लिवर भोजन को पचाने और शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करने के लिए एक आवश्यक अंग है। लिवर की समस्याएं या लिवर की बीमारियाँ (यकृत रोग) कई तरह के कारकों के कारण उत्पन्न हो सकती हैं, जिसके कारण लिवर को नुकसान पहुंचता है, इन कारकों में वायरस, शराब का सेवन और मोटापा इत्यादि शामिल हैं। समय के साथ, लिवर को नुकसान पहुंचाने वाली स्थितियों से सिरोसिस हो सकता है, जो आगे चलकर लिवर फेल (liver failure) होने का कारण बनता है, जिससे व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। लेकिन इन समस्याओं का शीघ्र निदान और उपचार कर लिवर को ठीक किया जा सकता है। आज हम इस लेख में ऐसी ही लिवर की बीमारियाओं के बारे में चर्चा करेगें और आप जानेगें कि लिवर रोग क्या हैं कितने प्रकार, कारण, लक्षण, जांच, इलाज और बचाव के बारे में।
यकृत रोग (लिवर की बीमारी) का आशय लिवर को प्रभावित करने वाली अनेक स्वास्थ्य समस्याओं से है। लिवर की बीमारी अलग-अलग कारणों से विकसित हो सकती हैं, लिवर रोग विकसित करने वाले सभी कारक लिवर को नुकसान पहुंचाते हैं और इसके कार्य को प्रभावित कर सकते हैं। समय के साथ, लिवर को नुकसान पहुंचाने वाली बीमारियाँ सिरोसिस उत्पन्न कर सकती हैं, जिससे लिवर खराब (liver failure) हो सकता है। अतः लिवर की बीमारियों के लक्षणों का शीघ्र पता लगाकर, जल्द से जल्द उपचार प्राप्त कर लिवर को स्वस्थ किया जा सकता है।
अंतर्निहित कारणों के आधार पर लिवर की बीमारी के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। हालांकि, किसी न किसी प्रकार के यकृत रोग से पीड़ित व्यक्ति में कुछ सामान्य लक्षण देखने को मिल सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
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ऐसे अनेक कारक हैं, जो लिवर रोग का कारण बन सकते हैं। लिवर की बीमारी के जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों में निम्न को शामिल किया जाता है:
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मानव लिवर की कुछ सामान्य समस्याएं या लिवर रोग निम्न हैं:
परजीवी (Parasites) और वायरस लिवर इन्फेक्शन का कारण बनते हैं, जिससे लिवर में सूजन आ सकती है। लिवर में सूजन की समस्या लिवर के कार्य को नुकसान पहुंचाती है। लिवर इन्फेक्शन का सबसे आम कारण हेपेटाइटिस वायरस है।
लिवर इन्फेक्शन या हेपेटाइटिस रक्त या वीर्य, दूषित भोजन या पानी, या फिर संक्रमित व्यक्ति के साथ निकट संपर्क में आने के माध्यम से फैल सकते हैं। लिवर इन्फेक्शन में शामिल हैं:
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ऐसे रोग जिनमें किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के कुछ हिस्सों पर हमला कर लिवर को प्रभावित करती है, उन्हें ऑटोइम्यून लिवर डिजीज कहा जाता है। ऑटोइम्यून लिवर रोग में शामिल हैं:
लिवर कैंसर (Liver cancer) पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है। डॉक्टर इसे हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा (hepatocellular carcinoma) भी कहते हैं। हेपेटाइटिस या बहुत अधिक शराब पीने
की स्थिति में इसके होने की अधिक संभावना होती है। अन्य प्रकार की कैंसरयुक्त लिवर डिजीज (cancerous liver disease) में शामिल हैं:आनुवंशिक लिवर रोगों में शामिल हैं:
लिवर में अधिक फैट जमा होने से फैटी लिवर की बीमारी होती है। फैटी लिवर रोग दो प्रकार का होता है:
क्रोनिक लिवर फेलियर की बीमारी आमतौर लिवर के एक महत्वपूर्ण हिस्से के क्षतिग्रस्त हो जाने से होता है। इस स्थिति में लिवर ठीक से काम नहीं कर पाता है। आमतौर पर इसके शुरूआती लक्षण देखने को नहीं मिलते हैं।
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कारणों के आधार पर, यकृत रोग की जटिलताएं अलग-अलग होती हैं। यदि बीमारी को अनुपचारित छोड़ किया जाए तो लिवर ख़राब हो सकता है जिससे व्यक्ति की मौत का कारण बन सकता है।
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डॉक्टर लिवर रोग (यकृत रोग) का निदान करने के लिए सर्वप्रथम मरीज के लक्षणों और बीमारी से जुड़े पारिवारिक इतिहास के बारे में जानकारी लेते हैं। इसके अतिरिक्त डॉक्टर मरीज से समस्या शुरू होने का समय और दिनचर्या के बारे में भी प्रश्न कर सकते हैं। अतः मरीज को समस्या का निदान करने में मदद करने के लिए अपने खाने और पीने की आदतों तथा किसी प्रकार की सप्लीमेंट या ओवर-द-काउंटर का सेवन करने से सम्बंधित जानकारी डॉक्टर के साझा करनी चाहिए।
डॉक्टर लिवर की समस्याओं की जाँच और लक्षणों के कारणों का पता लगाने के लिए निम्न परीक्षणों की मदद ले सकते हैं:
डॉक्टर लिवर की बीमारी के कारणों के आधार पर उपचार प्रक्रिया अपनाते हैं। लिवर को प्रभावित करने वाली स्थिति के आधार पर निम्न उपचार प्रक्रियाओं को अपनाया जा सकता है:
कुछ मामलों में, लिवर की बीमारी का इलाज करने के लिए सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है, जिसके तहत लिवर या उसके हिस्से को निकाला जा सकता है। इसके अलावा लिवर खराब होने की स्थिति में लिवर ट्रांसप्लांट (liver transplant) भी किया जा सकता है।
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जीवनशैली में परिवर्तन – लिवर संबंधी समस्याओं (यकृत रोग) का इलाज करने में मदद करने के लिए मरीज को अपनी जीवनशैली में बदलाव करने की भी आवश्यकता होती है। जीवनशैली में बदलाव कर लक्षणों को कम करने में पर्याप्त मदद मिलती है। लिवर रोग के इलाज के दौरान निम्न परिवर्तन आवश्यक है:
इसके अलावा डॉक्टर स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर मरीज को आहार परिवर्तन करने की सिफारिश कर सकता है। उदाहरण के लिए विल्सन रोग से पीड़ित व्यक्ति को कॉपर युक्त खाद्य पदार्थों जैसे- शेलफिश (shellfish), मशरूम और नट्स से परहेज करना चाहिए।
लिवर की बीमारी से बचने के लिए व्यक्तियों को एक स्वास्थ्य जीवनशैली को अपनाने की जरुरत होती है। यकृत रोग या लिवर डिजीज की रोकथाम के लिए निम्न उपाय अपनाए जाने चाहिए:
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लिवर रोग के प्रकार, कारण, लक्षण, इलाज और बचाव (Liver Diseases Symptoms, Treatment in Hindi) का यह लेख आपको कैसा लगा हमें कमेंट्स कर जरूर बताएं।
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