जड़ीबूटी

कटेरी के फायदे और नुकसान – Kateri Ke Fayde Aur Nuksan In Hindi

Kateri Ke Fayde Aur Nuksan कटेरी एक औषधीय जड़ी बूटी है क्‍या आप कटेरी के फायदे और नुकसान जानते हैं। कटेरी को कंटकारी या भटकटैया  (वैज्ञानिक नाम : Solanum xanthocarpum; अंग्रेजी नाम : Yellow Berried Night shade) के नाम से भी जाना जाता है। कटेरी एक प्रकार की खरपतवार है जिसे शायद ही कोई न जानता हो। यह हो सकता है कि सभी लोग इसे कटेरी के नाम से ना जानते हों, क्‍योंकि अलग-अलग जगहों पर इसे कई नामों से जाना जाता है। कटेरी खरपतवार होने के बाद भी अपने औषधीय गुणों के लिए बहुत ही लोकप्रिय है। कटेरी के फायदे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत अधिक होते हैं। कटेरी को विभिन्‍न जड़ी बूटीयों के साथ मिलाकर उपयोग किया जाता है।

कटेरी के फायदे अस्‍थमा, पाचन विकार, बवासीर, कान की सूजन, पेशाब के दौरान दर्द और संक्रमण साथ ही यौन स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने के लिए उपयोग किया जाता है। आज इस लेख में औषधीय जड़ी बूटी कटेरी के फायदे और नुकसान संबंधी जानकारी प्राप्‍त करेगें।

विषय सूची

1. कटेरी के अन्‍य नाम – Kateri ke Anya naam in Hindi
2. कटेरी का पौधा – Kateri Ka poudha in Hindi

3. कंटकारी के गुण – Kantkari ke gun in Hindi
4. कटेरी की तासीर कैसी होती है – Kateri ki taseer in Hindi
5. भटकटैया का औषधीय गुण – Bhatkataiya ke Aushadhiya gun in Hindi
6. कटेरी का आयुर्वेदिक उपयोग – Kateri ka ayurvedic Upyog in Hindi
7. कटेरी के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ – Kateri ke swasth labh in Hindi

8. कटेरी के नुकसान – Kateri ke Nuksan in Hindi

कटेरी के अन्‍य नाम – Kateri ke Anya naam in Hindi

सोलनम वर्जिनिनम, जिसे सर्टेनेंस नाइटशेड, येलो-फ्रूट नाइटशेड, येलो-बेरीड नाइटशेड, थाई ग्रीन बैंगन, थाई धारीदार बैंगन भी कहा जाता है, को भारतीय नाइट शेड या येलो ब्रीड नाइट शेड प्लांट के रूप में जाना जाता है, आम नाम कंटकारी, सोलनमसुरटेंसन ब्रूम है।

औषधीय उपयोग के लिए प्रयोग की जाने वाली कटेरी एक जड़ी बूटी है। जो कि सामान्‍य रूप से आपको पथरीली, बंजर या सड़कों के किनारे आपको देखने मिल जाएगी। पूरे भारत और अन्‍य जगहों पर लोग इसे कई नामों से जानते हैं। जैसे कंटकारी, भटकटैया, रेंगनी, रिंगिणी आदि। कटेरी का वैज्ञानिक नाम सोलेनम जैंथोकार्पम (Solanum xanthocarpum) है जो कि सोलेनेसी (Solennesi) परिवार से संबंधित है।

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कटेरी का पौधा – Kateri Ka poudha in Hindi

जैसा कि आप ऊपर जान चुके हैं कि कटेरी का पौधा एक खरपतवार है। यह एक कांटेदार, चमकीली, और बहुत सारी शाखाओं वाली सदाबहार झाड़ी है। इस पौधे के फूल नीले-बैंगनी रंग के होते हैं। इस पौधे के लिए गर्मी का मौसम में बहुत अनुकूलित होता है। यह पौधा विशेष रूप से उष्‍णकटिबंधीय और उपोष्‍णकटिबंधीय क्षेत्रों में होता है। अक्‍सर आपने इस पौधे को सड़कों के किनारे या बंजर जमीन पर खरपतवार के रूप में देखा होगा। इस पौधे के सभी भाग जैसे जड़, तना, पत्‍ते, फूल, फल और बीज सभी में औषधीय गुण होते हैं। आइए जाने कटेरी का पौधा और इसके सभी अंगों के बारे में।

कटेरी की जड़ – Kateri Root in Hindi

कटेरी की जड़ बेलनाकार होती है जिसकी लंबाई लगभग 10-45 सेटीमीटर होती है। इन जड़ों का व्‍यास लगभग कुछ मिली मीटर होती है। कटेरी की जड़ भी झाड़ीनुमा होती है इसलिए इसकी जड़ को 100 जड़ों के समूह के नाम से भी जाना जाता है। कटेरी की जड़ों में मसूर के दानों की तरह ही छोटे-छोटे दाने होते हैं। साथ ही इसकी जड़ झुर्रियों युक्‍त होती है। कटेरी की जड़ की ऊपरी परत पतली होती है। स्‍वाद में कटेरी की जड़ का स्‍वाद कड़वा होता है।

भटकटैया के पत्‍ते – Bhatkatiya ke Patte in Hindi

कटेरी के पत्‍ते लंबे और कांटे युक्‍त होते हैं। साथ ही इनके पत्‍तों में छोटे-छोटे रूये युक्‍त बाल होते हैं। पत्‍तों का रंग गहरा हरा होता है लेकिन समय बढ़ने के साथ इसमें मौजूद कांटे पहले सफेद और फिर धीरे-धीरे पीले होने लगते हैं।

कंटकारी के फूल – Kantakari ke fool in Hindi

कटेरी के पौधे अपने नीले फूलों के कारण दूर से देखने पर बहुत ही सुंदर दिखाई देते हैं। हालांकि इस पौधे में मौजूद कांटों की बजह से लोग इसे अपने घर के आस-पास नहीं पनपने देते हैं।

कटेरी के फल – Kateri ke phal in Hindi

कटेरी के फल छोटे और गोल बेरी की तरह होते हैं। इनका व्‍यास लगभग 0.8 – 1 सेमी होता है। जब यह फल कच्‍चा होता है तो इसका रंग हरा होता है जिसमें सफेद ध‍ारियां होती हैं। लेकिन पकने के बाद इस फल का रंग पीला हो जाता है।

कटेरी के बीज – Kateri ke beej in Hindi

कटेरी के फल में समूह के रूप में बहुत सारे छोटे-छोटे गोल बीज होते हैं। जिनका व्‍यास लगभग 0.2 सेमी होता है। ये बीज देखने में चमकदार होते हैं जिनका स्‍वाद तीखा और कड़वा होता है।

कंटकारी के गुण – Kantkari ke gun in Hindi

जैसा कि हम ऊपर जान चुके हैं कि कटेरी एक औषधीय जड़ी बूटी है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि इसमें विभिन्‍न प्रकार के गुण मौजूद होते हैं जो हमारी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को दूर करने में प्रभावी होते हैं। इस कारण ही आयुर्वेद के साथ ही वैज्ञानिक चिकित्‍सा पद्धति में भी दवाओं के रूप में कटेरी का उपयोग किया जाता है। कंटकारी के गुण में पोटेशियम नाइट्रेट, फैटी एसिड, डायोसजेनिन (diosgenin), सिटोस्‍टेरॉल, इसोक्‍लोरोजेनिक एसिड, न्‍यूरोसेनोजेनिक एसिड, क्रोनोजेनिक एसिड (chronogenic acid), कैफीक एसिड आदि अच्‍छी मात्रा में होते हैं।

कटेरी की तासीर कैसी होती है – Kateri ki taseer in Hindi

कटेरी की तासीर गर्म होती है इसलिए औषधी के रूप में उपयोग करते समय इसकी बहुत ही कम मात्रा का इस्‍तेमाल किया जाना चाहिए।

भटकटैया का औषधीय गुण – Bhatkataiya ke Aushadhiya gun in Hindi

पोषक तत्‍वों की उच्‍च मात्रा होने के कारण भटकटैया हमारे स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी समस्‍याओं को प्रभावी रूप से दूर कर सकती है। भटकटैया के औषधीय गुण इस प्रकार हैं।

  • एंटी-अस्थमैटिक (Anti-asthmatic) – इस गुण के कारण कटेरी के फायदे अस्‍थमा के लक्षणों को कम करने में सहायक होते हैं।
  • हाइपोग्‍लाइसेमिक (Hypoglycemic) – हाइपोग्‍लाइसेमिक होने के कारण यह शरीर में ब्‍लड शुगर को कम करने में सहायक होता है।
  • हेपेटोप्रोटेक्टिव (Hepatoprotective) गुण होने के कारण यह लिवर की रक्षा भी करता है।
  • एंटी-इंफ्लामेटरी (Anti-inflamantory) – यह गुण होने के कारण भटकटैया सूजन संबंधी समस्‍याओं को प्रभावी रूप से दूर कर सकता है।
  • एंटी-अस्सिव (Anti-tussive) – इस गुण के कारण कटेरी का उपयोग आपको खांसी संबंधी समस्‍याओं से बचा सकता है।
  • एंटीपीयरेटिक (Antipyretic) गुण होने के कारण कटेरी बुखार को कम करने में सहायक होता है।
  • एंटीहिस्‍टामिनिक (Antihistaminic) इस गुण के कारण कटेरी के लाभ हिस्‍टामाइन के प्रभाव को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं।
  • एंटी-फर्टिलिटी (Antifertility) भटकटैया का यह गुण प्रजनन क्षमता को कम कर सकता है।
  • एंटी-स्‍पर्मेटोजेनिक (Anti-spermatogenic) भटकटैया का यह गुण शुक्राणु उत्‍पादन को रोक सकता है।

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कटेरी का आयुर्वेदिक उपयोग – Kateri ka ayurvedic Upyog in Hindi

मुख्‍य रूप से कटेरी का उपयोग स्‍वास संबंधी समस्‍या जैसे अस्‍थमा, खांसी, हिचकी आदि का इलाज करने में किया जाता है। इसके अलावा अपने औषधीय गुणों के कारण कटेरी बुखार, सूजन आदि का भी प्रभावी उपचार कर सकता है। आयुर्वेद में में इसे दवा के रूप में सीधे ही उपयोग किया जाता है। इसके अलावा इसे कई अन्‍य जड़ी बूटीयों के साथ मिलाकर भी इस्‍तेमाल किया जाता है।

कटेरी के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ – Kateri ke swasth labh in Hindi

कटेरी का उपयोग आयुर्वेद, सिद्ध और युनानी में विभिन्‍न रोगों के उपचार में किया जाता है। यह कृमि, खांसी, गला बैठना, बुखार, पेशाब के दौरान दर्द और मूत्राशय में पथरी के इलाज में उपयोगी है। इसके अलावा यह अस्‍थमा, माइग्रेन और सिरदर्द का भी प्रभावी इलाज कर सकता है। इस पौधे के सभी अंगों को पीसकर पेस्‍ट का उपयोग करने पर यह गठिया के लक्षणों को कम कर सकता है। आइए विस्‍तार से जाने कटेरी के फायदे क्‍या हैं।

कटेरी के लाभ खांसी में – Kateri Benefits for Cough in Hindi

खांसी का घरेलू उपचार करने के लिए कटेरी का इस्‍तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए आप कटेरी के पूरे पौधे या पंचांग की 3-5 ग्राम मात्रा लें और इसे 200 मिली ग्राम पानी में उबालें। उबलते हुए पानी की मात्रा लगभग 50 मिली ग्राम बचे तब तक इसे उबालते रहें। इसके बाद इस काढ़े को ठंडा करें और दिन में 2 बार इसका सेवन करें। यह खांसी दूर करने का सबसे बेहतरीन तरीका हो सकता है।

(और पढ़े – खांसी का घरेलू उपचार, ड्राई कफ हो या वेट कफ…)

भटकटैया के लाभ मिरगी के लिए – Bhatkataiya benefits for Epilepsy in Hindi

मिरगी भी एक गंभीर स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या होती है। लेकिन कटेरी के फायदे मिरगी का इलाज करने में प्रभावी होते हैं। इसके लिए आप ताजे भटकटैया के पत्‍तों का रस निकालें। इस रस 2 बूंद मात्रा को नियमित रूप से सुबह के समय अपने नथुनों में डालें। ऐसा करने से रोगी को मिरगी के दौरे आने की संभावना कम हो जाती है।

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कटेरी के फायदे लीवर के लिए – Kateri ke fayde liver ke liye in Hindi

लीवर की सूजन यहां मौजूद बैक्‍टीरिया और संक्रमण के कारण हो सकती है। लेकिन आप अपने लीवर को स्‍वस्‍थ्‍य रखने के लिए कटेरी का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। कटेरी लिवर के लिए टॉनिक का काम करती है। नियमित रूप से कटेरी के काढ़े का सेवन करने से लीवर में मौजूद संक्रमण और सूजन को कम किया जा सकता है।

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भटकटैया के फायदे गर्भावस्‍था में – Bhatkataiya Benefits for Pregnancy in Hindi

गर्भवती महिलाओं के लिए भी भटकटैया का उपयोग फायदेमंद होता है। गर्भावस्‍था के दौरान उल्‍टी और मतली को रोकने के लिए कटेरी पंचांग (5 ग्राम) और मुनक्‍का (5-6) लें और इसे पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े का नियमित सेवन करने पर गर्भवती महिला को उल्‍टी और मतली से छुटकारा मिल सकता है। यह उनकी भूख को भी सुधारने का अच्‍छा तरीका है।

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सफेद भटकटैया के उपयोग बालों के लिए – Safed Bhatkataiya ke Upyog balo ke liye in Hindi

यदि आप बाल झड़ने की समस्‍या से परेशान हैं तो भटकटैया का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। यह बालों को झड़ने और बालों में डैंड्रफ की समस्‍या को प्रभावी रूप से दूर कर सकता है। इसके लिए आप कटेरी के ताजा पत्‍तों का रस निकालें और इसे अपने बालों की जड़ों पर लगाएं। नियमित रूप से कुछ दिनों तक ऐसा करने से आपको लाभ मिल सकता है।

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भटकटैया के फायदे दांत दर्द में – Bhatkataiya Benefits for Toothache in Hindi

दांतों का दर्द भी एक गंभीर समस्‍या है। लेकिन आयुर्वेद में दांत के दर्द को दूर करने के लिए भटकटैया का उपयोग प्राचीन समय से किया जा रहा है। यदि आप भी दांत के दर्द से परेशान हैं तो भटकटैया के पत्‍तों के रस का उपयोग करें। कटेरी की ताजा पत्तियों को मसलकर रस निकालें। इस रस को दर्द प्रभावित दांतों में लगाएं। यह आपको दांत के दर्द से तुरंत ही राहत दिलाता है।

(और पढ़े – दांत दर्द ठीक करने के 10 घरेलू उपाय…)

कटेरी के नुकसान – Kateri ke Nuksan in Hindi

औषधीय गुणों के कारण कटेरी हमारी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं के लिए फायदेमंद होती है। लेकिन अधिक मात्रा में इसका उपयोग करने पर यह हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक भी हो सकता है।

  • पित्‍त विकारों वाले रोगी को इसका उपयोग सावधानी से करना चाहिए। गर्म तासीर होने के कारण यह उन लोगों के लिए नुकसान दायक हो सकती है।
  • आमतौर पर यह गर्भावस्‍था के दौरान सुरक्षित माना जाता है लेकिन फिर भी उपयोग करने से पहले अपने स्‍वास्‍थ्‍य सलाहकार से सलाह लेना आवश्‍यक है।
  • यदि आप किसी विशेष प्रकार की दवाओं का सेवन कर रहे हैं तो कटेरी का सेवन करने से पहले भी अपने डॉक्‍टर से सलाह जरूर लें।

(और पढ़े – पित्ताशय की थैली (गॉलब्लेडर) क्या है, कार्य, बीमारी, टेस्ट, उपचार और आहार…)

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