लुपस, शरीर के विभिन्न ऊतकों की तीव्र और पुरानी सूजन के कारण होने बाला रोग है। ऑटोम्यून्यून बीमारियां (autoimmune disease) ऐसी बीमारियां होती हैं जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा शरीर के ऊतकों पर हमला किया जाता है। आप इस लेख में जानेंगे लुपस क्या है, इसके कारण, लुपस के लक्षण, उपचार, निदान, रोकथाम और घरेलू उपचार के बारे में।
कुछ लोगों में जन्म से ही लुपस बीमारी विकसित होने की प्रवृत्ति होती हैं। ऐसे लोगों में यह संक्रमण, कुछ दवाओं के सेवन या सूरज की रोशनी से भी उत्पन्न हो सकते हैं। हालांकि लुपस (चर्मक्षय) को पूरी तरह से नष्ट करने के लिए कोई इलाज नहीं है, फिर भी इसके उपचार लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
1. लुपस क्या है – What is Lupus in Hindi
2. लुपस के लक्षण – Lupus Symptoms in Hindi
3. लुपस के कारण – Lupus Causes in Hindi
4. लुपस के प्रकार – Types of lupus in Hindi
5. लुपस का निदान – Lupus Diagnosis in Hindi
6. लुपस का इलाज और उपचार – Lupus Treatment in Hindi
7. ल्यूपस में क्या खाएं और क्या ना खाएं – lupus diet in hindi
8. लुपस की जटिलताएं – Lupus Complications in Hindi
9. लुपस की रोकथाम – Lupus Prevention in Hindi
10 लुपस के घरेलू उपाय – Lupus Home remedies in Hindi
लुपस क्या है – What is Lupus in Hindi
(चर्मक्षय) लुपस एक ऑटोम्यून्यून बीमारी है। यह बीमारी तब होती है, जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) ऊतकों और अंगों पर दुष्प्रभाव डालती है। लुपस के कारण उत्पन्न सूजन शरीर के बहुत से हिस्सों को प्रभावित कर सकती है, जैसे- जोड़ों को, त्वचा, गुर्दे, रक्त कोशिकाएं, मस्तिष्क, दिल और फेफड़े आदि। लुपस प्रत्येक व्यक्ति को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करता है। कुछ लोगों में इसके लक्षण अधिक गंभीर होते हैं।
लुपस (Lupus) बीमारी का निदान मुश्किल होता है, क्योंकि इसके लक्षण अक्सर अन्य बीमारियों से मेल खाते हैं। लुपस का सबसे प्रमुख लक्षण यह है कि – चेहरे के दोनों गालों में लाल चकते (दाद), तितली के पंख जैसे प्रतीत होते है। ऐसे लक्षण लुपस के अधिकतर मामलों में दिखाई देते है, लेकिन कुछ केस में नहीं दिखते है।
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लुपस के लक्षण – Lupus Symptoms in Hindi
चर्मक्षय (लुपस) के लक्षण संक्रमित व्यक्ति के शारीरिक अंगों के अनुसार भिन्न होते हैं। ये लक्षण अचानक गायब हो सकते हैं, तथा ये कभी-कभी स्थायी या गंभीर भी हो सकते हैं। हालांकि लुपस के सबसे आम लक्षणों और संकेतों में निम्न कारक शामिल हैं:
- बुखार आना
- थकान महसूस होना
- शरीर में दर्द
- जोड़ों का दर्द
- चेहरे पर तितली के पंख जैसे लाल चकते या दाद का होना
- सूर्य रोशनी के संपर्क में त्वचा को नुकसान होना
- साँस लेने में तकलीफ
- सूखी आंखें
- छाती में दर्द
- सिर दर्द
- उलझन या भ्रम
- स्मरण शक्ति की क्षति
- लुपस रोग होने के बाद, इसके कुछ लक्षणों में गुर्दे (kidney) में सूजन की समस्या भी शामिल है, जिसे नेफ्राइटिस (nephritis) कहा जाता हैं। लुपस रोग से पीड़ित व्यक्ति उच्च रक्तचाप, गाढ़ा मूत्र और मूत्र में रक्त आदि लक्षणों का भी अनुभव कर सकता है।
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लुपस के कारण – Lupus Causes in Hindi
जब आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली आपके शरीर में स्वस्थ ऊतक पर हमला करती है, तब (ऑटोम्यून्यून रोग) लुपस होता है।
लुपस होने के सही कारणों पता नहीं लगाया जा सकता है, क्योंकि यह रोग बहुत से अंतर्निहित कारकों का संयोजन हो सकता है।
- आनुवंशिकी कारक (जेनेटिक्स) – लुपस का पारिवारिक इतिहास भी इस स्थिति को जन्म देता है।
- पर्यावरणीय कारक – डॉक्टरों के अनुसार पर्यावरणीय कारक जैसे – धूम्रपान, दबाव, वायुमंडलीय प्रदूषण और सिलिका धूल जैसे विषैले पदार्थों के संपर्क में रहना, लुपस को बढ़ावा देते है।
- संक्रमण – डॉक्टर अभी भी साइटोमेगालोवायरस (cytomegalovirus), एपस्टीन-बार ( Epstein-Barr) या हेपेटाइटिस सी नामक वायरस और लुपस संक्रमण के कारणों के बीच संबंधों का अध्ययन कर रहे हैं।
- हार्मोन – कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि असामान्य हार्मोन (एस्ट्रोजेन) के स्तर में वृद्धि, लुपस में योगदान दे सकती है।
- दवाएं – कुछ दवाओं का लम्बे समय तक उपयोग, जैसे कि हाइड्रैलाज़ीन (Apresoline), प्रोसेनामाइड (Procanbid), और quinidine आदि, लुपस संक्रामक के रूप में जानी जाती है, जिसे दवा-प्रेरित लुपस एरिथेमैटोसस (drug-induced lupus erythematosus) कहा जाता है।
- सूरज की रोशनी – संवेदनशील लोगों में सूरज की किरणों का एक्सपोजर, आंतरिक प्रतिक्रिया में परिवर्तन कर लुपस से संबंधित त्वचा घावों या लक्षणों को ला सकता है।
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कारक जो आपके लुपस के जोखिम को बढ़ा सकते हैं उनमें शामिल हैं:
- लिंग (Sex) – ल्यूपस महिलाओं में अधिक आम है।
- उम्र (Age) – हालांकि लुपस सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है, लेकिन अक्सर 15 से 45 वर्ष की आयु के बीच निदान में सबसे ज्यादा इसे देखा जाता है।
इसके अतिरिक्त अन्य अज्ञात कारणों से भी लुपस की स्थिति पैदा हो सकती है।
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लुपस के प्रकार – Types of lupus in Hindi
डॉक्टर द्वारा आमतौर पर लुपस को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया गया हैं। इसमें शामिल है-
- सिस्टमिक लुपस एरिथेमैटोसस (Systemic lupus erythematosus) – यह लुपस का सामान्य प्रकार है। इस प्रकार के लुपस में लक्षण समय के साथ बहुत गंभीर होते जाते है, और फिर इनमें सुधार भी हो जाता है।
- त्वचा संबंधी लूपस (Cutaneous lupus) – इस प्रकार का लुपस आमतौर पर त्वचा तक ही सीमित होता है। यह लुपस समय के साथ स्थायी लाल चकते और घावों का कारण बन सकता है।
- DILE – कुछ चिकित्सा सम्बन्धी दवाओं के लंबे समय तक उपयोग किये जाने पर ये दवाएं लुपस का कारण बन सकती है। DELE प्रकार का लुपस कुछ निर्धारित दवाओं के दीर्घकालिक उपयोग के कारण होता है।
- नवजात लूपस (Neonatal lupus) – यह स्थिति बेहद दुर्लभ है, और यह उन शिशुओं को प्रभावित करती है जिनकी माताओं को पहले से ही लूपस होता है। यह लूपस शिशुओं के दिल को प्रभावित करता है, तथा रक्त सम्बन्धी विषमतायें उत्पन्न करता है।
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लुपस का निदान – Lupus Diagnosis in Hindi
लुपस (Lupus) का निदान बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि लूपस के लक्षण समय के साथ भिन्न हो सकते हैं, तथा अन्य रोगों के लक्षणों के समान होते हैं।
एक विस्तृत चिकित्सा प्रणाली अपनाकर और शारीरिक परीक्षण करने के अलावा, डॉक्टर लुपस का निदान करने के लिए निम्नलिखित परीक्षण कर सकते हैं:
प्रयोगशाला परीक्षण (Laboratory tests)
इसमें रक्त और मूत्र परीक्षण शामिल हो सकते हैं, इसके अंतर्गत चिकित्सक निम्न परीक्षण की सलाह दे सकते है –
- पूर्ण रक्त गणना (Complete blood count) – सीबीसी परीक्षण के माध्यम से डॉक्टर रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं, सफेद रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स की संख्या का निर्धारण करते हैं। इसके परिणाम एनीमिया की जानकारी दे सकते है, जो आमतौर पर लुपस के लक्षणों में सामिल हैं।
- एरिथ्रोसाइट सेडीमेंटेशन दर (Erythrocyte sedimentation rate) – यह रक्त परीक्षण, लाल रक्त कोशिकाओं की दर को ज्ञात करने के लिए किया जाता है। यह रक्त परीक्षण उस दर को निर्धारित करता है जिस पर लाल रक्त कोशिकाएं एक घंटे में ट्यूब के नीचे स्थित होती हैं यदि लाल रक्त कोशिकाएं की दर सामान्य से अधिक होती है, तो यह शारीरिक बीमारी जैसे- lupus को इंगित करती हैं। अवसादन (sedimentation) दर किसी एक बीमारी के लिए विशिष्ट नहीं है ।
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इसके अलावा रक्त परीक्षण के द्वारा गुर्दे और यकृत की दक्षता का पता लगाया जा सकता है, जो लुपस से प्रभावित अंग हो सकते हैं।
- मूत्र-विश्लेषण (Urinalysis) – लुपस से पीड़ित व्यक्ति के मूत्र परीक्षण से यह पता लगाया जा सकता है कि किडनी (गुर्दे) ठीक तरीके से काम कर रही है या नहीं। यदि मूत्र में प्रोटीन स्तर या लाल रक्त कोशिकाओं का स्तर अधिक पाया जाता है, तो किडनी लुपस रोग से प्रभावित है।
- एंटीन्यूक्लिय एंटीबॉडी (एएनए) परीक्षण (Antinuclear antibody (ANA) test) – शरीर में एंटीबॉडी की उपस्थिति के लिए एक सकारात्मक परीक्षण – आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा उत्पादित – एक उत्तेजित प्रतिरक्षा प्रणाली को इंगित करता है। जबकि लुपस वाले अधिकांश लोगों में सकारात्मक एएनए परीक्षण पाया जाता है, वहीं सकारात्मक एएनए वाले अधिकांश लोगों में लूपस नहीं होता है। यदि आप एएनए के लिए सकारात्मक परीक्षण करते हैं, तो आपका डॉक्टर अधिक विशिष्ट एंटीबॉडी परीक्षण की सलाह दे सकता है।
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इमेजिंग टेस्ट (Imaging tests)
- छाती का एक्स – रे (Chest X-ray) – छाती का एक्स–रे, फेफड़ों में तरल पदार्थ या सूजन की जानकारी को स्पष्ट रूप से प्रदान करता है। जिसके आधार पर इस रोग के द्वारा प्रभावित होने वाले फेफड़ों की स्थिति का सही आकलन किया जाता है।
- इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram) – इस परीक्षण में ह्रदय धड़कन की रीयल-टाइम छवियों का उत्पादन करने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है।
- ऊतक बायोप्सी (Tissue biopsy) – लुपस के कारण गुर्दे क्षतिग्रस्त है या नहीं, यह देखने के लिए डॉक्टर किडनी बायोप्सी भी कर सकता है। अतः डॉक्टर लुपस से प्रभावित त्वचा कोशिकाओं का बायोप्सी परीक्षण करते हैं जिससे कि लुपस का निदान संभव हो सके।
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लुपस का इलाज और उपचार – Lupus Treatment in Hindi
लुपस का उपचार आपके लक्षणों पर निर्भर करता है। हालांकि इस समय लुपस के लिए कोई सही इलाज उपलब्ध नहीं है। क्योंकि जैसे ही इसके संकेत और लक्षण बढ़ते जाते हैं या फिर कम हो जाते हैं, तो डॉक्टर को दवाएं या खुराक बदलने की आवश्यकता होती है। लुपस के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए सामान्यता निम्न दवाओं को शामिल किया जा सकता हैं।
- नोस्टेरॉइयल और एंटी-इनफ्लामेट्री दवाएं (Nonsteroidal anti-inflammatory drugs) – ओवर-द-काउंटर दवाएं,जैसे नैप्रॉक्सन सोडियम (एलेव) और इबुप्रोफेन का उपयोग लुपस से जुड़े दर्द, सूजन और बुखार के इलाज के लिए किया जा सकता है। मजबूत और शक्तिशाली NSAIDs दवाएं डॉक्टर के पर्चे के द्वारा उपलब्ध हैं। NSAIDs के साइड इफेक्ट्स में पेट में खून बहना, गुर्दे की समस्याएं और दिल की समस्याओं का खतरा बढ़ना आदि शामिल है।
- मलेरिया-रोधी दवाएं (Antimalarial drugs ) – आमतौर पर मलेरिया के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाएं, जैसे hydroxychloroquine (Plaquenil), प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करती हैं और लुपस फ्लेयर्स (lupus flares) के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती हैं। लेकिन इससे मरीज की आंख की रेटिना को नुकसान पहुंच सकता है।
- कोर्टिकोस्टेरोइड (Corticosteroids) – Prednisone और अन्य प्रकार के कोर्टिकोस्टेरोइड लुपस की सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। स्टेरोयड की उच्च खुराक जैसे methylprednisolone (A-Methapred, Medrol) अक्सर गुर्दे और मस्तिष्क की गंभीर बीमारी को नियंत्रित करने के लिए उपयोग की जाती।
- प्रतिरक्षा दमनकारी दवायें (immunosuppressive) – प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाने वाली दवाएं लुपस ( lupus) के गंभीर मामलों में सहायक हो सकती हैं। जैसे – एजीथीओप्रिन (azathioprine), माइकोफेनॉलेट मोफेटिल (mycophenolate mofetil) और मेथोट्रेक्सेट (methotrexate) इत्यादि। लेकिन इनके दुष्प्रभावों में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
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ल्यूपस में क्या खाएं और क्या ना खाएं – lupus diet in hindi
डॉक्टरों ने लुपस के लिए कोई निश्चित आहार निर्धारित नहीं किया है। हालांकि, कुछ खाद्य पदार्थ हैं जो लुपस वाले लोगों को आम तौर उनसे बचना चाहिए जब वह लुपस के लिए दवाओं का सेवन कर रहे होते हैं। उदाहरण के लिए अल्कोहल का सेवन से बचना चाहिए क्योकि यह कई NSAIDs के साथ नकारात्मक प्रभाव दर्शाती है और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रक्तस्राव का कारण बन सकती है।
नमक और कोलेस्ट्रॉल में उच्च भोजन से बचने से न केवल किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है, बल्कि कॉर्टिकोस्टेरॉयड उपयोग के कारण सूजन को रोकने में भी मदद करता है।
लुपस वाले लोगों के लिए शरीर में सूजन को कम करने के लिए अन्य स्वस्थ कदमों में शामिल हैं:
- ओमेगा -3 फैटी एसिड, जैसे सैल्मन, टूना, या मैकेरल में उच्च मछली का सेवन।
- कम वसा वाले डेयरी उत्पादों जैसे कैल्शियम में उच्च भोजन को अपने आहार में शामिल करना।
- होल ग्रेन का सेवन जो कार्बोहाइड्रेट स्रोतों में उच्च होते है का सेवन करना।
- रंगीन फल और सब्जियों को खा रहे हैं।
हालांकि, लुपस वाले लोगों को अल्फल्फा से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि अल्फाल्फा अंकुरित और बीजों में पाए जाने वाले एम-कैनोवाइन के रूप में जाना जाने वाला एमिनो एसिड में उच्च होता है जो सूजन में वृद्धि कर सकता है।
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लुपस की जटिलताएं – Lupus Complications in Hindi
लुपस के कारण होने वाली सूजन आपके शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर सकती है, जिसमें शामिल अंग हैं-
- गुर्दे (Kidneys) – लुपसरोग, गुर्दे की क्षति का कारण बनता है, और लुपस से पीड़ित लोगों में गुर्दे (किडनी) की विफलता ही मौत का प्रमुख कारण बनती है।
- मस्तिष्क और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Brain and central nervous system) – यदि लुपस दिमाग को प्रभावित करता है, तो सिरदर्द, चक्कर आना, व्यवहार में परिवर्तन, दृष्टि की समस्याएं और यहां तक कि दौरे पड़ना आदि समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- रक्त और रक्त वाहिकाओं (Blood and blood vessels) – लुपस रक्त की समस्याओं का कारण बन सकता है, जिसमें एनीमिया और रक्तस्राव या खून के थक्के बनने का खतरा बढ़ जाता है। यह रक्त वाहिकाओं की सूजन का कारण भी बनता है।
- फेफड़े (Lungs) – लूपस होने से छाती गुहा के अस्तर (pleurisy) में सूजन होने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। फेफड़ों और निमोनिया में रक्तस्राव की सम्भावना भी होती है।
- दिल (Heart) – लुपस, दिल की मांसपेशियों, धमनियों या दिल झिल्ली (पेरीकार्डिटिस) की सूजन का कारण बन सकता है। इससे कार्डियोवैस्कुलर बीमारी और दिल के दौरे का खतरा भी बढ़ता है।
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लुपस की रोकथाम – Lupus Prevention in Hindi
अधिकांश प्रकार के लूपस के लिए, इनके लक्षणों की रोकथाम संभव नहीं है। लूपस रोग निवारण के लिए दवाओं का सेवन जीवन पर हानिकारक प्रभाव भी डाल सकता हैं। अतः इस रोग की रोकथाम के लिए कुछ तरीकों को अपनाकर, आप अपने आपको सुरक्षित कर सकते है। ये तरीके इस प्रकार है-
- सूर्य की रोशनी के सीधे संपर्क में आने से बचने के लिए सुरक्षात्मक कपड़े पहनें – जैसे एक टोपी, लंबी आस्तीन वाली शर्ट और लंबे पैंट इत्यादि।
- तनाव की स्थिति उत्पन्न ना होने दें, इसके लिए ध्यान, योग या मालिश को दैनिक क्रिया में अपनाना चाहिए।
- संक्रमण रोकथाम तकनीकों को नित्य क्रिया में अपनाये। जैसे – बीमारियों वाले लोगों के आस-पास रहने से बचें।
- रोग की रोकथाम के लिए मरीज को अधिक से अधिक आराम करना चाहिए।
- धूम्रपान न करें और न ही अपने आस-पास किसी को करने दें। धूम्रपान कार्डियोवैस्कुलर बीमारी के कारण आपके जोखिम को बढ़ाता है। और आपके दिल और रक्त वाहिकाओं पर लुपस के खतरे को भी बढ़ा सकता है।
- यदि आप एक अस्पष्ट लाल चकते, कई दिनों से चल रहे बुखार, लगातार दर्द या थकान को महसूस करते हैं, तो डॉक्टर को तुरंत दिखाएँ।
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लुपस के घरेलू उपचार – Lupus Home remedies in Hindi
इस स्थिति के स्थाई निदान और उपचार के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। लुपस के लक्षणों से राहत पाने के लिए एक सामान्य उपचार के तौर पर निम्न घरेलू इलाज अपनाये जा सकते हैं।
1. हल्दी (Turmeric)
- हल्दी में करक्यूमिन (Curcumin) एक सक्रिय घटक है जो लुपस एवं ऑटोम्यून (autoimmune) रोगों के उपचार में सहायक है।
- आप दैनिक आहार में हल्दी शामिल कर सकते हैं। हल्दी वाला दूध लुपस के लिए सबसे अच्छे उपचारों में से एक है।
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2. अदरक (Ginger)
अदरक गठिया के लक्षणों के साथ लुपस के इलाज में उपयोगी मसाला है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और anti-inflammatory गुण पाए जाते हैं जो संयुक्त दर्द और सूजन से छुटकारा पाने में मदद करते हैं।
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3. नारियल का तेल (Coconut oil)
नारियल का तेल, शरीर पर प्रतिरक्षा प्रणाली की हानिकारक प्रतिक्रियाओं को संतुलित करने में मदद करता है। इसके अलावा, इसमें उपस्थित कोलेस्ट्रॉल, रक्त शर्करा को नियंत्रित करने और पाचन में सुधार जैसी अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी लाभ प्राप्त करने में अपना योगदान देता है।
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4. तुलसी (Tulsi)
तनाव की प्रतिक्रिया को संतुलित करने के लिए तुलसी का उपयोग करना चाहिये। यह जड़ी बूटी एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इन्फ्लामेंट्री (ant-inflammatory) गुणों से समृद्ध है, जो लुपस के उपचार में बहुत प्रभावी हैं।
अतः तुलसी का सेवन आप किसी भी तरीके से कर सकते है।
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5. सेंधा नमक (Epsom salt)
थकान लुपस का एक आम लक्षण है। अतः थकान से छुटकारा पाने के लिए, सेंधा नमक के पानी से स्नान करना चाहिए।
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