Treat Ear Infection In Hindi: इयर इंफेक्शन या कान में संक्रमण होना एक दुर्लभ समस्या है। कान में इन्फेक्शन जैसी समस्या बहुत ही कष्टदायक होती है लेकिन यह बहुत ही कम लोगों को होती है। कान के अंदर इन्फेक्शन होने का प्रमुख कारण बैक्टीरिया और वायरस होते हैं। संक्रमित कान होने के कारण कान का दर्द गंभीर हो सकता है। इसलिए कान के दर्द व इन्फेक्शन का समय पर इलाज किया जाना चाहिए। बहुत से लोग कान का संक्रमण दूर करने के घरेलू उपाय और नुस्खे आजमाने की सलाह देते हैं। लेकिन कान में फंगल इन्फेक्शन होने के दौरान आपको प्रभावी और विश्वसनीय घरेलू उपचार ही उपयोग करने चाहिए। कान के संक्रमण के दौरान लोगों को कान में दर्द, कान में खुजली, कान में भारीपन महसूस होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। आज इस लेख में आप कान में इन्फेक्शन का घरेलू इलाज की जानकारी प्राप्त करेगें।
विषय सूची
कान में दर्द होना या कान से पानी आना जैसी बातों को अक्सर हम सामान्य समझते हैं। लेकिन इस प्रकार की समस्या आना कान का संक्रमण हो सकता है। कान में संक्रमण होने के कई संभावित कारण होते हैं। कान में फंगल इन्फेक्शन होने के कुछ सामान्य कारणों में शामिल हैं :
कान में होने वाले सबसे आम संक्रमण तीव्र ओटिटिस मीडिया (acute otitis media (AOM) ) या एक मध्य कान संक्रमण (middle ear infection) है।
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कान में संक्रमण होना या मध्य कान संक्रमण की प्रमुख विशेषता यह है कि इस दौरान कान के मध्यय हिस्से में सूजन आ जाती है। इस दौरान कान में होने वाला तीव्र दर्द कान के पिछले हिस्से में कान के द्रव या मैल के जमने कारण होता है। कान के संक्रमण के लक्षणों में शामिल हैं :
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कान हमारे शरीर के विशेष संवेदनशील और आवश्यक अंगों में से एक है। लिहाजा हमें कान की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए। यदि आप कान के संक्रमण से ग्रसित हैं तो सबसे पहले इसकी गंभीरता देखें। यदि आधिक गंभीर है तो आपको सीधे ही डॉक्टरी उपचार की आवश्यकता है। लेकिन यदि कान का संक्रमण सामान्य है तो आप घरेलू उपचार भी कर सकते हैं। कान में होने वाले संक्रमण के लिए घरेलू इलाज भी प्रभावी होते हैं। आइये जाने कान संक्रमण दूर करने के घरेलू नुस्खे और उपचार क्या हैं।
नमक आसानी से उपलब्ध होने वाला पदार्थ है जो कान के संक्रमण और दर्द से छुटकारा दिला सकता है। यदि आप भी कान के संक्रमण से प्रभावित हैं तो नमक के पानी का उपयोग करें। आप 1 कप नमक लें और किसी बर्तन में रखकर 5 मिनिट तक गैस में रखकर गर्म करें। इसके बाद एक मोटा कपड़ा लें और कपड़े में इस गर्म नमक को रखें। जब यह सहने योग्य ठंडा हो जाये तो दर्द वाले कान पर इसे 4 से 5 मिनिट के लिए रखें। आप आवश्यकता पड़ने पर इस विधि को 2 से 3 बार दोहराएं। इसी तरह उपयोग करने के लिए आप नमक के स्थान पर चावल का भी उपयोग कर सकते हैं।
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भारतीय आहार में प्याज का उपयोग विशेष रूप से किया जाता है। लेकिन प्याज में औषधीय गुण भी होते हैं जिनका उपयोग आप कान के संक्रमण का इलाज करने में कर सकते हैं। कान का इन्फेक्शन होने के दौरान घरेलू उपचार के लिए प्याज सबसे अच्छा विकल्प है। आप एक प्याज को लें और इसे बीच से काट लें। फिर एक हिस्से को गैस में गर्म करें। इसके बाद इसे ठंडा होने दें और फिर इसका रस निकालें। लेटने के बाद इस रस की 2 से 3 बूंदें संक्रमित कान में डालें और इसे कुछ देर तक कान में ही रहने दें। इसके बाद कान में मौजूद प्याज के रस
और अन्य तरल पदार्थ को निकालने के लिए विपरीत दिशा में लेटें। ऐसा करने पर आपको कान के दर्द और संक्रमण आदि से छुटकारा मिल सकता है।(और पढ़े – प्याज के फायदे और नुकसान…)
लहसुन में रोगाणुरोधी और दर्दनिवारक गुण होते हैं। यदि आप कान के संक्रमण से ग्रसित हैं तो लहसुन का उपयोग करें। लहसुन कान का संक्रमण दूर करने का आयुर्वेदिक उपाय है। कान में खुजली और फंगल इन्फेक्शन का इलाज करने के लिए आप लहसुन की 2 कली लें और इसे तिल के तेल में गर्म करें। लहसुन को 2 छोटे चम्मच तिल के तेल में तब तक पकाएं जब तक की यह काला न हो जाए। इसके बाद आप इस तेल को ठंडा करें और गुनगुना होने पर संक्रमित कान में इसकी 2 से 3 बूंदें डालें। कुछ देर के बाद आपको कान की खुजली और दर्द आदि से छुटकारा मिल सकता है। यदि आपके पास तिल का तेल नहीं है तो विकल्प के रूप में आप सरसों के तेल का प्रयोग कर सकते हैं।
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कान में संक्रमण होने की स्थिति में आप गर्म पानी का उपयोग कर सकते हैं। गुनगुना पानी कान के दर्द से जल्दी राहत दिलाता है। संक्रमित कान में गुनगुने पानी का उपयोग करने से कान के अंदर मौजूद संक्रामक बैक्टीरिया और वायरस को नष्ट करने में मदद मिलती है। कान के संक्रमण का इलाज करने के लिए आप एक कांच की बोतल में गुनगुने पानी को भरें और इससे कान की सिकाई करें। इसके अलावा आप सूती के कपड़े का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। आप गर्म पानी में कपड़े को भिगोएं और फिर इस कपड़े से कान की सिकाई करें। ऐसा करने से आपको कान दर्द में आराम मिलता है।
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तुलसी एक औषधीय पौधा है जिसका उपयोग सदियों से आयुर्वेदिक उपचार में किया जा रहा है। तुलसी में कई प्रकार के जीवाणुरोधी, एंटीबैक्टीरियल और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। जिसके कारण तुलसी का उपयोग कान के संक्रमण का इलाज करने के लिए किया जाता है।
तुलसी का उपयोग मामूली कान दर्द और कान के संक्रमण के इलाज के लिए किया जा सकता है। रस निकालने के लिए तुलसी के पांच ताजे पत्तों को धीरे से कुचल दें। अब इस रस को कान पर या कान के चारों डालें ओर ध्यान रखें यह रस कान की नलिका में ना जाने दें।
तुलसी के रस में मौजूद जीवाणुरोधी गुण कान में मौजूद संक्रमण को रोकने और उपचार करने में मदद करते हैं।
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कान के अंदर अधिक मात्रा में मैल या मोम का उत्पादन होता है तब फंगल या बैक्टीरियल विकास तेजी से होता है। लेकिन इस दौरान संक्रमण से बचने के लिए आप जैतून के तेल का उपयोग कर सकते हैं। जैतून के तेल की मदद से आप कान में जमा अपशिष्ट पदार्थ को आसानी से साफ कर सकते हैं। कान में जमा मैल या मोम को निकालने के लिए आप थोड़ा सा जैतून तेल लें और इसे गर्म करें। इस गुनगुने तेल की कुछ बूंदें संक्रमित कान में डालें। गर्म तेल मोम को नरम कर देगा जो कि तरल के रूप में तेल के साथ कान से बाहर आ जाता है। इस तरह से आप अपने कान में मौजूद संक्रमित मोम को आसानी से हटा सकते हैं।
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कान में इन्फेक्शन का इलाज करने के लिए आप सेब के सिरका का भी प्रयोग कर सकते हैं। सेब का सिरका विशेष रूप से संक्रमण के दौरान कान में दर्द होना, कान की खुजली या कान में भारीपन का इलाज करने में प्रभावी होता है। यदि आप भी ऐसे ही किसी लक्षण से परेशान हैं तो सेब के सिरका का इस्तेमाल करें। इसके लिए आप पानी और सेब के सिरका की बराबर मात्रा लें और इसे अच्छी तरह से मिलाएं। एक कॉटन बॉल को घोल में भिगोकर अपने कान में डालें और पांच मिनट तक ऐसे ही रहने दें। कपास की गेंद को हटाने के बाद, विपरीत दिशा में लेट जाओ ताकि कान से तरल बाहर निकल जाए। कान को ठीक से सुखाने के लिए आप हेयर ड्रायर का भी उपयोग कर सकते हैं। यह उपाय भी आपको कान के संक्रमण से राहत दिलाने में प्रभावी है।
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हाइड्रोजन पेरोक्साइड का उपयोग लंबे समय से कान संबंधी समस्याओं के उपचार में किया जा रहा है। आप भी अपने संक्रमित कान का उपचार करने के लिए 3 प्रतिशत वाले हाइड्रोजन पेरोक्साइड का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप पहले लेट जाएं और अपने कान इस पेरोक्साइड की कुछ बूंदें डालें। लगभग 1 से 2 मिनिट के बाद आप अपनी करवट बदलें ताकि कान में डाला गया पैरोक्साइड आसानी से बाहर आ जाये। यह पेरोक्साइड अपने साथ कान में जमा मोम और संक्रामक बैक्टीरिया को भी बाहर ले आता है।
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कान की नलिका में दबाव के कारण कान में कुछ दर्द हो सकता है। इस दबाव को दूर करने के लिए आपको गर्दन संबंधी कुछ व्यायाम करने चाहिए। ऐसी स्थिति में गर्दन घुमाने वाले व्यायाम अधिक प्रभावी होते हैं।
गर्दन घुमाने वाले व्यायाम के लिए आप इन चरणों का पालन करें :
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