कुसुम का तेल एक वनस्पतिक तेल है। जिसका उपयोग खाना पकाने और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इस तेल में ऐसे औषधीय गुण होते हैं जिसके कारण बहुत सी स्वास्थ्य समस्याओं के आयुर्वेदिक इलाज में इसका उपयोग किया जाता है। कुसुम के तेल का उपयोग वजन घटाने और त्वचा समस्याओं को दूर करने के लिए प्रभावी माना जाता है। कुछ अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि कुसुम तेल का इस्तेमाल हृदय, मस्तिष्क और रक्त वाहिकाओं के लिए भी अच्छा होता है। हालांकि पोषक तत्वों की उच्च मात्रा के कारण कुसुम तेल के फायदे और नुकसान दोनों ही होते हैं। इस लेख में हम आपको कुसुम तेल के फायदे, नुकसान और प्रयोग संबंधी जानकारी दे रहे हैं। जिससे आप भी कुसुम तेल का औषधीय लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
कुसुम का तेल कुसुम के पौधे के बीजों से प्राप्त किया जाता है। इसका वनस्पतिक नाम कार्थमस टिन्क्टरियस (Carthamus tinctorius) है। बहुत से लोग इसे नकली केसर के नाम से भी जानते हैं। यह थीस्ल जैसा पौधा (thistle plant) डेजी परिवार (Daisy family) से संबंधित है जो कि गर्म और शुष्क वातावरण में पाया जाता है। कुसुम की खेती सबसे पहले चीन, भारत, ईरान और मिस्र में की गई थी (1)। कुसुम के पौधे को मुख्य रूप से एक तिलहनी फसल के रूप में उगाया जाता है। लेकिन प्राचीन समय में कुसुम के बीजों का उपयोग आमतौर रंजक के रूप में किया जाता था। सामान्य रूप से कुसुम के फूलों का उपयोग भोजन बनाने, कपड़ों को रंगने और विभिन्न प्रकार की औषधियों को तैयार करने के लिए किया जाता था (2)। आइए जाने कुसुम के तेल संबंधी और अन्य जानकारियां क्या हैं।
सामान्य रूप से कुसुम का तेल दो प्रकार का होता है। पहला अनुपचारित बीजों से प्राप्त तेल और दूसरा उपचारित बीजों से प्राप्त तेल।
अनुपचारित बीजों से प्राप्त तेल का उपयोग कड़वा होता है। इसलिए इसका उपयोग खाद्य तेल के रूप में नहीं किया जाता है। लेकिन अनुपचारित बीजों से प्राप्त तेल को व्यवसायिक रूप से फर्श, टाइल, साबुन, पेंट विलायक आदि के उत्पादन में किया जाता है।
उपचारित बीजों से प्राप्त कुसुम के तेल का उपयोग खाद्य तेल के रूप में किया जाता है। हालांकि उपचारित कुसुम के बीज से प्राप्त तेल भी दो प्रकार के होते हैं जो दोनों ही खाद्य तेल हैं। इनमें से एक तेल मोनोअनसैचुरेटेड फैटी (monounsaturated fatty) एसिड वाला होता है और दूसरा पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी (polyunsaturated fatty) एसिड होता है।
अपने पोषक तत्वों के कारण कुसुम का तेल खाद्य तेल के रूप में बहुत ही लोकप्रिय हो रहा है। इसमें मौजूद पोषक तत्व विभिन्न प्रकार से हमें लाभ दिलाते हैं। कुसुम तेल की 100 ग्राम मात्रा में पाये जाने वाले घटक इस प्रकार हैं।
इन पोषक तत्वों की मौजूदगी ही कुसुम तेल को हमारे लिए पौष्टिक और फायदेमंद खाद्य तेल बनाती है। (3)
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खाद्य तेल के रूप में कुसुम के तेल का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन यह आसानी से सभी के लिए उपलब्ध नहीं हो पाता है। इसके अलावा औषधीय गुणों से भरपूर कुसुम के तेल की मांग भी बहुत अधिक है और उत्पादन कम होने के कारण भी यह सभी लोगों को नहीं मिल पाता है। कुसुम के तेल में मौजूद औषधीय गुण इस प्रकार हैं।
ऊपर बताए गए सभी गुण कुसुम के तेल में होते हैं। जिनके कारण यह सबसे अच्छे खाद्य तेलों में कुसुम के तेल का उपयोग किया जाता है।
कुसुम का तेल एक स्वास्थ्य वर्धक खाद्य तेल है जो दो वैरायटी में उपलब्ध होता है। उच्च-ओलेइक (high-oleic) कुसुम तेल और उच्च-लिनोलेनिक (high-linoleic) कुसुम का तेल। दोनों प्रकार के तेल हृदय संबंधी स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं और ये कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं। कुसुम के तेल में मौजूद ओमेगा-6 फैटी एसिड त्वचा संबंधी समस्याओं को प्रभावी रूप से दूर करने में मदद कर सकता हैं। आइए विस्तार से जाने कुसुम के तेल का प्रयोग हमारे लिए किस प्रकार फायदेमंद है।
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प्राकृतिक रूप से उच्च कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने वाले गुण कुसुम के तेल में होते हैं। दोनों ही प्रकार के (हाई-ओलेइक या हाई-निलोलिक) कुसुम तेल शरीर में मौजूद उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में प्रभावी हैं। इन दोनों ही तेलों में संतृप्त (saturated) वसा की मात्रा कम होती है। इसमें मौजूद लिनोलिक एसिड खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। जिससे हमारी रक्तवाहिकाओं और हृदय को स्वस्थ रखा जा सकता है। यदि आप उच्च कोलेस्ट्रॉल रोगी हैं तो अपने आहार में कुसुम के तेल को शामिल करके इसका फायदा प्राप्त कर सकते हैं। (4)
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खाद्य तेल के रूप में कुसुम तेल का उपयोग करना शरीर में कुल सीरम और खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। जिससे एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) की संभावना कम हो जाती है। यह एक ऐसी स्थिति है जहां रक्त वाहिकाओं में फैट जमा हो जाता है और स्वस्थ रक्त परिसंचरण में रूकावट बनता है। लेकिन कुसुम के तेल में मौजूद पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड (PUFA) भी एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण होने वाली सूजन संबंधी लक्षणों को कम करता है। आप भी स्वस्थ रक्त परिसंचरण बनाए रखने और रक्तचाप संबंधी समस्याओं से बचने के लिए कुसुम के तेल का प्रयोग अपनी खाद्य सामग्री में कर सकते हैं। (5)
हृदय संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए कुसुम के बीज का तेल फायदेमंद होता है। कुसुम के तेल में असंतृप्त वसा की अच्छी मात्रा होती है। यह हमारे शरीर के लिए लाभकारी फैटी एसिड का एक प्रकार है जिसकी हमें विशेष आवश्यकता होती है। यह फैटी एसिड हृदय की सूजन जैसे लक्षणों को कम करके हृदय स्वास्थ्य की रक्षा करता है। नियमित रूप से कुसुम के तेल का उपयोग करना लोगों को दिल का दौरा और स्ट्रोक जैसी समस्याओं से बचा सकता है।
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जो लोग अपने मोटापे से परेशान हैं उनके लिए कुसुम का तेल एक अच्छा विकल्प है। कुसुम के बीज से प्राप्त तेल के फायदे बॉडी फैट को कम करने में सहायक होते हैं। क्योंकि कुसुम के तेल में ओमेगा-6 फैटी एसिड की अच्छी मात्रा होती है। यह वसा शरीर में जमा होने के बजाय शरीर में अतिरिक्त वसा को जलाने में सहायक होता है। इसके अलावा कुसुम का तेल खाने के फायदे मधुमेह टाईप 2 और रजोनिवृत्ति के बाद जैसी स्थितियों के लिए भी होते हैं। हालांकि इस लाभ की सत्यता के लिए अभी और भी अध्ययनों की आवश्यकता है। लेकिन अपने औषधीय गुणों के कारण कुसुम का तेल आपके वजन में कटौती कर सकता है। (6)
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डायबिटीज के लक्षणों को कम करने में कुसुम के तेल का इस्तेमाल आपकी मदद कर सकता है। नियमित रूप से कुसुम का तेल उपयोग करने से यह शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित कर सकता है। इस प्राकृतिक तेल में पॉलीअनसेचुरेटेड (polyunsaturated) फैटी एसिड की अच्छी मात्रा होती है जो इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाने में मदद करता है। कुसुम के तेल में ओमेगा-6 फैटी एसिड रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है। इसलिए मधुमेह रोगी भी उचित स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए कुसुम तेल को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं।
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कई अध्ययनों से पता चलता है कि कुसुम का तेल उपयोग करने पर यह कैंसर के प्रभाव को कम कर सकता है। अध्ययनों के अनुसार कुसुम के तेल का सेवन करने पर चूहों में स्तन कैंसर और यकृत कैंसर के लक्षणों को कम पाया गया। इसके अलावा नियमित सेवन करने पर यह चूहों में कोलन ट्यूमर के विकास को भी कम कर दिया। हालांकि मानवों पर इस प्रकार के अध्ययन नहीं किये गए हैं। लेकिन चूहों पर कुसुम तेल के प्रभाव सकारात्मक हैं। इसलिए ऐसी संभावना है कि कुसुम तेल के लाभ मानव शरीर पर भी समान प्रभाव डाल सकते हैं। (7)
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त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए भी कुसुम तेल के लाभ होते हैं। इसमें मौजूद लिनोलेनिक शरीर की खुजली को दूर करने में मदद कर सकते हैं। कुसुम के तेल को त्वचा में लगाने पर यह त्वचा को मॉइस्चराइज करता है और प्रुरिटस (Pruritus) को रोकता है। आप अपने नहाने के पानी में भी कुसुम के तेल को मिला सकते हैं। इस पानी से स्नान करने पर यह त्वचा में मौजूद सभी अशुद्धियों को दूर करने में मदद सकता है। त्वचा में खरोंच या खुजली के कारण आने वाले निशानों से बचने के लिए भी कुसुम तेल का प्रयोग किया जा सकता है। कुसुम तेल लगाने से इन निशानों को हल्का किया जा सकता है।
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मासिक धर्म के दौरान कुछ महिलाओं को गंभीर दर्द और ऐंठन जैसी समस्याएं होती हैं। ऐसी स्थिति का उपचार करने के लिए कुसुम के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है। कुसुम के तेल में लिनोलिक एसिड (linoleic acid) होता है जो मासिक धर्म के दौरान हार्मोनल उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने में सहायक होता है। इसके अलावा नियमित रूप से उपयोग करने पर यह पीएमएस (PMS) लक्षणों की गंभीरता को भी कम कर सकता है। जिन महिलाओं को मासिक धर्म संबंधी समस्याएं होती हैं उनके लिए कुसुम का तेल का सेवन करना एक अच्छा उपचार विकल्प हो सकता है।
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क्या आप बार-बार कब्ज होने की समस्या से परेशान हैं। ऐसी स्थिति में कुसुम का तेल आपकी मदद कर सकता है। कुसुम का तेल बड़ी आंत के लिए स्नेहक के रूप में कार्य करता है जिसमें हल्के पेट साफ करने वाले गुण (mild laxative) भी होते हैं। कुसुम के तेल का सेवन करना पेट और आंतों को मजबूत करके पाचन में सहायक होता है। यदि दैनिक आहार में कुसुम के तेल का उपयोग किया जाता है तो यह लीवर और प्लीहा वृद्धि को भी नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
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घाव या चोट आदि का उपचार करने के लिए कुसुम का तेल एक अच्छा विकल्प है। लगातार कुछ दिनों तक कुसुम तेल का उपयोग करने से आपको लाभ मिल सकता है। लेकिन गंभीर घाव या चोट आदि में इस तेल का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें। क्योंकि यदि घाव गंभीर है और उसे ठीक से साफ नहीं किया गया है तो यह तेल समस्या को और अधिक बढ़ा सकता है। कुसुम के तेल में पर्याप्त एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो बैक्टीरिया के संक्रमण और हानिकारक फ्री रेडिकल्स से होने वाले संक्रमणों से भी बचाता है।
त्वचा सौंदर्य को बनाए रखने के लिए कुसुम के तेल का इस्तेमाल अच्छा माना जाता है। हम जानते हैं कि कुसुम के तेल में लिनोलिक एसिड होता है जो त्वचा की गुणवत्ता और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक होता है। लिनोलिक एसिड सीबम के साथ मिलकर रोम छिद्रों को बंद कर सकते हैं। जिससे ब्लैकहेड्स को कम करने में मदद मिल सकती है। खुले हुए रोम छिद्र मुंहासे और अन्य त्वचा संक्रमण का भी कारण होते हैं। जानकारों का मानना है कि कुसुम के तेल का प्रयोग नई त्वचा कोशिकाओं के विकास में भी सहायक होता है। यदि आप भी अपनी त्वचा को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो अपने आहार के साथ ही त्वचा में लगाने के लिए कुसुम के तेल का उपयोग कर सकते हैं। (8)
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प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने के कारण अधिकांश लोग अक्सर बीमार रहते हैं। लेकिन यदि आप अपनी प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाना चाहते हैं तो कुसुम के तेल उपयोग कर सकते हैं। कुसुम के तेल का इस्तेमाल करने पर यह प्रोस्टाग्लैंडिंस (prostaglandins) के कार्य को विनियमित करने में मदद करता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को कम करने और शरीर की कोशिकाओं को क्षति को भी कम करने में सहायक होता है।
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कुसुम के बीज से निकाला गया तेल ओलिक एसिड (oleic acid) से भरपूर होता है। यह बालों और स्कैल्प स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। कुसुम के तेल का उपयोग सिर की ऊपरी त्वचा को मॉइस्चराइज रखता है रक्त पसिंचरण को बढ़ावा देता है। जिससे बालों की वृद्धि को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। नियमित रूप से बालों में कुसुम के तेल का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार की हेयर प्रोब्लम को भी दूर करने में सहायक हो सकता है। यही कारण है कि विभिन्न प्रकार के बाल संबंधी उत्पादों में कुसुम तेल का इस्तेमाल किया जाता है। (9)
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गठिया संबंधी दर्द और सूजन का उपचार करने के लिए कुसुम के तेल के फायदे होते हैं। यह गठिया का आयुर्वेदिक उपचार करने का सबसे अच्छा तरीका है। कुसुम के तेल से जोड़ों की मालिश मालिश करने से गठिया के दर्द और सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा चोट के कारण त्वचा की कोशिकाओं में आने वाली सूजन को भी कुसुम के तेल का प्रयोग करके कम किया जा सकता है। यदि आप भी गठिया या अन्य चोट की सूजन से परेशान हैं तो कुसुम तेल की मालिश कर सकते हैं। यह आपको दर्द और सूजन से आराम दिला सकता है।
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सामान्य रूप से कुसुम के तेल को खाद्य तेल के रूप में उपयोग किया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगंठन (WHO) के अनुसार ओमेगा-6 फैटी एसिड दैनिक ऊर्जा की खपत का लगभग 5 से 8 प्रतिशत तक लिया जाना चाहिए। इसके अनुसार एक वयस्क व्यक्ति को रोजाना 6 से 10 ग्राम हाई-लिनोलिक कुसुम के बीज का तेल खाना सुरक्षित है।
कुसुम का तेल औषधीय गुणों और पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य तेल है। अधिकांश लोगों के लिए मौखिक रूप से सेवन करने पर कुसुम तेल सुरक्षित होता है। लेकिन अधिक मात्रा में सेवन करने के दौरान इसके कुछ संभावित दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसलिए इस तेल को अधिक मात्रा में आहार के साथ लेना नुकसानदायक हो सकता है।
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