कमर दर्द एक सामान्य समस्या है, जो किसी भी व्यक्ति के काम-काज और निजी जीवन में हस्तक्षेप कर सकती है। यह व्यक्तियों को किसी भी उम्र में ज्ञात और अज्ञात कारणों के परिणामस्वरूप उत्पन्न हो सकती है। सामान्य कमर दर्द की समस्या अत्यधिक काम करने के दौरान, कमर में मोच आने के दौरान या चोट लगने के दौरान उत्पन्न हो सकती है, तथा इसे घरेलू उपचार के तहत ठीक किया जा सकता है। लेकिन अज्ञात कारण से उत्पन्न कमर दर्द की समस्या अनेक स्वास्थ्य समस्याओं की ओर संकेत कर सकती है, जिसमें रीढ़ की हड्डी का कैंसर, हर्नियेटेड डिस्क, गठिया, गुर्दे में संक्रमण या रीढ़ की हड्डी का संक्रमण आदि समस्याएँ शामिल हैं। कमर दर्द से पीड़ित व्यक्ति कुछ घरेलु उपचार अपनाकर तथा उचित इलाज प्राप्त कर इस समस्या से छुटकारा पा सकता है।
अतः आज इस लेख में आप जानेंगे कि कमर दर्द क्या है, इसके लक्षण, कारण और उपचार क्या हैं तथा कमरदर्द के घरेलू उपचार के बारे में।
कमर दर्द या पीठ के निचले हिस्से में दर्द बहुत आम समस्या है, जो किसी भी उम्र में महिलाओं और पुरुषों को सामान रूप से प्रभावित कर सकती है। अत्यधिक काम करने के दौरान या मामूली चोट के कारण कमर दर्द की समस्या उत्पन्न हो सकती है, लेकिन कभी-कभी इस समस्या के अनेक अस्पष्ट कारण भी हो सकते हैं। अतः कमर दर्द एक अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्या का भी संकेत या लक्षण हो सकती है।
कमर में दर्द की शुरुआत अचानक या हल्के दर्द के साथ धीरे-धीरे हो सकती है और दर्द की आवृति मामूली या अत्यधिक गंभीर हो सकती है। कुछ व्यक्तियों में कमर दर्द, क्रोनिक समस्या के परिणामस्वरुप भी उत्पन्न हो सकता है।
आमतौर पर कमर दर्द की समस्या उम्र बढ़ने के साथ शरीर में होने वाले परिवर्तनों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है। इसका कारण यह है, कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ रीढ़ की हड्डी में कशेरुक (vertebrae) के बीच स्थित तरल पदार्थ कम हो जाता है, जिससे रीढ़ की हड्डी में घर्षण अधिक होता है, और नुकसान पहुँचता है।
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कमर का दर्द एक स्वास्थ्य समस्या के संकेत या लक्षण के रूप में प्रगट हो सकता है, जिसे विशेष रूप से महसूस किया जा सकता है। कमर दर्द से पीड़ित व्यक्ति निम्न लक्षणों को भी महसूस कर सकते हैं, जैसे:
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कमर दर्द के अनेक कारण हो सकते हैं, कुछ सामान्य होते है तो कुछ गंभीर। कमर दर्द के कारणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
मोच और तनाव (Sprains and strains) – अचानक कमर मुड़ने या किसी भी गतिविधि के दौरान कमर में तनाव या दबाव पड़ने से कमर दर्द की समस्या उत्पन्न हो सकती है। अतः पीठ के निचले हिस्से में दर्द का एक सामान्य कारण मोच और खिंचाव हैं। अत्यधिक काम के दौरान, खेलते समय, या कुछ भारी सामान उठाते समय कमर में मोच आ सकती है।
चोट (Injuries) – कमर में जोड़दार चोट लगने से कशेरुक फ्रैक्चर और टूटी हुई डिस्क (ruptured discs) के रूप में कमर दर्द की समस्या उत्पन्न हो सकती है। कमर में चोट के संभावित कारणों में गिरना, वाहन दुर्घटना और खेल के दौरान चोट लगना, इत्यादि को शामिल किया जा सकता है। कमर में चोट लगने के तुरंत बाद दर्द को महसूस किया जा सकता है।
कॉडा इक्विना सिंड्रोम (Cauda equina syndrome) – काउडा एक्विना सिंड्रोम एक दुर्लभ स्थिति है, जो काउडा एक्विना को नुकसान पहुंचने के दौरान उत्पन्न होती है। काउडा एक्विना रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में नसों का एक समूह होता है। यह स्थिति आम तौर पर एक हर्नियेटेड डिस्क (herniated disc) के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है, लेकिन काउडा एक्विना सिंड्रोम के अन्य कारणों में निम्न को भी शामिल किया जा सकता है, जैसे:
संक्रमण (Infections) – रीढ़ की हड्डी और आसपास के ऊतक कभी-कभी हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस या कवक (fungi) से संक्रमित हो सकते हैं। शरीर के अन्य हिस्सों से संक्रमण रीढ़ की हड्डी तक पहुँच सकता है। रीढ़ की हड्डी की सर्जरी, मधुमेह, कैंसर और एचआईवी जैसी स्थितियों की जटिलताओं के रूप में भी रीढ़ की हड्डी में संक्रमण की स्थिति विकसित हो सकती है। रीढ़ की हड्डी के संक्रमण में वर्टिब्रल ऑस्टियोमाइलाइटिस (vertebral osteomyelitis) और रीढ़ की हड्डी में फोड़ा (spinal epidural abscess) इत्यादि शामिल हैं।
साइटिका (Sciatica) – साइटिका, पीड़ित व्यक्ति में नितंब की तंत्रिका संकुचित हो जाने के कारण तेज कमर दर्द का कारण बनता है, तथा यह दर्द नितंबों से होता हुआ पैरों तक प्रगति करता है। साइटिका के कारणों में स्पाइनल स्टेनोसिस (spinal stenosis) और टूटी हुई डिस्क (ruptured disc) आदि शामिल हो सकते हैं। कमर दर्द के अतिरिक्त साइटिका के लक्षणों में पीठ में अकड़न, प्रदाह और पैर के नीचे झुनझुनी इत्यादि शामिल हैं।
असामान्य रीढ़ की वक्रता (Abnormal Spine Curvatures) – स्कोलियोसिस (Scoliosis), कुबड़ापन (kyphosis) और लॉर्डोसिस (lordosis) सभी स्थितियां रीढ़ की हड्डी में असामान्य वक्रता का कारण बनती हैं। असामान्य वक्रता की स्थिति में मांसपेशियों, टेंडन (tendons), स्नायुबंधन और कशेरुकाओं पर दबाव पड़ता है, जिसके कारण कमर दर्द और रीढ़ की हड्डी में विकृति उत्पन्न होती है।
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अन्य स्वास्थ्य स्थितियां भी व्यक्ति में कमर दर्द के लक्षण उत्पन्न होने का कारण बन सकती हैं। इन स्थितियों में शामिल हैं:
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कमर दर्द का कोई एक स्पष्ट कारण नहीं होता है, और यह दर्द कुछ स्थितियों में अपने आप ठीक हो जाता है। हालांकि, यदि किसी व्यक्ति की कमर में दर्द अत्यधिक गंभीर है और दर्द के अलावा अन्य लक्षणों को भी महसूस किया जाता है, तो इस स्थिति में पीड़ित व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर की सिफारिश लेनी चाहिए। अतः कमर दर्द से सम्बंधित निम्न स्थितियों में व्यक्ति को डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए, जैसे कि:
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)कुछ प्रमुख कारण कमर दर्द के विकास को बढ़ाने में सहायक होते हैं जिनमें शामिल हैं:
उम्र – कमर दर्द की समस्या सर्वाधिक 30 या 40 वर्ष की उम्र के व्यक्तियों में को अधिक प्रभावित करती है।
व्यायाम की कमी – व्यायाम की कमी रीढ़ की हड्डी के कमजोर होने का कारण बनती है, जिससे कमर दर्द का जोखिम बढ़ जाता है।
अधिक वज़न – शरीर का अतिरिक्त वजन रीढ़ की हड्डी और कमर पर दबाव डालता है, जिससे कमर में मोच की संभावना बढ़ जाती है।
रोग – व्यक्ति में आंतरिक रोग या समस्याएँ भी कमर दर्द के जोखिम को बढाती हैं जिनमें गठिया और कैंसर शामिल हैं।
अनुचित भार उठाना – पैरों के बजाय कम के बल भार उठाने का अनुचित तरीका व्यक्तिओ को कमर दर्द के जोखिम में दाल सकता है।
मनोवैज्ञानिक स्थिति – मनोवैज्ञानिक स्थिति जैसे- अवसाद और चिंता से ग्रस्त व्यक्ति भी कमर दर्द का सिकार हो सकते हैं।
धूम्रपान – निकोटीन स्पाइनल डिस्क (spinal discs) के क्षतिग्रस्त होने और रक्त प्रवाह में कमी का कारण बनता है। अतः धुम्रपान की स्थिति भी रीढ़ की डिस्क तक पर्याप्त पोषक तत्व पहुंचाने से रोक सकती है, और कमर दर्द का कारण बन सकती है।
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अधिकांश डॉक्टर कमर दर्द के कारणों का निर्धारण करने के लिए एक शारीरिक परीक्षण कर सकते हैं। शारीरिक परीक्षण के तहत दर्द महसूस होने के स्थान और दर्द की तीव्रता को निर्धारित किया जा सकता है। कमर दर्द की सामान्य स्थिति में डॉक्टर निदान के लिए कुछ हफ्तों तक प्रतीक्षा कर सकते हैं। अगर घर पर कुछ हप्तों के इलाज के बाद भी कमर दर्द दूर नहीं होता है, तो कमर दर्द की आंतरिक स्थितियों का निदान करने के लिए डॉक्टर अनेक प्रकार के परीक्षणों की सिफारिश कर सकते है। हड्डी की समस्याओं, डिस्क से सम्बंधित समस्याओं, या पीठ में स्नायुबंधन (ligaments) और टेंडन (tendons) से संबंधित समस्याओं की जांच करने के लिए डॉक्टर इमेजिंग परीक्षण की सहायता लेते हैं। इमेजिंग परीक्षण के तहत डॉक्टर, मरीज को निम्न में से किसी एक या एक से अधिक परीक्षण कराने की सिफारिश कर सकते हैं, जैसे:
इन सभी परीक्षणों के अतिरिक्त निम्न परीक्षण भी कमर दर्द की समस्या का निदान करने के लिए आवश्यक हो सकते हैं, जैसे:
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महिलाओं में निम्न प्रकार की स्थितियां कमर दर्द का कारण बन सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:
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अधिकांश स्थितियों में कमर का दर्द, घरेलू उपचार के तहत कुछ हफ्तों में ठीक हो जाता है। लेकिन कुछ स्थितियों में कमर दर्द के कारणों के आधार पर विशेष उपचार की आवश्यकता होती है। सामान्य स्थिति जैसे कमर में मोच, चोट और तनाव आदि का इलाज करने के लिए डॉक्टर द्वारा मरीज को घर पर आराम करने, आइस पैक लगाने और ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) एंटी इंफ्लेमेटरी दवाओं जैसे इबुप्रोफेन और नेप्रोक्सेन (naproxen) आदि का सेवन करने की सिफारिश की जा सकती है। इसके अतिरिक्त मरीज द्वारा अपनी सामान्य गतिविधियों को भी जारी रखा जा सकता है। यदि घरेलू उपचार कमर दर्द से राहत दिलाने में असफल रहते हैं, तो डॉक्टर अन्य उपचार प्रक्रियाओं की सिफारिश कर सकते हैं, जैसे:
कमर दर्द के कारणों के आधार पर डॉक्टर निम्न दवाओं की सिफारिश कर सकता है, जैसे:
डॉक्टर द्वारा कमर दर्द से पीड़ित व्यक्ति में गंभीर संक्रमण, काउडा एक्विना सिंड्रोम (Cauda equina syndrome) या गंभीर चोट की स्थिति का इलाज करने के लिए, सर्जरी की सिफारिश की जा सकती है। अतः कमर दर्द के प्रभाव से पैर की नसों में दर्द या तंत्रिका संपीड़न के कारण मांसपेशियों की कमजोरी की स्थिति में सर्जरी द्वारा लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त रीढ़ की हड्डी के संकुचित होने (स्पाइनल स्टेनोसिस) या हर्नियेटेड डिस्क, की स्थिति में भी सर्जरी फायदेमंद हो सकती है। कमर दर्द की उपचार प्रक्रिया में निम्न तरह की सर्जिकल प्रक्रियाओं को अपनाया जा सकता है, जैसे:
न्यूक्लियोप्लास्टी (nucleoplasty) – न्यूक्लियोप्लास्टी (nucleoplasty) में एक छड़ी जैसी डिवाइस को छोटे कैथेटर के माध्यम से डिस्क में डाला जाता है, रेडियो तरंगों के माध्यम से डिस्क के क्षतिग्रस्त हिस्से को हटा दिया जाता है। यह डिवाइस असामान्य ऊतक को गर्म कर सिकुड़ने के लिए भी उपयोग में लायी जाती है।
इंट्राडिस्कल इलेक्ट्रोथर्मल थेरेपी (Intradiscal electrothermal therapy) – इंट्राडिस्कल इलेक्ट्रोथर्मल थेरेपी के तहत एक कैथेटर के माध्यम से सुई को डिस्क (disc) में डाला जाता है और सुई को लगभग 20 मिनट तक गर्म किया जाता है। यह थेरेपी डिस्क की दीवार को मोटा बनाती है और कमर दर्द से राहत प्रदान करती है।
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सामान्यतः कमर दर्द से बचाव के अनेक तरीके मौजूद हैं, जिनमें शामिल हैं:
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कमर दर्द से राहत प्राप्त करने और तथा लक्षणों की गंभीरता को कम करने में मदद करने के लिए कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं। कमर दर्द के उपाय में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
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