Chickpeas Benefits in hindi शाकाहारी भोजन में विशेष स्वाद के कारण काबुली चना जिसे छोले के नाम से भी जाना जाता है बहुत ही लोकप्रिय हो चुका है। यह भारतीयों द्वारा व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं। यह आपको लाजबाव स्वाद के साथ अच्छा स्वास्थ भी प्रदान करते हैं। छोले खाने के फायदे बहुत अधिक हैं। क्योंकि इसमें उपस्थित पोषक तत्वों की मात्रा बहुत अधिक है। काबुली चना के फायदे जानकर आप इनका उपभोग कर बहुत सी बीमारियों जैसे शुक्राणुओं की कमी, मासिक धर्म, किडनी की पथरी, मोटापा आदि बीमारियों को रोक सकते है। आइए जाने काबुली चना (छोले) का उपयोग करने से हमें क्या-क्या स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। (Kabuli Chole khane ke fayde aur Nuksan in Hindi)
विषय सूची
1. काबुली चना के फायदे – Kabuli Chana khane ke fayde in Hindi
2. छोले का उपयोग कैसे करें – How to use Chole gram in Hindi
3. काबुली चना (छोले) खाने के नुकसान – Chickpeas Side effects in Hindi
स्वास्थ्य की द्रष्टि से छोले बहुत ही महात्वपूर्ण है। इसमें प्रोटीन और विटामिन बी 6 अच्छी मात्रा में होते है, इनके साथ ही यह फोलेट, मैंगनीज और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों की मात्रा भी अच्छी पाई जाती है। इनमें कैल्शिम, पोटेशियम (potassium), और फाइबर भी होते है जो हमारे हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते है। इसमें उपस्थित प्रोटीन मांसपेशियों के निर्माण में मदद करते है और कोशिकाओं के स्वास्थ्य में सुधार करते हैं। जबकि मैग्नीशियम, मैंग्नीज और कैल्शियम आपकी हड्डियों को मजबूत करता है। विटामिन सी कैंसर जैसी बीमारीयों को रोकने में मदद करता है और त्वचा स्वास्थ्य को बढ़ाता है। फोलेट और लौह तत्व गर्भावस्था (pregnancy) के दौरान बहुत अच्छा माना जाता हैं।
आपके शरीर में रक्त शर्करा को नियंत्रित करने के लिए छोले चना का सेवन फायदेमंद हो सकता है। इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स 28 होता है जो बहुत ही कम मात्रा में होता है। यही कारण है कि छोले चना आपके खून में शुगर स्तर (sugar levels) को नहीं बढ़ने देता है। कुछ प्रारंभिक शोध हैं जो बताते हैं कि छोले चना का उपयोग करने वाले लोगों में मधुमेह के खतरे कम होते हैं।
छोले का उपयोग करने से रक्तचाप के रक्त ग्लूकोज (blood glucose) स्तर को भी कम किया जा सकता है। छोले चना में फाइबर भी अच्छी मात्रा में होते हैं जो रक्त शर्करा के अवशोषण को धीमा कर देता है, जिससे टाइप 2 प्रकार के डायिबिटीज की संभावना कम हो जाती है। यह फाइबर आपकी भूख को भी नियंत्रित कर सकता है और इससे आपको उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स (high GI ) खाद्य पदार्थों से दूर रहने में मदद मिलती है।
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स्पष्ट बात है कि छोले में फाइबर बहुत अच्छी मात्रा में होता है, जो लंबे समय तक आपकी भूख को संतुष्ट रखता है। वास्तव में छोले चना शरीर के वसा में कटौती (cut body fat) करने में मदद कर सकते हैं, जो आपके वजन घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
छोले में उपस्थित प्रोटीन (protein) वजन को नियंत्रित करने के लिए जाना जाता है। अध्ययनों से पता चलता है कि उच्च प्रोटीन का सेवन करने से न केवल शरीर का वजन कम किया जा सकता है बल्कि शरीर से वसा को भी दूर किया जा सकता है। इसके अलावा प्रोटीन का थार्मिक प्रभाव (thermic effects) 30% है। इसका मतलब है कि प्रोटीन की पाचन के दौरान आप कैलोरी को 30 प्रतिशत तक जला सकते है। छोले चने में अन्य पोषक तत्व भी अच्छी मात्रा में होते है जो आपके वजन को घटा सकते हैं।
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सेलेनियम कैंसर प्रभावों को कम करने में मदद कर सकता है, जो कि हमें अधिकांश फलों और सब्जियों से प्राप्त नहीं होता है। हम इसे छोले चना से प्राप्त कर सकते हैं। यह खनिज यकृत को स्वस्थ्य रखने में मदद करता है, जिससे शरीर कुछ कैंसर पैदा करने वाले यौगिकों को शरीर से बाहर (detoxify) करने में सक्षम बनाता है। सेलेनियम सूजन को भी कम करने में मदद करता है और ट्यूमर की वृद्धि को रोकता है।
छोले बीजों में फोलेट होता है जो डीएनए संश्लेषण (DNA synthesis) और उसकी मरम्मत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह डीएनए में उत्परिवर्तन से कैंसर कोशिकाओं के गठन को रोकता है। छोले चना में सैपोनिन्स (saponins) नामक फाइटोकेमिकल्स होते हैं जो कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने में मदद करते हैं। इसमें उपस्थित फाइबर भी कोलोरेक्टल कैंसर के खतरे को कम करने में मदद करता है। इसमें उपस्थित विटामिन सी एक एंटीआक्सीडेंट का काम करता है जो कैंसर के प्रभावों को कम कर उन्हें पूरी तरह से रोकता है। अध्ययन बताते है कि आइसोफ्लावोन लेना स्तन कैंसर का खतरा कम कर सकता है। इस तरह आप काबुली चना का सेवन अपने आहार के रूप में कर कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं।
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लौह, फास्फेट (phosphate), कैल्शियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज, जस्ता और विटामिन K छोले चना में अच्छी मात्रा में होते हैं। ये सभी पोषक तत्व हड्डी की संरचना और ताकत बनाए रखने में मदद करते हैं।
फॉस्फेट और कैल्शियम दोनों ही हड्डी की संरचना (bone structure) के लिए महात्वपूर्ण हैं, लेकिन दोनों खनिजों का अनुपातिक संतुलन आवश्यक है। यदि आप पोटेशिम की अधिक मात्रा और कैल्शियम की कम मात्रा का सेवन करते हैं तो परिणामस्वरूप आपकी हड्डीयों को नुकसान पहुंचा सकता है।
हड्डी मैट्रिक्स गठन (matrix formation) के लिए मैंगनीज की आवश्यक्ता होती है, लौह और जस्ता कोलेजन के उत्पादन और परिपक्कता में मदद करता है। अच्छी हड्डीयों के लिए विटामिन K का सेवन भी फायदेमंद होता है, क्योंकि यह कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है, और कैल्शियम के मूत्र विसर्जन को कम कर सकता है। आप ध्यान दें कि हड्डी के निमार्ण और मरम्मत के लिए पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम (calcium) का सेवन करें। विटामिन K का कम सेवन करने से हड्डी फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। इन सभी समस्याओं को दूर करने के लिए छोले चना का सेवन फायदेमंद होता हैं।
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ऐसे पोषक तत्व जो गर्भावस्था के दौरान आवश्यक होते हैं उनकी अच्छी मात्रा छोले चने में मौजूद रहती है। इसमें फोलेट, फाइबर, प्रोटीन, लौह और कैल्शियम होते हैं। फोलेट गर्भावस्था के दौरान सबसे महात्वपूर्ण पोषक तत्व है। यह मां और भ्रूण के स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य है। यह बच्चे में तंत्रिका ट्यूब दोषों (neural tube defects) और कम वजन जन्म के खतरे को कम करता है। गर्भावस्था के दौरान फोलेट का अपर्याप्त सेवन, जन्म के बाद बच्चे को संक्रमण और बीमारी के खतरे में डाल सकता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान काबुली चने का सेवन किया जा सकता है।
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बीटा-कैरोटीन (beta-carotene) की उपस्थिति छोले को हमारे लिए और अधिक उपयोगी बनाता है। यह द्रष्टि स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करता है। इसके अलावा छोले चना में जस्ता होता है जो हमारी आंखों के लिए आवश्यक पोषक तत्व है। यह यकृत से विटामिन A को रेटिना (retina) तक ले जाने में मदद करता है। जस्ता मैक्रलर अघटन की प्रगति को रोकने में भी मदद कर सकता है।
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हृदय स्वास्थ्य के लिए पोटेशियम, फाइबर (fiber), विटामिन सी और विटामिन बी 6 बहुत ही उपयोगी होते है, जो काबुली चना में उपलब्ध रहते हैं। फाइबर रक्त में कुल कोलेस्ट्रोल को कम करने में मदद करता है, जिससे हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है। यह धमनियों से पट्टिका (plaque from arteries) को भी हटाता है और उनके स्वास्थ्य में सुधार करता है। जो दिल के लिए फायदेमंद होता है।
अध्ययनों से पता चलता है कि काबुली चना में घुलनशील फाइबर कार्डियोवैस्कुलर (cardiovascular) बीमारी को रोकने में मदद कर सकता है। इसमें पोटेशियम भी अच्छी मात्रा में होता है जो दिल के दौरे के खतरे को कम करने में मदद कर सकता है।
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फाइबर कब्ज को रोकने में मदद करता है जो छोले (garbanzo) में अच्छी मात्रा में उपलब्ध रहता है। यह कब्ज को दूर करने के साथ नियमितता को बढ़ावा देता है। फाइबर पाचन तंत्र में एक ऐजेंट के रूप में भी कार्य करता है, जिससे समग्र पाचन स्वास्थ्य में सुधार होता है।
फाइबर पीएच स्तर और स्वस्थ आंत बैक्टीरिया (healthy gut bacteria) को संतुलित करने में मदद करता है। यह आंत में अस्वास्थ्यकर बैक्टीरिया की संख्या को भी कम करने में मदद करता है। छोले में स्ट्रार्च भी होता है जो पाचन में सहायक होता है।
फाइटोन्युट्रिएंट्स (phytonutrients) की अच्छी मात्रा छोले में पाई जाती है। जो स्तन कैंसर के खतरे को कम करता है। और एस्ट्रोजन हार्मोन के रक्त स्तर को बनाए रखकर ऑस्टियोपोरोसिस के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। छोले मासिक धर्म और महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद (post-menopausal) लक्षणों के दौरान मूड परिवर्तनों को राहत देने में भी मदद करते हैं।
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प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा के कारण छोले, बालों को झड़ने से रोक सकते हैं, और मैग्नीज की उपस्थिति आपके बालों को मजबूती दिलाने में मदद कर सकते हैं। छोले में विटामिन ए और जस्ता भी होते हैं जो डैंड्रफ से लड़ते हैं।
आप पानी के साथ कुछ छोले चनों को मसल कर अपने सिर (scalp) में मालिश करें और 15 मिनिट के बाद साफ पानी से धो लें। इसमें उपस्थित जस्ता आपके बालों को पतला होने से रोकता है,और तांबा बालों को फिर से उगने में मदद करता है।
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अध्ययनों से पता चलता है कि, एक सप्ताह में छोले चनों को कम से कम 4 बार सेवन करने से सूजन की संभावनाओं को कम किया जा सकता है। यह कुछ चयापचय (metabolic) में भी सुधार कर सकता है। छोले के अन्य पोषक तत्व जैसे कि विटामिन ए, विटामिन सी, और बी 6, फाइबर, प्रोटीन मैग्नीशियम सेलेनियम और लौह ये सभी सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इसलिए छोले को अपने आहार में शामिल किया जा सकता है यह आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है।
छोले चना लोहा (iron) का अच्छा स्रोत होते है जो आपके शरीर में लोहे की आवश्यकता को पूरा करने में मदद करता है। छोले चना इस प्रकार एनीमिया को रोकने में मदद करता है। यही कारण है कि गर्भवती और दूध पिलाने वाली (lactating) महिलाओं के साथ ही बढ़ते बच्चों को एनीमिया के खतरे से बचाने के लिए छोले चना का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
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छोला चना पूरे साल उपयोग करने के लिए आसानी से उपलब्ध होता है। आप इसे अपने आहार में कई तरह से शामिल कर सकतें हैं।
यदि आप यह सोच रहे हैं कि छोले को कैसे पकाना है, तो यह आसान है। आप उन्हें उबाले या उन्हें अपने अन्य व्यंजनों के साथ भी पका सकते हैं।
कुछ लोगों में छोले चना (Chickpeas) खाने से पेट की ऐंठन और अत्यधिक गैस बन सकती है। छोले का सेवन करने के बाद अगर आपको इस प्रकार की समस्या आ रही हो तो आप डॉक्टर से संपर्क करें।
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