Machli Ke Tel Ke Fayde Aur Nuksan मछली के तेल के फायदे अन्य खाद्य पदार्थों से अधिक हैं। स्वस्थ और संतुलित आहार में सभी प्रकार की सब्जीयां, फल, अनाज (Grain), दालें और मांसाहार शामिल होते हैं। यह सभी को पता है कि मांसाहार के रूप में मछली का सेवन बहुत ही लाभकारी होता है। पर क्या आप जानते हैं मछली का सेवन प्रमुख रूप से मछली के तेल के लिए किया जाता है। मछली के तेल के फायदे हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक होते हैं जिन्हें जान कर आप दंग रह जाएगें।
मछली के तेल के फायदे वजन घटाने और स्वस्थ गर्भावस्था (Pregnancy) में सहायता करने के लिए जाने जाते हैं। यह प्रजनन क्षमता और त्वचा देखभाल को भी बढ़ावा देता है। यह विभिन्न समस्याओं जैसे हृदय रोग, उच्च कोलेस्ट्रॉल, अवसाद, चिंता, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, कैंसर मधुमेह, सूजन, गठिया और अल्सर जैसी बीमारियों के उपचार के लिए फायदेमेंद होता है। मछली के तेल के फायदे इसमें उपस्थित ओमेगा-3 फैटी एसिड के कारण होते हैं।
विषय सूची
1. मछली का तेल क्या है – What is Fish Oil in Hindi
2. मछली के तेल के पोषक तत्व – Machli Ke Tel Ke Poshak Tatva in Hindi
3. मछली के तेल के फायदे – Fish Oil ke fayde in Hindi, Fish Oil Benefits in Hindi
4. मछली के तेल का उपयोग कैसे करें – How To Use Fish Oil in Hindi
5. मछली के तेल की उचित खुराक – Machli Ke Tel Ki Uchit Khurak in Hindi
6. मछली का तेल सेवन करने का सही समय – When To Take Fish Oil in Hindi
7. मछली तेल के सेवन के दौरान किन से बचना चाहिए – What should I avoid in Hindi
8. मछली तेल के नुकसान – Fish Oil ke Nuksan in Hindi
ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर मछली का तेल मछली के ऊतकों (Fish tissues) से प्राप्त होता है जो कि सबसे ज्यादा ठंडें पानी वाली मछलीयों से प्राप्त होता है। जब मछली के तेल के सेवन की बात आती है तो इस तेल को सीधे ही सेवन करने में कुछ दिक्कतें हो सकती हैं इसलिए इसे पूरक (supplementary) के रूप में प्राप्त किया जा सकता है। मछली के तेल मे दो ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं जिन्हें ईकोसापेन्टैनेनोइक एसिड (Eicosapentaenoic acid) और डोकोसाहेक्साएनोइक एसिड (Docosahexaenoic acid) कहा जाता है। शरीर में ओमेगा-6 और ओमेगा-3 फैटी एसिड का आदर्श अनुपात 1:1 है जो लिपिड को कम करने, रक्तवाहिकाओं को स्वस्थ्य बनाने, मधुमेह और कैंसर के खतरे को कम करने में मदद करता है। आइए जाने मछली तेल में मौजूद पोषक तत्वों के बारे में।
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इसमें उपस्थित पोषक तत्वों में फैटी एसिड की अधिक मात्रा प्रमुख है। मछली तेल के प्रमुख पोषक तत्वों में ओमेगा-3 फैटी एसिड है जिसे डीएचए और ईपीए (DHA and EPA) कहा जाता है।
मछली तेल के पोषक तत्व 1 चम्मच ( 4 ग्राम ) के अनुसार :
पोषण संबंधी जानकारी उत्पाद (प्रजाती)और मछली के प्राप्त होने वाले स्थान के अनुसार भिन्न हो सकते हैं।
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हमारे शरीर के लिए मछली के तेल के फायदे बहुत अधिक होते हैं, क्योंकि यह वजन घटाने (Reduce weight), त्वचा देखभाल, द्दष्टि सुधार, अल्जाइमर रोग, मोतियाबिंद और बहुत सी स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं। आइये विस्तार से जाने मछली के तेल के फायदे जो आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत ही महात्वपूर्ण होते हैं। Fish Oil ke fayde in Hindi
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हृदय स्वास्थ्य के लिए मछली का तेल बहुत ही फायदेमंद होता है। दुनिया भर के लिए आज हृदय स्वास्थ्य सबसे बड़ा खतरा बन चुका है। अध्यननों से पता चलता है कि जो लोग पर्याप्त मात्रा में मछली का सेवन करते हैं उनमें हृदय से संबंधित रोगों के होने का खतरा कम होता है।
दिल की बीमारी से संबंधित बहुत से खतरे हैं जो कि मछली या मछली के तेल का सेवन करने से कम किये जा सकते हैं।
हृदय स्वास्थ्य (Cardiovascular health) के लिए मछली के तेल के फायदे इस प्रकार है :
मछली के तेल के पूरक हृदय रोग के लिए बहुत से खतरों को कम करने में बहुत ही मदद करते हैं, लेकिन इसके कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं हैं कि यह दिल के दौरे या स्ट्रोक को रोक सकता है। इसलिए आप किसी भी प्रकार के भ्रम में न रहें। आप अपने हृदय को स्वस्थ्य बनाने के लिए मछली के तेल या इसके पूरकों का सुरक्षित रूप से सेवन कर सकते हैं।
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एक अध्ययन में पाया गया कि कम वसा वाले भोजन के साथ मछली के तेल (Fish Oil) का सेवन करने पर यह प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को कम करने में मदद करता है। हालाकि एक और अध्ययन यह बताता है कि मछली के तेल में पाये जाने वाले ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रोस्टेट कैंसर (Prostate Cancer) के प्रभाव को कम करने के लिए जिम्मेदार होता है।
नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के जर्नल में प्रकाशित शोध से पता चला है कि अधिक मात्रा में मछली के तेल का सेवन करने से उच्च ग्रेड प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को 71 % और सभी प्रकार के प्रोस्टेट कैंसर को 43 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है।
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मनुष्य का मस्तिष्क लगभग 60 % वसा से बना होता है और इस वसा में ओमेगा-3 फैटी एसिड अधिक मात्रा में होता है। इसलिए ओमेगा-3 सामान्य मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए बहुत ही आवश्यक होता है। वास्तव में कुछ अध्ययनों से पता चला है कि कुछ मानसिक विकार वाले लोगों के खून में ओमेगा-3 का स्तर कम होता है।
कुछ अध्ययन यह भी बताते हैं कि मछली के तेल के पूरक कुछ मानसिक विकारों के लक्षणों को कम करने में सहायक होते हैं। इसका नियंत्रित मात्रा में सेवन करने से यह मनोवैज्ञानिक विकारों के खतरों को दूर करने में सहायता करते हैं।
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ओमेगा-3 फैटी एसिड की अच्छी मात्रा मछली के तेल में होती है, जो प्रजनन क्षमता और कोशिका विभाजन (cell division) में सुधार करने में सहायक होते हैं। जानवरों पर किये गए अध्ययन से पता चलता है कि जब पुरुषों को मछली के तेल युक्त भोजन खिलाया जाता है तो यह उनके शरीर में शुक्राणुओं की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद करता है साथ ही स्खलन के बाद मादा जननांग पथ में लिपिड पेरोक्साइडेटिव (lipid peroxidative) हमलों के विरूध शुक्राणु के अस्तित्व में वृद्धि करता है, जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ती है।
हालांकि अनुसंधान बताते हैं कि यह शुक्राणुओं की गुणवत्ता को बढ़ाता है लेकिन यह शुक्राणुओं की संख्या और उनकी गतिशीलता (count and mobility) को किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं करता है।
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गर्भवती महिलाओं के लिए मछली के तेल के फायदे बहुत अधिक होते हैं क्योंकि इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड की उपलब्धता महिलाओं और उनके बच्चों के विकास को बढ़ाने में सहायक होता है। मछली के तेल में मौजूद डीएचए (DHA) बच्चों की आंखों और दिमाग के विकास में मदद करता है। गर्भवती महिलाओं के लिए यह इस लिए भी फायदेमंद होता है क्योंकि यह समय से पहले जन्म (premature births), कम जन्म वजन (low birth weight) और गर्भापात से बचने में भी मदद करता है।
यह भी माना जाता है कि जो महिलाएं अपने आहार में ईपीए और डीएचए (EPA and DHA) का पर्याप्त सेवन नहीं करती हैं, वे प्रसव (childbirth) के बाद अवसाद से ग्रसित हो सकती हैं। क्योंकि गर्भावस्था के आखिरी चरणों में मां से बच्चे तक कुछ मात्रा में मस्तिष्क द्रव्यमान का हस्तांतरण होता है। इस प्रकार बच्चे के समग्र विकास और मां के स्वास्थ्य के लिए गर्भावस्था के दौरान मछली खाने, मछली के तेल या इसके पूरक कैप्सूल या गोलियों का उपभोग करना बहुत फायदेमंद है।
हालांकि यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि मछली के यकृत से प्राप्त मछली का तेल उदाहरण के लिए कॉड लिवर तेल (cod liver oil) गर्भावस्था के दौरान नहीं खाया जाना चाहिए क्योंकि कॉड लिवर आयल रेटिनोल और विटामिन ए में उच्च होते हैं जो आमतौर पर जन्म दोषों (birth defects) का कारण बन सकता है।
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शुष्क त्वचा की स्थिति को सुधारने और उसे युवा बनाए रखने के लिए मछली के तेल का उपयोग बहुत ही लाभकारी होता है। मछली के तेल के फायदे सोरायसिस (Psoriasis), खुजली, त्वचा की लाली, त्वचा के चकते और त्वचा घावों को ठीक करने के लिए उपयोगी होते हैं। सोरायसिस के मामले में मछली के तेल में मौजूद ईपीए आरेचिडोनिक एसिड (Arachidonic Acid) का उत्पादन करके प्रो-इन्फ्लामेट्री (Pro-inflammatory) एजेंटों के विकास को रोकते हैं। इसलिए सोरायसिस से राहत पाने के लिए मछली के तेल को भी प्रमुख रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है।
मछली के तेल के कैप्सूल का नियमित सेवन करने से त्वचा को शुष्क होने से बचाया जा सकता है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यह सनबर्न को रोकने में मदद करता है लेकिन इसके अभी तक कोई चिकित्सकीय प्रमाण नहीं मिले हैं।
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मधुमेह प्रकार 2 के रोगीयों को कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों जैसे कोरोनरी हृदय रोग, एथेरोस्क्लेरोसिस और स्ट्रोक आदि की संभावनाएं ज्यादा होती हैं। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय मे किये गए शोध के अनुसार मधुमेह के रोगियों में ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करने में मछली के तेल के फायदे होते हैं। मछली का तेल मधुमेह के खतरे को कम करता है। ओमेगा-6 और ओमेगा-3 का संतुलित अनुपात जो 1:1 में होता है मधुमेह के जोखिम से बचाने में सहायक होता है।
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि मछली के तेल या इसके पूरकों की उच्च मात्रा में सेवन करना इंसुलिन संवेदनशीलता (insulin sensitivity) में वृद्धि करता है जो कि मधुमेह को कम करने में सहायक होता है।
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मुँहासों के लिए मछली के तेल के फायदे एक प्रभावी उपचार के रूप में उपयोग किया जाते हैं। मछली के तेल में इपीए मौजूद होता है जो एंड्रोजन (Androgen) के गठन को रोकने में मदद करता है, यह बालों के रोम में सेबम (Sebum) के गठन को प्रभावित कर सकता है जो मुँहासों का कारण बनता है।
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लुइसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी में किए गए शोध से पता चला है कि अल्जाइमर रोग के इलाज में फैटी एसिड उपयोगी होते हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि मछली के तेल में ईपीए और डीएचए समेज आवश्यक फैटी एसिड अच्छी मात्रा में उपलब्ध रहते हैं जो अल्जाइमर रोग के उपचार में मदद करते हैं। अन्य शोधों से यह साबित हो चुका है कि अल्जाइमर रोग के उपचार के लिए मछली के तेल के फायदे बहुत अधिक हैं। अल्जाइमर एसोसिएशन रोगियों को ओमेगा-3 फैटी एसिड की उच्च सामग्री वाली मछली के सेवन की सलाह देते हैं, क्योंकि यह अल्जाइमर रोग और डिमेंशिया (Alzheimer’s and Dementia) के खिलाफ रक्षा के रूप में कार्य करता है।
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इसके बहुत से प्रमाण हैं कि मछली के तेल द्दष्टि सुधारने में मदद करते हैं। यह उम्र से संबंधित मैकुल अपघटन से बचने में भी मदद करता है। एक शोध से जानकारी मिलती है कि मैकुलर अपघटन के इलाज मे मछली के तेल के गुण इस समस्या को प्रभावी रूप से दूर करने में सक्षम होता है। यदि आप आंखों से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या से परेशान हैं तो मछली के तेल या इसके पूरकों का उपयोग कर अपनी आंखों को स्वस्थ्य रख सकते हैं।
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गठिया रोग के उपचार के लिए मछली के तेल का उपयोग किया जा सकता है। गैर-स्टेरॉयड एंटी-इन्फ्लामेट्री ड्रग्स (Non-steroidal anti-inflammatory drugs) की अधिक मात्रा के सेवन को कम करने के लिए विकल्प के रूप में मछली के तेल का उपयोग किया जा सकता है। ऑस्ट्रेलिया में स्थित रॉयल एडीलेड अस्पताल और न्यूकैसल विश्वविद्यालय ने बताया है कि मछली के तेल ने गठिया के उपचार में सकारात्मक प्रभाव दिखाये हैं। ऑस्टियोआर्थराइटिस के मामलों में मछली के तेल को एंजाइमों के प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं।
हालांकि एक रोगी के स्वास्थ्य में अच्छे प्रभाव के लिए मछली के तेल को सेवन करने की उचित मात्रा निश्चित नहीं है। गठिया रोगीयों को अन्य सभी दुष्प्रभावों से सावधान रहना चाहिए जो मछली के तेल का उपयोग करने से हो सकते हैं। यह तेल आपके गठिया के लिए फायदेमंद होता है, फिर भी इसका उपयोग करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से अवश्य ही संपर्क करना चाहिए।
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बुढ़ापे के दौरान, हड्डियां अपने आवश्यक खनिजों को खोना शुरू कर सकता है, जिससे उनके कमजोर होने की संभावना बढ़ जाती है। यह ऑस्टियोपोरोसिस और आस्टियोआर्थराइटिस जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है।
मछली के तेल में कैल्शियम और विटामिन डी नहीं पाया जाता है लेकिन इसमे उपस्थित ओमेगा-3 फैटी एसिड भी हड्डीयों को मजबूत करने में बहुत ही फायदेमंद होता है। ओमेगा-3 की अच्छी मात्रा में सेवन करने से खून की कमी और कमजोर हड्डी वाले लोगों को बहुत ही फायदा होता है। कई छोट अध्यननों से पता चलता है कि मछली के तेल के पूरक ने हड्डी टूटने की संभावना को काफी हद तक कम करते हैं और हड्डी की बीमारी को रोकने में मदद करते हैं। यदि आप अपनी हड्डीयों को मजबूत बनाए रखना चाहते हैं ओमेगा-3 फैटी एसिड या मछली के तेल का सेवन करें, यह आपके लिए लाभकारी हो सकता है।
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ऐसा माना जाता हे कि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए मछली के तेल का नियमित सेवन किया जाना चाहिए। इसका नियमित सेवन करने से आपको ठंड, खांसी और फ्लू जैसी सामान्य बीमारियों से लड़ने की शक्ति मिलती है। मछली के तेल में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड हमारे शरीर में मौजूद साइटोकिन्स और ईकोसानोइड(Cytokines and Eicosanoids) की गतिविधि और मात्रा को प्रभावित करके प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देते हैं। पशू अध्ययनों से यह जानकारी मिलती है कि यह उनके विकास सहायक होता है।
मछली का तेल चर्मरोग (lupus) से ग्रसित मरीजों के लिए फायदेमंद होता है, जो एक ऑटोम्यून्यून बीमारी है जो प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा अपने स्वयं के अंगों और ऊतकों पर हमला करती है। अध्यननों ने यह भी बताया है कि मछली का तेल बुखार, त्वचा के चकते आदि को भी ठीक करने में सहायक होता है।
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जो लोग अपना वजन कम करना चाहते हैं उनके लिए मछली तेल के फायदे किसी औषधी से कम नहीं हैं। वजन कम करने के लिए किये गए शोधों से जानकारी मिलती है कि मछली का तेल वजन कम करने मे प्रभावी रूप से मदद करता है। जो लोग नियमित रूप से मछली इसके तेल को पूरक के रूप में सेवन करते हैं, उन्हें अपने वजन को कम करने में सफलता मिलती है। इसमें उपस्थित ओमेगा-3 फैटी एसिड वजन को कम करने में सहायक की भूमिका निभाता है। इसलिए शारीरिक व्यायाम के साथ साथ इस तेल का सेवन करने से शरी की वसा को बहुत ही तेजी से कम करने में मदद मिलती है। यदि आप अन्य प्रयासों के माध्यम से अपने वजन को कम नहीं कर पा रहें हैं तो मछली के तेल का उपयोग कर अपनी इस समस्या को दूर कर सकते हैं।
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एलर्जी के खतरों को कम करने के लिए मछली के तेल का उपयोग लाभकारी होता है। अस्थमा एक फेफड़ों का विकार है जो फेफड़ों में सूजन और सांस की समस्या पैदा करता है। कई अध्ययनों से पता चला है कि मछली का तेल अस्थमा के लक्षणों को दूर करने में सहायक होता है विशेष कर इसके शुरूआती दौर में। इसके अलावा गर्भवती माताओं द्वारा मछली के तेल को पूरक के रूप में सेवन करने पर यह शिशुओं में एलर्जी के खतरे को कम कर सकता है।
अवसाद और चिंता के लक्षणों को कम करने के लिए मछली के तेल के फायदे का उपयोग किया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि 2030 तक यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी बीमारी हो सकती है। यह देखने में आता है कि जिन लोगों को अवसाद या चिंता की समस्या होती हैं उनके शरीर में ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी होती है। इस कमी को दूर कर आप चिंता और अवसाद से बच सकते हैं।
अध्ययनों से पता चलता है कि ईपीए में समृद्ध तेल डीएचए से अधिक अवसादग्रस्त (Depressive) लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।
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सूजन संक्रमण से लड़ने और शरीर की चोट का इलाज करने का प्रतिरक्षा प्रणाली का अपना एक तरीका है। हालांकि कभी-कभी लंबी अवधि में सूजन कम हो सकती है। इसे पुरानी सूजन कहा जाता है। यह मोटापे, मधुमेह, अवसाद और हृदय रोग जैसी कुछ पुरानी बीमारियों को बढ़ा सकता है। इन मामलों में सूजन को कम करने से रोग के लक्षणों का इलाज करने में मदद मिल सकती है।
मछली के तेल में एंटी-इन्फ्लामेट्री गुण होते हैं जो पुरानी सूजन और इससे संबंधित बीमारियों का इलाज करने में मदद करते हैं। यह तनावग्रस्त व्यक्तियों में मछली का तेल साइटोकिन्स (Cytokines) नामक सूजन अणुओं के उत्पादन को कम कर सकता है। इसके अलावा मछली के तेल के पूरक में रूमेटोइड गठिया वाले लोगों में संयुक्त दर्द, कठोरता और दवा की जरूरतों को काफी कम कर सकते हैं।
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अध्ययनों से पता चलता है कि यह एड्स का इलाज कर सकता है। लेकिन इस उद्देश्य के लिए अभी मछली के तेल पर और अधिक अध्ययनों की आवश्यकता है।
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ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन करने से भ्रूण के संज्ञानात्मक और मोटर विकास को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। 2008 में वैज्ञानिकों ने पाया कि गर्भावस्था के पिछल 3 महीनों के दौरान ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन करने से भ्रूण में संवेदी, संज्ञानात्मक विकास (cognitive, and motor development) में सुधार कर सकता है।
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स्वास्थ्य के नजरिये से मछली का तेल बहुत ही फायदेमंद होता है। लेकिन इसके उपयोग का तरीका भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है। मछली तेल का उपयोग करने के लिए आपको इसके पैकिट या बोतल पर दिये गए निर्देशानुसार ही उपयोग करना चाहिए। साथ ही आपको इसकी अधिक या कम मात्रा को लंबे समय तक उपयोग करने से बचना चाहिए। मछली के तेल का उपयोग आप कई तरह से कर सकते हैं।
आप मछली के तेल कैप्सूल का सेवन कर सकते हैं। लेकिन ध्यान दें कि कैप्सूल में ना ही छेद (puncture) करें और ना ही इसे फोड़ें। भोजन के साथ इस कैप्सूल का सेवन करना ज्यादा फायदेमंद होता है। पूरक के रूप में मछली तेल का सेवन करने पर आपको अपना रक्तपरिक्षण अवश्य कराना चाहिए। ताकि यह पता चल सके कि यह आपके स्वास्थ्य में मदद कर रहा है या नहीं।
मछली का तेल केवल उपचार का एक हिस्सा है, जिसमें आपका आहार, व्यायाम, जीवनशैली, वजन नियंत्रण आदि शामिल हैं। आप अपनी दैनिक गतिविधियों में ध्यान दें। मछली तेल के कैप्सूल को ठंडी जगह पर नहीं रखना चाहिए, इसे आप कमरे के सामान्य तापमान में रख सकते हैं।
पर्याप्त मात्रा में मछली के तेल के फायदे इसकी निश्चित खुराक पर निर्भर करता है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग सप्ताह में 1-2 बार मछली का सेवन नहीं करते हैं उन्हें मछली के तेल को पूरक के रूप में लेना चाहिए।
ईपीए और डीएचए खुराक की उचित मात्रा आपकी आयु और स्वास्थ्य के आधार पर भिन्न होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार ईपीए और डीएचए के 0.2 से 0.5 ग्राम मछली के तेल को दैनिक आधार पर सेवन करने की सलाह दी जाती है। लेकिन गर्भवती या स्तन पान कराने वाली महिलाओं और हृदय रोगीयों के लिए इसके सेवन की मात्रा चिकित्सक की सलाह के अनुसार बढ़ाई जा सकती है। आप अपने स्वास्थ्य और समग्र विकास के लिए ऐसे मछली तेल के पूरक का चयन करें जो प्रति खुराक में कम से कम 0.3 ग्राम (300 मिलीग्राम) ईपीए और डीएचए प्रदान करे।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए पूरक के रूप में मछली के तेल का सेवन करना बहुत ही अच्छा है। लेकिन मछली का तेले लेने का सबसे अच्छा समय निर्धारित नहीं किया जा सकता है। जब आप मछली के तेल को उच्च वसा वाले भोजन या स्नैक के साथ लेते हैं तो यह आपके लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। उच्च वसा वाले भोजन का अच्छा उदाहरण मांस और अंडे हैं।
मछली का तेल लेने का कोई उपयुक्त समय नहीं है, लेकिन ध्यान रखें कि इसका सेवन आपको नियमित रूप से आपके द्वारा तय किये गए समय पर ही किया जाना चाहिए। पोषक तत्वों और विटामिनों को निश्चित समय में लेने पर अधिक फायदा होता है। चाहे वह समय नाश्ते का हो, दोपहर या रात के भोजन के बाद का हो या फिर रात मे सोने के पहले का हो। आप जिस भी समय को चुनते हैं इसी समय में नियमित रूप से मछली के तेल या कैप्सूल का सेवन करें।
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यदि आप मछली तेल का सेवन कर रहे हैं, तो इस दौरान आपको अपने अन्य खाद्य पदार्थों पर नियंत्रण रखना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपके द्वारा यदि अधिक मात्रा में वसा और कोलेस्ट्रॉल वाले भोजन का सेवन करते हैं तो मछली का तेल आपके ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने में प्रभावी नहीं होगा।
इसके अलावा आपको इस दौरान शराब या अन्य मादक पदार्थों का सेवन करने से भी बचना चाहिए।
मछली तेल के फायदे बहुत अधिक है, लेकिन इसके अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से एलर्जी और साइड इफैक्टस भी हो सकते हैं विशेष रूप से चेहरे, होंठ, जीभ या गले की सूजन आदि। अधिक मात्रा में सेवन करने से किसी को भी मुंह की बदबू, पेट की खराबी, दस्त, मलती, उल्टी और हृदय की अनियंत्रित गति जैसी समस्याएं हो सकती है। इसलिए इसका सेवन निश्चित और कम मात्रा में करें। मछली के तेल से होने वाले अन्य नुकसान इस प्रकार हैं :
मछली तेल का सेवन करने के दौरान यदि नीचे बताए गए किसी भी प्रकार के लक्षणों का अनुभव हो तो आपको तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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