Makar Sankranti ke baare mein in Hindi मकर संक्रान्ति का त्योहार हिंदू देवता सूर्य को समर्पित है इसलिए इसे हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार माना जाता है। यह त्योहार उत्तरायण काल के रूप में शुरू होता है और हिंदुओं के लिए छह महीने की शुभ अवधि की शुरूआत का प्रतीक है। मकर संक्रान्ति के शुभ समय पर हरिद्वार, काशी और प्रयागराज (इलाहाबाद) में गंगा, यमुना सहित देश के अन्य हिस्सों में गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियों में स्नानादि का विशेष महत्व माना गया है। मकर संक्रांति संस्कृत का शब्द है जिसमें ‘मकर’ शब्द का अर्थ मकर राशि से है जबकि ‘संक्रांति’ का अर्थ संक्रमण अर्थात प्रवेश करना है। इसे वर्ष की शुरूआत का पहला त्योहार होता है यही कारण है कि हिन्दू धर्म में इस पर्व को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
भारत के अलावा नेपाल में भी मकर संक्रान्ति काफी हर्षोल्लास के साथ मनायी जाती है। इस दिन विभिन्न नदियों के तटों पर स्नान करने के लिए लोगों की भारी भीड़ जुटती है। प्रयागराज में माघ मेला, कुंभ और अर्ध कुंभ मेला मकर संक्रान्ति के दिन से ही शुरू होता है।
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पौष के महीने में सूर्य जब धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है तो इसके एक जगह हटकर से दूसरी जगह यानि मकर से आकर मिलने की स्थिति को ही मकर संक्रान्ति कहा जाता है। इसे सूर्य के संक्रमण का भी त्योहार माना जाता है। आमतौर पर यह त्योहार जनवरी महीने की चौदहवीं या पंद्रहवीं तारीख को मनाया जाता है क्योंकि अब सूर्य दक्षिण की बजाय उत्तर से गमन करने लगता है। उत्तरायण उस अवस्था को कहते हैं जब धरती का उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है जिसके बाद सूर्य भी उत्तर की ओर से ही उगने लगता है। सूर्य छह माह तक उत्तरायण ही रहता है इसलिए मकर संक्रान्ति के पर्व को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है।
माना जाता है कि सूर्य जब उत्तर की ओर गमन करते लगता है तब उसकी किरणें व्यक्ति के सेहत और शांति को बढ़ाती हैं, यही कारण है कि मकर संक्रान्ति के शुभ महूर्त में लोग नहा धोकर दान पुण्य करते हैं और समृद्धि की कामना करते हैं।
भारत के अलग अलग राज्यों में मकर संक्रान्ति को अलग अलग नामों से जाना जाता है। उत्तर प्रदेश और बिहार में मकर संक्रान्ति को को खिचड़ी के त्योहार के नाम से, गुजरात, उत्तराखंड और राजस्थान में उत्तरायण पर्व के नाम से, हरियाणा में माघी के नाम से, असम में भोगाली बिहु के नाम से, कर्नाटक में मकर संक्रमण के नाम से और पश्चिम बंगाल में पौष संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है। जबकि तमिनलनाडु में इसे पोंगल के रूप में और पंजाब में एक दिन पूर्व इसे लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है।
आपको बता दें कि प्रत्येक राज्यों में जिस तरह से मकर संक्रान्ति को अलग अलग नामों से जाना जाता है, ठीक उसी तरह इसे अलग अलग तरीकों से मनाया भी जाता है। उत्तर प्रदेश और बिहार में मकर संक्रान्ति के दिन नहाने के बाद दाल और चावल एक साथ मिलाकर ब्राह्मणों और गरीबों को दान दिया जाता है इसके बाद खिचड़ी खायी जाती है।
इस दिन अन्य राज्यों की अपेक्षा गुजरात और राजस्थान में लोग बड़ी संख्या में पतंग उड़ाते हैं। यहां पतंग उत्सव का भी आयोजन किया जाता है। तमिलनाडु में इसे किसानों का पर्व माना जाता है और इस दिन घी में बनी दाल चावल की खिचड़ी खायी जाती है जबकि महाराष्ट्र में गजक और तिल के लड्डू खूब खाये जाते हैं और एक दूसरे को भेंट भी किया जाता है।
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पंडितों और ज्योतिषों के अनुसार इस वर्ष यानि 2020 में मकर संक्रान्ति 15 जनवरी को पडे़गी। इसका कारण यह है कि सूर्य 14 जनवरी को शाम 7:52 बजे से 08.06 बजे के बीच राशि परिवर्तन कर मकर राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य का धनु से मकर राशि में प्रवेश सूर्यास्त के बाद हो रहा है यही कारण है कि मकर संक्रान्ति का त्योहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा। कुछ स्थानों पर 14 और 15 जनवरी अर्थात दो दिन मकर संक्रान्ति मनायी जाती है लेकिन ज्यादातर जगहों पर लोग शुभ मुहूर्त के अनुसार ही यह त्योहार मनाते हैं। इसलिए 14 जनवरी का मुहूर्त न होने के कारण मकर संक्रान्ति 15 जनवरी को ही मनायी जाएगी। हालांकि विद्वानों का मानना है कि 14 जनवरी को दान पुण्य किया जा सकता है।
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आमतौर पर अन्य दिनों की अपेक्षा मकर संक्रान्ति के पर्व पर लोगों की दिनचर्या अलग होती है। इस दिन कुछ अलग तरीके से कार्य भी करने पड़ते हैं, तभी यह त्योहार फलदायी होता है। आइये जानते हैं मकर संक्रान्ति के दिन क्या करना चाहिए।
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