Human Heart Anatomy In Hindi: मानव शरीर में हृदय एक ऐसा अंग है, जो परिसंचरण तन्त्र के माध्यम से सम्पूर्ण मानव शरीर में रक्त को पंप करने, ऊतकों को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति करने और कार्बन डाइऑक्साइड तथा अन्य अपशिष्ट को शरीर से बाहर निकालने का कार्य करता है। हृदय की धड़कनों के आधार पर व्यक्ति के स्वास्थ्य का अनुमान लगाया जाता है। व्यायाम, भावनाएं, बुखार, बीमारियां और कुछ दवाएं हृदय की गति (धड़कनों) को प्रभावित कर सकती हैं। चूँकि वर्तमान समय में हृदय रोग के परिणामस्वरुप मृत्यु दर में वृद्धि हुई है, जिसका कारण व्यक्तियों को हृदय की संरचना, कार्य और स्वास्थ्य अभ्यास के बारे जानकारी न होना है। इस लेख में आप मानव हृदय की संरचना, हृदय की आंतरिक संरचना, हृदय की कार्य प्रणाली, रोग और उपचार के बारे में जान सकते हैं।
विषय सूची
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मानव हृदय, मुट्ठी के आकार का एक पेशीय अंग (muscular organ) है, जो ब्रेस्टबोन (breastbone) के पीछे थोड़ा बाएं ओर स्थित होता है। हृदय सम्पूर्ण शरीर में धमनियों और शिराओं के जाल के माध्यम से रक्त को पंप करने का कार्य करता है, जिसे कार्डियोवास्कुलर सिस्टम (cardiovascular system) कहा जाता है।
हेनरी ग्रे (Henry Gray’s) के अनुसार, पुरुषों में हृदय (दिल) का वजन लगभग 280 से 340 ग्राम और महिलाओं में 230 से 280 ग्राम तक हो सकता है।
दिल की बाहरी दीवार, तीन परतों से मिलकर बनी होती है।
कोरोनरी धमनियां (coronary arteries) हृदय की सतह पर पाई जाने वाली रक्त वाहिकाएं होती हैं और हृदय की मांसपेशियों को ऑक्सीजन युक्त रक्त प्रदान करने का कार्य करती हैं। तंत्रिका ऊतक की एक झिल्ली (अस्तर), जो हृदय को घेरे रहती है, पेरीकार्डियम (pericardium) कहलाती है। यह दोहरी दीवार वाली झिल्ली संकुचन और विश्राम को नियंत्रित करने वाले जटिल संकेतों का संचालन करती है, तथा हृदय की रक्षा करती है।
सिनोट्रायल नोड (sinoatrial node) हृदय को संकुचित करने के लिए इलेक्ट्रिकल पल्सेस का उत्पादन करता है।
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मानव हृदय में चार कक्ष या चेंबर (प्रकोष्ट) पाए जाते हैं: दो ऊपरी कक्ष, जो रक्त ग्रहण करते हैं, वह आलिन्द (Atria) कहलाते हैं और दो निचले कक्ष, जो रक्त का निर्वहन करते हैं, उन्हें निलय (Ventricles) कहा जाता है।
दायां आलिंद तथा दायां निलय आपस में मिलकर “दायें हृदय” का निर्माण करते हैं, और बायाँ अलिंद तथा बायाँ निलय आपस में मिलकर “बायाँ हृदय” का निर्माण करते हैं। सेप्टम नामक मांसपेशी (septum muscle) इन दोनों भागों को अलग करती है।
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प्रत्येक मनुष्य के हृदय में चार वाल्व होते हैं, जो रक्त को केवल एक ही दिशा में बहने के लिए प्रेरित करते हैं।
हृदय की धड़कन की आवाज अर्थात “लब-डब” ध्वनि का उत्पादन इन्ही वाल्व के कारण होता है। “लब” की ध्वनि ट्रिकस्पिड वाल्व और माइट्रल वाल्व के बंद होने से आती है, और “डब” ध्वनि पल्मोनरी और महाधमनी वाल्व के बंद होने के कारण आती है।
रक्त वाहिकाएं तीन प्रकार की होती हैं:
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हृदय का बायां और दायां भाग एकसमान रूप से कार्य करता है। दिल के दाहिने हिस्से को ऑक्सीजन रहित रक्त प्राप्त होता है, जिसे फेफड़ों में भेजा जाता है तथा दिल का बायां भाग ऑक्सीजन युक्त रक्त को फेफड़ों से प्राप्त करता है और इसे शरीर के विभिन्न हिस्सों में पंप करता है।
मानव शरीर में उपस्थित अशुद्ध रक्त (ऑक्सीजन रहित रक्त), शरीर की सबसे बड़ी शिरा के माध्यम से दायें एट्रियम (atrium) या दायें अलिंद में प्रवेश करता है। वह शिरा जिसके माध्यम से अशुद्ध रक्त ह्रदय के दायें अलिंद में प्रवेश करता है, उसे सुपीरियर और इन्फीरियर वेना कावा (superior and inferior vena cava) के नाम से जाना जाता है।
इसके बाद दायां आलिंद सिकुड़ता है और रक्त को दाएं निलय में धकेलता है। दाएं निलय के रक्त से भरने के बाद पल्मोनरी वाल्व खुलता है। जिसके कारण अशुद्ध रक्त पल्मोनरी धमनी (pulmonary artery) से होता हुआ फेफड़ों तक पहुँचता है। यहाँ रक्त ऑक्सीजन ग्रहण करता है और कार्बन डाइऑक्साइड को छोड़ता है।
फेफड़ों से शुद्ध रक्त या ऑक्सीजन युक्त रक्त पल्मोनरी शिरा (pulmonary vein) के माध्यम से दिल के बाएं हिस्से में उपस्थित बाएं आलिंद (left atrium) में प्रवेश करता है। इसके पश्चात बाएं आलिंद के सिकुड़ने से रक्त बाएं निलय में जाता है। जब बायां निलय रक्त से पूरी तरह से भर जाता है, तब महाधमनी (aorta) के माध्यम से शुद्ध रक्त को वापस शरीर में भेज दिया जाता है।
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मानव हृदय रोग मुख्य रूप से निम्न प्रकार के होते हैं, जैसे:
कोरोनरी धमनी रोग तब उत्पन्न होता है, जब हृदय के लिए रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में कोलेस्ट्रॉल प्लाक (cholesterol plaques) जमने के कारण धमनियां संकीर्ण हो जाती हैं। जिससे हृदय में पर्याप्त रक्त की आपूर्ति नहीं हो पाती हैं। संकुचित धमनियों के कारण इनमें अचानक रक्त का थक्का जमने से पूर्ण रुकावट का जोखिम अधिक होता है, जिससे हार्ट अटैक की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
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यह रोग कोरोनरी धमनियों के संकीर्ण होने के कारण छाती में दर्द या बेचैनी से सम्बंधित स्थिति है। इस समस्या से सम्बंधित लक्षण आमतौर पर आराम करने से बेहतर हो सकते हैं।
यह किसी व्यक्ति के सीने में दर्द या बेचैनी की स्थिति है, जो लगातार गंभीर और बिगड़ती जाती है। यह एक आपातकालीन स्थिति है, क्योंकि यह हार्ट अटैक, असामान्य दिल की धड़कन (abnormal heart rhythm) या हृदय गति का रुक जाना आदि से सम्बंधित समस्याओं का कारण बन सकती है।
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हृदय से सम्बंधित इस समस्या में एक कोरोनरी धमनी अचानक अवरुद्ध हो जाती है। जिसके कारण ऑक्सीजन न मिलने के कारण, हृदय की मांसपेशी का कुछ हिस्सा मर जाता है।
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एरिथमिया को अनियमित दिल की धड़कन (हृदय अतालता) के नाम से जाना जाता है। यह स्थिति हृदय के माध्यम से विद्युत आवेगों के चालन में असामान्य परिवर्तन के कारण उत्पन्न होती है।
इस स्थिति में संबंधिति व्यक्ति का ह्रदय, रक्त को प्रभावी ढंग से पंप करने में असफल होता है, इसका कारण हृदय का अधिक कमजोर होना या हृदय का बहुत सख्त (कठोर) होना है। इस स्थिति में सांस लेने में तकलीफ और पैर की सूजन से सम्बंधित सामान्य लक्षण प्रदात होते हैं।
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कार्डियोमायोपैथी, हृदय की मांसपेशी से सम्बंधित एक रोग, जिसमें हृदय असामान्य रूप से बढ़ा और सख्त (कठोर) हो जाता है। जिसके परिणामस्वरूप हृदय की रक्त पंप करने की क्षमता कम हो जाती है।
मायोकार्डिटिस हृदय की मांसपेशियों की सूजन है, इसका सबसे मुख्य कारण वायरल संक्रमण होता है।
पेरिकार्डिटिस को दिल के अस्तर की सूजन के रूप में जाना जाता है। इस समस्या का मुख्य कारण वायरल संक्रमण, किडनी की विफलता और ऑटोइम्यून स्थिति हो सकती है।
दिल की अस्तर (पेरिकार्डियम) और हृदय के बीच अतिरिक्त तरल पदार्थ की उपस्थिति को मेडिकल के क्षेत्र में पेरीकार्डियल इफ्यूजन के नाम से जाना जाता है। अक्सर, यह समस्या पेरिकार्डिटिस के कारण उत्पन्न हो सकती है।
आलिंद फिब्रिलेशन, एक असामान्य दिल की धड़कन है, जो कि आलिंद में असामान्य विद्युत आवेग (Abnormal electrical impulses) से सम्बंधित समस्या हैं। एट्रियल फिब्रिलेशन सबसे सामान्य एरिथमिया (arrhythmias) का एक प्रकार है।
पल्मोनरी धमनी, जो फेफड़ों को रक्त की आपूर्ति करती है, में रुकावट की स्थिति को पल्मोनरी एम्बोलिज्म के नाम से जाना जाता है। इस स्थिति में आमतौर पर रक्त का थक्का, हृदय से फेफड़ों तक रक्त प्रवाह में रुकावट का कारण बनता है।
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हृदय में चार वाल्व होते हैं, और इनमें से प्रत्येक वाल्व समस्याओं को विकसित कर सकता है। यदि इनसे सम्बन्धी समस्या अधिक गंभीर है, तो यह रोग हृदय की विफलता का कारण बन सकता है।
एंडोकार्डिटिस, को हृदय के भीतरी अस्तर या दिल के वाल्व (Heart valve) की सूजन के रूप में जाना जाता है। एंडोकार्डिटिस की स्थिति आमतौर पर, हृदय वाल्वों में एक गंभीर संक्रमण के कारण उत्पन्न होती है।
यह दिल का एक वाल्व ख़राब होने की स्थिति है। इस स्थिति में जब हृदय में वाल्व के माध्यम से रक्त का प्रवाह एक चैंबर (लेफ्ट एट्रियम) से दूसरे चैंबर (लेफ्ट वेंट्रिकल) में होता है, तो वाल्व थोड़ा पीछे की ओर हो जाता है, और ठीक तरह से कार्य नहीं करता है।
यह एक गंभीर स्थिति है, जिसमें सम्बंधित व्यक्ति का हृदय अचानक काम करना बंद कर देता है।
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दिल की समस्याओं का निदान करने और कार्यों पर निगरानी रखने के लिए अनेक प्रकार के परीक्षणों का उपयोग किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी या ईकेजी) (Electrocardiogram (ECG or EKG)) – दिल की विद्युत गतिविधियों का पता लगाने के लिए इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी या ईकेजी) का प्रयोग किया जाता है। इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम अनेक हृदय सम्बन्धी स्थितियों का निदान करने में मदद कर सकता है।
इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram) – इस परीक्षण के तहत अल्ट्रासाउंड का उपयोग किया जाता है। एक इकोकार्डियोग्राम की मदद से, हृदय की मांसपेशियों की पंप करने की क्षमता और हृदय वाल्व से सम्बंधित किसी भी प्रकार की समस्या का प्रत्यक्ष अवलोकन किया जा सकता है।
कार्डियक स्ट्रेस टेस्ट (Cardiac stress test) – ट्रेडमिल (treadmill) या दवाओं का उपयोग करके, हृदय को अधिकतम क्षमता तक पंप करने के लिए प्रेरित किया जाता है। इस टेस्ट की मदद से हृदय के रक्त प्रवाह की क्षमता को मापने और कोरोनरी आर्टरी डिजीज (coronary artery disease) का निदान करने के लिए उपयोग में लाया जाता है।
कार्डिएक कैथीटेराइजेशन (Cardiac catheterization) – कार्डिएक कैथीटेराइजेशन के दौरान, एक लंबी पतली ट्यूब (जिसे कैथेटर कहा जाता है) को कमर, गर्दन या बांह की एक धमनी या शिरा में डाला जाता है। अतः इस परीक्षण की मदद से डॉक्टर कोरोनरी धमनियों की रुकावट या अन्य रक्त वाहिकाओं की जाँच करने के लिए एक्स-रे का प्रयोग किया जा सकता है।
होल्टर मॉनिटर (Holter monitor) – होल्टर मॉनिटर (Holter monitor), बैटरी चालित एक छोटा चिकित्सकीय उपकरण होता है, जिसका उपयोग हृदय की गतिविधि (जैसे rate and rhythm) को मापने के लिए किया जाता है। होल्टर मॉनिटर लगातार 24 घंटे के लिए हृदय की लय (heart’s rhythm) को रिकॉर्ड करता है।
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विभिन्न प्रकार की दिल की बीमारियों के लिए भिन्न भिन्न इलाज को अपनाया जा सकता हैं, जिनमें शामिल हैं:
दिल को स्वस्थ रखने और अधिकांश दिल की समस्याओं का इलाज करने के लिए नियमित व्यायाम महत्वपूर्ण होता है। हृदय रोग की स्थिति में उचित व्यायाम अपनाने के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
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कार्डियक कैथीटेराइजेशन (cardiac catheterization) के दौरान, एक डॉक्टर संकीर्ण या अवरुद्ध कोरोनरी धमनी को चौड़ा करने के लिए यांत्रिक तरीकों को अपनाता है, जिसके अंतर्गत संकुचित धमनी के अन्दर एक गुब्बारे को फुलाना या धमनी को खुला रखने के लिए एक स्टेंट का प्रयोग करना, प्रमुख है। एंजियोप्लास्टी को कभी-कभी डॉक्टरों द्वारा परक्यूटीनियस कोरोनरी इंटरवेंशन (Percutaneous coronary intervention) या परक्यूटीनियस ट्रांसुमिनल कोरोनरी एंजियोप्लास्टी (percutaneous transluminal coronary angioplasty) कहा जाता है।
इस प्रकार की प्रक्रिया में कार्डियक कैथीटेराइजेशन के दौरान डॉक्टर, संकीर्ण या अवरुद्ध कोरोनरी धमनी के अंदर एक धातु स्टेंट का उपयोग करते हुए, धमनी को चौड़ा करने का प्रयास करता है। इस उपचार प्रक्रिया से रक्त प्रवाह बेहतर होता है और हार्ट अटैक या एनजाइना से राहत मिल सकती है।
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थ्रोम्बोलिसिस को फाइब्रिनोलिटिक थेरेपी (fibrinolytic therapy) के नाम से भी जाना जाता है। इस उपचार प्रक्रिया के दौरान “क्लॉट-बस्टिंग” दवाओं (Clot Busterdrug) को नसों में इंजेक्ट कर रक्त के थक्के को नष्ट किया जाता है। थ्रोम्बोलिसिस को आमतौर पर स्टेंटिंग (stenting) संभव न होने की स्थिति में प्रयोग किया जाता है।
यह उपकरण कार्डियक अरेस्ट (cardiac arrest) की स्थिति में दिल की धड़कन का नापने और आवश्यकतानुसार हृदय को बिजली का झटका देने के लिए उपयोग किया जाता है।
यदि किसी व्यक्ति के लिए जानलेवा एरिथमिया (arrhythmia) का खतरा है, तो डॉक्टर इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर उपकरण को शल्य चिकित्सा द्वारा प्रत्यारोपित करने का सुझाव दे सकते हैं। यह उपकरण दिल की धड़कन पर निगरानी रखते हुए, आवश्यकता होने दिल को एक बिजली का झटका भेजने का कार्य कर सकता है।
हृदय की गति को स्थिर बनाए रखने या दिल की धड़कन को नियंत्रित रखने के लिए पेसमेकर का उपयोग किया जाता है। पेसमेकर एक छोटा उपकरण होता है, जिसे शल्य चिकित्सा के माध्यम से छाती या पेट में स्थापित किया जाता है। एरिथमिया (Arrhythmias) की स्थिति में यह उपकरण आवश्यकतानुसार हार्ट बीट को स्थिर रखने के लिए विद्युत संकेत (electrical signals) भेजता है।
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कुछ विशेष प्रकार की दिल से जुड़ी समस्याओं का इलाज करने के लिए विभिन्न प्रकार की दवाओं का उपयोग किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:
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