knee pain in Hindi घुटने का दर्द एक आम समस्या है, जो सभी उम्र के व्यक्तियों को प्रभावित कर सकती है। आज के इस सक्रिय समाज में, घुटने की समस्याओं का उत्पन्न होना काफी चरम सीमा पर है। चोट के कारण टूटे हुए अस्थि-बंधन या नरम हड्डी में खरोंच इत्यादि के परिणामस्वरूप घुटने में दर्द उत्पन्न हो सकता है। इसके अतिरिक्त अन्य चिकित्सा सम्बन्धी स्थितियां जैसे गठिया (arthritis), गाउट और संक्रमण भी घुटने के दर्द का कारण बन सकते हैं। अतः घुटने के दर्द के विशिष्ट कारणों के अनुसार, विशिष्ट उपचार अपनाये जा सकते हैं, जिनके बारे में आज आप जानेगें। इस लेख के माध्यम आप विस्तार से जानेगें कि घुटने का दर्द क्या है, घुटने के दर्द के कारण, लक्षण, निदान, इलाज और घरेलू उपचार के बारे में।
घुटने का दर्द एक सामान्य समस्या है, जो घुटने के जोड़, फीमर, टिबिया (tibia), फिबुला (fibula), नीकेप (kneecap) या घुटने के लिगामेंट (ligaments), टेंडन (tendons) और कार्टिलेज (cartilage) आदि में से किसी को प्रभावित कर सकता है। घुटने का दर्द अनेक प्रकार के कारकों जैसे- शारीरिक गतिविधि, मोटापा और अन्य समस्याओं (जैसे पैर की चोट) आदि द्वारा ट्रिगर हो सकता है। घुटने का दर्द सभी उम्र के व्यक्तियों को प्रभावित कर सकता है। घुटने के दर्द का घरेलू उपचार दर्द को कम करने में मदद कर सकता है, लेकिन अधिक गंभीर स्थिति में इसके उपचार के लिए सर्जरी की भी आवश्यकता पड़ सकती है।
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क्रोनिक घुटने के दर्द की समस्या, लंबे समय से चले आ रहे घुटनों के दर्द, सूजन या घुटनों में संवेदनशीलता आदि लक्षणों से सम्बंधित है। घुटने के दर्द के कारणों का निर्धारण, अनुभव किए जाने वाले लक्षणों के आधार पर किया जा सकता है। कई स्थितियां क्रोनिक घुटने के दर्द का कारण बन सकती हैं। जैसे- ऑस्टियोआर्थराइटिस, टेंडिनाइटिस, बर्साइटिस, गाउट, बोन ट्यूमर इत्यादि।
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घुटने में दर्द के भिन्न-भिन्न कारणों के आधार पर, दर्द का स्थान और इसकी गंभीरता भी भिन्न-भिन्न हो सकती है। घुटने के दर्द के साथ कभी-कभी निम्न संकेतों और लक्षणों को भी महसूस किया जा सकता है, जैसे:
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घुटनों के दर्द के भिन्न भिन्न कारण हो सकते हैं। कुछ कारण अत्यधिक सामान्य और कुछ गंभीर हो सकते हैं। सामान्यतः घुटनों में दर्द की समस्या चोट, संक्रमण या अत्यधिक गतिविधि के दौरान उत्पन्न हो सकती है। घुटनों के दर्द के कारणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
बर्साइटिस (Bursitis)
एक बर्सा (bursa) एक बैग या थैली जैसा दिखाई देने वाला एक खोखला, लचीला ढांचा होता है, जो जोड़ों की ऊपरी त्वचा के नीचे तरल पदार्थ की एक छोटी मात्रा का संग्रह करके रखता है। यह जोड़ों की गतिशीलता की स्थिति में घर्षण को रोकने में मदद करता है। जोड़ों के अत्यधिक उपयोग करने, बार-बार झुकने और घुटने के बल बैठने के दौरान घुटने के ऊपर स्थित बुर्सा (bursa) क्षतिग्रस्त हो सकता है। जिससे दर्द और सूजन से सम्बंधित लक्षण प्रगट होते है। डॉक्टर द्वारा इस समस्या को बर्साइटिस (Bursitis) से संबोधित किया जाता है।
डिसलोकेटेड नाइकेप (Dislocated kneecap)
यह स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब घुटने की ऊपरी हड्डी (kneecap), अपनी स्थिति से बाहर की ओर फिसल जाती है, जिससे घुटने में दर्द और सूजन जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं। डॉक्टर इस स्थिति को “पटेलर डिसलोकेशन” (Patellar Dislocation) के नाम से भी जानते हैं।
इलियोटिबियल बैंड सिंड्रोम (iliotibial band syndrome)
इलियोटिबियल बैंड, सख्त (कठोर) ऊतक का एक टुकड़ा होता है, जो कूल्हे से घुटने के अंतिम हिस्से तक गति करता है। व्यक्ति के अति सक्रियता की स्थिति में इलियोटिबियल बैंड में समय के साथ सूजन आ सकती है। जिसके कारण घुटने के बाहरी तरफ दर्द उत्पन्न होता है।
मिनिस्कस टियर (Meniscal tear)
प्रत्येक घुटने में दो मेनिसिस (menisci) होते हैं। मेनिसिस, C-आकार की उपास्थि है, जो पिंडली और जांघ की हड्डी के बीच सहारा देने का काम करती है। अचानक मुड़ने के दौरान या घुटने की चोट के कारण मेनिसिस क्षतिग्रस्त हो सकते है तथा जोड़ों में फंस सकते हैं, जिससे घुटनों में दर्द और सूजन जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं। इस समस्या को मिनिस्कस टियर के नाम से जाना जाता है।
ऑसगुड-श्लैटर रोग (Osgood-Schlatter disease)
यह स्थिति तब होती है, जब व्यक्ति की किशोरावस्था बढ़ने के दौरान हड्डियां और घुटने के अन्य हिस्से में बदलाव होता है। इस अवस्था में अधिक व्यायाम से घुटने के ठीक नीचे के क्षेत्र, जहां घुटने की ऊपरी हड्डी (kneecap) से पिंडली की बड़ी हड्डी (shinbone) जुड़ती है, में सूजन उत्पन्न होती है। जिससे समय के साथ दर्द उत्पन्न होता है। इस स्थिति को ऑसगुड-श्लैटर डिजीज (Osgood-Schlatter disease) के रूप में जाना जाता है। यह स्थिति विशेष रूप से किशोर लड़कों और लड़कियों को प्रभावित करती है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis)
ऑस्टियोआर्थराइटिस, गठिया का एक प्रकार है जो 50 वर्ष की आयु के बाद घुटने के दर्द का एक प्रमुख कारण बनता है। यह स्थिति घुटने में दर्द या सूजन के साथ-साथ जोड़ों को हिलाने डुलाने में असमर्थता का कारण बनती है।
पेटेलर टेंडिनिटिस (Patellar tendinitis)
पेटेलर टेंडिनिटिस ,पिंडली की बड़ी हड्डी (shinbone) को घुटने की ऊपरी हड्डी (kneecap) या पटेला (patella) को जोड़ने वाले सख्त ऊतक, जिन्हें टेंडन (Tendons) कहा जाता है, में उत्पन्न होने वाली चोट है। जब व्यक्ति अधिक व्यायाम करते हैं, तो वे टेंडन में सूजन और दर्द का अनुभव कर सकते हैं। पेटेलर टेंडिनिटिस को “jumper’s knee” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह समस्या बार-बार कूदने के दौरान उत्पन्न हो सकती है।
पेटेलोफीमोरल पेन सिंड्रोम (Patellofemoral pain syndrome)
पेटेलोफीमोरल पेन सिंड्रोम की समस्या पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को अधिक प्रभावित करती है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें चोट या अत्यधिक गतिविधि के कारण घुटने की ऊपरी हड्डी (kneecap) के नीचे स्थित कार्टिलेज (cartilage) क्षतिग्रस्त हो जाता है। जिसके परिणामस्वरूप मांसपेशियों में असंतुलन, जकड़न और घुटने में दर्द आदि लक्षण प्रगट होते हैं।
सेप्टिक अर्थराइटिस (Septic arthritis)
सेप्टिक अर्थराइटिस जोड़ों का संक्रमण है, जो कभी-कभी घुटने के जोड़ को भी संक्रमित कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप सूजन, दर्द और लालिमा आदि लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। सेप्टिक अर्थराइटिस की शुरुआत अक्सर बुखार और जोड़ों में दर्द के साथ होती है। सेप्टिक गठिया कम समय में घुटने की नरम हड्डी (cartilage) को व्यापक नुकसान पहुंचा सकता है।
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अनेक प्रकार के कारक घुटने की समस्या उत्पन्न होने के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
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हालाँकि सभी घुटने का दर्द, गंभीरता का कारण नहीं बनता है। लेकिन यदि घुटने की चोट और अन्य चिकित्सा स्थितियों, जैसे कि ऑस्टियोआर्थराइटिस, को बिना उपचार के छोड़ जाए, तो यह स्थिति आगे चलकर गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती है। घुटने का दर्द निम्न जटिलताओं का कारण बन सकता है, जैसे:
घुटनों के दर्द का निदान करने के लिए प्रक्रियाओं को अपनाया जा सकता है:
शारीरिक परीक्षण (physical exam) – शारीरिक परीक्षण के दौरान, डॉक्टर घुटने की विभिन्न स्थितियों में दर्द, संवेदनशीलता और दृश्यमान चोट आदि का निरीक्षण कर सकता है। पैर की गतिशीलता के आधार दर्द और घुटने की संरचनाओं में विकृति का मूल्यांकन करने के लिए डॉक्टर पीड़ित व्यक्ति के जोड़ों को हाँथ से दबा सकता है या खींच सकता है।
इमेजिंग परीक्षण (Imaging tests) – घुटने के दर्द से सम्बंधित कुछ मामलों में, डॉक्टर इमेजिंग परीक्षण की सिफारिश कर सकता है, जैसे कि:
लैब परीक्षण (Lab tests) – घुटने के दर्द के निदान के समय यदि डॉक्टर को संक्रमण या सूजन का संदेह होता है, तो डॉक्टर पीड़ित व्यक्ति को रक्त परीक्षण की सिफारिश कर सकता है।
डॉक्टर द्वारा घुटने का दर्द के निदान के लिए कभी-कभी ऑर्थ्रोसेन्टेसिस (arthrocentesis) प्रक्रिया का उपयोग किया जा सकता है, ऑर्थ्रोसेन्टेसिस (arthrocentesis) प्रक्रिया में एक सुई की मदद से घुटने के जोड़ से तरल पदार्थ की थोड़ी सी मात्रा को निकाला जाता है और प्रयोगशाला परीक्षण के लिए भेजा जाता है। आर्थ्रोटिसिस (arthrocentesis) का उपयोग गाउट, गठिया और सिनोवियल संक्रमण (synovial infections) जैसे- सेप्टिक गठिया (Septic arthritis) के निदान में किया जाता है।
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अनेक स्थितियों में घुटने के दर्द का इलाज स्व-देखभाल और घरेलू उपायों के आधार पर किया जा सकता है। शारीरिक चिकित्सा (Physical therapy) और घुटने के ब्रेसिज़ (knee braces) भी घुटने के दर्द से राहत देने में मदद कर सकते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में, घुटने के दर्द के कारणों के आधार पर भिन्न-भिन्न उपचार प्रक्रिया को अपनाया जा सकता है, जैसे
डॉक्टर दर्द को दूर करने और अंतर्निहित स्थितियों का इलाज करने के लिए दवाओं की सिफारिश कर सकता है, जैसे कि रूमेटाइड गठिया (rheumatoid arthritis) या गाउट। ग्लूकोसामाइन (Glucosamine) और चोंड्रोइटिन (chondroitin) ऑस्टियोआर्थराइटिस की स्थिति में दर्द से राहत प्रदान करने के लिए प्रभावी हो सकती हैं।
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कुछ मामलों में डॉक्टर घुटने के दर्द के इलाज में इंजेक्ट भी दे सकते हैं। इंजेक्शन के रूप में उपयोग की जाने वाली दवाओं में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
चोट की अधिक गंभीरता की स्थिति में डॉक्टर द्वारा सर्जरी की सिफारिश की जा सकती है। सर्जिकल प्रक्रियाओं में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
घुटनों के दर्द से सम्बंधित निम्न प्रकार के लक्षण महसूस होने पर, सम्बंधित व्यक्ति को डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, जैसे:
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हालांकि प्रत्येक स्थिति में घुटने के दर्द को रोकन संभव नहीं होता है, फिर भी कुछ उपाय घुटनों में चोट लगने से बचाव करने और लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। घुटनों में दर्द के रोकथाम के लिए निम्न उपाय अपनाए जा सकते हैं:
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घुटनों में दर्द की समस्या का घर पर उपचार करने के लिए निम्न उपाय अपनाये जा सकते हैं, जैसे:
घुटनों के दर्द को कम करने तथा आराम प्रदान करने के लिए मध्यम और कम प्रभाव वाले व्यायाम को अपनाये जाने चाहिए, जिससे कि घुटनों के दर्द की गंभीरता को रोकने में मदद मिल सके। मध्यम और कम प्रभाव वाले व्यायाम में साइकिलिंग, ताई ची योग (Tai chi exercise), इत्यादि को शामिल किया जा सकता है।
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घुटनों में दर्द से राहत प्राप्त करने के लिए आइस पैक से घुटने की सिकाई करना एक उत्तम घरेलु उपाय है। इसके लिए बर्फ के टुकड़ों को तौलिया में लपेटकर लगभग 20 मिनट तक प्रभावित क्षेत्र की सिकाई की जानी चाहिए। बर्फ लगाने से घुटने के दर्द और सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है।
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घुटने के दर्द से प्रभावित हिस्से पर हीट पैक या गर्म पानी की बोतल से सिकाई करके अस्थायी दर्द से राहत प्राप्त की जा सकती है।
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घुटनों की सूजन को रोकने तथा कम करने के लिए घुटने को एक कम्प्रेशन बैंडेज से लपेटना चाहिए। ध्यान रहे कि पट्टी को इतना कसकर न लपेटें कि रक्त प्रवाह रुक जाए। इसके अतिरिक्त आराम आराम करते समय अपने पैर को ऊंचा रखें।
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ऐप्पल साइडर विनेगर में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो गठिया और अन्य प्रकार के दर्द से राहत प्रदान करने में मदद कर सकता है। अतः इसे जैतून के तेल के साथ मिलाकर प्रभावित स्थान पर मसाज की तरह इस्तमाल किया जा सकता है।
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काली मिर्च में कैप्साइसिन (capsaicin) पाया जाता है, जो प्राकृतिक दर्द निवारक है। अतः घुटनों में दर्द से राहत प्राप्त करने के लिए पीड़ित व्यक्ति जैतून के तेल और दो बड़े चम्मच काली मिर्च को मिलाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगा सकते हैं।
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अदरक, घुटने के दर्द के उपचार के लिए एक सबसे अच्छा घरेलू उपाय है। जब गठिया या मांसपेशियों में खिंचाव के कारण दर्द उत्पन्न होता है, तो कच्चे अदरक का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है।
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नींबू में पाया जाने वाला साइट्रिक एसिड घुटने के दर्द को कम करने का उत्तम घरेलु तरीका है। घुटने के दर्द से पीड़ित व्यक्ति को, नींबू के दो हिस्से करके उसे तिल के तेल (sesame oil) में डुबोकर लगभग 10 मिनट तक दर्द से प्रभावित क्षेत्र पर रगड़ना चाहिए।
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