kya pregnancy me periods hote hai Hindi आमतौर पर हर महिला यह जानती है कि प्रेगनेंसी में पीरियड नहीं होते हैं और प्रेगनेंसी में पीरियड होना खतरे का संकेत माना जाता है। लेकिन ज्यादातर महिलाएं यह नहीं जानती हैं कि प्रेगनेंसी के दौरान हल्की ब्लीडिंग होती है जिसमें चिंता करने की कोई बात नहीं होती है। इस आर्टिकल में हम आपके संदेह को दूर करने के लिए यह बताने जा रहे हैं कि क्या प्रेगनेंसी में पीरियड होना ठीक है, प्रेगनेंसी के पहले महीने और पहली तिमाही में ब्लीडिंग होने का क्या मतलब होता है और जब प्रेगनेंसी के दौरान ब्लीडिंग हो तो आपको क्या करना चाहिए।
विषय सूची
1. प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होना क्या ठीक है – Is It Normal to Have a Period During Pregnancy in Hindi
2. क्या प्रेगनेंट होने के बाद भी पीरियड आता है – Period during pregnancy in Hindi
3. प्रेगनेंसी के पहले महीने में ब्लीडिंग होने के कारण – Causes of bleeding during First month in Hindi
4. प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में ब्लीडिंग होने के कारण – Causes of bleeding during First trimester in Hindi
5. प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग हो तो क्या करें – What to do for bleeding in pregnancy in Hindi
आमतौर पर प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होना सामान्य माना जाता है। इसका कारण यह है कि प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के गर्भावस्था हार्मोन बनते हैं जो महिला के मासिक धर्म को रोकने का कार्य करते हैं लेकिन जब ये हार्मोन मासिक धर्म को दबा पाने में असफल हो जाते हैं तो महिला को रक्तस्राव होता है और आमतौर पर यह कई दिनों तक होता है लेकिन बहुत हल्का होता है। यदि ब्लीडिंग हल्की है तो गर्भाशय में विकसित हो रहे भ्रूण को इससे कोई नुकसान नहीं होता है लेकिन यदि यह ब्लीडिंग मासिक धर्म की तरह तेज और लगातार हो रही हो तो यह इस बात का संकेत है कि आपकी प्रेगनेंसी खतरे में है।
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जब कोई महिला प्रेगनेंट होती है तब अंडाशय में अंडोत्सर्ग (ovulate) होना बंद हो जाता है जिसके कारण उसे मासिक धर्म नहीं होता है। मासिक धर्म सिर्फ उसी स्थिति में होता है जब महिला गर्भवती न हो। हालांकि यह सच है कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को हल्की ब्लीडिंग होती है लेकिन यह मासिक धर्म के कारण नहीं होता है।
प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को होने वाली ब्लीडिंग को डेसिड्यूअल ब्लीडिंग (decidual bleeding) कहते हैं। डेसिड्यूअल ब्लीडिंग इसलिए होती है क्योंकि गर्भावस्था के शुरूआत के कुछ महीनों में गर्भाशय की परत फैलती है जिसके कारण जिसके कारण योनि से खून निकलता है और गर्भवती महिलाएं इसे मासिक धर्म समझ लेती हैं जबकि यह ब्लीडिंग मासिक धर्म के कारण नहीं होती है।
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गर्भवती महिला को गर्भावस्था के पहले महीने में जो ब्लीडिंग होती है उसे इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग कहते हैं। जब फर्टिलाइज अंडा गर्भवती महिला के गर्भ में प्रत्यारोपित होता है तो उस दौरान महिला को इम्पलांटेशन ब्लीडिंग होती है लेकिन इसका प्रवाह कम होता है। हालांकि गर्भावस्था के पहले महीने में महिला अपनी प्रेगनेंसी महसूस नहीं कर पाती है इसलिए ब्लीडिंग से संबंधित ज्यादातर समस्याओं का सामना उसे गर्भावस्था के पहली तिमाही के दौरान करना पड़ता है।
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गर्भावस्था के पहली तिमाही में आमतौर पर 25 से 30 प्रतिशत महिलाओं को रक्तस्राव होता है। लेकिन यह ब्लीडिंग बहुत हल्की होती है और मासिक धर्म से बहुत अलग होती है। जब नाल (uterus) गर्भाशय में प्रत्यारोपित होता है तो पहली तिमाही में इसी कारण से महिला को रक्तस्राव होता है जो कि आमतौर पर सामान्य माना जाता है।
इसके अलावा गर्भवती महिलाएं गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं (cervical cells) में भी बदलाव का अनुभव करती हैं जिसके कारण गर्भावस्था के दौरान हल्की ब्लीडिंग होती है, यह ब्लीडिंग विशेषरूप से सेक्स करने के दौरान होती है।
पहली तिमाही में गर्भवती महिला को रक्तस्राव होने के और भी कई कारण होते हैं।
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गर्भावस्था में रक्तस्राव होने से कोई भी महिला घबरा सकती है। लेकिन घबराने के बजाय ब्लीडिंग को ध्यानपूर्वक देखकर पहले अनुमान लगाना चाहिए कि यह ब्लीडिंग माहवारी की तरह है उससे अलग। यदि ब्लीडिंग असामान्य हो तो महिला को बिना देर किये तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए लेकिन यदि ब्लीडिंग बहुत मामूली हो तो उसे ये काम करना चाहिए।
प्रेगनेंसी के दौरान हल्की ब्लीडिंग होना लाजमी है। इस स्थिति में डॉक्टर आमतौर पर गर्भवती महिला को पर्याप्त आराम करने की सलाह देते हैं। वैसे तो कुछ दिनों तक पर्याप्त बेड रेस्ट करने से ही ब्लीडिंग रूक जाती है। लेकिन यदि इसके बाद भी ब्लीडिंग न रूके तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
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यदि आप प्रेगनेंट हैं और इस दौरान आपको ब्लीडिंग हो रही हो तो सबसे पहले आपको यह सलाह दी जाती है कि अपनी प्रेगनेंसी के दौरान कोई भी भारी सामान न उठाएं और न ही कोई भारी काम करें। जैसे सीढ़ियां न चढ़ें, तेज न चलें, दौड़ें नहीं और न ही कोई वजनदार चीज अपने हाथों से उठाएं। क्योंकि गर्भावस्था में इस तरह के काम करने से गर्भाशय पर दबाव बनता है जिसके कारण गर्भनाल की नाजुक परतें और रक्तवाहिकाएं टूट जाती हैं और इसके कारण ब्लीडिंग होने लगती है।
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प्रेगनेंसी के दौरान संभव हो तो यौन संबंध न बनाएं। इसका कारण यह है कि इस स्थिति में सेक्स करने से योनि से रक्तस्राव बहुत तेजी से होने लगता है जो आप और आपके बच्चे दोनों की सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। यदि प्रेगनेंट हैं तो जब तक डॉक्टर इंटरकोर्स करने की सलाह न दें, इससे पूरी तरह परहेज करें और ब्लीडिंग बंद हो जाने के बाद भी कम से कम दो से चार हफ्तों तक सेक्स न करें।
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जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं कि प्रेगनेंसी में होने वाली ब्लीडिंग मासिक धर्म के कारण नहीं होती है इसलिए यदि गर्भावस्था में आपको ब्लीडिंग हो तो टैम्पोन का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें अन्यथा गर्भाशय ग्रीवा में चोट लग सकती है या योनि की दीवारों से ब्लीडिंग अधिक हो सकती है। इस दौरान योनि के माध्यम से गर्भाशय में गंभीर संक्रमण भी हो सकता है।
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गर्भावस्था में यदि ब्लीडिंग शुरू हो जाए तो आपको पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। इसका कारण यह है कि इस दौरान ब्लीडिंग तभी होती है जब शरीर में तरल पदार्थों की मात्रा कम हो जाती है। पर्याप्त पानी पीने से गर्भवती महिला के शरीर में द्रव की पूर्ति हो जाती है जो मां और शिशु दोनों के स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है।
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