Kulthi ki daal ke fayde aur Nuksan in Hindi कुलथी दाल के फायदे और कुलथी की दाल के नुकसान: दाल हमारे भारतीय समाज का प्रमुख खाद्य (Major food) आहार होता है जो कि हमारे शरीर के पोषण और विकास में बहुत अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। आपने अभी तक सभी प्रकार की दालों के फायदों के बारे में सुना होगा, लेंकिन क्या आपने कभी कुलथी दाल के फायदे के बारे में सुना है। अगर आप कुलथी दाल के बारे में नहीं जानते हैं तो स्वाभाविक है कि कुलथी दाल नाम सुनते ही इसे सामान्य दाल ही समझें। पर ऐसा नहीं है कुलथी दाल के फायदे और पोषक तत्वों को जानकर आप हैरान हो जाएगें।
कुलथी की दाल के फायदे वजन कम करने, पथरी को हटाने जैसी प्रमुख समस्याओं को दूर करने के लिए उपयोग किया जाता है। आइए जाने कुलथी दाल के फायदे और नुकसान के बारे में जो आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
विषय सूची
1. कुलथी दाल क्या है – What is Kulthi dal in Hindi
2. कुलथी का पौधा– Kulthi Plant in Hindi
3. कुलथी दाल के पोषक तत्व – Kulthi dal Nutritional Value in Hindi
4. कुलथी दाल के फायदे – Kulthi dal ke fayde in Hindi
5. कुलथी दाल का उपयोग कैसे करें – How to use Kulthi dal in Hindi
6. कुलथी की दाल के नुकसान – Kulthi ki dal ke Nuksan in Hindi
कुलथी दाल हमारे समाज में प्रचलित विशेष औषधीय प्रयोजनों के लिए उपयोग की जाने वाली दाल है जो कि दक्षिण भारत में विशेष रूप से उगाई जाती है। हिंदी में कुलथी, कुलथ, खरथी, गराहट, और कुल्थी के नाम से जानते हैं, इसका वैज्ञानिक नाम मैक्रोटिलोमा यूनिफ्लोरम (Macrotyloma Uniflorum) है। यह एक गहरे भूरे मसूर की तरह होता है जिसका आकार गोल और चपटा होता है। यह एक प्रकार से लगभग सेम की तरह होता है। कुलथी दाल को मवेशियों के चारे (cattle feed) और घोड़े को खिलाने के लिए के रूप में उत्पादित किया जाता है। लेकिन इसके औषधीय गुणों के कारण इसे पूरे भारत में भोजन, अंकुरित या पूरे अनाज (whole seed) के रूप में उपयोग किया जाता है।
चिकित्सकीय प्रभाव होने के कारण इसका बवासीर, एडीमा आदि के उपचार में उपयोग किया जाता है लेकिन इसे चिकित्सकीय रूप से प्रमाणित नहीं किया गया है। फिर भी इसके पोषक तत्वों (Nutrients) की मौजूदगी के कारण आयुर्वेदिक दवाओं में कुलथी दाल का उपयोग किया जाता है। आइऐ जाने कुलथी दाल के फायदे और पोषक तत्वों के बारे में।
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यह पौधा दिखने में आकर्षक होता है, जो कि वार्षिक पौधे (Annual Plant) के रूप में उगाया जाता है। यह पौधा वेल की तरह बढ़ता है लेकिन इसका आकार ज्यादा बड़ा नहीं होता है। इस पौधे में त्रिकोणीय पत्तियां होती हैं जो की 2.5 सेमी लंबी और 5 सेमी चौड़ी होती है। इसकी पत्तीयां लंबाकार या भाले के आकार (Oblong or Lanceolate) की होती है। इसमें छोटे-छोटे पीले फूल होते हैं जो कि समूहों (Clusters) में होते हैं। फूल 1.3 सेमी से 2 सेमी तक लंबे हो सकते हैं। इसकी फलियां (Pods) तलवार की म्यान (Scimitar-Shaped) की तरह संपीड़ित होते हैं जिनकी लंबाई लगभग 5 सेमी होती है। इसके बड़े बीज आकार में गोल या थोड़े चपटे हो सकते हैं। जब ये फलियां पक कर सूख जाती है तों इनके दानों का रंग काला (black when dried) हो जाता है।
यदि पोषक तत्वों (Nutrients) के आधार पर कुलथी की तुलना अन्य खाद्य अनाजों से की जाये तो यह किसी भी प्रकार से कम नहीं है। कुलथी के बीजों में प्रोटीन 25 प्रतिशत होता है जो कि सोयाबीन के लगभग आधे के बराबर होता है। अन्य दालों की अपेक्षा यह बहुत ही पौष्टिक होता है। आइए जाने कुलथी में उपस्थित पोषक तत्वों के बारे में प्रति 100 ग्राम के अनुसार :
एस्कॉर्बिक एसिड (Ascorbic Acid) और कैल्शियम की उपस्थिति के कारण कुलथी की पत्तियों का उपयोग विटामिन सी की कमी को पूरा करने के लिए किया जा सकता है।
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दुनिया भर में कुलथी को विभिन्न नामों से जाना जाता है, इसे दक्षिण भारत में कोल्लू, संस्कृत में कुलथ कालई आदि नाम से जानते हैं। सदियों से भारतीय आयुर्वेदिक वैद्यों द्वारा कुलथी दाल का उपयोग बहुत से रोगों के इलाज के लिए किया जा रहा है। कुलथी दाल के औषधीय गुणों का भारत में लंबा इतिहास है। अस्थमा, पीलिया और मूत्र संबंधी विकारों के इलाज के लिए इस पौधे के विभिन्न हिस्सों का आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा उपयोग किया जाता है। पथरी के लिए रामबाण दवा है माना जाता है आइए विस्तार से जाने कुलथी दाल के फायदे किस प्रकार प्राप्त किये जा सकते हैं।
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पारंपरिक रूप से कुलथी दाल का उपयोग गुर्दे की समस्याओं के उपचार में किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार कुलथी दाल गुर्दे के पत्थरों को नष्ट करने में मदद करती है। कुलथी दाल में मूत्रवर्धक (Diuretic) गुण होते हैं जो कि गुर्दे के पत्थरों को तोड़ने और मूत्र के साथ बाहर निकालने में मदद करते हैं। वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि कुलथी दाल गुर्दे में कैल्शियम ऑक्सलेट पत्थरों (calcium oxalate stones) के गठन को रोकते हैं।
कुलथी के बीजों को रात भर पानी में भीगनें दें और सुबह इस पानी का सेवन करें। गुर्दे के पत्थरों को दूर करने का यह सबसे प्रभावी घरेलू उपचार माना जाता है।
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महिलाओं में लोहे (Iron) की कमी को पूरा करने के लिए कुलथी दाल का उपयोग किया जाता है क्योंकि कुलथी दाल में लौह तत्व की अच्छी मात्रा मौजूद रहती है। इसके अलावा यह महिलाओं में मासिक धर्म से संबंधित समस्याओं (menstruation problems) को भी दूर करने में मदद करती है। इसका उपयोग अनियमित और भारी रक्तस्राव के लिए किया जाता है। कुलथी दाल का पानी या शोरबा (soup) महिलाओं के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। आयुर्वेद के अनुसार महिलाओं को नियमित रूप से प्रतिदिन 1 चम्मच कुलथी दाल के पाउडर का सेवन करना चाहिए।
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आयरन की अच्छी मात्रा होने के कारण कुलथी दाल को गर्भावस्था के समय पौष्टिक आहार के रूप में उपयोग किया जा सकता है। हालांकि गर्भावस्था के दौरान कुलथी दाल का सेवन करते समय सावधानी रखने की आवश्यकता होती है, क्योंकि गर्भावस्था (Pregnancy) के दौरान इसके उपयोग पर कोई अध्ययन उपलब्ध नहीं हैं। यह परंपरागत रूप से यह बिना किसी दुष्प्रभाव के भारतीय आहार का हिस्सा बन चुकी है।
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जिन पुरुषों में शुक्राणुओं (Sperms) की कमी होती है उनके लिए कुलथी दाल के फायदे किसी औषधी से कम नहीं होते हैं। कुलथी दाल में मौजूद कैल्शियम, फॉस्फोरस, लौह और एमिनों एसिड जैसे पोषक तत्व शुक्राणु उत्पादन को बढ़ावा देते हैं। आयुर्वेद के अनुसार कुलथी दाल वीर्य को पतला होने से रोकता है साथ ही वीर्य की अशुद्धियों (Impurities) को दूर करता है। कुलथी दाल पुरुषों के वीर्य (Semen) में शुक्राणुओं की संख्या और उनकी गुणवत्ता को सुधारने में मदद करता है।
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अध्ययनों से पता चलता है कि बिना पके या कच्चे कुलथी के बीजों में एंटी-हाइपरग्लेसेमिक (Anti-Hyperglycemic) गुण होते है साथ ये इंसुलिन के प्रतिरोध को भी कम करते हैं। यह संभव है क्योंकि कुलथी के बीज शरीर में हाइपरग्लेसेमिक गुणों के गठन से निपटने में सक्षम होते हैं। कुलथी के बीज शरीर में इंसुलिन के प्रतिरोध को भी कम करने में मदद करते हैं जिससे रक्त ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है। कुलथी दाल कार्ब पाचन (Carb Digestion) दर को भी कम करने में मदद करता है जिससे रक्त ग्लूकोज का स्तर कम हो सकता है। यही कारण है कि ज्यादातर मामलों में टाइप-2 मधुमेह के इलाज के लिए इसे सुपर फुड (Super Food) के रूप में उपयोग किया जाता है।
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क्या आप अपना वजन कम करना चाहते हैं। जो लोग कई प्रयासों के बाद भी वजन कम करने में सफल नहीं हो पाए हैं, उनकी मदद के लिए कुलथी दाल एक औषधीय रूप में उपलब्ध है जो वजन को कम करने में भरपूर मदद करेगा। कुलथी दाल में प्रोटीन
(Protein) अच्छी मात्रा में होता है साथ ही इसमें वसा की मात्रा कम होती है जो आपके वजन को कम करने में मदद करता है। आयुर्वेद के अनुसार शरीर में जमा वसा (Fat) को कम करने के लिए फैटी क्षेत्रों में कुलथी दाल और मक्खन के पेस्ट के साथ मालिश की जाती है। सुबह के नाश्ते के रूप में कुलथी दाल को उबाल कर सेवन किया जा सकता है जो वजन को कम करने में मदद करता है।(और पढ़े – वजन और मोटापा कम करने के लिए क्या खाएं क्या न खाए…)
आंतों के परजीवी और कीड़ों (Parasites and Worms) से छुटकारा पाने के लिए भारतीय कुलथी दाल का उपभोग बहुत ही लाभकारी होता है। इस मे उपस्थित पॉलीफेनॉल आंतों के कीड़ों को खत्म करने में मदद करते हैं। कुलथी दाल आंतों की समस्या को कम करने और पाचन को मजबूत करने में मदद करते हैं। यदि कोई पेट फूलने की समस्या से परेशान है तो कुलथी का उपभोग कर इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। कुछ अध्ययन बताते हैं कि यह आंतों के अल्सर (intestinal ulcers) के इलाज में भी सहायक होते हैं। कुल मिलाकर कुलथी दाल आपके पेट के स्वास्थ्य (Stomach health) के लिए फायदेमंद होती है।
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आप अपनी त्वचा की देखरेख करने के लिए कुलथी दाल के फायदों का उपयोग कर सकते हैं। कुलथी दाल में बंधनकारी (Astringent) गुण होते हैं जो आपकी त्वचा के इलाज में सहायक होते हैं। कुलथी दाल के पाउडर को दही और एक चुटकी हल्दी (Turmeric) के साथ अच्छी तरह से मिलाकर त्वचा मास्क बनाएं। इस पेस्ट को अपनी त्वचा पर लगाएं और इसे सूखने दें। सूखने के बाद आप इसे त्वचा से स्क्रब (Scrub) कर लें। इसका उपयोग प्राकृतिक साबुन के रूप में कर सकते हैं, यह त्वचा विकारों को दूर करता है और आपकी त्वचा को साफ कर सकता है।
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यदि आप आंख आने की समस्या (Conjunctivitis) से परेशान हैं और इसका त्वरित उपचार करना चाहते हैं तो कुलथी के फायदे प्राप्त करने के लिए इसका उपयोग करें। थोड़ें से कुलथी के बीजों को एक गिलास पानी में रात भर के लिए भीगनें दें। अगली सुबह इस पानी से अपनी आंखों को धोएं। कुलथी में मौजूद एंटीआक्सीडेंट (Antioxidant) पानी में मिलकर आपकी आंखों के संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं और आंखों के दर्द और जलन को शांत (Soothed and Calm) करते हैं। आंख आने की स्थिति में आपको इस पानी से दिन में तीन बार आंख धोना चाहिए।
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अध्ययन बताते हैं कि कुलथी दाल का उपयोग करने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है जो कि मोटापे का कारण होता है। इसमें फाइबर (Dietary Fibers) की अच्छी मात्रा मौजूद रहती है जो आंत में कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) को खत्म करने में मदद करते हैं। कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित कर कुलथी दाल आपके दिल को भी स्वस्थ बनाने में सहायक होता है।
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त्वचा के फोड़ों और चकतों (Boils and Rashes) का इलाज करने के लिए कुलथी दाल का उपयोग किया जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कुलथी में एंटीमाइक्रोबायल और जीवाणुरोधी गुण होते हैं साथ ही इसमें बहुत से खनिज पदार्थ, पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट अच्छी मात्रा में होते हैं जो त्वचा की लिपिड परतों (Lipid Layers) को स्वस्थ रखते हैं। आप कुलथी के पाउडर का भी उपयोग फोड़ों के उपचार में कर सकते हैं।
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बहुत सारे फाइबर की मौजूदगी के कारण कुलथी दाल पाचन और पेट की समस्याओं को दूर करने का सबसे अच्छा उपाय है। यह पेट के अतिरिक्त तरल को बाहर निकालने में मदद करता है। इसका सेवन करने से दस्त की समस्या का निदान किया जा सकता है और मल त्याग (Bowel Movements) को आसान बनाया जा सकता है। सुबह भींगें हुए कुलथी के बीजों का सेवन करना चाहिए जो कि आपक पाचन तंत्र को बेहतर काम करने के लिए प्रोत्साहित (Stimulates) करते हैं।
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आयुर्वेद के अनुसार कुलथी दाल विभिन्न प्रकार के अल्सर का इलाज करने में मदद करती है लेकिन गैस्ट्रिक अल्सर (Gastric Ulcers) को नहीं। कुलथी के बीजों में लिपिड होते हैं। जब कुलथी को पेप्टिक और मुंह के अल्सर (Peptic and Mouth ulcers) वाले लोगों के द्वारा खाया जाता है तो यह उनका आसानी से उपचार कर सकती है। जानवरों पर किये गए अध्ययन भी इस बात की पुष्टि करते हैं। भीगें और मसले हुए कुलथी के बीजों को दिन में दो बार सेवन करना चाहिए। यह शरीर के बहुत से अल्सरों का उपचार करने में आपकी मदद करता है।
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बवासीर तब होता है जब गुदा की नसों (Anal nerves) में सूजन हो जाती है जो कि बहुत ही पीड़ादायक होती है। बवासीर के उपचार और आयुर्वेदिक दवा विशेषज्ञ कुलथी की दाल के उपयोग की सलाह देते हैं। एक कप कुलथी की दाल को रात भर के लिए भीगनें दें और अगले दिन इस पानी को पिये और कुलथी के बीजों को सलाद की तरह कच्चे ही खाएं। इसमें उपस्थित फाइबर मोटापे को दूर करने के साथ ही बवासीर (Piles) का इलाज करने में भी मददगार होते हैं।
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मूत्र निर्वहन से पीड़ित महिलाओं को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है, यह विशेष रूप से तब होता है जब मूत्र निर्वहन मोटा (urinary discharge is thick) होता है। कुछ मामलों में मूत्र की गंध बहुत ही बुरी होती है। गर्भाशय और योनि के आसपास भी दर्द, संक्रमण और सूजन हो सकती है। ऐसा तब होता है जब झिल्ली (Membrane) के अस्तर में जलन होती है। ऐसा उस समय भी हो सकता है जब योन उत्तेजना चरम पर होती है। आयुर्वेद का मानना है कि एक कप कुलथी के बीजों को रात में भीगने दें और सुबह इन बीजों को उबालें। ऊपर बताई गई समस्याओं को दूर करने के लिए इस पानी को दिन में तीन बार सेवन करना चाहिए।
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पोषक तत्वों और एंटीन्यूट्रिएंट की अच्छी मात्रा कुलथी में मौजूद रहती है। इसमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के साथ साथ एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं। बायोएक्टिव पदार्थ जैसे कि विभिन्न एसिड, फाइबर, फेनोलिक एसिड आदि भी मौजूद होते हैं। ये बायोएक्टिव पदार्थ सामान्य सर्दी, गले में संक्रमण, बुखार, मूत्र पथ संक्रमण, अस्थमा जैसी बीमारियों को दूर करने में मदद करते हैं।
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आप कुलथी दाल का उपयोग विभिन्न प्रकार से कर सकते हैं जैसे कि :
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जैसा की आप जानते हैं कि किसी भी चीज की अधिकता नुकसानप्रद होती है चाहे वह दवा ही क्यों न हो। इसलिए कुलथी की दाल का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए। अधिक मात्रा में सेवन करने से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। साथ कुछ विशेष लोगों को कुलथी के सेवन से बचना चाहिए नहीं तो इसके दुष्प्रभाव उन लोगों के लिए गंभीर हो सकते हैं।
किसी विशेष उद्देश्य के लिए कुलथी दाल का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर या आयुर्वेदिक स्वास्थ्य सलाहकार से जरूर संपर्क करें। पूर्ण जानकारी के बिना यह आपके लिए नुकसानदायक हो सकती है।
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