किसी व्यक्ति के रक्त में सफेद रक्त कोशिकाओं (ल्यूकोसाइट्स) की संख्या में कमी को चिकित्सा के क्षेत्र में ल्यूकोपेनिया कहा जाता है। सफेद रक्त कोशिकाएं संक्रमण और बीमारियों से लड़ने में शरीर की मदद करती हैं। ल्यूकोपेनिया से पीड़ित व्यक्ति में रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी के कारण संक्रमण जैसी बीमारियों का उच्च जोखिम होता है। आमतौर पर, वयस्कों के प्रति माइक्रोलीटर रक्त में 4,000 से कम श्वेत रक्त कोशिकाओं की गिनती अनेक प्रकार की बीमारी का कारण बन सकती है। बीमारियों के जोखिम को कम करने के लिए ल्यूकोपेनिया का समय पर निदान किया जाना आवश्यक होता है। इस लेख में आप ल्यूकोपेनिया के बारे में सारी जानकारी प्राप्त करेगें, जैसे ल्यूकोपेनिया क्या है, इसके कारण, लक्षण, प्रकार, जांच, इलाज, बचाव और ल्यूकोपेनिया में क्या खाएं और क्या नहीं इत्यादि।
ल्यूकोपेनिया एक ऐसी स्थिति है, जहां किसी व्यक्ति के ब्लड में श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या कम होती है, जिसके फलस्वरूप संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। ल्यूकोपेनिया का निदान एक रक्त परीक्षण की सहायता से किया जाता है, जिसे पूर्ण रक्त गणना या सीबीसी (Complete blood count) परीक्षण कहा जाता है।
व्यक्ति के रक्त कई प्रकार की रक्त कोशिकाएं पाई जाती हैं। श्वेत रक्त कोशिकाएं को ल्यूकोसाइट्स (leukocytes) के रूप में भी जानी जाती हैं, जो संक्रमण से लड़ने में मदद करती हैं। ल्यूकोसाइट्स प्रतिरक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इसलिए ल्यूकोपेनिया को ल्यूकोसाइट्स की कमी के रूप में भी जाना जाता है।
श्वेत रक्त कोशिकाओं की नार्मल रेंज प्रति माइक्रोलीटर रक्त में 4000 और 11,000 के बीच होती है। अतः एक रक्त परीक्षण के दौरान प्रति माइक्रोलीटर रक्त में 4,000 से कम श्वेत रक्त कोशिकाओं (WBC) का प्राप्त होना, ल्यूकोपेनिया की ओर इशारा होता है। जिसका अर्थ यह हो सकता है, कि शरीर संक्रमण से लड़ने में सक्षम नहीं है।
व्यक्ति के रक्त में पाँच प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाएं पाई जाती है, जो इस प्रकार हैं: न्यूट्रोफिल, लिम्फोसाइट, मोनोसाइट्स (monocytes), इयोस्नोफिल्स (eosinophils), बासोफिल्स (basophils)। अतः विशेष प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका में कमी के आधार पर ल्यूकोपेनिया पाँच प्रकार का होता है, जिनमें शामिल हैं:
न्यूट्रोपेनिया (neutropenia) – न्यूट्रोफिल सफेद रक्त कोशिकाएं का 55 से 70 प्रतिशत हिस्सा हैं, जो फंगल और बैक्टीरियल संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करती हैं। रक्त में न्यूट्रोफिल (neutrophils) की कमी से उत्पन्न होने वाली ल्यूकोपेनिया की स्थिति को न्यूट्रोपेनिया (neutropenia) के रूप में जाना जाता है। न्यूट्रोफिल में कमी ल्यूकोपेनिया सबसे आम कारण है।
लिम्फोसाइटोपेनिया (lymphocytopenia) – ल्यूकोपेनिया एक अन्य सामान्य प्रकार लिम्फोसाइटोपेनिया है, जो रक्त में लिम्फोसाइट्स की कमी के कारण उत्पन्न होता है। लिम्फोसाइट्स सफेद रक्त कोशिका का ही एक प्रकार है, जो वायरल संक्रमण से शरीर की रक्षा करती हैं।
मोनोसाइटोपेनिया (Monocytopenia) – रक्त में उपस्थित मोनोसाइट्स (monocytes) नामक श्वेत रक्त कोशिकाओं के सामान्य स्तर में कमी की स्थिति को मोनोसाइटोपेनिया कहा जाता है। मोनोसाइट्स बैक्टीरिया, कवक और वायरस से शरीर को सुरक्षित रखने में मदद करती हैं।
बासोपेनिया (basopenia or basocytopenia) – किसी व्यक्ति के रक्त में बासोफिल्स (basophils) नामक श्वेत रक्त कोशिकाओं में कमी की स्थिति को बासोपेनिया के नाम से जाना जाता है। एक स्वस्थ व्यक्ति के प्रति माइक्रोलीटर रक्त में 0 से 3 बेसोफिल पाई जाती हैं। बासोफिल्स (basophils), एलर्जी से सम्बंधित सूजन की समस्याओं से सुरक्षा प्रदान करती हैं।
इओसिनोपेनिया (eosinopenia) – रक्त में इओसिनोफिल्स (eosinophils) के सामान्य स्तर की कमी को इओसिनोपेनिया कहा जाता है। इओसिनोफिल्स परजीवी (parasites) संक्रमण से शरीर की सुरक्षा करती हैं।
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न्यूट्रोपेनिया और ल्यूकोपेनिया शब्द को अक्सर एक दूसरे के स्थान पर उपयोग किया जाता है। लेकिन यह देनों ही परिस्थितियां थोड़ी अलग-अलग हैं। ल्यूकोपेनिया शब्द का उपयोग किसी भी प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका में कमी के लिए किया जाता है। जबकि न्यूट्रोपेनिया, ल्यूकोपेनिया का ही प्रकार है, लेकिन इस शब्द का उपयोग विशेष रूप से न्यूट्रोफिल में कमी के लिए उपयोग किया जाता है। न्यूट्रोफिल सबसे सामान्य प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाएं होती है।
श्वेत रक्त कोशिका की संख्या में कमी के कोई विशिष्ट लक्षण नहीं हैं। हालांकि ल्यूकोपेनिया (सफेद रक्त कोशिकाओं की कमी) वाले व्यक्ति को संक्रमण होने का अधिक जोखिम होता है, जिससे निम्न प्रकार के लक्षण प्रगट हो सकते हैं:
कुछ स्वास्थ्य समस्याएं अस्थि मज्जा में सफेद रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में हस्तक्षेप करके ल्यूकोपेनिया (सफेद रक्त कोशिका के स्तर में कमी) का कारण बन सकती हैं। जबकि अन्य समस्याएं श्वेत रक्त कोशिकाओं के नष्ट होने का कारण बनती हैं। कुछ विशेष उपचार और दवाओं के परिणामस्वरूप भी ल्यूकोपेनिया की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
निम्न स्वास्थ्य समस्याएं ल्यूकोपेनिया या ल्यूकोसाइट्स की कमी (leukocytes Deficiency) का कारण बन सकती हैं, जैसे:
वायरल संक्रमण (Viral infections) – एक्यूट वायरल संक्रमण, जैसे सर्दी और इन्फ्लूएंजा के कारण अस्थायी ल्यूकोपेनिया उत्पन्न हो सकता है। एक वायरल संक्रमण की स्थिति बहुत कम समय में ही अस्थि मज्जा (bone marrow) में सफेद रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को नुकसान पहुंचा सकती है।
रक्त कोशिका और अस्थि मज्जा की स्थिति (Blood cell and bone marrow conditions) – ल्यूकोपेनिया का कारण बनाने वाली ब्लड सेल और अस्थि मज्जा की समस्याओं में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
कैंसर (Cancer) – ल्यूकेमिया (Leukemia) और अन्य प्रकार के कैंसर, अस्थि मज्जा को नुकसान पहुंचा सकते हैं और ल्यूकोपेनिया का कारण बन सकते हैं।
संक्रामक रोग (Infectious diseases) – ल्यूकोपेनिया का कारण बनने वाले संक्रामक रोगों में निम्न को शामिल किया जाता है, जैसे:
ऑटोइम्यून विकार (Autoimmune disorders) – कुछ ऑटोइम्यून डिसऑर्डर, सफेद रक्त कोशिकाओं या अस्थि मज्जा कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाते हैं, और श्वेत रक्त कोशिकाओं में कमी (ल्यूकोपेनिया) का कारण बनते हैं, जिनमें शामिल हैं:
जन्मजात विकार (Birth disorders) – कुछ जन्मजात विकार, अस्थि मज्जा को प्रभावित कर ल्यूकोपेनिया का कारण बन सकते हैं, इन रोगों में निम्न को शामिल किया जाता है:
कुपोषण (Malnutrition) – कुछ विटामिन और खनिज की कमी ल्यूकोपेनिया का कारण बन सकती है। पोषण की कमी से सम्बंधित निम्न विटामिन और खनिज के अपर्याप्त स्तर को शामिल किया जाता है, जैसे:
कैंसर का उपचार सम्बंधित व्यक्ति में श्वेत रक्त कोशिका की संख्या को प्रभावित कर सकता है, और ल्यूकोपेनिया का कारण बन सकता है। अतः सफेद रक्त कोशिकाओं की कमी का कारण बनने वाली उपचार प्रक्रियाओं में शामिल हैं:
श्वेत रक्त कोशिकाओं में कमी (ल्यूकोपेनिया) का कारण बनने वाली दवाओं में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
नोट:- ऊपर दी गई दवाओं का सेवन सावधानीपूर्वक और डॉक्टर के परामर्श के आधार पर करना चाहिए।
(और पढ़ें: सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या कैसे बढ़ाएं)
सफेद रक्त कोशिकाओं की कमी (ल्यूकोपेनिया) की कुछ सबसे गंभीर जटिलताओं में शामिल हैं:
सफेद रक्त कोशिकाओं में कमी (ल्यूकोपेनिया) की स्थिति में आमतौर पर कोई विशिष्ट ध्यान देने योग्य लक्षण प्रगट नहीं होते हैं। इसलिए डॉक्टर ल्यूकोपेनिया का निदान करने के लिए रक्त परीक्षण की मदद लेगा। रक्त परीक्षण के अंतर्गत निम्न को शामिल किया जा सकता है:
आमतौर पर ल्यूकोपेनिया का उपचार इस बात पर निर्भर करता है, कि रक्त में किस प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका कम है और इसकी कमी का कारण क्या है। यदि कोई दवा ल्यूकोपेनिया का कारण बनती है, तो डॉक्टर इस दवा के सेवन से परहेज करने की सलाह दे सकता है या फिर अन्य दवा की सिफारिश कर सकता है।
ल्यूकोपेनिया (सफेद रक्त कोशिकाओं के स्तर में कमी) के इलाज के लिए निम्न प्रक्रियाओं को अपनाया जा सकता है:
दवाएं (Medications) – श्वेत रक्त कोशिकाओं के अधिक निर्माण के लिए डॉक्टर द्वारा कुछ दवाओं की सिफारिश की जा सकता है। इसके अतिरिक्त श्वेत रक्त कोशिकाओं में कमी (ल्यूकोपेनिया) का कारण बनने वाले जीवाणु संक्रमण (bacterial infections) और फंगल इन्फेक्शन (fungal infections) का इलाज करने के लिए क्रमशः एंटीबायोटिक और एंटीफंगल दवाओं के सेवन की सलाह दी जा सकती है।
उपचार को रोकना (Stopping treatments) – यदि कीमोथेरेपी जैसी अन्य उपचार प्रक्रिया, ल्यूकोपेनिया का कारण बनती हैं, तो शरीर में श्वेत रक्त कोशिकाओं के अधिक उत्पादन के लिए डॉक्टर की सलाह पर इन उपचार को रोकने की आवश्यकता पड़ सकती है।
वृद्धि कारक (Growth factors) – आनुवंशिक या कीमोथेरेपी के कारण उत्पन्न ल्यूकोपेनिया की स्थिति में ग्रेन्यूलोसाइट कॉलोनी-स्टिमुलेट फैक्टर (Granulocyte colony-stimulating factor) और अन्य ग्रोथ फैक्टर, अस्थि मज्जा को सफेद रक्त कोशिकाओं के अधिक उत्पादन के लिए उत्तेजित कर सकते हैं।
आहार (Diet) – इम्युनोकॉम्प्रोमाइज्ड या प्रतिरक्षादमनकारी आहार (immunocompromised diet), लो-बैक्टीरियल डाइट (low-bacterial diet) या न्यूट्रोपेनिया डाइट (neutropenic diet) भी कहा जाता है। इस आहार की सिफारिश भोजन से कीटाणुओं को प्राप्त करने की संभावना को कम करने और प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करने के लिए की जाती है।
डॉक्टर ल्यूकोपेनिया (श्वेत रक्त कोशिकाओं में कमी) की रोकथाम और घरेलू उपचार के लिए कुछ सुझाव दे सकता है। ल्यूकोपेनिया के जोखिम को कम करने और इसकी रोकथाम के लिए निम्न उपाय अपनाए जा सकते हैं, जैसे:
सफेद रक्त कोशिकाओं की कमी (ल्यूकोपेनिया) की स्थिति में उपचार के दौरान निम्न खाद्य पदार्थों के सेवन की सलाह दी जा सकती है, जिनमें शामिल हैं:
श्वेत रक्त कोशिकाओं में कमी (ल्यूकोपेनिया) की स्थिति में अस्वास्थकर पदार्थों का सेवन जोखिम दायक हो सकता हैं। अतः ल्यूकोपेनिया से पीड़ित व्यक्ति के लिए निम्न खाद्य पदार्थों के सेवन से परहेज करने की सलाह दी जाती है, जिनमें शामिल हैं:
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