जैसे ही दिखते हैं।
(और पढ़े – गर्भधारण कैसे होता है व गर्भधारण की प्रक्रिया क्या होती है….)
नॉन आइडेंटिकल ट्विन्स अलग-अलग अंडों से विकसित होते हैं जो अलग अलग स्पर्म द्वारा फ़र्टिलाइज़ होते हैं। फ्रेटर्नल जुड़वां बच्चे एक ही लिंग के या तो अलग अलग लिंग के भी हो सकते हैं और यह बिलकुल जरूरी नहीं कि अगर वो एक ही माता-पिता से पैदा हुए भाई बहन है तो उनकी शक्ल एक दूसरे से मिलती हो। इसलिए इस तरह के जुड़वा बच्चे नॉन आइडेंटिकल ट्विन्स कहलाते है।
परन्तु अगर महिला तीन या अधिक बच्चे से गर्भवती है तो, सभी बच्चे या तो समान, या सभी अलग, या दोनों का मिश्रण हो सकते हैं। यह स्थिति तब हो सकती है जब मां द्वारा कई अंडे जारी किए जाते हैं और फ़र्टिलाइज़ होते हैं। यदि इनमें से एक या अधिक निषेचित (fertilized) अंडे दो या अधिक भ्रूणों में विभाजित हो जाते हैं, तो बच्चों में आइडेंटिकल और नॉन आइडेंटिकल का मिश्रण उत्पन्न होगा।
मल्टीप्ल प्रेगनेंसी के कुछ शुरुआती संकेत होते हैं जो महिलाएं देख सकती हैं या महसूस कर सकती है कि क्या उन्हें जुड़वा बच्चे होने वाले हैं। जुड़वा बच्चे होने कुछ शुरूआती लक्षणों में शामिल है-
मॉर्निंग सिकनेस (Morning sickness) – हालांकि मॉर्निंग सिकनेस गर्भावस्था की पहली तिमाही का एक बहुत ही सामान्य लक्षण होता है, परन्तु जो महिलाएं जुड़वा या अधिक बच्चों को जन्म देने वाली होती हैं, उनमें मतली और उल्टी होने के बढ़े हुए स्तर का अनुभव होता है। साथ ही उनके स्तन की कोमलता भी नार्मल डिलीवरी की अपेक्षाकृत अधिक होती है।
वजन बढ़ना (Weight gain) – मल्टीप्ल प्रेगनेंसी वाली महिलाओं का वजन एकल बच्चे पैदा करने वाली महिलाओं की तुलना में कई किलोग्राम अधिक होता है। हालाँकि, यह जुड़वा बच्चे होने का शुरुआती संकेत नहीं माना जाता है, क्योंकि दूसरी तिमाही के बाद भी गर्भवती महिला का वजन बढ़ता है।
बड़ा बेबी बंप (Bigger baby bump) – गर्भाशय में दो या दो से अधिक बच्चे होने से समायोजित करने वाला गर्भाशय एक बड़े आकार में फैल जाता है, जिससे महिला का बेबी बंप साफ तौर पर बड़ा नजर आने लगता है।
भूख में वृद्धि (Increase in appetite) – बढ़ते भ्रूण की दोगुनी पोषण संबंधी जरूरतों के कारण, जुड़वा बच्चे पैदा करने वाली महिला की भूख में अचानक वृद्धि होती है। यह शरीर का एक नेचुरल मैकेनिज्म है जिससे शरीर में पोषक तत्वों की जरुरत बढ़ने लगती है।
जुड़वा बच्चे होने के यह सभी लक्षण बहुत व्यक्तिपरक (subjective) हैं और एक महिला से दूसरी महिला में यह भिन्न हो सकते हैं।
(और पढ़े – गर्भावस्था के दौरान होने वाले शारीरिक परिवर्तन…)
बहुत सी महिलाओं के मन में यह सवाल आता है की जुड़वा बच्चे होने के पीछे ऐसे कौन से कारण होते है जिससे जुड़वा या ट्रिपल बच्चे होने की संभावना बढ़ जाती है, तो चलिए जानते है उन कारणों के बारे में जिसकी संभावना से आप जुड़वा बच्चे पैदा कर सकती है-
यदि आपके परिवार में सदियों से जुड़वा बच्चे पैदा होने की परंपरा चली आ रही हैं, तो आपके द्वारा भी जुड़वा बच्चे पैदा करने की अधिक संभावना रहेगी। आनुवंशिकता (Heredity) आपके जुड़वा बच्चे पैदा करने के अवसरों को दोगुना कर देती है यदि यह परंपरा आपकी माँ या मायके पक्ष में है। परन्तु यह भी हो सकता है कि आपके साथी के परिवार में भी जुड़वा बच्चे होने की परंपरा हो पर इससे आपके जुड़वा बच्चे पैदा करने की संभावना पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
(और पढ़े – जानें गर्भावस्था में कितने सप्ताह, महीने और ट्राइमेस्टर होते हैं…)
आपके जुड़वा बच्चे पैदा होने की संभावनाएँ आपकी प्रत्येक गर्भावस्था के साथ बढ़ जाती हैं और यदि आपने पहले भी कभी जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है, तो आपके साथ दोबारा ऐसा होने की संभावना अधिक है।
बड़ी उम्र की महिलाओं द्वारा जुड़वा बच्चे पैदा करने की अधिक संभावना होती है क्योकि कई अध्ययनों से पता चला है कि 35 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में नॉन आइडेंटिकल जुड़वा बच्चों के साथ गर्भवती होने की अधिक संभावना होती है। यह संभावना इसलिए है क्योंकि अधिक उम्र की महिला के अंडाशय हर महीने एक से अधिक अंडे छोड़ने लगते हैं। एक और कारण यह भी है कि बड़ी उम्र की महिलाओं में FSH (follicle-stimulating hormone) नामक हार्मोन का स्तर अधिक होता है जिसकी वजह से महिला के अंडाशय से एक से अधिक अंडे रिलीज़ होने लगते है।
(और पढ़े – 30 के बाद गर्भधारण करने के फायदे और नुकसान…)
कुछ शोधकर्ताओं का दावा है कि उच्च बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाली महिलाओं में जुड़वा बच्चों के पैदा होने की संभावना अधिक होती है। 25 या उच्चतर बीएमआई वाली महिला को अधिक वजन वाली (overweight) कहा जाता है, जबकि 30 और उससे अधिक बीएमआई वाली महिला को मोटापे से ग्रस्त (obese) माना जाता है। कई शोध में ऐसा पाया गया है की जो महिलाएं गर्भावस्था से पहले मोटापे से ग्रस्त थीं, उनमें नॉन आइडेंटिकल जुड़वा बच्चों को जन्म देने की संभावना अधिक है।
जातीयता भी एक बहुत बड़ा कारक है आपके जुड़वा बच्चे पैदा करने की संभावना में, क्योकि अध्ययनों से यह पता चला है की अफ्रीकी-अमेरिकी महिलाओं में कॉकेशियन महिलाओं (Caucasian women) की तुलना में जुड़वा गर्भधारण करने की अधिक संभावना होती है। एशियाई महिलाओं में जुड़वा बच्चे पैदा करने की संभावना सबसे कम होती है।
(और पढ़े – गर्भवती होने के लिए पूरा गाइड…)
कई शोध केन्द्रों ने अपने किये शोधों में पाया की जुड़वा बच्चे होने की संभावना को बढ़ाने वाला मुख्य कारक प्रजनन उपचार (Fertility Treatment) का उपयोग है। इस समय देश में विभिन्न प्रकार के प्रजनन उपचार उपलब्ध हैं जो विभिन्न तरीकों से जुड़वा बच्चे पैदा होने की संभावना को बढ़ाते हैं। कुछ प्रजनन दवाईयां (fertility drugs) भी महिला के अंडाशय को उत्तेजित करने का काम करती हैं, जिसके कारण महिला कभी-कभी एक से अधिक अंडे जारी करती हैं। यदि स्पर्म इन दोनों अंडों को फ़र्टिलाइज़ कर देते हैं, तो इससे जुड़वा बच्चे पैदा हो सकते हैं। इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (In vitro fertilization) (आईवीएफ) से भी जुड़वा बच्चों के गर्भधारण की संभावना बढ़ सकती है।
जो महिलाएं स्तनपान कराते समय गर्भधारण करती हैं, उन महिलाओं में जुड़वा बच्चे पैदा होने की संभावना अधिक होती हैं। यह सच है कि स्तनपान से प्रजनन क्षमता कम हो जाती है और गर्भावस्था को रोका जा सकता है, विशेष रूप से बच्चे के पहले छह महीनों के दौरान अगर बच्चा विशेष रूप से स्तनपान कर रहा है। हालांकि, स्तनपान कराने के दौरान गर्भवती होना संभव है और वो भी जुड़वा बच्चों के साथ। क्योकि एक अध्ययन में पाया गया कि स्तनपान कराने वाली महिलाओं में जुड़वा बच्चों से गर्भवती होने की दर 11.4 प्रतिशत थी, जबकि स्तनपान ना कराने वाली महिलाओं में यह दर केवल 1.1 प्रतिशत थी।
(और पढ़े – स्तनपान के दौरान होने वाली समस्याएं व समाधान…)
कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि जो महिलाएं बहुत सारे डेयरी उत्पाद जैसे दूध, दही, पनीर आदि खाती हैं, उनमें जुड़वा बच्चों से गर्भधारण होने की संभावना अधिक होती है हालांकि इस बात पर शोध अभी भी जारी है। परन्तु इसके पीछे एक सिद्धांत यह भी है कि गायों को दिए जाने वाले ग्रोथ हार्मोन, मनुष्यों के शरीर में हार्मोन के स्तर को प्रभावित करते हैं।
(और पढ़े – गर्भावस्था के दौरान खाये जाने वाले आहार और उनके फायदे…)
आवश्यक तकनीकों की मदद से गर्भावस्था के प्रारंभिक चरणों के दौरान मल्टीप्ल प्रेगनेंसी की जांच संभव है। मल्टीफीटल प्रेगनेंसी के लिए डॉक्टरों द्वारा जांच की जाने वाली कुछ तकनीकों में शामिल हैं-
एचसीजी स्तर (HCG Levels)- ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोफिन हार्मोन (human chorionic Gonadotrophin hormone) का स्तर आमतौर पर सभी गर्भवती महिला में ऊंचा होता है। परन्तु एक से अधिक भ्रूण वाली गर्भवती महिला में यह स्तर सामान्य गर्भवती महिला की तुलना में बहुत अधिक होता हैं। इसलिए, रक्त में एचसीजी हार्मोन का बढ़ा हुआ स्तर जुड़वा बच्चे होने का एक स्पष्ट संकेतक (indicator) है।
अल्ट्रासाउंड स्कैन (Ultrasound Scan)- नियमित रूप से अल्ट्रासाउंड स्कैन कराने से आपको जुड़वा बच्चों के होने पर निर्णायक सबूत मिल सकता है। एक से अधिक भ्रूण वाली गर्भवती महिला को गर्भावस्था के 20वें सप्ताह की शुरुआत में एक साधारण अल्ट्रासाउंड स्कैन करवाने से मल्टीप्ल प्रेगनेंसी का पता चल सकता है।
रक्त परीक्षण (Blood Test)- गर्भावस्था के दौरान, भ्रूण अपने जिगर से अल्फा-फिटोप्रोटीन (Alpha-fetoprotein)(एएफपी) नामक एक प्रोटीन को रिलीज़ करता है, जो मां के रक्तप्रवाह में इकठ्ठा होता है। एएफपी के स्तर का माप आमतौर पर गर्भावस्था के 15 वें और 17 वें सप्ताह के दौरान किया जाता है। एएफपी (AFP) का उच्च स्तर होना जुड़वा बच्चों से गर्भवती होने वाली महिला के शुरुआती लक्षणों में से एक है।
(और पढ़े – गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड कब और कितनी बार करवाना चाहिए…)
जुड़वा बच्चों की प्रेगनेंसी से कई तरह के जोखिम और जटिलताएं उत्पन्न होती हैं जो कभी कभी माँ और होने वाले जुड़वा बच्चों दोनों के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है, इसलिए अगर आप जुड़वा बच्चे करने के बारे में सोच रही है तो एक बार इसके जोखिम और जटिलताओं पर जरुर गौर करें-
गर्भपात (miscarriage)- कभी-कभी जुड़वा गर्भावस्था में बच्चे, पूर्ण अवधि पूरा करने के लिए लंबे समय तक जीवित नहीं रह पाते हैं। वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम (vanishing twin syndrome) नामक एक चिकित्सा स्थिति तब उत्पन्न होती है जब एक जुड़वां गर्भावस्था में दो शिशुओं में से एक जीवित रहने में विफल हो जाता है।
प्री-एक्लेमप्सिया (Pre-eclampsia)- प्री-एक्लेमप्सिया एक ऐसी स्थिति है जिसकी वजह से मां में उच्च रक्तचाप और रक्तचाप में वृद्धि की समस्या पैदा होती है। प्री-एक्लेमप्सिया होने की संभावना जुड़वा बच्चों के गर्भधारण की स्थिति में बढ़ जाती है और आगे गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती है जैसे गर्भ नाल के टूटने (detachment of the placenta) का कारण भी बन सकती है।
प्रसवोत्तर रक्तस्राव (Postpartum haemorrhage)- जुड़वा बच्चों की गर्भावस्था में नाल और गर्भाशय के विशाल आकार के कारण, माँ के गर्भाशय के अंदर रक्तस्राव होने की संभावना अधिक होती है जिससे जान का जोखिम भी हो सकता है।
एनीमिया (Anemia)- जुड़वा बच्चों के गर्भधारण में शिशु की पोषण संबंधी जरूरत सिंगल प्रेग्नेंसी के मुकाबले दो या तीन गुना अधिक बढ़ जाती है, जिससे मां को एनीमिया होने का खतरा होता है।
सी-सेक्शन (C-section)- मल्टीप्ल प्रेगनेंसी में सी-सेक्शन डिलीवरी होने की संभावना बहुत अधिक होती है।
माँ के जीवन के लिए जोखिम (Risk to mother’s life)- मल्टीप्ल प्रेगनेंसी की वजह से मातृ मृत्यु दर तुलनात्मक रूप से सिंगल गर्भधारण की तुलना में अधिक है, जो एनीमिया, रक्तस्राव, पूर्व-एक्लम्पसिया, आदि जैसे कई जोखिम कारक की वजह से उत्पन्न हो सकती हैं।
(और पढ़े – गर्भपात (मिसकैरेज) के कारण, लक्षण और इसके बाद के लिए जानकारी…)
समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चे (Premature babies)- जुड़वा शिशुओं में गर्भाशय के अंदर जगह और पोषण संबंधी बाधाओं के कारण समय से पहले जन्म लेने का अधिक खतरा होता है। गर्भावस्था के 28वें सप्ताह से पहले पैदा हुए शिशुओं में आंतरिक अंग अविकसित रह जाते हैं, जिस की वजह से पोस्टनेटल जटिलताएं होती हैं। इन शिशुओं को आमतौर पर NICU में रख कर लाइफ सपोर्ट दिया जाता है जब तक कि उनकी स्थिति में वृद्धि दिखाई न दे जाये।
जन्मजात दोष (Congenital defects)- अकेले जन्म लेने वाले शिशुओं की तुलना में मल्टीप्ल शिशुओं में जन्मजात दोष जैसे न्यूरल ट्यूब दोष, हृदय संबंधी दोष और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल दोष होने की संभावना दो गुना अधिक होती है।
ट्विन-ट्विन ट्रांसफ्यूजन (Twin-Twin transfusion)- यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें एक ही प्लेसेंटा को साझा करने वाले जुड़वां बच्चों (maternal twins) को रक्त और पोषक तत्वों का बराबर हिस्सा नहीं मिल पाता है। कुछ दुर्लभ मामलों में, ऐसा होता है की रक्त वाहिकाएं इस तरह से बनती हैं कि एक भ्रूण को दूसरे की तुलना में अधिक रक्त मिलता है। यह स्थिति अल्पपोषित बच्चे (undernourished baby) में ग्रोथ डिफेक्ट पैदा कर सकती है।
अंतर्गर्भाशयी विकास प्रतिबंध या IUGR (Intrauterine growth restrictions or IUGR)- इस स्थिति में भ्रूण के बढ़ने की जगह की कमी के कारण जुड़वा या अधिक बच्चों में परेशानी होने की संभावना रहती है। ऐसे मामलों में, बच्चे की लम्बाई छोटी रह जाती है और गर्भ के अंदर उनका पर्याप्त वजन नहीं बढ़ पाता हैं।
(और पढ़े – समय से पहले प्रसव (प्रीमैच्योर डिलीवरी)…)
एक बार जब आपको जुड़वा गर्भधारण का पता चल जाये, तो कुछ सावधानियां रखने से आप किसी भी संबंधित जटिलताओं से बच सकती हैं।
उच्च पोषक तत्वों का सेवन (Higher nutrient intake)- जैसे-जैसे बढ़ते भ्रूणों की पोषण संबंधी माँगें दोगुनी होती हैं, पोषक तत्वों की खपत में वृद्धि शिशुओं और माँ दोनों के लिए अल्पपोषण के जोखिम का कारण बन सकती है इसलिए भरपूर पोषण लेकर आप इसके जोखिम को कम कर सकती है।
सतत निगरानी (Continuous monitoring)- एक से अधिक भ्रूण वाली गर्भवती महिलाओं को अक्सर शिशु और मां के स्वास्थ्य का निरंतर मूल्यांकन करने के लिए बार बार डॉक्टर से मिलने और जांच करवाने की सलाह दी जाती है। गर्भावस्था के हर चरण में किसी भी तरह की विसंगति की जांच के लिए आपको नियमित रूप से अल्ट्रासाउंड स्कैन करवाते रहना चाहिए।
भरपूर आराम (Rest)- जुड़वा या ट्रिपल बच्चों वाली गर्भवती महिला को बहुत सारे आराम की जरुरत होती हैं क्योंकि ये गर्भावस्था में बहुत सारी जटिलतायें उत्पन्न कर सकती हैं। गर्भवती महिला के जोखिम कारकों के आधार पर, डॉक्टर भी जुड़वां गर्भधारण वाली महिलाओं को पर्याप्त बेड रेस्ट करने की सलाह देते हैं।
गर्भाशय ग्रीवा की सिलाई (Stitching of the cervix)- कई महिलाएं जो जुड़वा शिशुओं को जन्म देने वाली होती है, उनमें ग्रीवा की अक्षमता (cervical incompetence) की संभावना बढ़ जाती है। पूर्ण अवधि पूरी होने से पहले ही गर्भाशय ग्रीवा के खुलने के जोखिम से बचने के लिए, डॉक्टर गर्भवती महिला के ग्रीवा के मुंह सिल देते है जिसे ग्रीवा के सिरेक्लेज़ (cervical cerclage) की प्रक्रिया कहा जाता हैं।
दवाएं (Medications)- डॉक्टर अक्सर मल्टीप्ल प्रेगनेंसी में सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करने के लिए दवाओं और कॉर्टिकॉस्टिरॉइड्स जैसे अन्य हार्मोनों के रूप में पोषक तत्वों की खुराक लेने की सलाह देते हैं।
(और पढ़े – गर्भावस्था में सोते समय इन बातों का रखें विशेष ध्यान…)
यदि आप भी जुड़वा बच्चे होने की संभावनाओं को बढ़ाना चाहती हैं, तो इन विकल्पों को जरुर आजमा के देखे-
आहार – कुछ तथ्य बताते हैं कि अस्वास्थ्यकर खाने की आदतें महिलाओं की प्रजनन क्षमता को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसलिए डॉक्टर सुझाव देते हैं कि पोषक खाद्य पदार्थों का सेवन करने से जुड़वा बच्चे पैदा होने की संभावना बढ़ सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि शाकाहारी सहित कम वसा वाले आहार लेने वाली महिलाओं में जुड़वां बच्चे पैदा होने की संभावना कम होती है। वहीं दूसरी ओर, प्रोटीन और डेयरी से भरपूर आहार खाने वाली महिलाओं में जुड़वा बच्चे पैदा होने की संभावना अधिक होती है। यह विभिन्न आहारों वाली महिलाओं में सूक्ष्म हार्मोनल परिवर्तनों के कारण, या उच्च बीएमआई के कारण हो सकता है।
पहले और दूसरे गर्भधारण के बीच अंतर रखे – जुड़वा बच्चे पैदा करने का एक और तरीका है आपके गर्भधारण के बीच पर्याप्त अंतर। यदि आप पहला बच्चा होने के बाद दूसरी बार बहुत जल्दी गर्भवती हो जाती हैं, तो आपकी जुड़वा बच्चे होने की संभावना कम हो सकती हैं।
आईवीएफ (IVF) – आईवीएफ जैसे प्रजनन उपचार के माध्यम से जुड़वा बच्चे पैदा करना सर्वोत्तम तरीकों में से एक माना जाता है। आईवीएफ की प्रक्रिया के दौरान, डॉक्टर अंडे को निकालता है, एक स्पर्म के नमूने को पुनः प्राप्त करता है, और फिर एक प्रयोगशाला डिश में अंडे और स्पर्म को मैन्युअल रूप से जोड़ता है। उसके बाद भ्रूणों को गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है।
(और पढ़े – गर्भावस्था में आहार जो देगा माँ और बच्चे को पूरा पोषण…)
गर्भ, वर्टेक्स या ब्रीच के अंदर बच्चे की स्थिति ही प्रमुख रूप से प्रसव का तरीका तय करती है। मल्टीप्ल शिशुओं को या तो योनि या सी-सेक्शन के माध्यम से प्रसव करवाया जाता है, जो भ्रूण की स्थिति, मां और शिशुओं के स्वास्थ्य, गर्भावस्था के चरण आदि जैसे कारकों पर निर्भर करता है। जिनमें शामिल है-
योनि प्रसव – Vaginal Delivery
आमतौर पर, योनि के माध्यम से प्रसव केवल तभी किया जाता है जब कोई जटिलताएं न हों। जुड़वा बच्चों के मामले में, यदि दोनों बच्चों के सिर नीचे (वर्टेक्स) स्थिति में हैं, तो एक सामान्य योनि प्रसव संभव है। हालांकि, किसी भी तरह की इमरजेंसी में भी ऑपरेशन थियेटर में एक सामान्य योनि प्रसव किया जाता है।
सी सेक्शन प्रसव – C Section Delivery
यदि भ्रूण का जन्म प्री-टर्म होता है, तो आमतौर पर माँ और बच्चे को किसी भी तरह के जोखिम से बचाने के लिए सी-सेक्शन के माध्यम से डिलीवरी करायी जाती है। ऐसे मामले में जहां एक या दोनों बच्चे ब्रीच स्थिति में हो, तो किसी भी तरह की जटिलताओं के जोखिम को कम करने के लिए सीज़ेरियन डिलीवरी को प्राथमिकता दी जाती है। तीन या अधिक भ्रूण पैदा करने वाली माताओं के लिए, सी-सेक्शन ही हमेशा डिलीवरी का विकल्प होता है।
(और पढ़े – सिजेरियन डिलीवरी के कारण, लक्षण, प्रक्रिया और रिकवरी…)
यदि आप जुड़वा बच्चे पैदा करने की योजना बना रही हैं, तो आपको अपने आहार में कुछ बदलाव करने होंगे क्योकि प्राकृतिक तरीका ही सबसे अच्छा तरीका होता है जुड़वा बच्चे पैदा करने के लिए। इसलिए यदि आपने भी हमेशा जुड़वा बच्चे पैदा होने का सपना देखा है, तो आप अपने आहार में कुछ निम्न खाद्य पदार्थों को शामिल करके इस सपने को पूरा कर सकती है। हम यहाँ आपको जुड़वा बच्चे पैदा करने के लिए प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए कुछ खाद्य पदार्थों की सूची दे रहे है, जैसे-
फोलिक एसिड आपके बढ़ते बच्चे की मुख्य आवश्यकताओं में से एक है, और आपका डॉक्टर आपकी गर्भावस्था के दौरान अन्य विटामिनों के साथ फोलिक एसिड की खुराक लेने की भी सलाह दे सकता है। इसके अलावा, यह भी सुझाव दिया जाता है कि जो महिलाएं गर्भवती होने की कोशिश कर रही हैं, उन्हें गर्भधारण की संभावना को बढ़ाने के लिए नियमित रूप से फोलिक एसिड का सेवन करना चाहिए। शोधकर्ताओं ने यह भी बताया है कि एक निश्चित मात्रा में फोलिक एसिड लेने से महिला के जुड़वा बच्चे को जन्म देने की संभावना बढ़ सकती है। एवोकैडो, पालक, ब्रोकोली, और शतावरी फोलिक एसिड का एक बहुत ही अच्छा स्रोत हैं। यदि आप भी जुड़वा बच्चे पैदा करने की कोशिश कर रही हैं, तो आपको भी गर्भावस्था में फोलिक की अनुशंसित खुराक की मात्रा दोगुनी कर देनी चाहिए।
(और पढ़े – फोलिक एसिड क्या है, उपयोग (लाभ), साइड इफेक्ट्स, खाद्य पदार्थ और दैनिक मात्रा…)
एक अध्ययन में, यह पाया गया है कि जो महिला अधिक डेयरी और डेयरी डेरिवेटिव का सेवन करती है, उनमें उन महिलाओं की तुलना में जुड़वां बच्चे होने की संभावना 5 गुना अधिक होती है, जो कम दूध पीती हैं या कम डेयरी उत्पादों का उपभोग करती हैं। यह देखा गया कि दूध और अन्य डेयरी उत्पादों के सेवन करने से शरीर में एक विशिष्ट प्रकार का प्रोटीन बढ़ता है, जिसे इंसुलिन जैसा विकास कारक कहा जाता है। इस तरह का प्रोटीन गाय के दूध में भरपूर मात्रा में मौजूद होता है और इसे अन्य जानवरों के उत्पादों से भी प्राप्त किया जा सकता है। जब आप अधिक दूध का सेवन करती हैं, तो आपके अंडाशय अधिक अंडे जारी करने लगते हैं जिससे जुड़वा बच्चे होने की संभावना बढ़ जाती है।
(और पढ़े – दूध के फायदे, गुण, लाभ और नुकसान…)
माका रूट का सेवन करना उन पुरुषों और महिलाओं के लिए बहुत ही फायदेमंद है जो प्रजनन संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। लेकिन उन महिलाओं को भी माका की जड़ों का सेवन करने का सुझाव दिया जाता है जो जुड़वां बच्चे पैदा करना चाहती हैं। हालांकि इस दावे का समर्थन करने वाले अधिक सबूत उपलब्ध नहीं है। वैसे इस जड़ का सेवन कच्चे, सूखे या चूर्ण के रूप में किया जा सकता है।
(और पढ़े – माका रूट के फायदे और नुकसान…)
यदि आप जुड़वा बच्चे पैदा करने की योजना बना रही हैं तो आपके लिए कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट एक अच्छा विकल्प हो सकता है। कार्बोहाइड्रेट आपके शरीर के लिए अच्छे हैं, इसलिए अपने भोजन में सरल कार्बोहाइड्रेट को शामिल करने के बजाय जटिल कार्बोहाइड्रेट को शामिल करना एक अच्छा विचार हो सकता है। बीन्स, अनाज और सब्जियां जैसे खाद्य पदार्थ जटिल कार्बोहाइड्रेट का एक बहुत बड़ा स्रोत हैं। इस तरह के आहार से आपको न केवल जुड़वा बच्चे होने की संभावना है, बल्कि जटिल कार्बोहाइड्रेट से भरपूर आहार शिशुओं में जन्म संबंधी कई जन्म दोषों को रोकने में भी मदद करता है।
(और पढ़े – कार्बोहाइड्रेट क्या है, कार्य, कमी के कारण, लक्षण और आहार…)
अनानास आपके जुड़वा बच्चों के पैदा होने की संभावना को बढ़ाने का एक शानदार तरीका है। आप अपने आहार में अनानास फल का मूल यानि की कोर शामिल कर सकती हैं। अनानास में ब्रोमलेन (bromelain) नामक एक प्रकार के प्रोटीन की उपस्थिति, आपके ओव्यूलेशन और फर्टिलाइजेशन में मदद करता है जिससे जुड़वा बच्चे होने की संभावना बढ़ जाती है।
ऊपर दिए गए सभी खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करने से आपको जुड़वा बच्चे पैदा करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, यह माना जाता है की गर्भवती होने की कोशिश करते समय कोई भी बड़ा आहार परिवर्तन करने से पहले आप अपने डॉक्टर से सलाह जरुर लें।
(और पढ़े – अनानास के फायदे उपयोग और नुकसान…)
इसी तरह की अन्य जानकारी हिन्दी में पढ़ने के लिए हमारे एंड्रॉएड ऐप को डाउनलोड करने के लिए आप यहां क्लिक करें। और आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं।
Homemade face pack for summer गर्मी आपकी स्किन को ख़राब कर सकती है, जिससे पसीना,…
वर्तमान में अनहेल्दी डाइट और उच्च कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन का सेवन लोगों में बीमारी की…
Skin Pigmentation Face Pack in Hindi हर कोई बेदाग त्वचा पाना चाहता है। पिगमेंटेशन, जिसे…
चेहरे का कालापन या सांवलापन सबसे ज्यादा लोगों की पर्सनालिटी को प्रभावित करता है। ब्लैक…
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जिन्हें पहचान कर आप…
त्वचा पर निखार होना, स्वस्थ त्वचा की पहचान है। हालांकि कई तरह की चीजें हैं,…