Kattha ke fayde aur nuksan in Hindi क्या आपको खैर या कत्था के फायदे और नुकसान पता है। यह एक औषधीय पेड़ है, जिसका आयुर्वेद में विभिन्न प्रकार की दवाओं को बनाने में उपयोग किया जाता है। केटेचु या खैर का पेड़ उष्णकटिबंधीय देशों में व्यापक रूप से पाए जाते हैं। खैर के पेड़ के कुछ हिस्सों का औषधीय उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाता है। खैर से कत्था निकाला जाता है जो इसकी लकड़ी को उबालकर प्राप्त किया जाता है। कत्था के फायदे में सामान्य सर्दी ठीक करने में, बवासीर का इलाज करना, महिलाओं में दूध उत्पादन बढ़ाना, मुंह के अल्सर का उपचार करना आदि शामिल हैं। आइये जाने कत्था के बारे में अन्य जानकारियां क्या हैं।
विषय सूची
1. कत्था क्या है – Kattha Kya Hai in Hindi
2. कत्था का पेड़ – Kattha Ka Ped in Hindi
3. कत्था के फायदे – kattha ke fayde in hindi
4. कत्था खाने के नुकसान – Kattha Khane Ke Nuksan in Hindi
यह (खैर) एक जड़ी बूटी है, जिसके लगभग सभी भागों का औषधीय उपयोग किया जाता है। खैर की पत्तियां, टहनीयां और लकड़ी का उपयोग दवा बनाने में उपयोग की जाती हैं। खैर की लकड़ी से निकाले गये रस को गाढ़ा करके कत्था बनाया जाता है। कत्थे का उपयोग भी विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। विशेष रूप से कत्थे का उपयोग पान और चूने के साथ किया जाता है। यह दस्त, नाक और गले की सूजन, पेंचिश, रक्तस्राव, अपचन
आदि समस्याओं को दूर कर सकता है। त्वचा समस्याओं और चोट आदि पर कत्थे को सीधे ही उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा मसूड़ों की सूजन, दर्द, मुंह के छाले आदि के लिए कत्था फायदेमंद होता है। आइये जाने खैर के पेड़ के बारे में।(और पढ़े – पेचिश (आंव) के लक्षण, कारण और उपचार…)
विभिन्न औषधीयों में उपयोग किये जाने वाले कत्था का पेड़ एक पर्णपाती पेड़ है। इस पेड़ की ऊंचाई 9 से 12 मीटर तक हो सकती है। इस पेड़ में छोटे-छोटे कांटे होते हैं। इसकी पत्तियां छोटी-छोटी और दोनो तरफ 50 के समूह में होती हैं। इसकी छाल का रंग भूरा होता है। इसके फूल पीले रंग के बेलनाकार होते हैं। जिससे फललियों के रूप में इसके फल प्राप्त होते हैं।
इस औषधीय गुणों से भरपूर कत्थे का उपयोग कर आप बहुत सी सामान्य और गंभीर समस्याओं का इलाज कर सकते हैं। यह मुख्य रूप से मुंह में होने वाली समस्याओं के लिए फायदेमंद होता है। आइये विस्तार से जाने कत्था के फायदे और नुकसान क्या हैं।
जो लोग बवासीर से ग्रसित हैं उनके लिए कत्था फायदेमंद हो सकता है। कुछ जानकारों का मानना है कि इसमें मौजूद पोषक तत्व बवासीर के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकते हैं। इसके लिए कत्थे को नींबू के साथ या इसके रस के साथ मिलाकर नियमित रूप से सुबह खाली पेट सेवन करना चाहिए। यह बवासीर के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकता है।
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क्या आप मुंह के संक्रमण और अन्य समस्याओं से छुटकारा पाना चाहते हैं। यदि ऐसा है तो आप कत्था का उपयोग कर सकते हैं। इसके औषधीय गुण मुंह के छाले, मसूड़ों की समस्या, छालों की जलन आदि समस्याओं का उचित इलाज कर सकते हैं। इन समस्याओं से बचने के लिए आप प्रभावित जगह पर कत्थे को सीधे ही उपयोग करें। यह आपके छालों को आराम दिलाने का प्रभावी उपाय हो सकता है।
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यदि आप दस्त का घरेलू इलाज कर रहे हैं तो कत्थे को अजमा सकते हैं। इसके लिए आप ¼ चम्मच कत्था पाउडर और दालचीनी पाउडर का मिश्रण तैयार करें। इस मिश्रण को 1 चम्मच शहद के साथ मिलाकर सेवन करें। यह दस्त से राहत दिलाने में मदद कर सकता है।
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अक्सर देखा जाता है कि सर्दी या जकाम के ठीक होने के बाद भी सूखी खांसी चलती रहती है। यह आपको बहुत ही परेशान कर सकती है। इसलिए सूखी खांसी का समय पर इलाज किया जाना चाहिए। लेकिन आप इस समस्या का घरेलू इलाज भी कर सकते हैं। इसके लिए आपको कत्थे की आवश्यकता होती है। आप 1/8 चम्मच कत्था पाउडर और 1/8 चम्मच हल्दी पाउडर का मिश्रण तैयार करें। इस मिश्रण को 1 चम्मच शहद के साथ सेवन करें। यह आपको सूखी खांसी से राहत दिलाने में मदद कर सकता है।
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आप अपने मसूड़ों को स्वस्थ्य रखने और इनकी बीमारियों से बचने के लिए कत्थे का उपयोग कर सकते हैं। आप अपने दांतों और मसूड़ों के लिए कत्थे का उपयोग मंजन पाउडर के रूप में इस्तेमाल करें। इस मंजन को बनाने के लिए आपको कत्था, फिटकरी, लोहबान (myrrh) और लौंग की आवश्यकता होती है। आप इन सभी को अच्छी तरह से मिलाकर पीस लें। इस महीन पाउडर से दांतों की सफाई करें। यह आपके मसूड़ों से आने वाले खून को रोकने और इनसे संबंधित समस्याओं को दूर करने में सहायक होते हैं।
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अध्ययनों से पता चलता है कि खैर के पौधे से निकाले गये कत्था का नियमित उपभोग करना फायदेमंद होता है। यह विभिन्न प्रकार के फंगल के विकास को रोकता है जैसे कि पिरिक्युलरिया ओरीज़ा (Piricularia Oryzae) या कोलेटोट्रिचम फाल्ककम (colletotrichum falcatum) आदि। इस तरह से यह इन संक्रमणों से हमारे शरीर की रक्षा करता है।
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प्राचीन समय से ही कत्थे का उपयोग गर्भनिरोधक के रूप में उपयोग किया जा रहा है। इसकी विशेषता यह है कि इसमें किसी प्रकार के हानिकारक रसायन नहीं होते हैं। लेकिन इसका उपयोग किसी जानकार व्यक्ति की सलाह के अनुसार ही किया जाना चाहिए।
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यकृत की सूजन को कम करने वाले गुण कत्था में मौजूद रहते हैं। कत्था का उपयोग कर आप लीवर की कमजोरी और सूजन को दूर कर अन्य बीमारियों से बच सकते हैं। आप कत्थे का सेवन कर अपने लीवर को स्वस्थ्य बना सकते हैं।
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कत्था का उपयोग हमारे लिए बहुत ही फायदेमंद होता है।
लेकिन कुछ विशेष लोगों के लिए इसके कुछ दुष्पभाव भी होते हैं जो इस प्रकार हैं कत्थे के नुकसान :
गर्भावस्था और स्तनपान: गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए कत्था का कम मात्रा में सेवन करना फायदेमंद होता है। लेकिन इन्हें सलाह दी जाती है कि अधिक मात्रा में इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
हाइपोटेंशन: कत्थे के फायदे में रक्तचाप को कम करना शामिल है। लेकिन इसका अधिक मात्रा में सेवन नहीं किया जाना चाहिए। अधिक मात्रा में इसका सेवन करने पर यह रक्तचाप को बहुत ही निम्न स्तर पर ले जा सकता है। जिससे फैनिंग और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
सर्जरी: अधिक मात्रा में कत्था का सेवन करने से सर्जरी के दौरान और उसके बाद रक्तचाप नियंत्रण में यह हस्तक्षेप कर सकता है।
इसलिए सर्जरी से कम से कम 2 सप्ताह पहले कत्थे का सेवन बंद कर दें।
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