laparoscopy in Hindi लेप्रोस्कोपिक सर्जरी इन हिंदी, लैप्रोस्कोपी एक प्रकार की सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें पेट या श्रोणि (pelvis) के अंदर विकसित होने वाली स्थितियों की जाँच करने के लिए उपयोग में ली जाती है। इसके अतिरिक्त लैप्रोस्कोपी का उपयोग आंतरिक अंगों के क्षतिग्रस्त हिस्सों की मरम्मत करने या हटाने के लिए भी किया जा सकता है। यह ओपन सर्जरी के जोखिमों से बचने के लिए बहुत आवश्यक हो सकती है। यह प्रक्रिया आंतरिक भागों को देखने की सुविधा प्रदान करती है, तथा इससे जोखिमों का खतरा भी बहुत कम होता है। इसलिए इसे “न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी” (minimally invasive surgery) के रूप में भी जाना जाता है।
आज के इस लेख में आप जानेंगे कि लेप्रोस्कोपी (laparoscopy) क्या है, इसकी तैयारी कैसे की जाती है, तथा इसकी प्रक्रिया, परिणाम और कीमत कितनी होती है के बारे में।
विषय सूची
लैप्रोस्कोपी(Laparoscopy), जिसे डायग्नोस्टिक लैप्रोस्कोपी (diagnostic laparoscopy) के रूप में भी जाना जाता है, एक सर्जिकल नैदानिक प्रक्रिया है, जिसका उपयोग पेट के अंदर के अंगों की जांच करने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया का उपयोग मुख्य रूप से श्रोणि (pelvis), गर्भाशय (uterus) और मूत्राशय (urinary bladder) के विकारों और रोगों के निदान के लिए किया जाता है। यह एक कम जोखिमदायक या न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है, जिसमें केवल बहुत छोटे (0.5 इंच) चीरों की आवश्यकता होती है। लैप्रोस्कोपी को कभी-कभी “न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी” (minimally invasive surgery) या “बैंड-ऐड सर्जरी” (band-aid surgery) भी कहा जाता है।
लेप्रोस्कोपी (Laparoscopy) के अंतर्गत पेट के अंगों को देखने के लिए लैप्रोस्कोप नामक एक उपकरण का उपयोग किया जाता है। लेप्रोस्कोप एक लंबी, पतली ट्यूब है जिसके सिरे पर एक उच्च-तीव्रता वाला प्रकाश और उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरा लगा होता है। इस उपकरण को पेट की दीवार में एक छोटा सा चीरा लगाकर अन्दर डाला जाता है। इस उपकरण में लगे कैमरे की मदद से बहार स्थित मॉनीटर पर छवियों को प्रदर्शित किया जाता है।
लैप्रोस्कोपी (laparoscopy) डॉक्टर को ओपन सर्जरी के बगैर ही शरीर के अंदर देखने की अनुमति प्रदान करती है। डॉक्टर इस प्रक्रिया के दौरान बायोप्सी परीक्षण के लिए ऊतक का नमूने भी प्राप्त कर सकता है।
लैप्रोस्कोपी (laparoscopy) प्रक्रिया से पहले, टेस्ट की तैयारी करने के लिए सम्बंधित व्यक्ति को अपने द्वारा ली जाने वाली किसी भी प्रकार की ओवर-द-काउंटर दवाओं या सप्लीमेंट के बारे में डॉक्टर को जानकारी देनी आवश्यक होती है। चूँकि ये दवाएं लैप्रोस्कोपी के परिणाम को प्रभावित कर सकती है, डॉक्टर द्वारा इन दवाओं को छोड़ने या बदलने की सिफारिश की जा सकती है। लेप्रोस्कोपी से कम से कम आठ घंटे पहले सम्बंधित व्यक्ति को डॉक्टर की सिफारिश पर खाना-पीना छोड़ने की आवश्यकता पड़ सकती है।
यदि जो महिलाएं गर्भवती हैं या जिन्हें गर्भवती होने की सम्भावना हो, तो डॉक्टर को इसकी सूचना देनी चाहिए। लैप्रोस्कोपी (laparoscopy) से पहले, डॉक्टर कुछ परीक्षणों की भी सिफारिश कर सकता है। ये परीक्षण डॉक्टर को लेप्रोस्कोपी के दौरान असामान्यता को सही तरीके से समझने में मदद कर सकते हैं। अतः प्रक्रिया से पहले निम्न परीक्षणों को शामिल किया जा सकता है:
रक्त परीक्षण (blood tests)
यूरिनलिसिस (urinalysis)
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (electrocardiogram (EKG or ECG))
छाती का एक्स-रे (chest X-ray)
अल्ट्रासाउंड (ultrasound)
सीटी स्कैन (CT scan)
एमआरआई स्कैन (MRI scan)
लैप्रोस्कोपी (laparoscopy) आमतौर पर एक अस्पताल या एक आउट पेशेंट सर्जिकल सेंटर में की जा सकता है। लैप्रोस्कोपी सर्जरी के दौरान मरीज को एनेस्थीसिया (anesthesia) दिया जाता है, जिससे मरीज बेहोश हो जाता है और सर्जरी के दौरान किसी भी प्रकार का दर्द महसूस नहीं होता है।
कुछ मामलों में, लोकल एनेस्थीसिया का उपयोग क्षेत्र को सुन्न करने के लिए किया जा सकता है, इससे सर्जरी के दौरान मरीज जाग सकता है लेकिन किसी भी तरह के दर्द को महसूस नहीं करेगा।
लेप्रोस्कोपी के दौरान, सर्जन मरीज के पेट में एक छोटा सा चीरा लगता है, और फिर एक छोटी ट्यूब को डाला जाता है, जिसे कैनुला (cannula) कहा जाता है। कैनुला (cannula) का उपयोग पेट को कार्बन डाइऑक्साइड गैस को प्रवाहित कर फुलाने के लिए किया जाता है। यह गैस प्रक्रिया के दौरान पेट के अंगों को अधिक स्पष्ट रूप से देखने की अनुमति प्रदान करती है। इसके बाद सर्जन मरीज के पेट में एक और चीरा लगाकर लेप्रोस्कोप को डालता है। लैप्रोस्कोप (laparoscope) में लगा कैमरा, बाहर रखी स्क्रीन पर पेट के आंतरिक भागों की छवियों को प्रदर्शित करता है, जिसका अवलोकन सर्जन द्वारा किया जाता है।
इसके अलावा अन्य उपकरणों को डालने के लिए भी चीरे लगाये जा सकते हैं। उदाहरण के लिए, बायोप्सी के लिए ऊतक नमूना लेना।
नैदानिक प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद, सभी उपकरणों को हटा दिया जाता है। कार्बन डाइऑक्साइड गैस को बहार निकलकर, चीरे को टांके या सर्जिकल टेप की मदद से बंद कर दिया जाता है।
लेप्रोस्कोपी प्रक्रिया के बाद, रोगी एनेस्थेसिया (anesthesia) के प्रभाव के कारण थका हुआ महसूस कर सकता है। अधिकांश स्थितियों में मरीज लेप्रोस्कोपी सर्जरी के दिन ही अस्पताल से घर जा सकता है, लेकिन कुछ मामलों में, मरीज को अस्पताल में भर्ती रहने की आवश्यकता होती है।
लेप्रोस्कोपिक प्रक्रिया (laparoscopic procedure) के बाद, मरीज पेट में लगाये गये चीरों के आसपास दर्द महसूस कर सकता हैं। इसके अतिरिक्त कंधे में भी दर्द को महसूस किया जा सकता है। अतः इस स्थिति में डॉक्टर से संपर्क जरुर करें।
लेप्रोस्कोपिक प्रक्रिया के बाद ज्यादातर लोग जल्दी ठीक हो जाते हैं। रिकवरी में लगने वाला समय मरीज की मेडिकल स्थिति और स्वास्थ्य देखभाल पर निर्भर करता है।
लेप्रोस्कोपी (laparoscopy) प्रक्रिया के बाद निम्नलिखित लक्षणों के विकसित होने पर तुरंत डॉक्टर डॉक्टर से परामर्श लें, जैसे:
लैप्रोस्कोपी (laparoscopy) प्रक्रिया के अंतर्गत दो प्रकार के परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं, सामान्य परिणाम (Normal results) और असामान्य परिणाम (Abnormal results) ।
सामान्य परिणाम पेट के रक्तस्राव, हर्निया (hernias) और आंतों की रुकावटों (intestinal blockages) की अनुपस्थिति का संकेत देते हैं, अर्थात मरीज के सभी अंग स्वस्थ हैं।
लैप्रोस्कोपी से प्राप्त असामान्य परिणाम कुछ विभिन्न प्रकार की समस्याओं की ओर संकेत करते हैं, जिनमें शामिल हैं:
लैप्रोस्कोपी के बाद रिकवरी में प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग-अलग समय लगता है। रिकवरी में लगने वाला समय विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है, जैसे- प्रक्रिया की गंभीरता, मरीज की स्वास्थ्य स्थिति और जटिलताओं पर।
यदि कुछ स्थिति का निदान करने के उद्देश्य से लैप्रोस्कोपी (laparoscopy) की गई है, तो मरीज को सामान्य गतिविधियों को फिर से शुरू में लगभग 5 दिनों का समय लग सकता है।
यदि लैप्रोस्कोपी (laparoscopy) के तहत की समस्या का इलाज किया गया है तो लैप्रोस्कोपी के बाद रिकवरी का समय, किये गए उपचार पर निर्भर करता है। अपेंडिक्स हटाने के लिए की गई लैप्रोस्कोपी सर्जरी के बाद मरीज को सामान्य गतिविधियों को प्रारंभ करने में 3 सप्ताह का समय लग सकता है। कैंसर के कारण अंडाशय या किडनी को हटाने के बाद मरीज को रिकवरी के लिए 12 सप्ताह तक का समय लग सकता है।
मरीज को लैप्रोस्कोपी (laparoscopy) के बाद अपनी सामान्य गतिविधियों को प्रारंभ करने के लिए डॉक्टर या सर्जन के द्वारा सलाह दी जाएगी।
लेप्रोस्कोपी (laparoscopy) को कई स्वास्थ्य स्थितियों के कारणों का निदान करने के उद्देश्य से प्रयोग में लाया जाता है, इसके तहत कुछ स्थितियों में उपचार प्रक्रिया को भी शामिल किया जा सकता है। लैप्रोस्कोपी द्वारा निदान या उपचार की जाने वाली समस्याओं के अंतर्गत निम्न को शामिल किया जाता है:
डायग्नोस्टिक लेप्रोस्कोपी (Diagnostic Laparoscopy) – नैदानिक लेप्रोस्कोपी के तहत निम्न समस्याओं का निदान किया जा सकता है:
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी (Laparoscopic Surgery) – लेप्रोस्कोपिक सर्जरी निम्न समस्याओं के उपचार को ध्यान में रखते हुए की जा सकती है:
किसी भी सर्जिकल प्रक्रिया (surgical procedure) के साथ लैप्रोस्कोपी का उपयोग करने से अनेक प्रकार के लाभ देखने को मिलते हैं। ओपन सर्जरी की तुलना में लैप्रोस्कोपी करते समय कुछ स्पष्ट लाभ निम्न प्रकार हैं:
लैप्रोस्कोपी (laparoscopy) के जोखिम कारकों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
लेप्रोस्कोपी (laparoscopy) के बाद तेजी से रिकवरी करने के लिए एक स्वास्थ्य एवं संतुलित आहार का सेवन करना आवश्यक होता है। मरीज अपने आहार की जानकारी डॉक्टर से प्राप्त कर सकता है। लेप्रोस्कोपी आहार के रूप में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
लेप्रोस्कोपी (laparoscopy) सर्जरी के बाद असंतुलित आहार का सेवन अनेक प्रकार की समस्याओं को उत्पन्न कर सकता है। अतः इस स्थिति में कुछ खाद्य पदार्थों के सेवन से बचने की सलाह दी जाती है, जिनमें शामिल हैं:
लेप्रोस्कोपी (laparoscopy) की कीमत इसके द्वारा किये जाने वाले नैदानिक कार्य और उपचार के आधार पर भिन्न भिन्न होती है। केवल शारीरिक स्वास्थ्य जाँच के लिए इसकी कीमत, इसके द्वारा किये जाने उपचार की अपेक्षा बहुत कम होती है। एक सामान्य लेप्रोस्कोपी की कीमत Rs. 30,000 से Rs. 4,00,000 तक हो सकती है।
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