Chicory (Kasni) in hindi कासनी जड़ी-बूटी युक्त बारहमासी पौधा है। इसका वैज्ञानिक नाम सिकोरियम इंट्यूबस (Cichorium intubus) है लेकिन भारत में इसे कासनी और चिकोरी के नाम से जाना जाता है। इसके पौधे की ऊंचाई 1 मीटर होती है और इसकी पत्तियां गोलाकार होती हैं जोकि स्वाद में कड़वी भी होती हैं। कासनी में नीले रंग के फूल लगते हैं और इसकी शाखाएं बहुत कठोर होती हैं। इसके फूलों में 15 से 20 पंखुड़ियां एक साथ लगी होती हैं। फूल सुबह में खिलते हैं और दिन में सिकुड़ या बंद हो जाते हैं। कासनी में हल्के रंग का फल लगता है और गाय की पूंछ की तरह एक मांसल जड़ होती है। आइये जानते है कासनी के फायदे और नुकसान क्या है।
kasni ke fayde in Hindi कासनी कई खनिजों जैसे जिंक, मैग्निशियम और मैंगनीज, कैल्शियम, फॉलिक एसिड, आयरन और पोटैशियम का बढ़िया स्रोत होता है। इसमें विटामिन A, विटामिन B6, विटामिन C, E , K पाया जाता है। इन तत्वों से भरपूर होने के कारण कासनी स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत लाभदायक होता है। कासनी का बीज संतृप्त और असंतृप्त फैटी एसिड का बढ़िया स्रोत होता है।
चिकोरी को कॉफी के स्थान पर उपयोग किया जाता है। लेकिन इसमें कैफीन नहीं होता है। यह कॉफी की तरह ही पेय पदार्थ का स्वाद प्रदान करता है। कासनी की ताजी पत्तियां सलाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और इसकी पत्तियां अधिक बढ़ने पर सब्जी के रूप में उपयोग में लाया जाता है। कासनी के कई चिकित्सकीय लाभ हैं और यह स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों को दूर करने में उपयोग किया जाता है। यह एचडीएल नामक अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है और एलडीएल नामक खराब कोलेस्ट्रॉल को घटाने में भी सहायता करता है।
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कासनी पोषक तत्वों से युक्त होता है इसलिए बीमारियों को दूर करने में यह बहुत फायदेमंद होता है।
चिकोरी इनुलिन (inulin) नामक अच्छे बैक्टीरिया का एक बढ़िया स्रोत है। इन बैक्टीरिया को प्रोबायोटिक्स भी कहते हैं जोकि बेहतर पाचन क्रिया के लिए जिम्मेदार होते हैं। ये पाचन संबंधी दिक्कतों जैसे एसिडिटी, अपच और सीने में जलन को दूर करने में मदद करते हैं। इन फायदों की वजह से कासनी का प्रयोग पाचन के लिए किया जाता है।
शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए कासनी में मौजूद इनुलिन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कोलेस्ट्रॉल रक्त वाहिकाओं (blood vessels) की दीवार पर जमा हो जाता है और उन्हें अवरूद्ध कर देता है जिसकी वजह से रक्त का प्रवाह नहीं हो पाता है। इसकी वजह से हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बना रहता है। कासनी के सेवन से ये दिक्कतें दूर हो जाती हैं।
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कई रिसर्च में पाया गया है कि कासनी ट्यूमर को बढ़ने से रोकता है और कैंसर से भी सुरक्षा प्रदान करता है। इसमें एंटी ट्यूमर और एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होने के कारण इन बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करने में यह लाभप्रद होता है।
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सूजन और दर्द को दूर करने में कासनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विशेषतौर पर यह ऑस्टियोअर्थराइटिस (osteoarthritis) के दर्द को दूर करने में बहुत फायदेमंद होता है। यह मांसपेशियों के दर्द
और जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए भी उपयोग किया जाता है।(और पढ़ें – गठिया (आर्थराइटिस) कारण लक्षण और वचाब)
चिकोरी में इनुलिन के अलावा ओल्गीफ्रक्टोज (Olgifructose) बहुतायत मात्रा में पाया जाता है। ये दोनों यौगिक वजन को नियंत्रित करने में और एमीनो एसिड और भूख को संतुलित करने में बहुत सहायक होता है। यह अधिक भोजन करने से बचाता है और कासनी खाने से लंबे समय तक पेट भरा महसूस होता है। इससे वजन नहीं बढ़ता है।
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चिकोरी के जड़ का प्रयोग अच्छी निद्रा के लिए किया जाता है। इसमें कोई केमिकल नहीं होता है और यह प्राकृतिक रूप से तनाव को कम करके नींद लाने में मदद करता है। इसके अलावा यह स्ट्रेस एवं चिंता को कम करने में मदद करता है और हृदय रोगों के खतरे को कम करने के साथ हार्मोन असंतुलन और इन्सोमेनिया (insomnia) की समस्या को दूर कर यादाश्त ठीक रखने में सहायक होता है।
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चिकोरी के जड़ों का उपयोग करने से यह मूत्र की मात्रा को बढ़ाता है जिससे की किडनी से मूत्र के जरिए तेजी से शरीर की अशुद्धियां दूर हो जाती हैं। इसके अलावा कासनी किडनी और लीवर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर उन्हें साफ रखता है।
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इसकी का जड़ विटामिन C, विटामिन K, कोलीन और बीटा- कैरोटीन का समृद्ध स्रोत होता है। इसके अलावा इसमें मौजूद इनुलिन आंत की समस्याओं से बचाने में मदद करता है और कब्ज को दूर कर पाचन की दिक्कतों को खत्म करता है। इनुलिन आंत में अच्छे बैक्टीरिया (good bacteria) को बढ़ता है और पाचन को दुरूस्त रखता है।
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चिकोरी में कई ऐसे गुण मौजूद होते हैं जो इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाने में बहुत फायदेमंद होते हैं। इसमें मौजूद पॉलीफिनोलिक यौगिक इम्यून सिस्टम को बढ़ाता है और फाइटोकेमिकल एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है और ब्लडस्ट्रीम से मुक्त कणों को दूर करता है। इससे शरीर की कई तरह की बीमारियों से रक्षा होती है।
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कासनी का जड़ विकारों को दूर करने में उपयोग किया जाता है और ज्यादातर लोगों को इससे राहत भी मिलता है। लेकिन कासनी का कुछ एलर्जिक रिएक्शन भी होता है। इसलिए
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