Kwashiorkor in hindi क्वाशियोरकर तीव्र कुपोषण (acute malnutrition) का एक रूप है। यह रोग बच्चों और वयस्कों दोनों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन प्रोटीन की कमी से पीड़ित बच्चों में यह समस्या बहुत आम है। क्वाशिओरकोर एक गंभीर समस्या है। ज्यादातर लोग इसका जल्दी इलाज किये जाने पर पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, लेकिन उपचार के अभाव में क्वाशियोरकर बच्चों की मौत का कारण भी बन सकती है। अतः इसका इलाज और बचाव किया जाना आवश्यक हो जाता है। आज के इस लेख में आप जानेंगे कि क्वाशियोरकर क्या है, क्वाशियोरकर रोग के लक्षण, कारण, इलाज और बचाव के बारे में।
1. क्वाशियोरकर क्या है – What is kwashiorkor in Hindi
2. क्वाशियोरकर और मरास्मस में अंतर – kwashiorkor and marasmus difference in Hindi
3. क्वाशियोरकर के कारण – Kwashiorkor causes in Hindi
4. क्वाशियोरकर के लक्षण – kwashiorkor symptoms in Hindi
5. क्वाशियोरकर का निदान – Kwashiorkor diagnosis in Hindi
6. क्वाशियोरकर रोग का इलाज – kwashiorkor treatment in Hindi
7. क्वाशियोरकर की जटिलताएं – Kwashiorkor complication in Hindi
8. क्वाशियोरकर की रोकथाम – Kwashiorkor prevention in Hindi
क्वाशियोरकर (Kwashiorkor) को “एडेमेटस कुपोषण” (edematous malnutrition) के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि इसका संबंध एडिमा (edema) के साथ होता है। क्वाशिओरकोर एक पोषण की कमी से होने वाला विकार है, जो अक्सर अकाल से प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों को अधिक प्रभावित करता है। क्वाशिओरकोर आहार में प्रोटीन की कमी से संबन्धित कुपोषण का एक प्रकार है। क्वाशिओरकोर (Kwashiorkor) को अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे:- प्रोटीन कुपोषण, घातक कुपोषण या प्रोटीन-कैलोरी कुपोषण इत्यादि।
यदि किसी भी बच्चे में क्वाशिओरकोर (kwashiorkor) से संबन्धित लक्षण देखे जाते हैं, तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाने और चिकित्सकीय उपचार प्रदान करने की आवश्यकता होती है।
क्वाशियोरकर के इलाज में देरी होने पर गंभीर जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिसमें कोमा और स्थायी रूप से मानसिक और शारीरिक विकलांगता शामिल है। इसके अलावा क्वाशियोरकर का समय पर उपचार न किए जाने पर बच्चों के लिए जानलेवा हो सकता है। अर्थात यह रोग अंग विफलता और मृत्यु का भी कारण बन सकता है।
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मरासमस तीव्र कुपोषण (acute malnutrition) का सबसे आम रूप है। छोटे बच्चों और शिशुओं को मरास्मस अधिक प्रभावित करता है। मरास्मस के लक्षणों में वजन घटना, निर्जलीकरण, डायरिया और पेट में सिकुड़न आदि को शामिल किया जाता है। भोजन की कमी तथा अकाल की स्थिति मरास्मस की समस्या का मुख्य कारण बनती है, जबकि क्वाशियोरकर (Kwashiorkor) उन लोगों में विकसित होता है, जिनके पास प्रोटीन की गंभीर रूप से कमी पाई जाती है। अर्थात ऐसे आहार का सेवन जिसमें मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रेट उपस्थित हो, क्वाशियोरकर स्थिति का कारण बन सकता है। क्वाशियोरकर के मुख्य लक्षणों में एडिमा या सूजन, पेट में उभार, वजन बढ़ने में असमर्थता इत्यादि को शामिल किया जाता है।
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प्रोटीन या पोषक तत्वों की कमी वाले आहार का सेवन क्वाशिओरकोर का कारण बनता है। अतः क्वाशियोरकर गंभीर रूप से प्रोटीन की कमी के परिणामस्वरूप होता है। इसके अतिरिक्त कैलोरी की कमी भी इसका कारण बन सकती है।
प्रोटीन शरीर में द्रव संतुलन बनाए रखने का महत्वपूर्ण कार्य करता है। अतः प्रोटीन की कमी के कारण द्रव शरीर के ऐसे क्षेत्रों में स्थानांतरित हो जाता है, जहां इसे नहीं होना चाहिए। जिसके कारण सूजन या एडिमा की समस्या उत्पन्न होती है।
क्वाशियोरकर आमतौर पर 4 साल से कम उम्र के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को अधिक प्रभावित करता है। किसी क्षेत्र की खाद्य आपूर्ति को प्रभावित करने वाली प्राकृतिक आपदा या सूखे की स्थिति के बाद भी कुछ लोग क्वाशियोरकर का अनुभव कर सकते हैं।
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कुछ स्थितियों में क्वाशियोरकर (Kwashiorkor) से पीड़ित बच्चे अक्सर बहुत पतले होते हैं। क्वाशियोरकर के सामान्य लक्षणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
बच्चा एक सामान्य वजन या मोटा दिखाई दे सकता है, लेकिन यह मोटापन तरल पदार्थ के कारण सूजन के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है और वसा या मांसपेशियां उपस्थित नहीं होती हैं।
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यदि डॉक्टर को मरीज के लक्षणों को देखकर क्वाशियोरकर (kwashiorkor) होने का संदेह होता है, तो नैदानिक प्रक्रिया में पहले लीवर बढ्ने (हेपेटोमेगाली) की समस्या और सूजन की जांच करने के लिए परीक्षण किए जा सकते है। कुपोषण और प्रोटीन की कमी के संकेतों का निदान करने के लिए रक्त और मूत्र परीक्षण का भी सहारा लिया जा सकता है। इसके अलावा अन्य परीक्षण मांसपेशियों की हानि, किडनी के कार्य, समग्र स्वास्थ्य और शारीरिक विकास का आकलन कर सकते हैं। इन परीक्षणों में शामिल हैं:
डॉक्टर क्वाशियोरकर की स्थिति का निदान करने के लिए मरीज की त्वचा पर घावों या दाने के साथ-साथ पैरों, पैर के पंजे, चेहरे और बाहों पर एडिमा की तलाश करेगा।
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क्वाशियोरकर का प्राथमिक इलाज अधिक मात्रा में प्रोटीन और कैलोरी के सेवन द्वारा किया जा सकता है। इलाज के दौरान सर्वप्रथम कार्बोहाइड्रेट, शर्करा और वसा के रूप में अधिक कैलोरी का सेवन कराया जाता है। एक बार कैलोरी के माध्यम से उचित ऊर्जा की पूर्ति होने के बाद मरीज को खाद्य पदार्थों के माध्यम से प्रोटीन का सेवन करने की सिफ़ारिश की जाती है। क्वाशियोरकर की स्थिति में लंबे समय तक उचित पोषण के बिना रहने के कारण कैलोरी की मात्रा को धीरे-धीरे बढ़ाये जाने की सलाह दी जाती है, एकाएक अधिक मात्रा में भोजन की सिफ़ारिश नहीं की जाती है। उपचार प्रक्रिया के माध्यम से मरीज को ठीक होने के लिए लंबा समय लग सकता है। डॉक्टर दैनिक आहार में लम्बे समय तक विटामिन और खनिज पूरक को भी शामिल करने की सिफारिश कर सकता है।
ध्यान रखे क्वाशियोरकर (Kwashiorkor) की स्थिति में कई बच्चे लैक्टोज असहिष्णुता के लक्षणों को भी विकसित कर सकते हैं। अतः इस स्थिति में उपचार के तहत दूध उत्पादों के सेवन से बचने या एंजाइम लेने की सिफ़ारिश की जा सकती है।
इसके अतिरिक्त, क्वाशियोरकर की गंभीर स्थिति में निम्न रक्तचाप और उच्च हृदय गति के साथ-साथ सदमे जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, तो इनके उपचार में दवा लेने की सिफ़ारिश की जा सकती है। क्वाशियोरकर के रोगी का एंटीबायोटिक दवाओं के साथ संक्रमण का इलाज किया जा सकता है।
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क्वाशियोरकर से पीड़ित बच्चे उपचार के बाद भी अपनी पूर्ण शारीरिक और मानसिक वृद्धि तथा ऊंचाई को प्राप्त नहीं कर सकते हैं। यदि उपचार सहायता बहुत देर से प्रदान की जाये, तो बच्चों में स्थायी शारीरिक और मानसिक विकलांगता उत्पन्न हो सकती है।
यदि क्वाशियोरकर को अनुपचारित छोड़ दिया जाये, तो यह स्थिति कोमा, सदमे या मृत्यु का कारण बन सकती है।
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क्वाशियोरकर की रोकथाम का सबसे उचित प्रयास, पर्याप्त कैलोरी और प्रोटीन युक्त भोजन का सेवन करना है। प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
इसके अतिरिक्त क्वाशियोरकर की रोकथाम के लिए इसके लक्षणों का समय पर निदान और उपचार किया जाना चाहिए है। निर्जलीकरण की समस्या को रोकने के लिय पर्याप्त पेय पदार्थों का सेवन किया जाना चाहिए।
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