Liver: Function, Failure & Disease in Hindi : यकृत या जिगर या कलेजा मनुष्यों में, यह पेट के दाहिने-ऊपरी हिस्से में डायाफ्राम के नीचे स्थित होता है, और शरीर का सबसे बड़ा आंतरिक अंग (largest organ) है। यह शरीर की सैकड़ों रासायनिक क्रियाओं को संपन्न कराने में भाग लेता है। लिवर रक्त को शुद्ध करने तथा पित्त रस के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अनेक प्रकार के कारक लिवर की कार्य क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। अत्यधिक शराब का सेवन तथा अस्वास्थ्यकर जीवनशैली लिवर रोग का प्रमुख कारण बन सकती है। चूँकि लिवर रोग या लिवर की समस्याएँ मानव जीवन को खतरे में डाल सकती हैं। अतः प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में लिवर स्वास्थ्य से सम्बंधित तरीकों को अपनाकर अनेक प्रकार की समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं।
अतः आज के इस लेख में आप जानेगें कि लिवर (यकृत या जिगर) क्या है, लिवर के कार्य, तथा लीवर रोग क्या हैं तथा लीवर स्वास्थ्य के तरीकों के बारे में।
1. लिवर क्या है – What is the liver in hindi
2. लिवर की संरचना क्या है – Structure of liver in hindi
3. यकृत (लिवर) के कार्य – liver function in hindi
4. लिवर की बीमारी के लक्षण – liver disease Symptoms in Hindi
5. लिवर रोग के प्रकार – Types of liver disease in Hindi
6. लिवर रोग के कारण – Liver disease causes in hindi
7. लिवर रोग के जोखिम कारक – Liver Risk factors in hindi
8. लिवर की जांच – Liver Tests in hindi
9. लिवर का उपचार – Liver Treatments in hindi
10. लिवर को स्वस्थ रखने के तरीके – Tips for healthy liver in hindi
लिवर (यकृत) मानव शरीर का सबसे बड़ा अंग या सबसे बड़ी ग्रंथि है। एक वयस्क व्यक्ति के लिवर (यकृत) का औसतन वजन लगभग 1500 ग्राम होता है। यह अंग शरीर के चयापचय कार्यों और प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण होता है। लिवर (जिगर) के बिना, एक व्यक्ति का जीवित रहना असंभव है। जिगर एक अंग और एक ग्रंथि दोनों रूप में कार्य करता है। यह शरीर के अन्य भागों (अंगों) के लिए उपयोगी रसायनों को स्रावित करता है इस बजह से इसे आवश्यक ग्रंथि (gland) भी कहा जाता है।
यकृत मानव शरीर में पेट के दाईं ओर ऊपरी हिस्से में स्थित होता है, जो मानव डायाफ्राम (diaphragm) के ठीक नीचे होता है। यकृत लाल-भूरे रंग का होता है। आमतौर पर लिवर (जिगर) को महसूस नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह पसली पिंजरे द्वारा संरक्षित है।
यकृत, मानव शरीर में अनेक प्रकार के जरूरी कार्यों के लिए एक आवश्यक अंग है, जिसमें प्रोटीन निर्माण, ट्राइग्लिसराइड्स और कोलेस्ट्रॉल के निर्माण, ग्लाइकोजन संश्लेषण और पित्त (bile) उत्पादन आदि कार्य शामिल हैं।
(और पढ़े – मानव शरीर के बारे में रोचक तथ्य…)
लिवर (जिगर) एक फुटबॉल या शंकु के आकार का होता है। इसमें दो मुख्य भाग या लोब (lobes) होते हैं, जिन्हें दाएं लोब (right lobes) और बाएं लोब (left lobes) कहते हैं। प्रत्येक लोब (lobe) आठ खंड में विभाजित होता है, प्रत्येक खंड में लगभग 1,000 छोटे लोब या लोब्यूल्स (lobules) होते हैं। लोब्यूल्स नलिकाओं या एक छोटी ट्यूब से जुड़े होते हैं, ये नलिकाएं पित्त को पित्ताशय (gallbladder) और छोटी आंत में ले जाती हैं।
शरीर के अन्य हिस्सों की तुलना में, यकृत में से अधिकांश रक्त प्रवाह होता है। शरीर की रक्त आपूर्ति का लगभग 13 प्रतिशत रक्त यकृत में पाया जाता है।
(और पढ़े – पित्ताशय की थैली (गॉलब्लेडर) क्या है, कार्य, बीमारी, टेस्ट, उपचार और आहार…)
लीवर के कई कार्य हैं, जिनमें डिटॉक्सीफिकेशन (Detoxification), चयापचय, हार्मोन विनियमन (hormone regulation), प्रोटीन संश्लेषण, पाचन और लाल रक्त कोशिकाओं के अपघटन आदि को शामिल किया जाता है। मानव शरीर में लिवर के महत्वपूर्ण कार्य निम्न हैं, जैसे:
(और पढ़े – खून साफ करने के घरेलू उपाय…)
अनेक प्रकार के लिवर रोग भिन्न-भिन्न लक्षणों को प्रगट कर सकते हैं। लिवर रोग से पीड़ित व्यक्ति सामान्यतः अनेक प्रकार के लक्षणों को महसूस कर सकता है, जैसे कि
(और पढ़े – लीवर की कमजोरी कारण लक्षण और दूर करने के उपाय…)
कई प्रकार के रोग यकृत और उसके कार्यों को प्रभावित कर सकते हैं। लिवर की बीमारी में निम्न को शामिल किया जा सकता हैं:
हेपेटाइटिस को लिवर (जिगर) की सूजन के नाम से भी जाना जाता है। हेपेटाइटिस आमतौर पर हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी नामक वायरस के कारण होता है। इसके अतिरिक्त हेपेटाइटिस के गैर-संक्रामक (non-infectious) कारण भी हो सकते हैं, जैसे- अधिक शराब का सेवन, ड्रग्स लेना, एलर्जी या मोटापा, इत्यादि। ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस (Autoimmune hepatitis), शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा स्वस्थ यकृत ऊतक को नष्ट करने से सम्बंधित एक समस्या है।
(और पढ़े – हेपेटाइटिस बी के लक्षण, कारण, जांच, उपचार और रोकथाम…)
किसी भी कारण से लिवर को लंबे समय तक नुकसान पहुँचने से सिरोसिस नामक स्कार टिश्यू (scar tissue) उत्पन्न हो सकते हैं। सिरोसिस की स्थिति में लिवर, अच्छी तरह से कार्य करने में असमर्थ होता है।
यकृत कैंसर का सबसे आम प्रकार हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा (hepatocellular carcinoma) है, जो हमेशा सिरोसिस होने के बाद उत्पन्न हो सकता है।
लिवर की विफलता के अनेक कारण हो सकते हैं, जिनमें संक्रमण, आनुवांशिक रोग और अत्यधिक शराब का सेवन आदि को शामिल किया जा सकता है।
पेट में अधिक पानी (तरल पदार्थ) भरना, जलोदर कहलाता है। सिरोसिस के परिणामस्वरूप, यकृत से तरल पदार्थ का रिसाव पेट में होता है।
यदि पित्त की पथरी (Gallstones) यकृत की पित्त नलिकाओं को अवरुद्ध करती है, तो हेपेटाइटिस और पित्त नली का संक्रमण (कोहलेनजिटिस) आदि समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
(और पढ़े – पित्ताशय की पथरी (गैल्स्टोन) क्या है, कारण, लक्षण, इलाज, रोकथाम और आहार…)
यकृत में आयरन के अधिक मात्रा में जमा होने की स्थिति या शरीर में आयरन की अधिक मात्रा हेमोक्रोमैटोसिस कहलाती है, जो यकृत को नुकसान पहुंचाती है। इस स्थिति में आयरन पूरे शरीर में कहीं भी जमा हो सकता है, और अनेक प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
प्राथमिक स्क्लेरोजिंग कोलेंजाइटिस की बीमारी लिवर की पित्त नलिकाओं में सूजन और जख्म का कारण बनती है। यह अज्ञात कारणों के साथ उत्पन्न होने वाली एक दुर्लभ बीमारी है।
फैटी लिवर नामक बीमारी, लिवर के अन्दर कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स (triglycerides) के संचय होने के कारण उत्पन्न होती है।
यह एक दुर्लभ विकार है, जो यकृत में धीरे-धीरे पित्त नलिकाओं के नष्ट होने का कारण बनता है।
लिवर को प्रभावित करने वाली अन्य बीमारियों में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
(और पढ़े – लीवर सिरोसिस के लक्षण, कारण, जांच, इलाज और बचाव…)
अनेक प्रकार के कारक और बीमारियां यकृत को सीधेतौर पर प्रभावित कर सकती हैं। लिवर रोग के कारणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है
(और पढ़े – हेपेटाइटिस ई क्या है, लक्षण, कारण, जांच, इलाज और रोकथाम…)
यकृत रोग के जोखिम कारको में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
(और पढ़े – मोटापे से होने वाले रोग और उनसे बचाव…)
लिवर स्वास्थ्य की जांच करने तथा लिवर समस्याओं का निदान करने के लिए कुछ जरुरी परीक्षण किये जाते हैं, जिनमें ब्लड टेस्ट और इमेंजिंग परीक्षण प्रमुख हैं। कुछ लिवर टेस्ट निम्न प्रकार हैं, जैसे:
लिवर से सम्बंधित समस्याओं तथा बीमारियों का पता लगाने तथा लिवर की कार्य क्षमता की जानकारी के लिए विभिन्न प्रकार के रक्त परीक्षण किये जा सकते हैं। रक्त परीक्षण के तहत् लिवर की कार्य क्षमता तथा स्वास्थ्य स्थिति का पता लगाने के लियें निम्न परीक्षणों को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
(और पढ़े – लिवर फंक्शन टेस्ट क्या है, कब और क्यों किया जाता है परिणाम और कीमत…)
लिवर की स्वास्थ्य स्थिति की जानकारी के लिए कुछ इमेजिंग परीक्षणों का भी उपयोग किया जा सकता है, जिसमें शामिल हैं:
अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) – अल्ट्रासाउंड की मदद से लिवर में कैंसर, सिरोसिस या पित्ताशय की पथरी की समस्या का निदान किया जा सकता है।
सीटी स्कैन (कंप्यूटेड टोमोग्राफी) (CT scan) – पेट का सीटी स्कैन परीक्षण की मदद से यकृत और पेट के अन्य अंगों की विस्तृत और स्पष्ट तस्वीरें प्राप्त की जा सकती हैं।
लिवर बायोप्सी (Liver biopsy) – आमतौर पर एक लिवर बायोप्सी परीक्षण की सिफारिश रक्त परीक्षण या अल्ट्रासाउंड के बाद की जा सकती है।
यकृत (लिवर) और प्लीहा स्कैन (Liver and spleen scan) – इस परीक्षण के तहत रेडियोधर्मी सामग्री का उपयोग किया जाता है, जिससे अनेक स्वास्थ्य स्थितियों का निदान करने में मदद मिलती है, जिसमें फोड़े (abscesses), ट्यूमर और अन्य लिवर फ़ंक्शन समस्याएं शामिल हैं।
(और पढ़े – सीटी स्कैन क्या है कैसे होता है, कीमत, फायदे और नुकसान…)
लिवर की बीमारियों का इलाज, प्राथमिक उपचार या आंतरिक स्वास्थ्य स्थितियों पर निर्भर करता है हेपेटोलॉजिस्ट (hepatologist) या गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट (Gastroenterologists) विशेषज्ञ लिवर से सम्बंधित समस्याओं का इलाज करने में मदद कर सकते हैं। यकृत रोग के प्रकार के आधार पर निम्न उपचार प्रक्रियाओं को अपनाया जा सकता है, जैसे:
हेपेटाइटिस उपचार (Hepatitis treatment) – हेपेटाइटिस ए की समस्या आमतौर पर समय के साथ दूर हो जाती है। हेपेटाइटिस बी के उपचार के लिए अक्सर एंटीवायरल दवा (antiviral medication) के साथ उपचार करने की आवश्यकता होती है, लेकिन हेपेटाइटिस सी के लिए उपचार प्रक्रिया अनेक कारकों पर निर्भर करती है। हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस बी को रोकने के लिए टीका उपलब्ध हैं।
लीवर ट्रांसप्लांट (Liver transplant) – लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत तब पड़ती है, जब लिवर किसी कारणवश क्षतिग्रस्त हो जाता है या उचित तरीके से कार्य नहीं करता है।
लिवर कैंसर का इलाज (Liver cancer treatment) – लीवर कैंसर का इलाज आमतौर पर कीमोथेरेपी और विकिरण थेरेपी के द्वारा किया जा सकता है। कुछ मामलों में लिवर कैंसर का इलाज करने के लिए सर्जरी या लिवर ट्रांसप्लांटेशन (liver transplantation) किया जाता है।
पैरासेंटिसिस (Paracentesis) – जब गंभीर जलोदर (ascites) की स्थिति मरीज में जिगर की विफलता से पेट में सूजन और अन्य असुविधा का कारण बनता है, तो पैरासेंटेसिस उपचार प्रक्रिया के दौरान पेट से तरल पदार्थ को बाहर निकालने के लिए त्वचा के माध्यम से एक सुई डाली जाती है।
इंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलैंजियोपैन्क्रियेटोग्राफी (ERCP) – इस प्रक्रिया के द्वारा एंडोस्कोप (endoscopes) उपकरण का उपयोग कर डॉक्टर लिवर से सम्बंधित समस्याओं का निदान कर सकता है तथा कुछ लिवर की समस्याओं का भी इलाज किया जा सकता है।
(और पढ़े – कीमोथेरेपी क्या है फायदे और नुकसान…)
लिवर स्वास्थ्य को बढ़ावा देने तथा लिवर रोग की रोकथाम के लिए निम्न तरीकों को अपनाया जा सकता है, जैसे:
इसी तरह की अन्य जानकरी हिन्दी में पढ़ने के लिए हमारे एंड्रॉएड ऐप को डाउनलोड करने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं। और आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।
आपको ये भी जानना चाहिये –
Homemade face pack for summer गर्मी आपकी स्किन को ख़राब कर सकती है, जिससे पसीना,…
वर्तमान में अनहेल्दी डाइट और उच्च कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन का सेवन लोगों में बीमारी की…
Skin Pigmentation Face Pack in Hindi हर कोई बेदाग त्वचा पाना चाहता है। पिगमेंटेशन, जिसे…
चेहरे का कालापन या सांवलापन सबसे ज्यादा लोगों की पर्सनालिटी को प्रभावित करता है। ब्लैक…
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जिन्हें पहचान कर आप…
त्वचा पर निखार होना, स्वस्थ त्वचा की पहचान है। हालांकि कई तरह की चीजें हैं,…