कुष्ठ रोग (leprosy) एक संक्रामक बीमारी है जो धीमी गति से विकसित होने वाले बैक्टीरिया माकोबैक्टीरियम लेप्री (Mycobacterium leprae) के कारण होता है। कुष्ठ रोग को हैनसेन रोग (Hansen’s disease) भी कहा जाता है क्योंकि इसी नाम के वैज्ञानिक ने 1873 में कुष्ठ रोग का पता लगाया था। आज आप जानेंगे कुष्ठ रोग के कारण, लक्षण, इसकी पहचान, यह रोग कैसे फैलता है और कुष्ठ रोग की बीमारी का इलाज क्या है और कुष्ठ रोग से बचाव के बारे में।
कुष्ठ रोग का बैक्टीरिया छड़ी के आकार(rod-shaped) का होता है। कुष्ठ रोग सिर्फ त्वचा को ही नहीं बल्कि यह नसों (nerves) की सतह, ऊपरी श्वास नलिका और आंखों को भी प्रभावित करता है। यदि इस रोग का इलाज न किया जाए तो स्नायु कमजोर, त्वचा भद्दी, स्थायी रूप से नसें क्षतिग्रस्त हो सकती हैं और पैरों में सनसनाहट (sensation) खत्म होकर सुन्नता उत्पन्न हो सकती है।
1. कुष्ठ रोग होने के कारण – Causes of leprosy in Hindi
2. कुष्ठ रोग के लक्षण – Symptoms of leprosy in Hindi
3. कुष्ठ रोग की जाँच – Diagnosis of leprosy in Hindi
4. कुष्ठ रोग का इलाज – Treatment of Leprosy in Hindi
5. कुष्ठ रोग से बचाव – Leprosy Prevention in Hindi
kushtarog ke karan in hindi कुष्ठरोग आमतौर पर दो प्रकार का होता है। ट्यूबरकुलॉयड पहले प्रकार का कुष्ठ रोग और लैप्रोमैटस दूसरे प्रकार का कुष्ठ रोग है। दूसरे प्रकार का कुष्ठरोग अधिक घातक होता है और इसके कारण शरीर की त्वचा में बड़े-बड़े उभार और गांठे बन जाती हैं।
कुष्ठरोग संक्रामक बीमारी है इसलिए यह छींक और खांसी से निकलने वाली नाक के तरल पदार्थ की बूंदों (droplets) के फैलने के कारण अन्य व्यक्ति को भी हो जाता है। हालांकि यह बीमारी कुष्ठ रोगी को छूने से किसी अन्य व्यक्ति को नहीं होती है।
कुष्ठ रोग के जोखिम इस प्रकार हैं-
kushtarog ke lakshan in hindi कुष्ठ रोग का बैक्टीरिया शरीर में बहुत धीरे-धीरे विकसित होता है इसलिए शरीर में कुष्ठ रोग के लक्षण दिखाई देने में 2 से 10 साल लग सकते हैं। आमतौर पर मनुष्य के शरीर में दिखाई देने वाले कुष्ठ रोग के लक्षण निम्न हैं।
leprosy/कुष्ठ रोग का निदान मरीज के शरीर में दिखने वाले लक्षणों और त्वचा की स्थिति के आधार पर किया जाता है। डॉक्टर मरीज के स्किन परीक्षण को न्यूरोलॉजिक परीक्षण करते हैं। इसके अलावा प्रयोगशाला में स्किन बायोप्सी (skin biopsy) भी की जाती है। कुछ मामलों में मरीज का ब्लड टेस्ट, नाक के द्रव का टेस्ट और नर्व बायोप्सी भी की जाती है। निदान के आधार पर कुष्ठ रोगी का इलाज शुरू किया जाता है।
kushtarog ka ilaj in hindi डब्ल्यूएचओ ने 1995 में कुष्ठ रोग के इलाज के लिए एक मल्टीड्रग थेरेपी विकसित किया। यह हर जगह निशुल्क उपलब्ध है। इसके साथ ही कुष्ठ रोग के इलाज के लिए रोगी को एंटीबायोटिक्स दी जाती है जो कुष्ठ रोग के बैक्टीरिया को मारने में मदद करती है। आमतौर पर मरीज को डैप्सोन (dapsone), रिफैम्पिन (rifampin), क्लोफाजामिन (clofazamine), मिनोसाइक्लिन (minocycline) आदि दवाएं दी जाती हैं।
कभी-कभी डॉक्टर मरीज को एक ही समय एक से अधिक एंटीबायोटिक्स लेने की सलाह देते हैं। इसके अलावा वे एस्पीरिन, प्रेडनिसोन जैसी एंटीइंफ्लैमेटरी दवाएं लेने की भी सलाह देते हैं।
leprosy/कुष्ठ रोग के मरीज को इन दवाओं की पहली खुराक देने के बाद मरीज के शरीर से संक्रमण समाप्त हो जाता है और अब यह बीमारी दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती है।
ऊपर के लेख में आपने जाना कुष्ठ रोग के लक्षण, कारण, इसकी पहचान, यह रोग कैसे फैलता है और कुष्ठ रोग की बीमारी का इलाज क्या है और कुष्ठ रोग से बचाव kushtarog ke karan, lakshan, ilaj aur bachav in hindi के बारे में।
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