Keeda jadi in Hindi कीड़ा जड़ी के फायदे: कीड़ा जड़ी हिमालय वियाग्रा या यार्सागुम्बा के नाम से जानी जाने वाली कीड़ों की तरह दिखाई देने वाली बहुमूल्य औषधी है जिसे कीड़ा जड़ी के नाम से जाना जाता है। इसका उपयोग भारत में तो कम होता है लेकिन चीन में प्राकृतिक स्टीरॉयड की तरह किया जाता है। अपने कामोद्दीपक गुणों के कारण कीड़ा जड़ी को यार्सागुम्बा या हिमालयी वियाग्रा कहा जाता है। इसके अलावा कीड़ा जड़ी के कामोद्दीपक औषधीय गुण भी होते जिसके यह देसी वियाग्रा के नाम से मशहूर है। कीड़ा जड़ी आमतौर पर गुर्दे की बीमारियों और शारीरिक सहनशक्ति को बढ़ाने में सहायक होती हैं। कीड़ा जड़ी का इस्तेमाल प्राचीन समय से ही कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में किया जा रहा है। हालांकि कीड़ा जड़ी का प्रयोग प्राचीन काल में ही होता था क्योंकि आज के समय में यह जड़ी बूटी लगभग लुप्त प्राय हो चुकी है।
आज इस लेख में आप कीड़ा जड़ी के बारे में और कीड़ा जड़ी के फायदे संबंधी जानकारी प्राप्त करेगें।
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कीड़े की तरह दिखने वाली एक प्रमुख जड़ी बूटी जिसमें कॉर्डिसेप्स (cordyceps) नामक कवक के जीनस होते हैं। जो कीड़ों के लार्वा पर बढ़ता है। इस प्रकार के कवक से संबंधित लगभग 400 से अधिक प्रजातियों को खोजा जा चूका हैं। यह कवक स्वास्थ्य के लिए बहद फायदेमंद होता है। पारंपरिक रूप से इसका उपयोग हर्बल चिकित्सा में इस्तेमाल किया जा रहा है। कीट और कवक के अवशेष थकान, बीमारी, गुर्दे की बीमारी और कम सेक्स ड्राइव के इलाज के लिए सदियों से पारंपरिक चीनी चिकित्सा में हाथ से संग्रहित कर, सुखाए और उपयोग किए जाते हैं अपने औषधीय गुणों के कारण कीड़ा जड़ी का उपयोग हर्बल सप्लीमेंट्स, अर्क, पाउडर और कैप्सूल आदि के रूप में किया जा रहा है। आइए जाने कीड़ा जड़ी से जुड़ी अन्य जानकारीयां क्या हैं।
कीड़ा जड़ी एक प्रकार के कीडे़ के समान दिखने वाली जड़ी बूटी है। जब यह जड़ी बूटी फूल से फल के रूप में परिवर्तित होती है तब इसका रंग हरा होता है। वयस्कता के समय इसका रंग हल्का नारंगी होता है। लेकिन पूरी तरह से पकने या सूखने के बाद इस जड़ी बूटी की आकृति किसी कीड़े के समान दिखाई देती है। जिसके कारण ही लोग इसे कीड़ा जड़ी कहते हैं। उपयोग करने के लिए इस जड़ी बूटी को छीला जाता है या फिर इसका पाउडर बनाकर उपभोग किया जाता है।
औषधीय गुणों से भरपूर कीड़ा जड़ी का वैज्ञानिक नाम कॉर्डिसेप्स साइनेसिस (Cordyceps Sinensis) है। इस जड़ी बूटी में जिस परजीवी के अवशेष होते हैं उसका नाम हैपिलस फैब्रिकस होता है। चूंकि यह जड़ी बूटी पूरी तरह से कीड़े के समान दिखाई देती है इसलिए इसे स्थानीय लोगों ने कीड़ा जड़ी नाम दिया।
यह औषधी एक प्रकार की मशरूम होती है। इस जड़ी बूटी में एंटीऑक्सीडेंट, एंजाइम और विटामिन की भरपूर मात्रा होती है। जिसके कारण यह औषधी कई गंभीर और आम स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में प्रभावी होती है।
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हम सभी जानते हैं कि कीड़ा जड़ी औषधीय गुण होते हैं। इन गुणों के कारण यह जड़ी बूटी प्रतिरक्षा प्रणाली में कोशिकाओं और विशिष्ट रसायनों को उत्तेजित करके प्रतिरक्षा में सुधार करती है। इस जड़ी बूटी में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने और ट्यूमर के विकास को रोकने की क्षमता होती है। इसके अलवा इस औषधी कामद्दीपक गुण भी होते हैं। जिसके कारण यह यौन उत्तेजना और कामेच्छा बढ़ाने में सहायक होती है। यही कारण है कि कीड़ा जड़ी को अधिकांश लोग देसी वियाग्रा के नाम से जानते हैं। इसके अलावा इस जड़ी बूटी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट फेफड़ों और त्वचा कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को भी कम करने में सहायक होते हैं। आइए विस्तार से जाने कीड़ा जड़ी के फायदे और नुकसान क्या हैं।
कीड़ा जड़ी के सबसे प्रमुख लाभों शारीरिक ऊर्जा को बढ़ावा देना शामिल है। इस औषधीय जड़ी बूटी ऐसे पोषक तत्व और खनिज पदार्थ होते हैं जो लंबे समय तक शरीर में ऊर्जा को बनाए रखते हैं। इस जड़ी बूटा का सेवन करने से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ावा मिलता है। मुख्यतः जब आप जिम में एक्सरसाइज करते हैं तब और साथ ही यह सेलुलर ऊर्जा उत्पादन को भी बढ़ाता है। यही कारण है कि अधिकांश एथलीट एनर्जी बूटर के रूप में कीड़ी जड़ी बूटी युक्त सप्लीमेंट्स आदि का सेवन करते हैं। आप भी अपनी शारीरिक ऊर्जा को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए कीड़ा जड़ी के फायदे प्राप्त कर सकते हैं।
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अध्ययनों से पता चलता है कि कीड़ा जड़ी का सेवन करना हृदय को स्वस्थ रखने में सहायक होता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व और खनिज पदार्थ हृदय में रक्त संचालन को सुचारू बनाए रखने में सहायक होते हैं। एक अन्य अध्ययन के अनुसार नियमित रूप से कीड़ा जड़ी के पाउडर का सेवन करने से हृदय की विफलता और हार्ट अटैक जैसी गंभीर स्थितियों से बचा जा सकता है।
वास्तव में, Cordyceps को Arrhythmia के उपचार के लिए चीन में अनुमोदित किया जाता है, एक ऐसी स्थिति जिसमें दिल की धड़कन बहुत धीमी, बहुत तेज या अनियमित होती है।
कीड़ा जड़ी के लाभ इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लामेटरी और दर्द निवारक (antispasmodic) गुणों के कारण होते हैं। इन गुणों के कारण कीड़ा जड़ी हृदय गति के उतार चढ़ाव और अन्य प्रकार की हृदय संबंधी समस्याओं को प्रभावी रूप से दूर कर सकती है।
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कोलेस्ट्रॉल की उच्च मात्रा शरीर के लिए हानिकारक होती है। कीड़ा जड़ी का सेवन शरीर में मौजूद हानिकारक खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकता है। इसके अलावा कीड़ा जड़ी के फायदे शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बनाए रखने में भी होते हैं। खराब कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर की रक्त वाहिकाओं में अवरोध बन सकता है। जिससे रक्त परिसंचरण में बाधा आती है। इस प्रकार की समस्या के कारण ही लोगों को उच्च रक्तचाप और निम्न रक्तचाप और अन्य हृदय रोगों की संभावना बढ़ जाती है। इस जड़ी बूटी का सेवन हृदय की कार्य क्षमता और चयापचय को भी बढ़ाने में सहायक है।
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हम सभी जानते हैं कि कैंसर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जिसका ठीक हो पाना मुश्किल है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कैंसर का इलाज कराना हर आम आदमी के बजट में नहीं है। साथ ही हम यह भी जानते हैं कि किसी भी स्वास्थ्य समस्या के इलाज से बेहतर इस समस्या से बचाव करना है। नियमित रूप से कीड़ा जड़ी का इस्तेमाल करने से कैंसर की संभावना को रोका जा सकता है। साथ ही इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट उपचार के दौरान कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने
और उन्हें नष्ट करने में सहायक होते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि कीड़ा जड़ी एंटी-कैंसर और एंटीट्यूमर गुण होते हैं।(और पढ़े – महिलाओं में कैंसर के लक्षण…)
प्रतिरक्षा शक्ति के कमजोर होने से हमारा शरीर कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार हो सकता है। लेकिन कीड़ा जड़ी का नियमित सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। क्योंकि कीड़ा जड़ी का सेवन शरीर नेचुरल किलर कोशिकाओं (Natural killer cells) के उत्पादन को बढ़ाता है। ये कोशिकाएं संक्रमण और बीमारी के विरुष शरीर की रक्षा करने मे सहायता करती हैं। ये इम्युनोप्रोटेक्टिव प्रभाव कैंसर से लेकर आम सर्दी जुकाम और अन्य वायरल संक्रमण संबंधी समस्याओं को रोकने में प्रभावी होता है।
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कॉर्डिसेप्स (cordyceps) जड़ी बूटी में एंटी-एजिंग गुण उच्च मात्रा में होते हैं। जिसके कारण इस जड़ी बूटी का नियमित सेवन करने से क्षतिग्रस्त त्वचा कोशिकाओं को फिर से जीवंत करने और मृत त्वचा कोशिकाओं को हटाने में मदद मिलती है। कीड़ा जड़ी के औषधीय गुण झुर्रियों और त्वचा में मौजूद दाग धब्बों सहित आंखों के नीचे के डार्क सर्किल्स को दूर करने में प्रभावी होते हैं। यदि आप भी अपनी त्वचा को स्वस्थ रखने और त्वचा समस्याओं को दूर करना चाहते हैं तो कीड़ा जड़ी का औषधीय उपभोग कर सकते हैं।
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बुजुर्गों ने पारंपरिक रूप से कॉर्डिसेप्स का उपयोग थकान को कम करने और शक्ति और सेक्स ड्राइव को बढ़ावा देने के लिए किया है। यौन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के कारण ही कीड़ा जड़ी को देशी वियाग्रा के नाम से जाना जाता है। कीड़ा जड़ी पुरुषों को कई यौन रोगों से बचाता है। अध्ययनों से पता चलता है कि जिन पुरुषों में कामेच्छा की कमी होती है उनके लिए यह जड़ी बूटी बहुत ही प्रभावी होती है। नियमित रूप से अपने आहार में इस जड़ी बूटी का औषधीय उपयोग कर पुरुष अपनी यौन कमजोरी और प्रजनन क्षमता दोनों को बढ़ा सकते हैं। इस जड़ी बूटी में यौन शक्ति बढ़ाने की क्षमता होती है जिसक कारण इसे यार्सागुम्बा हिमालयी वियाग्रा के नाम से भी जाना जाता है।
कॉर्डिसेप्स या कीड़ा जड़ी पुरुषों में यौन रोग को प्रभावित करता है। कई अध्ययनों से पता चला है कि यौन ऊर्जा में कमी या खराब कामेच्छा से पीड़ित पुरुषों ने अपने आहार में कीड़ा जड़ी के हर्बल सप्लीमेंट को शामिल करने के बाद स्पष्ट सुधार देखा।
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प्रारंभिक अध्ययनों से पता चलता है कि किड़नी को स्वस्थ रखने वाली दवाओं के समान ही गुण कीड़ा जड़ी में होते हैं। जिन लोगों को किड़नी संबंधी समस्याएं होती हैं उनहें अन्य दवाओं के साथ ही औषधीय उपचार के रूप कीड़ा जड़ी का सेवन भी करना चाहिए। शोधकर्ताओं के अनुसार एमिक्रेसीन दवा के साथ कीड़ा जड़ी का सेवन करने बुजुर्ग व्यक्तियों में गर्दे की क्षति को रोका जा सकता है।
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कीड़ा जड़ी के लाभ अस्थमा रोगियों के लिए भी होते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि वयस्कों द्वारा कीड़ा जड़ी का नियमित सेवन करने से अस्थमा के लक्षणों को कम किया जा सकता है। हालांकि अध्ययन यह भी बताते हैं कि अस्थमा संबंधी दवाओं के साथ नियमित रूप से इस जड़ी बूटी का लगभग 6 माह तक सेवन किया जाना फायदेमंद होता है।
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मधुमेह रोगियों में मधुमेह के लक्षणों को कम करने की क्षमता कीड़ी जड़ी बूटी में होती है। इस औषधीय जड़ी बूटी में विशेष प्रकार की चीनी होती है। जो शरीर के लिए लाभप्रद होती है। साथ ही यह शरीर में मौजूद रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में सहायक होती है। मधुमेह रोगी में इंसुलिन के उत्पादन की क्षमता कम होने के दौरान रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। लेकिन नियमित रूप से कीड़ा जड़ी का सेवन करने से इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। जिससे शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
मधुमेह के चूहों में कई अध्ययनों में, कॉर्डिसेप्स को रक्त शर्करा के स्तर को कम करने के लिए दिखाया गया है।
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सामान्य रूप से बहुत ही कम मात्रा में उपलब्धता के कारण कीड़ा जड़ी बहुत ही महंगी दवाओं में से एक है। हालांकि मनुष्यों पर सीमित शोध होने के कारण इस जड़ी बूटी की कोई भी निश्चित खुराक या मात्रा निर्धारित नहीं की गई है। फिर भी सामान्य रूप से किसी व्यक्ति द्वारा दैनिक खुराक 1000 से 3000 मिलीग्राम है। इस मात्रा का सेवन करने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं।
सामान्य रूप से निर्धारित मात्रा में सेवन करने पर कीड़ा जड़ी के कोई नुकसान नहीं होते हैं। इसके अलावा मनुष्यों पर शोध की कमी के कारण भी कीड़ा जड़ी के नुकसानों की अधिक जानकारी नहीं है। लेकिन फिर भी लोगों को इस जड़ी बूटी का बहुत ही कम मात्रा में सेवन करना चाहिए।
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