Jyada neend aane ke karan aur upay in Hindi: क्या आप भी ओवरस्लीपिंग की समस्या से जूझ रहे हैं। अगर वाकई ऐसा है, तो आपको जल्द से जल्द इसका इलाज तलाशना शुरू कर देना चाहिए। क्योंकि इसे अनदेखा करने पर आप स्लीप डिसऑर्डर से ग्रसित हो सकते हैं। अधिक नींद आने की समस्या को हाइपरसोमनिया (Hypersomnia) कहा जाता है। इस लेख में आप जानेगें ज्यादा नींद आने के कारण और ज्यादा नींद आती हो तो क्या करे के बारे में।
नींद किसे प्यारी नहीं होती और यदि जरूरत से ज्यादा सो लिया जाए, तो बात ही क्या है। वैसे भी, भरपूर नींद लेने से दिनभर के कामों को करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा मिलती है। पर्याप्त नींद एक स्वस्थ शरीर की पहचान होती है। विशेषज्ञ के अनुसार, एक सामान्य व्यक्ति को अच्छी सेहत के लिए हर दिन 6-8 घंटे की नींद जरूरी है। लेकिन अगर इससे ज्यादा नींद ली जाए, तो यह आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। वैसे, इसके कुछ फायदे भी हैं, लेकिन ओवरस्लीपिंग सेहत के लिए ज्यादातर हानिकारक होती है। कुछ विशेष स्थितियों में ज्यादा सोना डिप्रेशन, थायराइड और हृदय रोग जैसी बीमारियों का भी संकेत हो सकता है। यदि ओवरस्लीपिंग आपकी आदत बन गई है, तो आप हमारे इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें और समझें, कि कैसे ओवरस्लीपिंग आपको प्रभावित कर सकती है।
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जो लोग हाइपरसोमनिया से पीड़ित हैं, उन्हें बहुत ज्यादा सोने की आदत होती है। इस स्थिति वाले लोग लगातार कम ऊर्जा और भूलने की समस्याओं जैसे लक्षणों का अनुभव करते हैं। ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया भी एक विकार है, जो सामान्य नींद चक्र को बाधित करता है। कई लोग बहुत ज्यादा शराब और दवाओं का सेवन करते हैं, जिसके चलते भी उन्हें जरूरत से ज्यादा नींद आती है। ऐसे लोग जहां भी हों, बस सोना चाहते हैं।
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अच्छी नींद लेना किसे पसंद नहीं होता और जब बात बहुत ज्यादा देर तक सोने की हो, तो जैसे जन्नत ही मिल जाती है। इसके बाद आपके शरीर को बहुत आराम मिलता है और आप भी खुद को तरोताजा महसूस करने लगते हैं। लेकिन एक व्यक्ति के लिए 6 से 8 घंटे सोना जरूरी है। इससे ज्यादा नींद सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकती है। इससे व्यक्ति के शरीर में अनावश्यक आलस बना रहता है। इतना ही नहीं, अनावश्यक रूप से ज्यादा सोना हमारी बॉयोलॉजिकल क्लॉक की प्रणाली को असंतुलित करता है। जिससे व्यक्ति में हमेशा आलस, सुस्ती, पीठ दर्द बना रहता है और वह खुद को हमेशा थका हुआ महसूस करता है।
ओवरस्लीपिंग से जूझ रहे लोगों में अक्सर स्ट्रेस और डिप्रेशन भी देखा जाता है। विशेषज्ञ बताते हैं, कि 9 घंटे से ज्यादा सोना मास्तिष्क की क्षमता पर बुरा असर डाल सकता है। इसलिए, अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए थकान महसूस होने पर जरूर सोना चाहिए, लेकिन अनावश्यक सोने और आलस से हमेशा बचे रहना चाहिए।
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ओवरस्लीपिंग तब होती है, जब आप अपने शरीर की जरूरत से ज्यादा सोते हैं। दिन में 10 से 12 घंटे से अधिक नींद लेने वाला व्यक्ति हाइपरसोमनिया की श्रेणि में आता है। ओवरस्लीपिंग के कुछ जरूरी कारणों में से कुछ इस प्रकार हैं-
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हम सभी को खुश और स्वस्थ रहने के लिए अच्छी नींद लेना जरूरी है। नींद एक ऐसा अच्छा तरीका है, जब हमारा पूरा शरीर आराम करता है। लेकिन कई लोगों का सवाल है, कि एक व्यक्ति के लिए नींद की आदर्श मात्रा क्या है। तो हम आपको नीचे दी जा रही सूची में अलग-अलग वर्ग के लोगों की दिनभर में नींद की आदर्श मात्रा के बारे में बता रहे हैं। जिससे आप जन सकते हैं की आपको कितनी नींद की ज़रूरत होती है-
अलग-अलग एज ग्रुप के हिसाब से नींद की आवश्यकताएं एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति से अलग हो सकती है।
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जैसे हमारा शरीर को भोजन से पोषण मिलता है, वैसे ही नींद हमारे शरीर की इंद्रियों को पोषण देती है। हम एक अच्छी नींद के बाद बहुत ही रिलेक्स महसूस करते हैं। हालांकि, जरूरत से ज्यादा नींद लेना हमारे शरीर के लिए अच्छा नहीं होता और इससे विभिन्न शारीरिक और मानसिक जटिलताएं हो सकती हैं। ज्यादा सोने के नुकसान के बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं।
ज्यादा देर तक सोने से आपके शरीर में कई शारीरिक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। इन नकारात्मक प्रभावों के बारे में आप नीचे जान सकते हैं।
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ओवरस्लीपिंग आपके शरीर को प्रभावित करने के साथ मास्तिष्क को भी प्रभावित करता है। नीचे जानते हैं, कि ओवरस्लीपिंग आपको मानसिक रूप से कैसे प्रभावित करती है।
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अब तक हमने आपको ओरवस्लीपिंग से होने वाले नुकसानों के बारे में बताया है, लेकिन इसके कई लाभ भी हैं। कभी-कभी ज्यादा सोना बहुत सुकून देता है और आपके स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है। तो जानिए ओवरस्लीपिंग के फायदों के बारे में।
(और पढ़े – गहरी और अच्छी नींद लेने के लिए घरेलू उपाय…)
ज्यादा सोने या ओवरस्लीपिंग के कारण आपको कई तरह की समस्याएं हो सकती है। यदि आप सुबह उठ नहीं पाते, बैठे रहने के दौरान जागने में कठिनाई होती है, ड्राइविंग करते समय अगर आप सो जाते हैं और जागते रहने के लिए आपको हर दिन कैफीन का सेवन करना पड़ता है, तो आपको नींद से जुड़ी कई बीमारियां हो सकती हैं। इनके बारे में हम आपको आगे बता रहे हैं।
अनिद्रा ओवरस्लीपिंग की एक मुख्य बीमारी है। अनिद्रा तनाव, चिंता, अवसाद या अन्य किसी स्वास्थ्य स्थिति का लक्षण है। यह स्थिति दवा, व्यायाम की कमी या कैफीन के सेवन के कारण भी आप इस बीमारी के शिकार हो सकते हैं।
यह तब होती है, जब आपकी श्वास आपके ऊपरी वायुमार्ग में रूकावट के कारण नींद के दौरान अस्थाई रूप से बंद हो जाती है। सांस लेने में रूकावट आपकी नींद में बाधा डालती है। जिससे रातभर नींद नहीं आती। स्लीप एपनिया जीवन के लिए किसी खतरे से कम नहीं है। यदि आप इस विकार से पीड़ित हैं, तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए। डॉक्टर आपको कंटीन्यूअस पॉजिटिव एयर प्रेशर मशीन देगा। यह आपके वायुमार्ग की धारा को आपके वायुमार्ग पर पहुंचाता है। ऐसा करते हुए आपके इस विकार का सफलतापूवर्क इलाज हो जाता है।
यह भी एक स्लीप डिसऑर्डर है, जो नींद में आपके हाथ और पैर हिलाने से जुड़ा हुआ है। यह तब होता है, जब आप लेटे होते हैं और आपके बाजुओं और पैरों में असहज तनावपूर्ण उत्तेजना होती है।
इस नींद विकार में अक्सर ज्यादा नींद आना शामिल होती है। ऐसा आपके मास्तिष्क में नींद की शिथिलता के कारण होता है, जो नींद और जागने को नियंत्रित करता है। यदि आपको नार्कोलेप्सी है, तो आप बात करते हुए या फिर ड्राइविंग करते हुए भी सो सकते हैं। यह वह स्थिति होती है, जब आप अपनी नींद को जरा भी रोक पाने में असफल होते हैं।
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यदि आपका ओवरस्लीपिंग पैटर्न छह सप्ताह और उससे ज्यादा समय से बढ़ रहा है, तो यह अंतनिर्हित चिकित्सा समस्या का संकेत है, जिससे आपके सोने के पैटर्न में बदलाव हो सकता है। सबसे पहले जरूरी है, कि आप ओवरस्लीपिंग के वास्तविक कारण को जानने के लिए खुद को अच्छी तरह से जांच लें। आपका डॉक्टर इस संबंध में कुछ जांच लिख सकता है और आपकी नींद की स्टडी कर सकता है। अगर ओवरस्लीपिंग की कोई खास चिकित्सा समस्या नजर नहीं आती, तो डॉक्टर आपको इसके निदान की तकनीकों का सुझाव दे सकता है।
इस टेस्ट के दौरान आपको क्लीनिक या स्लीप सेंटर में रहने की जरूरत होगी। यहां विभिन्न उपकरण हृदय गति, मास्तिष्क और पैर की गतिविधि के अलावा आंखों की रोशनी की भी मॉनीटरिंग करेंगे।
इसमें डॉक्टर आपकी स्लीपीनेस को माप सकता है, ताकि यह जाना जा सके, कि आपकी नींद आपके काम को कैसे प्रभावित कर सकती है।
आपके पॉनलीसेन्मोग्राम परीक्षण के बाद आपका डॉक्टर आपके नींद के पैटर्न में जानने के लिए परीक्षण करेगा। इसके अलावा आप दिन में कैसे झपकी लेते हैं, यह भी जानने की कोशिश करेगा।
आपका डॉक्टर आपको अपने नींद के पैटर्न की एक डायरी बनाने की सलाह दे सकता है। इसमें आप जब उठते हैं, सोते हैं, दिन में कितनी झपकी लेते हैं, यह सब लिखना होगा।
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यदि आप ओवरस्लीपिंग से पीड़ित हैं, तो हम आपको कुछ ऐसे उपाय बता रहे हैं, जिससे आप ज्यादा नींद की समस्या को रोक सकते हैं।
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