Ashoka Tree Bark Benefits For Women In Hindi: अशोक का मतलब है “दुःख के बिना” या दर्द से राहत देने वाला। अशोक वृक्ष हिंदू धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म में एक पवित्र वृक्ष है। यह सबसे पुराने ज्ञात भारतीय पेड़ों में से एक है। अशोक वृक्ष का वानस्पतिक नाम सारका असोका और सारका इंडिका है। यह कैसलपिनियासी परिवार से है। क्या आप जानते हैं कि अशोक के पेड़ के फायदे महिलाओं के लिए भी होते हैं। यह एक सदाबहार पेड़ है जिसके औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण इसका उपयोग आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सा में किया जाता है। अशोक के पेड़ का इस्तेमाल करने के फायदे महिलाओं को राजोनिवृत्ति, योनि संक्रमण और गर्भाशय संबंधी समस्याओं को दूर करने में होते हैं। अशोक के पेड़ के लाभ मुख्य रूप से महिला प्रजनन प्रणाली से संबंधित समस्याओं की रोकथाम और उपचार में होता है। आइए जाने महिलाओं के लिए अशोक की छाल के फायदे क्या हैं।
विषय सूची
भारत के सबसे प्राचीन पेड़ों में से एक अशोक का पेड़ है। अशोक वृक्ष का वानस्पतिक सारका असोका (Saraca asoca) और सारका इंडिका (Saraca indica) है। यह कैसलपिनियासी (Caesalpiniaceae) फेमिली से संबंधित सदाबहार पेड़ है। अशोक के पेड़ में नारंगी और पीले रंग के फूल गुच्छों के रूप में होते हैं। ये फूल गिरने से पहले लाल हो जाते हैं। भारतीय परंपरा के अनुसार अशोक के पेड़ की पूजा काम देव को प्रशन्न करने के लिए की जाती है। लेकिन आयुर्वेद में अशोक के पेड़ की पत्तियों, छाल, फल, फूल और जड़ों का उपयोग कई प्रकार की औषधियों को तैयार करने के लिए किया जाता है।
शब्द”अशोक” एक हिंदी शब्द “अशोक” से लिया गया है जिसका अर्थ है “दुःख के बिना”। इस पौधे का अंग्रेजी नाम असोका (Asoca) है। अशोक के पेड़ का उपयोग प्राचीन काल से एक औषधीय जड़ी बूटी के रूप में किया जाता है। आइए जाने अशोक के पेड़ के गुण और पोषक तत्व क्या हैं।
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अशोक के पेड़ में कई ऐसे पोषक तत्व और खनिज पदार्थ होते हैं जो मानव स्वास्थ्य और विशेष रूप से महिलाओं के लिए फायदेमंद होते हैं। अशोक के पेड़ के विभिन्न भागों में टैनिन, ग्लाइकोसाइड (glycoside), एशेंसियल ऑयल और कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है। इसमें कार्बन और लोहे के कार्बोनिक यौगिक भी होते हैं जबकि पेड़ की छाल में केटोस्टरोल (ketosterol) होता है।
अशोक का पेड़ एक औषधीय जड़ी बूटी के रूप में उपयोग किया जाता है। अशोक के पेड़ में जीवाणुरोधी गुण, एंटी-फंगल, एंटी-कैंसर, एंटी-लार्वा, एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटीऑक्सीडेंटी, एंटीहेमोरेजिक, एंटीऑक्सीटोसिक, एंटीपीयरेटिक, एनाल्जेसिक और कूलिंग प्रभाव होते हैं। जिसके कारण यह महिलाओं में ल्यूकोरिया, योनि संक्रमण, गर्भाशय की सुस्ती आदि का इलाज करने में प्रभावी होता है। इसके अलावा अशोक के पेड़ का उपयोग करने पर यह दस्त, पेचिश और आंतों के कीड़ों संबंधी संक्रमण का भी उपचार करने में सहायक होता है।
अशोक वृक्ष को महिला प्रजनन प्रणाली से संबंधित स्वास्थ्य के मुद्दों के इलाज में जड़ी बूटी के रूप में किया जाता है। यह गर्भाशय, डिम्बग्रंथि के ऊतकों के स्वास्थ्य को बनाए रखता है। अशोक का उपयोग मासिक धर्म को नियमित करने और अवधि के दौरान दर्द से राहत दिलाने में किया जाता है। महिला स्वास्थ्य के लिए मुख्य रूप से अशोक की छाल का उपयोग किया जात है।
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अनियमित मासिक धर्म चक्र (भारी रक्तस्राव और प्रारंभिक माहवारी के साथ), अत्यधिक रक्तस्राव (मेनोरेजिया) और दर्दनाक माहवारी (कष्टार्तव) सभी उम्र की महिलाओं द्वारा अनुभव किए जाने वाले बहुत ही सामान्य मासिक धर्म संबंधी विकार हैं। मासिक धर्म चक्र से संबंधित समस्याओं के इलाज के लिए स्थानीय महिलाएं अशोक की जड़ी-बूटी का इस्तेमाल करती रहीं हैं। अशोका जड़ी बूटी मासिक धर्म चक्र को भी नियमित कर सकती है। यह मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव और दो मासिक धर्म चक्रों के बीच अत्यधिक रक्तस्राव का भी इलाज कर सकता है। मासिक धर्म के दौरान होने वाली कमजोरी और दर्द का इलाज भी अशोक के पत्तों के ताजा रस का सेवन करके किया जा सकता है। यह रस मासिक धर्म की ऐंठन और थकान से राहत देता है।
इसके अलावा अशोक के पेड़ की सूखी छाल और फूलों का उपयोग गर्भाशय के विकारों को दूर करने के लिए किया जाता है। अशोक के पेड़ की छाल का गर्म पानी में तैयार किया गया अर्क गर्भाशय को उत्तेजित करने का सबसे अच्छा घरेलू उपाय है।
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आयुर्वेद में मासिक धर्म के दौरान भारी मासिक धर्म प्रवाह को कम करने के लिए अशोक क्षीर पाक तैयार किया जाता है। यह उस दौरान अधिक प्रभावी होता है जब किसी महिला को शुरुआती अवधि होती है जो भारी रक्तस्राव के साथ लंबे समय तक चलती है।
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अशोक के पेड़ की छाल को लें और इसे धूप में अच्छी तरह से सुखा कर पाउडर बना लें। इस चूर्ण की 6 ग्राम मात्रा 500 मिली लीटर गाय के दूध और 500 मिली लीटर पानी के मिश्रण में मिलाएं। इस पूरे मिश्रण को तब तक उबालें जब तक मिश्रण की मात्रा आधी न हो जाए। इस मिश्रण को स्वादिष्ट बनाने के लिए आप इसमें 1 चम्मच चीनी मिला सकते हैं। इस मिश्रण को ठंडा करें और छान लें। नियमित रूप से कुछ दिनों तक सुबह के समय खाली पेट इस मिश्रण का सेवन करें। ऐसा करने पर आपको भारी मासिक धर्म की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
अशोक वृक्ष का उपयोग मासिक धर्म की ऐंठन के इलाज के लिए भी प्रभावी होता है। इस समस्या का इलाज करने के लिए अशोक के पेड़ की छाल का उपयोग काढ़े के रूप में किया जाता है। इस काढ़े की 10 मिली लीटर मात्रा को 3 दिनों के लिए दैनिक रूप से सेवन किया जाता है। आप अशोक की ताजी छाल को उबालकर भी इसका सेवन कर सकते हैं।
विकल्प के रूप में 15 ग्राम अशोक की छाल के पाउडर को 200 मिली लीटर पानी में मिलाएं। इस मिश्रण को तब तक उबालें जब तक मिश्रण एक चौथाई न बचें। इस मिश्रण को छान कर किसी बर्तन में रख लें। इस मिश्रण की 25 मिली लीटर मात्रा का सेवन दिन में दो बार करने से मासिक धर्म की ऐंठन से छुटकारा मिल सकता है।
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वजाइनल डिस्चार्ज मासिक धर्म के बाद या गर्भावस्था के बाद महिलाओं में होने वाली एक सामान्य घटना हो सकती है। ल्यूकोरिया योनि से एक असामान्य सफ़ेद या हल्के पीले रंग का निर्वहन है जो दुर्गंधयुक्त होता है। इस प्रकार के लक्षण कुछ संक्रमण के कारण हो सकते हैं। महिलाएं इस प्रकार की समस्या से बचने के लिए अशोक के वृक्ष का इस्तेमाल कर सकती हैं। इस जड़ी बूटी में रोगाणुरोधी गुण होते हैं जिसके कारण यह ल्यूकोरिया के इलाज में प्रभावी होता है। इसका उपचार करने के लिए आप पानी और दूध की बराबर मात्रा में अशोक की छाल को मिलाकर काढ़ा तैयार करें। इस काढ़े का नियमित सेवन ल्यूकोरिया के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
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एंडोमेट्रियोसिस गर्भाशय की एक बीमारी है जहां गर्भाशय या एंडोमेट्रियम (endometrium) की अंदरूनी परत गर्भाशय के बाहर बढ़ती है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में यह एक दर्दनाक और लाइलाज बीमारी है। यह एक गंभीर बीमारी है और इससे महिलाओं को बांझपन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। क्योंकि गर्भाशय की दीवार का बाहरी विकास शुक्राणुओं को अंडाणु से मिलने से रोक सकता है।
इस समस्या का घरेलू उपचार करने के लिए अशोक की छाल का इस्तेमाल किया जा सकता है। अशोक की छाल में पाये जाने वाले फाइटोकेमिकल्स में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। जो गर्भाशय के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं और एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) का इलाज करने में मदद करते हैं।
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अशोक जड़ी बूटी गर्भाशय और संबंधित ऊतकों के समुचित विकास को बढ़ाने में मदद करती है। आयुर्वेद में अशोक के पेड़ को गर्भाशय टॉनिक माना जाता है। कमजोर गर्भाशय की मांसपेशियों वाली महिलाओं को नियमित रूप से अशोक की छाल का काढ़ा पीना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार अशोक का पेड़ महिलाओं के लिए एक वरदान है।
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सदियों से अशोक के पेड़ को जड़ी बूटी के रूप में उपयोग किया जा रहा है जो स्त्री रोग संबंधी समस्याओं का प्रभावी उपचार माना जाता है। अशोक जड़ी बूटी का इस्तेमाल गर्भाशय के दर्द, मासिक धर्म, पेट दर्द, मासिक धर्म की ऐंठन, कमजोरी और थकान को दूर करने के लिए किया जाता है। अशोक का इस्तेमाल मासिक धर्म के दौरान महिलओं को आने वाली कमजोरी को दूर करने में प्रभावी होता है। यह महिलाओं में रक्त परिसंचरण को बढ़ावा देने और सिरदर्द से राहत पाने में भी सहायक होता है। क्योंकि अशोक में एनाल्जेसिक या दर्दनाशक गुण होते हैं जो नसों को शांत करने में मदद करते हैं विशेष रूप से उस दौरान जब वात दोष बढ़ा हुआ होता है।
पेट दर्द का उपचार करने के लिए अशोक की पत्तियों के रस और जीरा पाउडर का सेवन सेवन करना बहुत ही प्रभावी होता है। अशोक की छाल से बना काढ़ा गर्भाशय के दर्द से राहत दिलाता है।
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अध्ययनों से पता चलता है कि अशोक की छाल से बनाया गया अर्क, अश्वगंधा चूर्ण और प्रवाल पिष्टी रजोनवृत्ति सिंड्रोम के इलाज में बहुत ही सहायक और प्रभावी होता है। महिलाएं रजोनिवृत्ति सिंड्रोम के आयुर्वेदिक उपचार के लिए इस उपाय को अपना सकती हैं।
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महिलाएं अपने बेहतर स्वास्थ्य के लिए और प्रजनन संबंधी लाभ प्राप्त करने के लिए अशोक की छाल के काढ़े को घर पर ही तैयार कर सकती हैं। यह बहुत ही आसान है और आपके लिए बहुत ही फायदेमंद भी साबित हो सकता है।
भारत में अशोक का पेड़ एक औषधीय पेड़ है जिसके फायदे विशेष रूप से महिलाओं के लिए होते हैं। हालांकि इसका उपयोग करने के दुष्प्रभावों की अभी तक कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है। फिर भी हम आपको सलाह देते हैं कि किसी भी प्रकार के लाभ प्राप्त करने के लिए अशोक का उपयोग करने से पहले अपने चिकित्सक या अनुभवी व्यक्ति की सलाह जरूर लें।
अशोक की जड़ी-बूटी का अपना लोकवानस्पतिकी (Ethnobotany) और जातीय औषधीय (ethnomedicinal) महत्व है। यह सफलतापूर्वक स्त्रीरोग संबंधी विकारों जैसे कि मेनोरेजिया, एंडोमेट्रियोसिस, डिसमेनोरिया, आदि के इलाज के लिए इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा, यह एक प्रसिद्ध जड़ी बूटी है जिसका इस्तेमाल कैंसर, टाइप 2 मधुमेह और बवासीर से लड़ने के लिए किया जाता है। इस पेड़ के अपार लाभों के संबंध में अधिक वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध होने के कारण इसे वैश्विक मान्यता प्राप्त हुई है। इसलिए न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में अशोक पेड़ की छाल की अधिक मांग की जा रही है।
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