हर व्यक्ति दो किडनी के साथ जन्म लेता हैं परन्तु सिर्फ एक किडनी ही प्रभावी रूप से सभी महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करने में सक्षम होती है। पथरी (किडनी स्टोन) मिनरल्स और लवण जैसे पदार्थों से बनी एक ठोस जमावट होती है। किडनी स्टोन या पथरी होना आजकल एक आम समस्या बन गयी है। अगर किसी को पथरी हो जाये तो उसको बहुत तकलीफ झेलनी पड़ती है। हर साल भारत में 10 लाख से ज़्यादा मामले पथरी के होते है, जिनमें से 50 प्रतिशत से ज्यादा मरीजों में पथरी (Stone) का आकर छोटा होता है, जो प्राकृतिक रूप से तीन से छः सप्ताह में अपने आप पेशाब के साथ निकल जाती है। (किडनी स्टोन) के कारण असहनीय पीड़ा, पेशाब में संक्रमण और किडनी को नुकसान पहुंच सकता है। अतः इसका इलाज करना आवश्यक होता है।
आज हम पथरी क्या है, किडनी स्टोन के लक्षण, कारण, जाँच, इलाज और रोकथाम के बारे में बात करने वाले है।
गुर्दे की पथरी आपके किडनी के अंदर बनने वाले खनिजों और लवणों से बनी कठोर गाँठ होती हैं। किडनी स्टोन आपके मूत्र पथ के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है। मूत्र पथ में किडनी (Kidneys), मूत्रवाहिनी (Ureter), मूत्राशय (Bladder), और मूत्रमार्ग (Urethra) होते हैं। अक्सर, पथरी तब बनती है जब मूत्र गाढ़ा हो जाता है, जिससे इसमें उपस्थित खनिज लवण क्रिस्टलीकृत होकर आपस में चिपक जाते हैं।
पेशाब में कैल्शियम ऑक्जलेट या अन्य क्षार कणों (Crystals) की अधिक मात्रा के परिणामस्वरूप स्टोन का निर्माण होता है। पथरी औरतों की अपेक्षा पुरुषों में तीन गुना अधिक पाई जाती है और ज़्यादातर पथरी 20 से लेकर 30 साल तक के लोगों में देखने को मिलती है किडनी स्टोन, किडनी रोग से पीड़ित अधिकांश लोगों में पाये जाना वाला प्रमुख रोग है। पथरी (किडनी स्टोन) के कारण असहनीय पीड़ा, पेशाब में संक्रमण और किडनी को नुकसान हो सकता है।
मूत्रमार्ग में होने वाली पथरी अलग-अलग लंबाई और विभिन्न आकार की होती है। यह रेत के कण जितनी छोटी या गेंद की तरह बड़ी भी हो सकती है। कुछ पथरी गोल या अंडाकार और बाहर से चिकनी होती है, इस प्रकार की पथरी से कम दर्द होता है और वह सरलता से प्राकृतिक रूप से पेशाब के साथ बाहर निकल सकती है।
कुछ पथरी खुरदरी होती है। जिससे बहुत ज्यादा दर्द होता है और वह सरलता से पेशाब के साथ बाहर नहीं निकलती है।
पथरी मुख्यतः किडनी, मूत्रवाहिनी और मूत्राशय में देखी जाती है।
गुर्दे की पथरी के लक्षण हमेशा दिखाई नहीं देते हैं। अगर किडनी स्टोन (पथरी) का साइज़ छोटा है तो वह बिना दर्द के अपने आप मूत्र मार्ग से बाहर निकल सकती हैं। हालांकि किडनी स्टोन की स्थिति में आमतौर पर लक्षण तब प्रगट होते हैं, जब स्टोन का साइज़ बड़ा होता है और वह मूत्रवाहिनी में जमा हो जाता है। यह किडनी स्टोन मूत्र के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकता है, जिसके कारण कई तरह के दर्दनाक लक्षण प्रगट हो सकते हैं , जो साधारण से गंभीर भी हो सकते हैं। पथरी के लक्षणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
सामान्य तौर पर किडनी स्टोन की प्रारंभिक पहचान करने के लिए इसके शुरुआती लक्षणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
जब किडनी स्टोन अधिक जोखिमदायक हो जाता है, तो निम्न तरह के लक्षण प्रगट हो सकते हैं:
गुर्दे की पथरी का कोई निश्चित एकल कारण नहीं होता है, लेकिन कुछ कारक इसके जोखिम को बढ़ा सकते हैं। किडनी स्टोन का निर्माण तब होता है, जब मूत्र में अधिक मात्रा में क्रिस्टल का निर्माण करने वाले पदार्थ मौजूद होते हैं, जैसे- कैल्शियम, ऑक्सालेट और यूरिक एसिड इत्यादि। साथ ही, मूत्र में ऐसे पदार्थों की कमी हो सकती है जो क्रिस्टल को आपस में चिपकने से रोकते हैं।
सभी किडनी स्टोन एक ही प्रकार के क्रिस्टल से मिलकर नहीं बने होते हैं। गुर्दे की पथरी के प्रकारों में शामिल हैं:
अधिकांश गुर्दे की पथरी कैल्शियम स्टोन होती है, जो आमतौर पर कैल्शियम ऑक्सालेट से बनी होती हैं। ऑक्सालेट लीवर द्वारा प्रतिदिन बनाया जाने वाला या आपके आहार से अवशोषित होने वाला पदार्थ है। कुछ फलों और सब्जियों के साथ-साथ नट्स और चॉकलेट में ऑक्सालेट की मात्रा अधिक होती है, जिनके अधिक सेवन से कैल्शियम स्टोन होने का ख़तरा बढ़ जाता है। आहार संबंधी कारक, विटामिन डी की उच्च खुराक, आंतों की बाईपास सर्जरी और अन्य चयापचय संबंधी विकार मूत्र में कैल्शियम या ऑक्सालेट की सांद्रता को बढ़ा सकते हैं।
इस तरह का स्टोन ज्यादातर यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) से पीड़ित महिलाओं में पाया जाता है। ये पथरी बड़ी हो सकती है और पेशाब में रुकावट पैदा कर सकती है। अंतर्निहित संक्रमण का इलाज कर स्ट्रुवाइट स्टोन के विकास को रोका जा सकता है।
यूरिक एसिड स्टोन का निर्माण उन लोगों में हो सकता है जो पुराने डायरिया (chronic diarrhea) या कुअवशोषण (malabsorption) के कारण बहुत अधिक तरल पदार्थ खो देते हैं, इसके अलावा उच्च प्रोटीन आहार का सेवन, और मधुमेह या चयापचय सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्तियों में भी यूरिक एसिड स्टोन होने का उच्च जोखिम होता है। इस प्रकार का किडनी स्टोन महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक आम है।
इस प्रकार की पथरी तब विकसित होती है जब मूत्र बहुत अधिक अम्लीय होता है। प्यूरीन से भरपूर आहार मूत्र के अम्लीय स्तर को बढ़ा सकता है। प्यूरीन एक रंगहीन पदार्थ है, जो मछली, शीप और मांस इत्यादि में पाया जाता है।
सिस्टीन स्टोन, पथरी का काफी दुर्लभ प्रकार है। इस प्रकार का स्टोन अनुवांशिक विकार सिस्टिन्यूरिया (cystinuria) से पीड़ित पुरुषों और महिलाओं दोनों में पाया जाता हैं। इसका मुख्य कारण किडनी द्वारा एक विशिष्ट अमीनो एसिड (सिस्टीन) का बहुत अधिक उत्सर्जन करना है।
किडनी स्टोन के विकास के जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों में निम्न शामिल हैं:
गुर्दे की पथरी या मूत्रमार्ग की पथरी का निदान के लिए संपूर्ण स्वास्थ्य इतिहास का मूल्यांकन और एक शारीरिक परीक्षण की आवश्यकता होती है। किडनी स्टोन की जाँच करने के लिए अन्य परीक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:
इसके अलावा रुकावट की जाँच करने के लिए निम्नलिखित परीक्षण की सहायता ली जा सकती है:
डॉक्टर पथरी के प्रकार की जाँच कर उपचार प्रक्रिया को अपना सकता है। जो लोग निर्जलित हैं या गंभीर मतली और उल्टी की समस्या से जूझ रहें हैं, उन्हें अंतःशिरा तरल पदार्थ की आवश्यकता पड़ सकती है। अन्य उपचार विकल्पों में शामिल हैं:
एक्स्ट्राकोर्पोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (Extracorporeal shock wave lithotripsy) उपचार प्रक्रिया के अन्तर्गत बड़े साइज़ के किडनी स्टोन को तोड़ने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है ताकि मूत्रवाहिनी को अधिक आसानी से पार कर सकें। यह प्रक्रिया असुविधाजनक हो सकती है। इससे पेट और पीठ पर चोट लग सकती है और किडनी के आसपास रक्तस्राव हो सकता है।
जब किडनी स्टोन का साइज़ बड़ा होता है तथा असहनीय दर्द , रुकावट और संक्रमण के कारण किडनी को नुकसान पहुँचाने का कारण बनता है तो इस स्थिति में टनल सर्जरी का सहारा लिया जाता है। इसमें एक सर्जन आपकी पीठ में एक छोटे से चीरे के माध्यम से पथरी को निकाल देता है।
जब पथरी मूत्रवाहिनी या मूत्राशय में फंस जाती है, तो डॉक्टर इसे हटाने के लिए यूरेटेरोस्कोप (ureteroscope) नामक उपकरण का उपयोग कर सकता है। इस उपचार प्रक्रिया में कैमरे से जुड़ा एक छोटा तार मूत्रमार्ग (urethra) के माध्यम से मूत्राशय (bladder) में डाला जाता है। फिर डॉक्टर एक छोटे से पिंजरे का उपयोग करके पत्थर को हटा देता है।
(और पढ़ें: इन घरेलू उपायों से अपने-आप निकल जाएगी किडनी की पथरी)
किडनी स्टोन के जोखिम को कम करने के लिए एवं इसे होने से रोकने के लिए निम्न बचाव संबंधी उपाय अपनाए जा सकते हैं:
(और पढ़े: किडनी स्टोन का हमेशा के लिए इलाज कैसे करें)
किडनी स्टोन की स्थिति में कुछ खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन आपकी पथरी को कम करने में मदद कर सकता है, जिसके अंतर्गत निम्न को शामिल किया गया है:
कम ऑक्सालेट युक्त खाद्य पदार्थ खाने से ऑक्ज्लेट वाली पथरी के विकास के जोखिम को कम किया जा सकता है। उच्च ऑक्सालेट खाद्य पदार्थ, जिनके सेवन से बचने की सलाह दी जाती है उनमें शामिल हैं:
यूरिक एसिड स्टोन की स्थिति में कुछ खाघ पदार्थ जिससे शरीर में यूरिक एसिड बढ़ सकता है, कम मात्रा में सेवन करनी की सलाह दी जाती है। इन पदार्थों में शामिल हैं:
हाँ। कई मरीजों में पथरी गोल अण्डाकर और चिकनी होती है। प्रायः ऐसी पथरी के कोई लक्षण नहीं दिखाई देते है। ऐसी पथरी मूत्रमार्ग में अवरोध कर सकती है। जिसके कारण किडनी में बनता पेशाब सरलता से मूत्रमार्ग में नहीं जा सकता है और इसके कारण किडनी फूल जाती है। यदि इस पथरी का समय पर उचित उपचार नहीं हो पाया तो लम्बे समय तक फूली हुई किडनी धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है और बाद में काम करना संपूर्ण रूप से बंद कर देती है। इस तरह किडनी खराब होने के बाद पथरी निकाल दी जाए, फिर भी किडनी के काम करने की संभावना बहुत कम रहती है।
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