Liver Cirrhosis in Hindi लीवर सिरोसिस यकृत कैंसर के बाद होने वाली सबसे गंभीर बीमारी है, लीवर सिरोसिस एक ऐसी स्थिति होती है जहां ऊतकों पर बनने वाले निशान (scar tissue) धीरे-धीरे स्वस्थ लीवर कोशिकाओं की जगह ले लेते है। लीवर सिरोसिस एक प्रगतिशील बीमारी है, जो कई वर्षों तक धीरे-धीरे विकसित होती रहती है। यदि इस बीमारी का इलाज ना किया जाये तो ऊतकों पर बनने वाले निशान का निर्माण होता रहेगा और अंततः यह लीवर के कार्य को बाधित कर देता है जिससे लीवर काम करना बंद कर देता है। यदि लीवर को लम्बे समय तक किसी वजह से नुकसान होता है तब लिवर सिरोसिस की समस्या उत्पन्न होती है।
जब स्वस्थ लीवर के ऊतक नष्ट हो जाता है और उसकी जगह फाइबर तंतु (scar tissue) उत्पन्न हो जाते है, तो स्थिति बहुत गंभीर हो जाती है, क्योंकि यह लीवर के माध्यम से रक्त के प्रवाह (blood flow) को अवरुद्ध करना शुरू कर देते है। आज इस लेख में हम जानेंगे की लीवर सिरोसिस क्या होता है और इसके लक्षण कारण जांच इलाज जटिलताएं और बचाव क्या है।
लीवर सिरोसिस की स्थिति तब उत्पन्न होती जब स्कार्रिंग (scarring) यानि फाइब्रोसिस (fibrosis) की वजह से लीवर के ऊतकों में परेशानी उत्पन्न हो जाये और वह क्रोनिक स्टेज पर पहुँच जाये। लीवर में यह समस्या ज्यादा शराब पीने से या पहले की कोई लीवर की बीमारी की वजह से उत्पन्न होती है और वह सिरोसिस में बदल जाती है। अगर आपका लीवर ज्यादा शराब पीने या अन्य किसी बीमारी की वजह से बार बार ख़राब होता है तो उसे रिपेयर करने में लीवर को समय लगता है जिसकी वजह से उस जगह पर स्कार टिश्यू (scar tissue) पैदा हो जाते है जो लीवर के काम में बाधा उत्पन्न करते है जिसकी वजह से लीवर काम करना बंद कर देता है। और जैसे-जैसे सिरोसिस बढ़ता है, अधिक से अधिक स्कार टिश्यू बनते हैं, जिससे लिवर के कार्य करने में कठिनाई होती है जिसे विघटित सिरोसिस (decompensated cirrhosis) कहा जाता है।
एडवांस्ड लिवर सिरोसिस जीवन के लिए खतरा बन सकता है। सिरोसिस से होने वाला लीवर डैमेज को रोका तो नही जा सकता है लेकिन अगर लीवर सिरोसिस का निदान जल्दी किया जाता है और कारणों का पता लगा कर उसका भी इलाज सही समय पर किया जाता है, तो आगे की क्षति को सीमित किया जा सकता है और फिर शायद कभी लीवर सिरोसिस की समस्या वापस लौट कर ना आये।
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लीवर सिरोसिस के शुरुआती चरणों के दौरान कोई खास लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। हालांकि, लीवर पर जैसे जैसे स्कार टिश्यू जमा होते जाते है, वैसे वैसे लीवर की ठीक से काम करने की क्षमता कम होती जाती है।
लीवर सिरोसिस के कुछ सामान्य संकेत और लक्षण हो सकते हैं-
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इन सभी लक्षणों का कारण लीवर सिरोसिस हो सकता है, परन्तु यह सभी लक्षण किसी अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या के भी हो सकते है।
नोट- यह सभी लक्षण किसी अन्य बीमारी के भी हो सकते है इसलिए ऐसे कोई लक्षण दिखाई दे तो अपने डॉक्टर से संपर्क करे और उचित जांच करवाकर ही इलाज करवाएं।
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लीवर सिरोसिस के तीन मुख्य चरण होते है जिन्हें स्केल-पुग स्कोर नामक पैमाने पर वर्गीकृत किया गया है और वह है-
डॉक्टरों ने भी सिरोसिस को दो चरण में बताया है-
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रोगों और स्थितियों की एक बड़ी श्रृंखला लीवर को नुकसान पहुंचा सकती है और सिरोसिस का कारण बन सकती है।
लीवर सिरोसिस के कारणों में शामिल हैं–
इन सभी कारणों से लीवर सिरोसिस होने की संभावना बढ़ जाती है और इसके कई गंभीर और घातक परिणाम हो सकते है।
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लीवर सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारी के लिए कुछ जोखिम कारक भी जिम्मेदार हो सकते है जैसे-
बहुत अधिक शराब का सेवन – अत्यधिक शराब का सेवन करना सिरोसिस के लिए एक बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण जोखिम कारक है।
वजन ज़्यादा बढ़ना – मोटे होने के कारण उन स्थितियों का खतरा भी बढ़ जाता है जो सिरोसिस की वजह से हो सकती हैं, जैसे कि नॉनअल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज (nonalcoholic fatty liver disease) और नॉनअल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (nonalcoholic steatohepatitis)
वायरल हैपेटाइटिस होने से – क्रोनिक हेपेटाइटिस से पीड़ित होने वाले हर व्यक्ति को सिरोसिस की बीमारी हो यह जरुरी नहीं है, लेकिन यह लीवर की बीमारी होने के लिए दुनिया के प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है।
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लीवर सिरोसिस की वजह से कई तरह की जटिलताएं उत्पन्न होती है जिसकी वजह से लीवर सिरोसिस की बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को बहुत कष्ट सहना पड़ता है, लीवर सिरोसिस से होने वाली जटिलताएं है- सिरोसिस की जटिलताओं में शामिल हो सकते हैं:
सिरोसिस लीवर में आने वाले रक्त के सामान्य प्रवाह को धीमा कर देता है, और इस प्रकार उन वेंस (veins) में दबाव बढ़ जाता है जो आंतों और स्प्लीन (spleen) से लीवर में रक्त लाती है।
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पोर्टल वेंस में दबाव बढ़ने से पैरों (edema) और पेट (ascites) में तरल पदार्थ जमा हो जाता है। पैरों और पेट पर दबाव पड़ने की वजह लीवर जो रक्त प्रोटीन बनाता है जैसे एल्ब्यूमिन, को बनाने में अक्षम हो जाता है।
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पोर्टल हाइपरटेंशन की वजह से भी स्प्लीन में सूजन आ सकती है और सफेद रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स में बदलाव का कारण भी बन सकता है। रक्त में सफेद रक्त कोशिकाओं (white blood cells) और प्लेटलेट्स (platelets) की कमी भी सिरोसिस का पहला संकेत हो सकता है।
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पोर्टल हाइपरटेंशन रक्त को छोटी नसों में वापस भेजता है जिससे सिरोसिस की समस्या उत्पन्न होती है। अतिरिक्त दबाव पड़ने से ये छोटी नसें तनावग्रस्त होकर फट सकती हैं, जिससे गंभीर रक्तस्राव (bleeding) हो सकता है। पोर्टल हाइपरटेंशन की वजह से वेंस में सुजन और ग्रासनल (esophageal varices) या पेट (gastric varices) के बढ़ने के कारण हो सकता है और इससे आपको भयानक रक्तस्राव भी हो सकता है। यदि लीवर पर्याप्त मात्रा में थक्के कारक नहीं बना सकता है, तो यह रक्तस्राव निरंतर होता रहेगा।
यदि आपको सिरोसिस है, तो आपके शरीर को किसी भी प्रकार के संक्रमण से लड़ने में कठिनाई हो सकती है। जलोदर (ascites) बैक्टीरिया पेरिटोनिटिस (bacterial peritonitis) का कारण बन सकता है और एक गंभीर संक्रमण पैदा कर सकता है।
सिरोसिस की वजह से आपके शरीर को पोषक तत्वों को बनाने में और ज्यादा कठिनाई हो सकती है जिससे आपको कमजोरी हो सकती है और वजन भी कम हो सकता हैं।
सिरोसिस से क्षतिग्रस्त हो चुका लीवर रक्त से विषाक्त पदार्थों को साफ करने में सक्षम नहीं होता है जैसे एक स्वस्थ लीवर कर सकता है। जिसकी वजह से ये विषाक्त पदार्थ मस्तिष्क में निर्माण कर लेते हैं और मानसिक भ्रम और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई जैसी समस्याओं का कारण बनते हैं। समय के साथ, हिपेटिक एन्सेफैलोपैथी की वजह से असंयम (unresponsiveness) या कोमा की स्थिति पैदा हो सकती है।
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पीलिया की समस्या तब होती है जब रोगग्रस्त लीवर आपके रक्त से पर्याप्त बिलीरुबिन (bilirubin), रक्त अपशिष्ट (blood waste) जैसे उत्पादों को नहीं निकाल पाता है। पीलिया के कारण त्वचा में पीलापन आता है और आँखे सफेद हो जाती है और मूत्र का रंग काला हो जाता है।
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सिरोसिस से पीड़ित लोगों की हड्डीयां बहुत कमजोर हो जाती हैं और उन्हें फ्रैक्चर होने का अधिक खतरा होता है।
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जिन लोगों में लिवर कैंसर विकसित होता है उनमे पहले से सिरोसिस के लक्षण मौजूद होते है।
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वैसे तो सिरोसिस के कोई शुरूआती लक्षण साफ समझ नहीं आते है पर सिरोसिस का पता ज्यादातर तब चलता है जब रोगी किसी और स्थिति या बीमारी के लये जांच करवाता है, इसलिए कुछ निम्न लक्षण दिखाई देने पर तुरन्त अपने डॉक्टर से संपर्क करें-
आपका डॉक्टर आपकी जांच करेगा और महसूस करेगा की हैं कहीं लीवर के क्षेत्र के आसपास कुछ बड़ी सी चीज तो महसूस नहीं हो रही है। इसके आलावा डॉक्टर कुछ जांचे भी कर सकते है, जैसे-
रक्त परीक्षण में यह नापते हैं कि लीवर अच्छी तरह काम कर रहा है या नहीं। यदि एलेनिन ट्रांसएमिनेस (alanine transaminase) (ALT) और एस्पार्टेट ट्रांसएमिनेस (aspartate transaminase) (AST) का स्तर बहुत अधिक होता है, तो रोगी को हेपेटाइटिस हो सकता है।
अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन या एमआरआई स्कैन का उपयोग यह देखने के लिए किया जाता है कि लीवर बड़ा हुआ हो नहीं है और किसी भी प्रकार की स्कारिंग या नोड्यूल तो नहीं दिखाई दे रहा हैं।
इस प्रक्रिया में लीवर कोशिकाओं का एक छोटा सा नमूना निकाला जाता है और उसकी माइक्रोस्कोप में जांच की जाती है। बायोप्सी से सिरोसिस और इसके कारण की पुष्टि हो सकती है।
इस प्रक्रिया में डॉक्टर एक लंबे, पतले ट्यूब को एक लाइट और वीडियो कैमरा के साथ अंत में सम्मिलित करता है जो अन्नप्रणाली और पेट में जाता है। इसके द्वारा डॉक्टर सूजन वाली रक्त वाहिकाओं की जांच करते है जो सिरोसिस का कारण बन सकते है।
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लीवर सिरोसिस के उपचार के लिए यह देखना जरुरी है की आपके लीवर में कितनी क्षति हुए है और उसकी कितनी सीमा है। यदि आपके लीवर को गंभीर क्षति पहुंची है तो आपको अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है।
प्रारंभिक सिरोसिस में, अंतर्निहित कारणों का इलाज करके लीवर के नुकसान को कम किया जा सकता है। इसमें शामिल है-
अधिक शराब के उपयोग से लीवर सिरोसिस का खतरा रहता है इसलिए शराब पीने वाले लोगों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। यदि शराब का उपयोग रोकना मुश्किल हो रहा हो, तो आपका डॉक्टर आपको शराब की लत छुड़ाने के लिए उपचार कार्यक्रम की सलाह दे सकता है। यदि आपको पहले से लीवर सिरोसिस की समस्या है, तो शराब ना पीना महत्वपूर्ण है, क्योंकि ऐसे समय में कम मात्रा में शराब पीना भी लीवर के लिए विषाक्त हो सकता है।
जिन लोगों को लीवर सिरोसिस की समस्या है वह यदि आप अपना वजन कम कर लेते हैं और अपने ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करते हैं, तो वह लोग जीवन भर स्वस्थ रह सकते है।
लीवर की कोशिकाओं को होने वाली क्षति को नियंत्रित करने के लिए हेपेटाइटिस बी या सी के वायरस को विशिष्ट उपचार के माध्यम से सिमित किया जा सकता है।
लीवर सिरोसिस के कुछ विभिन्न प्रकारों को दवाईयों से नियंत्रित किया जा सकता है जैसे जिन लोगों को प्राथमिक पित्त सिरोसिस (primary biliary cirrhosis) की समस्या होती है उन्हें समय से दवाईयों और उपचारों की मदद से सिरोसिस की प्रगति को नियंत्रित करके उसका निदान किया जा सकता है।
लीवर सिरोसिस के गंभीर मामलों में, जब लीवर काम करना बंद कर देता है, तो लीवर प्रत्यारोपण एकमात्र उपचार विकल्प हो सकता है। लीवर ट्रांसप्लांट प्रक्रिया में एक मृत व्यक्ति के लिवर से क्षतिग्रस्त लीवर को या लिवर डोनर के लीवर के एक हिस्से को क्षतिग्रस्त लीवर से बदला जाता है। सिरोसिस लीवर प्रत्यारोपण के लिए सबसे आम कारणों में से एक माना जाता है।
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यदि आप लीवर सिरोसिस से पीड़ित है तो उसके बचाव के लिए आप कुछ घरेलू उपाय अपना सकते है और स्वस्थ रह सकते है। लीवर सिरोसिस से बचाव के कुछ घरेलू उपचार हैं-
यदि आपको लीवर सिरोसिस की समस्या है और वह पुरानी शराब के उपयोग या किसी अन्य बीमारी के कारण हुआ हो फिर भी शराब का सेवन करने से बचें क्योकि शराब पीने से आपके लिवर को और अधिक नुकसान पहुँच सकता है।
अतिरिक्त नमक आपके शरीर में ज्यादा तरल पदार्थ पैदा कर सकता है, जिससे आपके पेट और पैरों में सूजन आ सकती है। इसलिए नमक के बजाय अपने भोजन को स्वस्थ आहार बनाने के लिए जड़ी-बूटियों का उपयोग करें और ऐसे तैयार खाद्य पदार्थो का चयन करें जिनमे सोडियम की मात्रा कम हों।
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सिरोसिस की वजह से आपको संक्रमण से लड़ने में और अधिक कठिनाई हो सकती है। यदि कोई व्यक्ति बीमार या संक्रमित हैं उससे दूर रहे और बार-बार अपना हाथ धोएं। हेपेटाइटिस ए और बी, इन्फ्लूएंजा और निमोनिया के लिए टीका लगवाकर भी आप सिरोसिस के संक्रमण से बच सकते है।
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लिवर सिरोसिस से पीड़ित व्यक्ति कुपोषण का अनुभव कर सकते हैं। इसलिए एक स्वस्थ पौधे-आधारित आहार (plant based diet) लें जैसे विभिन्न प्रकार के फल और सब्जियां। दुबला प्रोटीन आहार चुनें, जैसे फलियां, मुर्गी या मछली। कच्चे समुद्री भोजन (raw seafood) से बचें। इन सभी घरेलू उपायों से आप अपने आप को और अपने परिवार को लीवर सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारी से दूर रख सकते है और एक स्वस्थ और सुरक्षित जीवन दे सकते है। इस लेख में लीवर सिरोसिस के बारे में बताया गया है।
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