Mahila Banjhpan Ka Ayurvedic Ilaj In Hindi महिला बांझपन एक गंभीर समस्या है। लेकिन महिला में बांझपन दूर करने के लिए घरेलू उपचार प्रभावी होते हैं। आज ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं जो गर्भनिरोधक उपायों को अपनाए बिना भी गर्भाधारण नहीं कर पाती हैं। जबकि जीवन चक्र चलाने और वंश को आंगे बढ़ाने के लिए प्रजनन क्रिया बहुत ही अनिवार्य है। महिला बांझपन वह स्थिति है जिसमें संभोग करने के दौरान भी गर्भाशय भ्रूण को बनाए रखने में असफल रहता हैं। यह स्थिति न केवल दंपति को शारीरिक रूप से प्रभावित करती है बल्कि सामाजिक और भावनात्मक रूप से भी परेशान करती है। इस आर्टिकल में महिला बाझपन के लिए आयुर्वेदिक उपचार की जानकारी दी गई हैं।
विषय सूची
1. महिला बांझपन के कारण – Mahila Banjhpan Ke Karan In Hindi
2. महिला बांझपन और आयुर्वेद – Mahila Banjhpan Aur Ayurved In Hindi
ऐसे बहुत से कारण हैं जो महिलाओं की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करते हैं। महिलाओं में बांझपन के कुछ सामान्य कारण संक्रमण और बढ़ती उम्र भी हो सकते हैं। आइए इन्हें जाने।
हाई एफएसएच (High FSH) – फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (Follicle Stimulating Hormone) शरीर में पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा स्रावित एक हार्मोन है। यह अंडाशय में कूप विकास को उत्तेजित करता है और अंडे को निषेचन के लिए तैयार करता है। शरीर में एफएसएच का स्तर उम्र बढ़ने के साथ ही बढ़ता है। जिससे अंडाशय अच्छी तरह से काम नहीं कर पाता है। परिणामस्वरूप यह महिला बांझपन का कारण बन सकता है।
अवरूद्ध फैलोपियन ट्यूब (Blocked Fallopian tubes) – फैलोपियन ट्यूब बाधा महिलाओं में बांझपन का प्रमुख कारण होता है। निषेचन की क्रिया फैलोपियन ट्यूब के अंदर होती है। इसलिए यहां आने वाले अवरोध निषेचन और गर्भावस्था को प्रभावित कर सकते हैं।
एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) – एंडोमेट्रियोसिस से ग्रसित महिलाओं में प्रजनन क्षमता लगभग 12 से 35 प्रतिशत तक कम हो सकती है। यह एक ऐसी स्थिति है जहां गर्भाशय के बजाय पेट में कहीं और या अंडाशय फैलोपियन ट्यूब या श्रोणी क्षेत्र में गर्भाशय का अस्तर बढ़ने लगता है।
फाइब्रॉएड (Fibroids) – ये गर्भाशय के अंदर या आसपास गैर-कैंसर वाले ट्यूमर हैं। जो महिला प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।
आयु (Age) – महिलाओं में बांझपन का प्रमुख कारण उनकी उम्र है। यदि किसी महिला की उम्र 35 वर्ष से अधिक है तो उनका अंडाशय ठीक तरीके से काम नहीं करता है। जिससे कम अंडों का उत्पादन होता है जो कि स्वस्थ्य भी नहीं होते हैं।
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हार्मोनल असंतुलन (Hormonal imbalance) – महिला शरीर में हार्मोनल परिवर्तन भी बांझपन का प्रमुख हो सकता है। जिससे अंडों का विकास पूरी तरह से नहीं हो पाता है।
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गर्भधारण करना केवल शारीरिक सुख प्राप्ति का परिणाम नहीं है। बल्कि यह शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक घटनाओं के परिणामस्वरूप होता है। एक स्वस्थ्य बच्चे के लिए माता और पिता दोनों शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ्य होना चाहिए। जिससे कि वे गर्भाधान के लिए शुक्राणु और अंडाणुओं का उत्पादन कर सकें। लेकिन बहुत की शारीरिक समस्याओं और स्वास्थ्य के कारण अक्सर महिलाओं और पुरुषों की प्रजनन क्षमता में कमी आ जाती है। जो कि स्थाई समस्या नहीं है। आयुर्वेदिक उपचार कर आप इस समस्या का समाधान कर सकते हैं। ऐसी औषधी और जड़ी बूटीयां हैं जो महिला प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकती हैं। आइए जाने महिला बांझपन के लिए आयुर्वेदि उपचार किस प्रकार किया जा सकता है।
किवांच (Mucuna pruriens) या कौंच बीज महिला बांझपन का इलाज कर सकता है। आयुर्वेद में कौंच बीज का उपयोग विशेष औषधी के रूप में किया जाता है। यह महिला और पुरुष दोनों की प्रजनन क्षमता में वृद्धि कर सकता है। कौंच के बीज कामोत्तेजक गुणों के लिए जाने जाते हैं। बांझपन का उपचार करने के लिए महिलाओं के लिए भी कौंच बीज का सेवन लाभकारी हो सकता है।
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बांझपन दूर करने की आयुर्वेदि औषधी के रूप में लोध्र को जाना जाता है। यह महिला बांझपन के लक्षणों को प्रभावी रूप से दूर कर सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह फॉलिक्युलर स्टिमुलेटिंग हार्मोन और ल्यूटिनाइजिंग जैसे प्रजनन हार्मोन के स्तर को बढ़ाने में सहायक होते हैं। गर्भाधारण के प्रारंभिक महिनों के दौरान नियमित रूप से लोध्र का सेवन गर्भपात
की संभावनाओं को कम करता है। नियमित रूप से भोजन के बाद लोध्र को दूध और शहद के साथ खाना चाहिए। लोध्र का सेवन महिला बांझपन के आयुर्वेदिक उपचार में से एक है।(और पढ़े – लोध्र के फायदे और नुकसान…)
पुरुषों और महिलाओं के लिए गोखरू या ‘गोक्षुर को वरदान माना जाता है। यह जड़ी बूटी महिला और पुरुषों में बांझपन के लक्षणों को कम करने में सहायक होती है। महिलाओं के लिए इसे फीमेल पर्टिलिटी टॉनिक के रूप में जाना जाता है। इसके औषधीय गुण अंडाशय को उत्तेजित करते हैं। इस प्रकार यह उन महिलाओं के लिए उत्कृष्ट पसंद है जो मासिक धर्म चक्र की समस्याओं से ग्रसित है यह अनियमित मासिक धर्म को भी प्रभावी रूप से दूर कर सकता है।
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आयुर्वेद में महिला स्वास्थ्य और प्रजनन क्ष्मता को बढ़ाने के लिए शतावरी का व्यापक उपयोग किया जाता है। यह महिला डिंब या अंडे को पोषण देती है और प्रजनन क्षमता को बढ़ाती है। क्योंकि इसमें एस्ट्रोजेन जैसे यौगिक होते हैं।
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आयुर्वेद के अनुसार शुक्र धातू को शीत धतू के रूप में जाना जाता है। जिसका अर्थ है कि शुक्र को प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए शांत वातावरण की आवश्यकता होती है। इस प्रकार बहुत अधिक मसालेदार भोजन करने से शुक्र धातु की गुणवत्ता कम हो सकती है। इसलिए महिलाओं को ऐसे मसालेदार भोजन से बचना चाहिए जिनकी प्रकृति गर्म होती है। अधिक मसालेदार भोजन महिलाओं में डिंब की गुणवत्ता को भी कम कर सकता है।
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पुरुषों और महिलाओं दोनों की प्रजनन प्रणाली पर गर्मी का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि शुक्राणुओं की पर्याप्त गुणवत्ता और मात्रा का उत्पादन करने के लिए वृषण का तापमान शरीर के तापमान से कम होना चाहिए। समान्य परिस्थितियों में अंडकोष की थैली को शरीर द्वारा ठंडा रखा जाता है। तंग कपड़े पहनने से उनके शरीर में गर्मी बढ़ सकती है। इसलिए लोगों को तंग कपड़े पहनने से बचना चाहिए।
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हार्मोन असंतुलन महिला बांझपन का प्रमुख कारण होता है। हार्मोन असंतुलन को रोकने के लिए ‘’ शिरोधरा ‘’ थेरेपी ली जा सकती है। जिसमें कई विशिष्ट औषधीय तेलों का उपयोग सिर पर किया जाता है। माथे के विशिष्ट बिंदू पर इन तेलों की लयबद्ध बूंदे गिराई जाती हैं। यह प्रक्रिया हाइपोथैलेमस, पिट्यूटरी और पीनियल ग्रंथियों को उत्तेजित करती है और एफएसएच सहित पर्याप्त मात्रा में हार्मोन के संचार को बढ़ाती हैं। इस तरह से महिला बांझपन का इलाज करने के लिए शिरोधरा थेरेपी उपयोगी होती है।
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दैनिक जीवन में आने वाला तनाव हमारे शरीर में प्रतिकूल प्रभाव छोड़ता है। विशेष तौर से उस समय जब यह लंबे समय तक बना रहता है। ये तनावपूर्ण स्थितियां महिला और पुरुष दोनों की कामेच्छा में कमी ला सकती हैं। जिससे स्वस्थ्य गर्भाधान में दिक्कत हो सकती है। महिलाओं में लंबे समय तक तनाव ओवुलेशन (ovulation) को प्रभावित कर सकता है। इस दौरान वे सामान्य से कम अंडों का उतसर्जन करती हैं जिससे गर्भाधान होने की संभावना कम हो जाती है। इसलिए महिला बांझपन को रोकने के लिए तनाव मुक्त जीवन जीना फायदेमंद होता है।
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समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए आयुर्वेद घी, दूध, बादाम, अखरोट, तिल जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह देता है। ये सभी खाद्य पदार्थ शरीर में शुक्रा धातु (shukra dhatu) के स्तर को बढ़ाते हैं। चूंकि वात दोष का महिला प्रजनन प्रणाली से सीधा संबंध होता है। इसके अलावा भी आप अपनी समस्या का समाधान करने के लिए किसी डॉक्टर या आयुर्वेद सलाहकार से संपर्क कर सकती हैं।
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