Mahilao Me Cancer Ke Lakshan महिलाओं में कैंसर के लक्षण को यदि समय रहते पहचान लिया जाये तो उसे इलाज के द्वारा ठीक किया जा सकता है। पिछले कुछ समय से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी ने अपने पैर काफी हद तक पसारने शुरू कर दिए है। फिर चाहे बात महिलाओं की हो या पुरूषों की, यह हर किसी को अपनी चपेट में ले लेता है। कैंसर लाइलाज नहीं है और इसकी जंग बेहद आसानी से जीती जा सकती है, बशर्ते समय रहते इसका पता लग जाए। अमूमन देखने में आता है कि जब महिला की स्थिति बहुत अधिक खराब हो जाती है, तब वह डॉक्टर से संपर्क करती है और तब तक बहुत देर हो जाती है। इस स्थिति से बचने का आसान उपाय है कि इसके लक्षणों को नजरअंदाज न किया जाए। तो चलिए जानते हैं महिलाओं में कैंसर के कुछ शुरूआती लक्षणों के बारे में-
1. महिलाओं में कैंसर के प्रकार – Mahilao Me Cancer Ke Prakar In Hindi
2. महिलाएं कैंसर से बचने के लिए ऐसे रखें अपना ध्यान – Mahila Cancer Se Bachne Ke Upay In Hindi
पुरूषों व महिलाओं में अलग-अलग तरह के कैंसर देखने को मिलते हैं। जहां पुरूषों को मुंह का कैंसर अधिक होता है, वहीं महिलाओं में स्तन कैंसर, ग्रीवा कैंसर, ओवेरियन कैंसर, कोलन कैंसर, एंडोमेट्रियल कैंसर, लंग कैंसर, स्किन कैंसर के मामले अधिक देखने को मिलते हैं।
अगर महिलाओं में कैंसर के कारणों की बात की जाए तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। जैसे धूम्रपान, अनियमित खानपान और दिनचर्या। इसके अतिरिक्त हार्मोनल बदलाव या किसी तरह की हार्मोनल थेरेपी भी कैंसर का मुख्य कारण बन सकती है। आइये जानते हैं महिलाओं में कैंसर के सामान्य लक्षण क्या होते है और उन्हें कैसे पहचाने के बारे में।
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महिलाओं में स्तन कैंसर के लक्षण को स्तनों में हो रहे बदलावों से पहचाना जा सकता है। ब्रेस्ट कैंसर स्तन के उत्तकों पर होता है और अगर आपको स्तन पर किसी तरह की गांठ, स्तनों का असामान्य तरीके से बढ़ना, बगल में सूजन आना या गांठ बनना, निप्पल का आकार बदलना, उसका अंदर धसना, निप्पल से किसी तरह का डिस्चार्ज, निप्पल व ब्रेस्ट पर घाव महसूस हो रहा है तो यह महिला में स्तन कैंसर का प्रारंभिक लक्षण हो सकता है। इसका पता लगाने के लिए ब्रेस्ट सेल्फ चेकअप किया जाना चाहिए। इसके लिए अपनी तीन उंगलियां अपने स्तनों पर रखकर गोलाकार घुमाएं। अगर आपको अपने बगल या स्तन में गांठ का अनुभव हो या फिर स्तनों में किसी प्रकार का अलग बदलाव महसूस हो तो आपको ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है। आपको तुरंत इसकी जांच करानी चाहिए।
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ग्रीवा कैंसर उन महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है जो यौन सक्रिय हैं या जिन्हें एचआईवी व एड्स हैं या फिर वह धूम्रपान करती हैं। खासतौर से, एचपीवी अर्थात मानव पैपिलोमा वायरस नामक एक विशिष्ट प्रकार का वायरस महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के लगभग सभी मामलों का मुख्य कारण बनता है। महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के लक्षणों में असामान्य ब्लीडिंग जैसे पीरियड्स के दौरान हैवी ब्लीडिंग होना, संभोग के बाद ब्लीडिंग, श्रोणि परीक्षण के बाद ब्लीडिंग, रजोनिवृत्ति के बाद ब्लीडिंग, संभोग के दौरान दर्द, मासिक धर्म का लंबे समय तक होना, योनि स्राव में वृद्धि व उसका रंग व गंध में असामान्य होना, रजोनिवृत्ति के बाद दर्द, श्रोणि या कमर में लगातार दर्द, बार-बार पेशाब जाना और मूत्र त्याग के दौरान दर्द तथा पेल्विक पेन ग्रीवा कैंसर के शुरूआती स्टेज के मुख्य संकेत हैं।
वहीं गर्भाशय ग्रीवा की एडवांस स्टेज में वजन घटना, थकान, पैर में दर्द व सूजन, बोन फ्रैक्चर व योनि से मूत्र व मल का रिसाव हो सकता है।
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ओवेरियन या यूटेरस कैंसर अर्थात डिम्बग्रंथि के कैंसर को शुरूआती चरण में पता लगा पाना बेहद मुश्किल होता है क्योंकि या तो इसके लक्षण नजर ही नहीं आते या फिर वह अस्पष्ट होते हैं, जिसके कारण महिलाओं द्वारा उसे नजरअंदाज कर दिया जाता है। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार, केवल 20 प्रतिशत ओवेरियन कैंसर के मामले ही शुरूआती स्टेज में पता लग पाते हैं। इसलिए महिलाओं को ओवेरियन कैंसर के लक्षण को लेकर अधिक सतर्क होने की आवश्यकता होती है। महिलाओं में ओवेरियन कैंसर के लक्षणों में पेट फूलना, पेट में दबाव या दर्द, खाने में परेशानी या खाना खाने के बाद पेट का जरूरत से ज्यादा भरे होने का अहसास, पेशाब में वृद्धि, थकान, अपच, हार्टबर्न, कब्ज, पीठ में दर्द, अनियमित मासिक धर्म, संभोग के दौरान दर्द आदि नजर आ सकते हैं।
हालांकि इस तरह की समस्याएं अन्य भी कई कारणों से होती हैं, इसलिए अगर यह लक्षण लगातार दिखाई दें तो एक बार डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।
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चूंकि कोलन कैंसर (कोलोरेक्टल कैंसर) सीधे तौर पर आपके पेट से जुड़ा है, इसलिए इस कैंसर के होने की स्थिति में इसका सबसे पहला असर पेट पर ही पड़ता है। कोलोन कैंसर होने पर बाउल मूवमेंट में बदलाव देखा जाता है। महिलाओं में कोलन कैंसर के लक्षण में, कब्ज, दस्त या मल की कसिस्टेंसी में परिवर्तन अगर चार सप्ताह से अधिक रहे, तो एक चेतावनी का संकेत है। इसके अतिरिक्त मल में रक्त या मलत्याग के दौरान रक्तस्राव, पेट में परेशानी जैसे ऐंठन, गैस या दर्द, कमजोरी या थकान, बिना किसी के कारण के वजन का लगातार घटना या फिर अस्पष्टीकृत एनीमिया भी पेट के कैंसर के लक्षणों को दर्शाते हैं।
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एंडोमेट्रियल कैंसर महिला के गर्भाशय में शुरू होता है। एंडोमेट्रियल कैंसर से पीड़ित दस में से नौ महिलाओं को योनि से असामान्य रक्तस्राव या डिस्चार्ज का अनुभव होता है। इसके अतिरिक्त रजोनिवृत्ति से पूर्व हैवी व असामान्य पीरियड्स, यहां तक कि रजोनिवृत्ति के पश्चात भी योनि से रक्तस्राव, योनि से अधिकतर पानी या रक्त का स्राव, महिलाओं में पेल्विक पेन व संभोग के दौरान दर्द इस कैंसर के मुख्य लक्षण माने जाते हैं।
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लंग कैंसर महिलाओं व पुरूषों दोनों में ही देखने को मिलता है। इतना ही नहीं, दोनों में इसके लक्षण भी लगभग एकसमान ही होते हैं। फेफड़ों का कैंसर पुरुषों और महिलाओं दोनों में होने वाला दूसरा सबसे आम प्रकार का कैंसर है। महिलाओं में फेफड़ों का कैंसर होने पर लगातार बिगड़ती खांसी, सीने में दर्द, खूनी खांसी, सांस लेने में कठिनाई, घरघराहट, आवाज में कर्कश, भोजन निगलने में परेशानी, भूख में कमी, वजन घटना, थकान, फेफड़ों का संक्रमण जैसे कि निमोनिया या ब्रोंकाइटिस होने की संभावना अधिक रहती है।
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जब किसी व्यक्ति की त्वचा सूर्य के संपर्क में जरूरत से ज्यादा आती है तो त्वचा का कैंसर होने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। हालांकि स्किन कैंसर उन क्षेत्रों पर भी हो सकता है, जहां पर सूरज की किरणें न पड़ती हों। त्वचा कैंसर की शुरूआत होने पर त्वचा की सतह पर नोड्यूल, दाने या पैच आदि दिखाई दे सकते हैं। जैसे-जैसे त्वचा का कैंसर बढ़ने लगता है, स्किन मास का साइज व आकार बदलने लगता है। वहीं सिर या गर्दन की त्वचा पर हल्के पैच भी नजर आते हैं। स्किन कैंसर होने पर धूप के संपर्क में आने पर त्वचा में जलन, खुजली व लालिमा का अहसास, किसी बर्थमार्क या तिल के आसपास की त्वचा में परिवर्तन आना, बार-बार एक्जीमा होना, शरीर के दाग-धब्बों में खुजली या खून निकलना स्किन कैंसर के लक्षण हो सकते हैं।
इसलिए अगर आपको अपनी त्वचा में किसी तरह का बदलाव दिखे और वह असामान्य लगे तो डॉक्टर से अवश्य मिलें। जरूरी नहीं है कि आपको स्किन कैंसर ही हो लेकिन फिर भी डॉक्टर से परामर्श लेना उचित रहेगा।
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