Kabj Me Kya Khaye Aur Kya Na Khaye लोगों में कब्ज (constipation) की समस्या दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है। पहले के समय में कब्ज की बीमारी के बारे में लोगों से कम ही सुनने को मिलता था, परन्तु अब यह बीमारी लोगों की अनियमित जीवनशैली और गलत खानपान की वजह से बढ़ती ही जा रही है। कब्ज के विभिन्न कारण हो सकते हैं लेकिन अक्सर पाचन तंत्र के माध्यम से भोजन का धीमी गति से पचना भी एक महत्वपूर्ण कारण होता है। कभी कभी कब्ज की बीमारी डीहाइड्रेशन, खराब आहार, दवाओं, बीमारी, तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाले रोगों या मानसिक विकारों के कारण भी हो सकती है।
परन्तु आप अपने खानपान में थोड़ा परिवर्तन करके इस कब्ज की परेशानी से छुटकारा पा सकते है। इसलिए आज इस लेख में हम जानेंगे की कब्ज की परेशानी क्यों होती है और जब कब्ज की बीमारी हो तो क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए।
विषय सूची
1. कब्ज क्यों होती है – Constipation kyu hota hai in hindi
2. कब्ज हो तो क्या खाना चाहिए – Pet me kabj ho to kya khaye in Hindi
3. कब्ज हो तो क्या नहीं खाना चाहिए – Constipation me kya nahi khana chahiye in hindi
कब्ज लोगों में पायी जाने वाली एक आम शिकायत है, जो अक्सर आहार और जीवन शैली की वजह से होती है। कुछ खाद्य पदार्थ खाने से या खाने में परिवर्तन करने से मल त्याग की आवृत्ति में सुधार करने में मदद मिल सकती है। चिकित्सा भाषा में मल त्याग या मल पास करने में कठिनाई होना कब्ज कहलाता है। जिन लोगों को कब्ज की परेशानी होती है, उनमें विभिन्न तरह के मल के प्रकार देखे जा सकते है, जैसे- कठोर, सूखा या गांठदार मल निकलना छोटे पत्थर या पत्थर जैसे दिखने वाले मल निकलना मल त्याग के समय बहुत अधिक दर्द और तकलीफ होना आंत्र को पूरी तरह से खाली ना कर पाने की भावना पेट भरे होने का एहसास होने के कारण भूख में कमी थोड़ा सूजा हुआ पेट लगना
हर किसी की मल त्याग की आदतें अलग-अलग होती हैं, लेकिन जिन लोगों को कब्ज होती है, उन्हें आमतौर पर प्रति सप्ताह तीन से कम मल त्याग होते हैं। और उम्र के साथ कब्ज का खतरा बढ़ जाता है।
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कब्ज की परेशानी दूर करने के लिए आपको थोड़ा परहेज करने की जरुरत है और आपको कुछ नियम बनाने पड़ेंगे की कब्ज की समस्या से बचने के लिए आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए। तो आईये जानते है पेट में कब्ज हो तो क्या खाना चाहिए ।
दही सहित कई डेयरी उत्पादों में प्रोबायोटिक्स (probiotics) नामक सूक्ष्मजीव पाए जाते है जो कब्ज में राहत देने में मदद करते है। प्रोबायोटिक्स को अच्छा बैक्टीरिया भी कहा जाता है, क्योकि वह आंत के स्वास्थ्य में सुधार करते है और मल को नरम करने में मदद करते हैं।
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ज्यादातर बीन्स, दाल, छोले, और मटर में फाइबर की बहुत अधिक मात्रा होती हैं, जो एक बहुत ही महत्वपूर्ण पोषक तत्व है जो अच्छे पाचन को बढ़ावा देता है और कब्ज को कम करने में मदद करता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि 100 ग्राम पकी हुई दाल रोज खाने से फाइबर की कम से कम 26 प्रतिशत मात्रा प्राप्त की जा सकती हैं। दालों की 100 ग्राम मात्रा में पर्याप्त मात्रा में अन्य पोषक तत्व भी होते हैं जैसे कि पोटेशियम, फोलेट, जिंक और विटामिन बी 6, जो कब्ज को कम करने में मदद करते हैं।
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कब्ज से छुटकारा पाने के लिए सूप एक अच्छा विकल्प है क्योकि सूप पौष्टिक और पचाने में आसान होते हैं। वे कठोर, घने मल में नमी पैदा करते हैं, जो मल को नरम करता है, जिससे उन्हें बाहर निकलने में आसानी होती है। किसी भी तरह के गर्म तरल पदार्थ और खाद्य पदार्थ भी पचाने में आसान होते हैं।
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गेहूं का चोकर कब्ज के लिए एक और बहुत ही लोकप्रिय घरेलू उपाय है। यह अघुलनशील फाइबर (insoluble fiber) में समृद्ध होता है, जो आंतों के माध्यम से भोजन के प्रवाह को तेज करता है। एक अध्ययन में यह पाया गया है कि 2 सप्ताह तक हर रोज गेहूं का चोकर वाले नाश्ते के अनाज को खाने से आंत्र क्रिया (bowel function) में सुधार होता है और कब्ज की समस्या में कमी आती है।
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ब्रोकोली में सल्फोराफेन (sulforaphane) नामक पदार्थ पाया जाता है, जो आंत की रक्षा करता है, पाचन को आसान बनाता और कब्ज से बचाता है। सुल्फोराफेन कुछ आंतों के सूक्ष्मजीवों जो स्वस्थ पाचन में परेशानी पैदा करते है उनके अतिवृद्धि को भी रोकने में मदद करता है।
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कब्ज को ठीक करने के लिए आप सेब और नाशपाती का सेवन भी कर सकते है। इसमें कई यौगिक होते हैं जो पाचन क्रिया में सुधार करते हैं, जिनमें फाइबर, सोर्बिटोल (sorbitol) और फ्रुक्टोज (fructose) शामिल हैं। इन फलों में पानी की मात्रा भी अधिक होती है, जो पाचन को आसान बनाने और कब्ज को रोकने में मदद करती हैं। सेब और नाशपाती का सबसे अधिक लाभ पाने के लिए, उन्हें कच्चे और पूरे त्वचा के साथ ही खाएं। आप कब्ज से राहत पाने के लिए अंगूर, कीवी, होल वीट ब्रेड, आनाज, पास्ता, जैतून और अलसी के तेल का सेवन भी कर सकते है। इन सभी का सेवन करने से भी कब्ज से बचने में मदद मिलती है।
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कब्ज में परहेज करने के लिए कुछ खाद्य पदार्थो का सेवन ना करना ही बेहतर है क्योकि इनका सेवन करने से आपके कब्ज की समस्या बढ़ भी सकती है।
खाद्य पदार्थ जिनसे परहेज करना है उनमें शामिल है-
कब्ज की परेशानी के लिए अक्सर संभावित कारणों में शराब के सेवन को भी माना जाता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि यदि आप बड़ी मात्रा में शराब का सेवन करते हैं, तो यह आपके मूत्र के माध्यम से निकले हुए तरल पदार्थों की मात्रा को बढ़ा सकता है, जिससे डीहाइड्रेशन हो सकता है।
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जिस तरह कब्ज में पके केले खाने से फायदा होता है, उसी तरह कब्ज में अगर आप कच्चे केले खायेंगे तो यह आपके स्वास्थ्य पर उल्टा असर डालते है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कच्चे केले में अधिक प्रतिरोधी स्टार्च (resistant starch) होता है, यह एक ऐसा यौगिक है जो शरीर के पाचन तंत्र को पचाने के लिए कठिन बनाता है।
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रेड मीट आपके दैनिक आहार में उच्च फाइबर विकल्प की जगह लेने की कोशिश करता है जिसका परिणाम यह होता है की व्यक्ति अपने कुल दैनिक फाइबर सेवन को कम कर देता है जिससे कब्ज की परेशानी होती है। एक शोध में यह पाया गया है की यदि आप भोजन के समय लाल मांस की ज्यादा मात्रा खाते है तो आप फाइबर युक्त सब्जियां, फलियां और साबुत अनाज की मात्रा को कम कर देते हैं। इसके अलावा, अन्य प्रकार के मांस से अलग, जैसे कि पोल्ट्री और मछली, के मुकाबले लाल मांस में वसा अधिक मात्रा में होता है, और उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थ को शरीर को पचाने में अधिक समय लगता हैं। जिससे कब्ज की संभावना और भी बढ़ सकती है। कब्ज वाले लोगों को आहार में लाल मांस की जगह प्रोटीन और फाइबर युक्त विकल्प जैसे बीन्स, दाल और मटर लेने से लाभ हो सकता है।
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तले हुए या फास्ट फूड के लगातार सेवन करने से कब्ज का खतरा बढ़ सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ये सभी खाद्य पदार्थ वसा में उच्च और फाइबर में कम होते हैं। चिप्स, कुकीज, चॉकलेट और आइसक्रीम जैसे फास्ट-फूड स्नैक्स, अधिक फाइबर युक्त स्नैक जैसे की आहार में फल और सब्जियां के विकल्पों की जगह ले सकते हैं। जिससे कब्ज होने का खतरा बढ़ता है।
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संसाधित अनाज (processed grains) और उनके उत्पाद, जैसे कि सफेद रोटी, सफेद चावल और सफेद पास्ता, कम पौष्टिक होते हैं और साबुत अनाज की तुलना में अधिक कब्ज की समस्या पैदा कर सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रोसेस्ड होने के दौरान अनाज के चोकर और जर्म पार्ट को हटा दिया जाता है। और जैसा की हमने बताया चोकर में अधिक मात्रा में फाइबर होता है, जो मल को इकट्टा जोड़ कर इसे साथ ले जाने में मदद करता है।
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