Khichdi in Hindi भारत में ज्यादातर लोग खिचड़ी खाना पसंद करते हैं। लेकिन लोग खिचड़ी खाने से होने वाले फायदों के बारे में नहीं जानते होंगे। तो हम आपको बता दें कि खिचड़ी खाने के एक नहीं बल्कि कई फायदे हैं। खिचड़ी न केवल भारतीय लोगों का लोकप्रिय व्यंजन है, बल्कि सेहत के लिहाज से भी यह बहुत फायदेमंद है। आपने अक्सर देखा होगा कि बीमारी के वक्त डॉक्टर मरीज को खिचड़ी खाने की ही सलाह देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि खिचड़ी एक पारंपरिक भारतीय भोजन है, जो शरीर को सभी बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है। इसमें शरीर को पोषण देने, कॉलेस्ट्रॉल कम करने और हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने की अच्छी क्षमता है। खिचड़ी को आयुर्वेदिक आहार का भी महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।
दाल और चावल से बनी खिचड़ी में मौजूद विटामिन सी, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, मैग्नीशियम, पोटेशियम, कैल्शियम और फॉस्फोरस की मदद से जोड़ों का दर्द, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज के अलावा वजन बढ़ने जैसी समस्याओं का इलाज भी संभव है। भारत में खिचड़ी को लोगों का “रात का खाना” कहा जाता है, क्योंकि यह आसानी से पच जाती है। इसलिए ज्यादातर लोग रात में खुद को हल्का रखने के लिए खिचड़ी खाना पसंद करते हैं। हालांकि समय के साथ खिचड़ी के रूप, नाम और इसे बनाने के तरीकों में भी बदलाव आया है। अलग-अलग राज्यों में कहीं कम मसाले वाली खिचड़ी, कहीं खट्टी तो कहीं मासाहारी खिचड़ी तक बनाई जाती हैं। तो चलिए आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में बताएंगे खिचड़ी खाने के फायदे, इसके प्रकार और इसे बनाने का सही तरीका।
1. खिचड़ी क्या है – What is Khichdi in Hindi
2. खिचड़ी का इतिहास – History of Khichdi in Hindi
3. कहां से आई खिचड़ी – Where did Khichdi came from in Hindi
4. खिचड़ी बनाने का तरीका – khichdi recipe in hindi
5. खिचड़ी खाने के फायदे – khichdi khane ke fayde in hindi
6. भारत में खिचड़ी के प्रकार – Types of Khichdi in Hindi
खिचड़ी भारतीय दलिया जैसा मिश्रण है जो चावल, हरी और पीली दाल को मिलाकर बनाया जाता है। यह सादा या कम मसालों के साथ बनाई जाती है। इस पकवान ने अपने शक्तिशाली औषधीय गुणों के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता हासिल कर ली है। भारत में अक्सर बच्चों को खिचड़ी दी जाती है, क्योंकि ये आसानी से पचने योग्य और पौष्टिक होती है। ज्यादातर बुखार या खराब स्वास्थ्य मे डॉक्टर लोगों को खिचड़ी खाने की सलाह देते हैं।
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खिचड़ी का इतिहास काफी पुराना है। ग्रीक राजदूत सेल्यूकस ने भारतीय उपमहाद्वीपों में दाल और चावल की लोकप्रियता के बारे में बताया है। मोरक्को के यात्री इब्र बतूता ने 1550 के भारतीय प्रवास के दौरान चावल और मूंग से बनी डिश के रूप में खिचड़ी का उल्लेख किया है। वहीं 15वीं शताब्दी में भारत की यात्रा करने वाले अफानासी निकितन के लेखन में भी खिचड़ी का वर्णन है। खिचड़ी खासकर से मुगलकाल में जहांगीर के समय बहुत लोकप्रिय थी। यहां तक की औरंगजेब भी आलमगिरी खिचड़ी के बहुत शौकीन थे। 19 वीं शताब्दी में, अंग्रेज भारत से खिचड़ी अपने देश में ले गए, जहां यह केडगेरे बन गया। यह इंग्लैंड में एक नाश्ता पकवान बन गया। खिचड़ी अभी भी इंग्लैंड में लोकप्रिय है।
19वीं शताब्दी में अवध के नवाब-उद-दीन शाह के समय खिचड़ी में स्वाद बढ़ाने के लिए बादाम और पिस्ता का भी उपयोग किया जाता था। हैदराबाद के निज़ामों ने भी अपने शाही भोजन में खिचड़ी को बहुत महत्व दिया।
खिचड़ी शब्द भले ही हिंदी लगता हो, लेकिन असल में खिचड़ी शब्द खिच्चा से आया है। बता दें कि मुगलकाल में भी खिचड़ी राजाओं की फेवरेट डिशेज में से एक थी। इसका उल्लेख 16वीं सदी में मुगल बादशाह अकबर के वजीर अबुल फजल द्वारा लिखे गए दस्तावेजों एन-ए अकबरी में भी किया गया है। इसमें खिचड़ी बनाने की अलग-अलग विधि बताई गई हैं।
यूं तो भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग विधि से खिचड़ी बनाई जाती है, लेकिन नीचे दी गई खिचड़ी की रेसिपी आमतौर पर भारतीय घरों में इस्तेमाल की जाती है। तो चलिए जानते हैं खिचड़ी बनाने का तरीका।
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खिचड़ी में ज्यादा मसाले नहीं होते, इसलिए हमेशा खिचड़ी को एक हेल्दी फूड माना जाता है। खिचड़ी हमारी आंतों और पेट के लिए बहुत फायदेमंद है। बीमार लोगों के लिए बहुत फायदेमंद है, क्योंकि खिचड़ी आसानी से पच जाती है। पौष्टिकता से भरपूर यह भोजन छोटे, बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी पोषण का एक उत्तम स्त्रोत है।
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बहुत कम लोग जानते हैं कि खिचड़ी आयुर्वेदिक आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह तीनों दोषों वत्त, पित्त और कफ को संतुलित करने की क्षमता रखती है। खिचड़ी शरीर को डिटॉक्स करने के साथ एनर्जी लेवल बढ़ाने के साथ इम्यूनिटी में भी सुधार करती है।
जो लोग ग्लूटेन से बचना चाहते हैं उनके लिए खिचड़ी बहुत फायदेमंद है। दरअसल, खिचड़ी में मौजूद चावल और दाल दोनों में ही ग्लूटेन नहीं होता, जिससे ये बहुत हल्की और आसानी से डाइजेस्ट करने वाली डिश बन जाती है।
आपने कई बार अपनी दादी, नानी को कहते सुना होगा कि खिचड़ी सेहत के लिए फायदेमंद है। वास्तव में यह सही है। खिचड़ी केवल दाल और चावल का मिश्रण नहीं है, बल्कि इसमें कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, कैल्शियम, फाइबर
, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और पोटेशियम भरपूत्र मात्रा में होता है। खिचड़ी में आप भरपूर सब्जियां भी मिला सकते हैं, जो इसकी न्यूट्रिशनल वैल्यू बढ़ाने के साथ स्वाद को भी दोगुना कर देती है।(और पढ़े – सेहत के लिए फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ…)
खिचड़ी अर्थराइटिस को दूर करने में भी बहुत फायदेमंद है। कैसे जानिए। दरअसल, खिचड़ी बनाने में इस्तेमाल होने वाली हल्दी एंटीइंफ्लेमेट्री गुणों के लिए जानी जाती है। हल्दी में गठिया के दर्द से राहत दिलाने के लिए कई गुण होते हैं। हल्दी में शक्तिशाली औषधीय गुणों के साथ बायोएक्टिव कंपाउंड्स भी होते हैंजो मारिूस्तष्क की क्षमता में सुधर करते हुए शरीर की एंटीऑक्सीडेंट क्षमता को बढ़ाते हैं। हल्दी में हर्बल मेडिसिन, मायोमोल्यूकुलर एंड क्लीनिकल एस्पेक्ट के अध्याय में कहा गया है कि हल्दी अस्थमा, ब्रोन्कियल हाइपरएक्टिविटी , बहती नाक, खांसी और साइनसाइटिस जैसी बीमारियों के लिए बहुत अच्छा प्राकृतिक उपचार है। खिचड़ी एलर्जी एनोरेक्सिया, गठिया और मधुमेह के घावों को ठीक करने में मदद करती है।
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खिचड़ी खाने से वजन कम होता है। ये बात बहुत कम लोग जानते हैं। दरअसल, खिचड़ी में मौजूद दाल में फाइबर अधिक मात्रा में होता है, जो इंसुलिन के स्तर को कम रखने के लिए भोजन के पाचन को धीमा करने में मदद करती है। अगर वजन कम करना चाहते हैं तो सफेद की जगह ब्राउन चावल का सेवन करना चाहिए।
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खिचड़ी में इस्तेमाल की जाने वाली दाल ब्लड शुगर लेवल को कम करती है। 2018 में हुए एक अध्ययन में कहा गया है कि खिचड़ी में आधे हिस्से में दाल मिलाने से ब्लड शुगर लेवल 20 से भी कम हो सकता है।
खिचड़ी में मौजूद दालें पॉनीफेनॉल्स से भरपूर होती हैं, जो ब्लड प्रेशर को कम करने के साथ विभिन्न ह्दय रोगों को रोकने में मदद करती हैं। कई रिसर्च के आधार पर ये सामने आया है कि व्यक्ति को दालें रोजाना खानी चाहिए, क्योंकि ये कोरोनरी आर्टरी डिसीज को कम करने की क्षमता रखती है।
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उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम भारतीय लोग स्थानीय स्वाद और परंपरा के अनुसार अलग-अलग तरह से खिचड़ी बनाते हैं। नीचे हम बता रहे हैं भारत में बनाई जाने वाले विभिन्न प्रकार की खिचड़ी के बारे में।
कश्मीरी – कश्मीर में खिचड़ी को पारंपरिक रूप से खेतसीमावस पर स्थानीय देवताओं को बली के रूप में चढ़ाई जाती है। यहां पर खिचड़ी आमतौर पर कदम के अचार के साथ परोसी जाती है।
हिमाचल प्रदेश – हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के राज्यों में आला और गढ़वाली खिचड़ी बहुत प्रसिद्ध है। बाला खिचड़ी को बंगाल चना, भुना हुआ धनिया और छाछ के साथ बनाया जाता है, जबकि गढ़वाल खिचड़ी उड़द की दाल, तिल और गर्म मसाले के साथ तैयार की जाती है।
उत्तर प्रदेश – उत्तर प्रदेश में आंवला खिचड़ी बहुत प्रसिद्ध है। आंवला खिचड़ी को बनाने के लिए आंवला और काली दाल मुख्य सामग्रियां होती हैं। इनके बिना आंवला खिचड़ी तैयार नहीं की जा सकती। वैसे तो अब लोग सादा खिचड़ी भी बनाते हैं, लेकिन आंवला खिचड़ी पुराने लोगों द्वारा बनाई जाती थी, इसलिए आज भी यहां के कई घरों में आंवला खिचड़ी बनाने का चलन है।
ओडिशा- ओडिशा में खिचड़ी को खेचड़ी कहा जाता है। यहां आमतौर पर अडाहेंग यानि अदरक-हींग की खिचड़ी बनाई जाती है। यह खिचड़ी जगन्नाथ मंदिर का एक लोकप्रिय व्यंजन है। ओडिशा में खिचड़ी के साथ अचार, दही, आलू भरता, बैंगन भर्ता, दालमा और चटनी सर्व की जाती है।
दक्षिण भारत – दक्षिण भारत की ओर जाएं तो खिचड़ी की सामग्री और स्वाद दोनों बदल जाते हैं। आंध्र प्रदेश अपनी खाद्य परंपराओं के लिए ही जाना जाता है। हैदराबाद के नवाबों की शाही किचन में कीमा खिचड़ी बनाई जाती थी। यह खिचड़ी दाल, चावल और मांस के मसाले से भरे मिश्रण के साथ बनाई जाती है। इसे खट्टी या किसी मीठी चटनी के साथ परोसा जाता है। आंध्रप्रदेश में पुलागम खिचड़ी भी घरों में खूब बनाई जाती है। इसमें ज्यादातर लोग काजू और करी पत्ते को मिलाते हैं। यहां पर खिचड़ी संक्रांति या अन्य त्योहारों पर प्रसाद के रूप में खाना बहुत पौष्टिक होता है।
केरल – केरल में माथन खिचड़ी खाई जाती है। इसे बनाने में लाल कद्दू जिसे मलयाली भाषा में माथन कहते हैं। इस खिचड़ी में इमली, नारियल और कढ़ी पत्ता का इस्तेमाल जरूर होता है।
कर्नाटक – कर्नाटक में खिचड़ी को बीसी बेले भात कहते हैं, इसमें खिचड़ी को बनाने में इमली का प्रयोग किया जाता है। इस खट्टी खिचड़ी के साथ सांभर सर्व किया जाता है। यहां पर हग्गी खिचड़ी भी खासी प्रचलित है। यह खिचड़ी कर्नाटक में श्री कृष्ण मठ महोत्सव के लिए विशेष रूप से तैयार की जाती है। हरी मिर्च और नारियल से इस खिचड़ी का स्वाद दोगुना हो जाता है।
तमिलनाडु- यहां खिचड़ी को वेन पोंगल, खारा पोंगल , मिलागु पोंगल और गुड़ मिलाकर बनाया गया सक्कराई पोंगल के नाम से जाना जाता है। वेन पोंगल को कारा पोंगल के नाम से भी जाना जाता है। इस खिचड़ी में सरसों के बीज, हींग और अदरक होना जरूरी होता है। काजू के साथ गार्निश करके इसे परोसा जाता है।
पूर्वोत्तर राज्यों में- पूर्वोत्तर राज्यों में खिचड़ी को जा दोई, मणिपुरी खिचड़ी और काली दाल खिचड़ी कहते हैं।
बंगाल- बंगाल में खिचड़ी को लोग खिचुरी कहते हैं। यहां दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान खिचड़ी पूजा होती है। यहां पारंपरिक खिचड़ी जैसे तिल की खिचड़ी, खजूर की खिचड़ी, निर्मिश खिचड़ी बनाई जाती है। मिल की खिचड़ी दाल-चावल के साथ तिल के पेस्ट और मलाई मिलाकर बनाई जाती है। वहीं मलाई भुन की खिचड़ी नारियल के दूध और चावल के साथ बनाई जाती है। खजूर की खिचड़ी में भीगे हुए खजूर, नट्स और मोटी क्रीम डालकर तैयार की जाती है। यदि कोई व्यक्ति प्याज और लहसुन नहीं खाता तो उसके लिए निर्मिश खिचड़ी का विकल्प अच्छा है। यह मूंगदाल, गोबिंदभोग चावल के साथ सभी सब्जियां मिलाकर तैयार की जाती है। यहां पर खिचड़ी को आलू, बैंगन व अंडों के साथ परोसा जाता है।
राजस्थान- इतिहास गवाह है कि राजस्थान के राजपूतों को खिचड़ी बेहद पसंद थी। उस दौरान आम नागरिकों के लिए यही एक स्वस्थ भोजन था, लेकिन राजा-महाराजाओं को केवल तब ही खिचड़ी खाने की इजाजत थी, जब वे बीमार पड़ते थे। बता दें कि राजस्थानी खिचड़ी को बाजरा या गेहूं के साथ बनाया जाता है। यहां बाजरा खिचड़ी काफी फेमस है, जिसे खिचड़ा भी कहते हैं। आजकल शादियों में भी ये डिश खासतौर से रखी जाती है।
गुजरात – गुजरात में आज भी गुजराती लोग रात के खाने में खिचड़ी खाना पसंद करते हैं। यहां पर वेजीटेरियन और नॉन वेजीटेरियन दोनों तरह की खिचड़ी बनाई जाती है। काठियावार में राम खिचड़ी, सूरत में सोला खिचड़ी वहीं पारसी समुदाय में भाररूची वाघरेली खिचड़ी काफी पॉपुलर है। ये नॉन-वेज खिचड़ी होती है, जिसे एक प्रकार की मछली फ्राइड बॉम्बे डक को मेरिनेट कर बनाया जाता है। वहीं कोल्मी नी -खिचड़ी भी यहां काफी मशहूर है, इसे झींगा और नारियल के दूध के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है। आमतौर पर यहां खिचड़ी कढ़ी के साथ सर्व की जाती है।
मध्यभारत – मध्यभारत में तूयर दाल खिचड़ी, मूंग दाल खिचड़ी, उड़द दाल खिचड़ी और साबूदाने की खिचड़ी बहुत मशहूर है। ये सभी तरह की खिचड़ी बहुत ही साधारण तरीके से कम मसालों के साथ बनाई जाती हैं। हालांकि कुछ लोग खिचड़ी को स्पाइसी और स्वादिष्ट बनाने के लिए टमाटर, प्याज के साथ कई सब्जियां भी डाल लेते हैं, जो सेहत के लिए भी अच्छी होती है।
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