Mental Illness in Hindi मानसिक रोग: आज के इस युग में कई लोगों को अनेक मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं होती हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि एक मानसिक स्वास्थ्य के लिए चिंता, मानसिक रोग को जन्म दे सकती है। मानसिक रोग (Mental Illness) के संकेत और लक्षण लगातार तनाव पैदा करते हैं, और व्यक्ति के कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करते हैं। इसके लक्षण बहुत गंभीर हो सकते है, जो जीवन जीने की कल्पना को भी नष्ट कर देते है। अतः मानसिक रोग की जानकारी के लिए आज के इस लेख में आप मानसिक रोग क्या है, इसके लक्षण, कारण, प्रकार, निदान, उपचार, रोकथाम और घरेलू इलाज के बारे में जानेंगे।
1. मानसिक रोग क्या है – what is Mental Illness in Hindi
2. मानसिक रोग के लक्षण – Mental Illness Symptoms in Hindi
3. मानसिक रोग के कारण – Causes of Mental Illness in Hindi
4. मानसिक रोग के प्रकार – Types of Mental Illness in Hindi
5. मानसिक रोग की जटिलताएं – Mental Illness Complications in Hindi
6. मानसिक रोग का निदान – Diagnosis Mental Illness in Hindi
7. मानसिक रोग के उपचार – Treatment for Mental Illness in Hindi
8. मानसिक रोग उपचार के लिए दवाएं – Medications for Mental Illness in Hindi
9. मानसिक रोग से बचाव – Prevention of Mental Illness in Hindi
10. मानसिक रोग दूर करने के घरेलू उपाय – Mental Illness home remedies in Hindi
एक ऐसी स्थिति जो व्यक्ति की महसूस करने और सोचने की क्षमता को प्रभावित करती है मानसिक रोग कहलाती है। मानसिक बीमारी (Mental Illness), मानसिक स्वास्थ्य की अनेक स्थितियों को प्रभावित करती है। इसके अंतर्गत वे विकार आते है जो व्यक्ति की मनोदशा, सोच और व्यवहार को प्रभावित करते हैं। मानसिक बीमारी के उदाहरणों में डिप्रेशन (depression), चिंता विकार, सिजोफ्रेनिया (schizophrenia) (एक प्रकार का पागलपन), भोजन में अव्यवस्था और नशे की लत आदि विकार शामिल हैं।
एक मानसिक रोग (Mental Illness) किसी व्यक्ति के लिए दुखदायक हो सकता है, और सम्बंधित व्यक्ति के जीवन सम्बन्धी दैनिक कार्यों जैसे स्कूल, काम-काज या निजी संबंधों में समस्याएं पैदा कर सकता है। मानसिक रोग के ज्यादातर मामलों में, दवाओं और टॉक थेरेपी (मनोचिकित्सा) (talk therapy) की मदद से इसके लक्षणों रोक लगाई जा सकता है।
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दिमागी विकार, हालत (circumstances) और अन्य कारकों के आधार पर मानसिक बीमारी (Mental Illness) के लक्षण भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। इस रोग के लक्षण मानवीय भावनाओं, विचारों और व्यवहार को बहुत अधिक प्रभावित कर सकते हैं।
मानसिक रोग के लक्षणों में शामिल हैं:
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आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारकों को सामान्य रूप से मानसिक रोग के कारणों में शामिल किया जाता है:
1. आनुवंशिकता (heredity) – मानसिक बीमारी (Mental Illness) उन लोगों को अधिक प्रभावित करती है जिनके रक्त-संबंधियों को पहले से ही मानसिक बीमारी होती है। जिन लोगों के परिवार में मानसिक बीमारी वाले सदस्य हैं तो उन लोगों को मानसिक रोग होने की संभावनाएं अधिक होती है। यह बीमारी जीन के माध्यम से ट्रिगर कर सकती है।
2. गर्भावस्था (Pregnancy) – गर्भावस्था के दौरान पर्यावरण तनाव, सूजन की स्थिति, विषाक्त पदार्थ, अल्कोहल या दवाओं का सेवन भी माँ और बच्चे के लिए कभी-कभी मानसिक बीमारी उत्पन्न कर सकती है।
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3. मस्तिष्क रसायन (Brain chemistry) – न्यूरोट्रांसमीटर (Neurotransmitters) प्राकृतिक रूप से मस्तिष्क रसायन होते हैं, जो दिमाग और शरीर के अन्य हिस्सों में सिग्नल लाने ले जाने का काम करते हैं। जब इन रसायनों का तंत्रिका संबंध खराब हो जाता हैं, तब तंत्रिका तंत्र के कार्य में बदलाव आ जाता है, जिससे अवसाद (depression) की स्थिति पैदा होती है।
4. मस्तिष्क के दोष या चोट (Brain defects or injury) – मानसिक बीमारियों का प्रमुख कारण मस्तिष्क के कुछ क्षेत्रों में दोष या चोट को माना जा सकता है। कुछ गंभीर चोटें एवं मस्तिष्क कैंसर मानसिक रोग को उत्पन्न करने में सहायक होते है।
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5. पदार्थों के दुरुपयोग (Substance abuse) – विशेष रूप से कुछ पदार्थों का दीर्घकालिक दुरुपयोग भी चिंता, अवसाद (डिप्रेशन) और पागलपन की स्थिति को बढ़ा सकते हैं।
6. प्रसवपूर्व क्षति (Prenatal damage) – बच्चे के जन्म के समय होने वाली समस्याएं जैसे ऑक्सीजन की कमी, बच्चे के मस्तिष्क विकास में व्यवधान आदि कुछ स्थितियां मानसिक रोग के विकास का कारण बन सकती हैं।
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मानसिक बीमारियों के सामान्य प्रकारों में शामिल हैं:
1. न्यूरोडिफार्ममेंटल विकार (Neurodevelopmental disorders) – आमतौर पर शिशु अवस्था में या बचपन में शुरू होने वाली समस्याओं को इस वर्ग में शामिल किया जाता है। इसके अंतर्गत अकसर बच्चे के स्कूल शुरू करने से पहले की समस्याएं आती है। उदाहरणों के तौर पर ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार (autism spectrum disorder), ध्यान का आभाव / अति सक्रियता विकार (एडीएचडी) (attention-deficit/hyperactivity disorder) और सीखने के विकार (learning disorders) शामिल हैं।
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2. अवसादग्रस्त विकार (Depressive disorders) – इनमें वे विकार शामिल किये जाते हैं जो आप भावनात्मक रूप से महसूस करते हैं। यह मानसिक स्वास्थ्य विकार लगातार निराश मनोदशा को बढ़ाते है, और गतिविधियों के प्रति रुचि को घटा देते हैं। जिससे दैनिक जीवन के कार्यों में बहुत अधिक हानि होती है।
3. चिंता विकार (Anxiety disorder) – कष्ट, घबराहट या भय की भावनाएं मानसिक स्वास्थ्य विकार (mental illness) की विशेषता हैं। ये भावनाएं किसी भी व्यक्ति की दैनिक गतिविधियों में हस्तक्षेप करने में सक्षम होती हैं।
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4. द्विध्रुवी विकार (Bipolar disorders) – इस वर्ग में पागलपन की लगातार घटनाएँ के साथ अन्य विकार शामिल हैं जैसे– क्रियाकलाप में अत्यधिक समय और अवसाद।
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5. सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) (एक प्रकार का पागलपन) – यह एक मानसिक विकार है जो किसी व्यक्ति कि सोच, अनुभव और अच्छा व्यवहार करने की क्षमता को प्रभावित करता है।
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6. आघात और तनाव से संबंधित विकार (Trauma and stressor disorder) – ये वह विकार हैं जिसमें एक व्यक्ति को जीवन की तनावपूर्ण घटनाओं के दौरान या उसके बाद मुकाबला करने में परेशानी होती है। उदाहरणों के तौर पर इसमें, पद-आघात से सम्बंधित तनाव और तीव्र तनाव विकार (acute stress disorder) शामिल हैं।
7. आत्मकेंद्रित (Autism) – यह एक गंभीर रूप से वृद्धि करने वाला विकार है, जो संवाद करने और बातचीत करने की क्षमता को कम करता है।
8. न्यूरोकॉग्निटिव विकार (Neurocognitive disorders) – यह तंत्रिका संबंधी विकार सोचने और बुद्धि से काम करने की क्षमता को प्रभावित करते हैं। इसके अंतर्गत बेहोशी में बोलने की समस्या, तथा मस्तिष्क की चोट या अल्जाइमर रोग के कारण भ्रम, आदि विकार शामिल हैं।
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9. व्यक्तित्व विकार (Personality disorders) – इस प्रकार के विकार में भावनात्मक अस्थिरता और अस्वास्थ्यकर व्यवहार शामिल हैं, जो आपके जीवन और रिश्तों में समस्याएं पैदा करते हैं। उदाहरणों में असामाजिक व्यवहार और नरसंहार जैसी भावनाएं व्यक्तित्व विकार में शामिल हैं।
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मानसिक बीमारी (Mental Illness), मानसिक विकलांगता का प्रमुख कारण बनती है। इलाज न किए जाने पर यह मानसिक बीमारी, व्यवहारिक, शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य से सम्बंधित समस्याओं का कारण बन सकती है। मानसिक रोग से जुड़ी बहुत सी जटिलताओं में निम्न कारको को शामिल किया जा सकता हैं:
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दिमागी बीमारी का निश्चित रूप से पता लगाने के लिए कोई भी परीक्षण उपलब्ध नहीं है। इसलिए, एक चिकित्सक स्वास्थ्य, चिकित्सा जानकारी लेकर तथा परिवार और मानसिक स्वास्थ्य जानकारी एकत्र करके मानसिक रोग (mental disorder) का निदान कर सकते हैं।
मानसिक रोग का निदान निर्धारित करने और उससे संबंधित जटिलताओं की जांच करने के लिए निम्न परीक्षण शामिल किये जा सकते हैं
1. शारीरिक परीक्षण (physical exam) – मानसिक रोग के लक्षणों और कारणों को जानने के लिए डॉक्टर शारीरिक समस्याओं को दूर करने का प्रयास करते हैं।
2. प्रयोगशाला परीक्षण (Lab tests) – इसके अंतर्गत निम्न टेस्ट शामिल हो सकते हैं, उदाहरण के लिए, आपके थायरॉइड फ़ंक्शन टेस्ट या अल्कोहल और दवाओं के लिए स्क्रीनिंग (screening)।
3. मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन (psychological evaluation) – इस परीक्षण के दौरान डॉक्टर या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ आपके लक्षणों, व्यवहार, भावनाओं और विचारों से सम्बंधित मरीज से बात करता है। तथा कुछ सवालों के जवाब देने में मदद करने के लिए डॉक्टर मरीज से प्रश्नावली भरने के लिए कह सकता है।
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प्राथमिक उपचार व्यक्ति की मानसिक बीमारी के प्रकार, बीमारी की गंभीरता और मरीज के लिए सबसे अच्छा उपाय क्या है, इन सब बातों पर निर्भर करता है। यदि मरीज के पास हल्की मानसिक बीमारी है, जिसके लक्षणों को अच्छी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है, तो मरीज के लिए एक स्वास्थ्य देखभाल भी मानसिक रोग के उपचार के लिए पर्याप्त है।
मानसिक रोग कुछ महत्वपूर्ण उपचार निम्न हैं :
मनोचिकित्सा को टॉक थेरेपी (talk therapy) भी कहा जाता है। इस थेरेपी में मरीज और मनोचिकित्सक के मध्य मानसिक हालत और मानसिक स्वास्थ्य से सम्बंधित बातों को शामिल किया जाता है। मनोचिकित्सक इस थेरेपी के दौरान, मरीज की हालत और मनोदशा, भावनाओं, व्यवहार और विचारों के बारे में जानकारी लेते हैं। यदि आप मानसिक रोग के लक्षणों को अनदेखा करते हैं तो मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति का उपचार करना कठिन हो सकता है। लम्बे समय तक उचित देखभाल भी मानसिक रोग के लक्षणों को रोकने का एक सबसे अच्छा उपचार हो सकता है।
कभी-कभी अवसाद (depression) और अन्य मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी रोग के लिए मस्तिष्क-उत्तेजना उपचार (Brain-stimulation treatments) का उपयोग किया जाता है। यह उपचार उस समय किया जाता है जब मानसिक रोग के उपचार में दवाएं और मनोचिकित्सा (Psychotherapy) काम नहीं आती हैं। इसके अंतर्गत इलेक्ट्रोकोनवल्सिव थेरेपी (electroconvulsive therapy), ट्रांस क्रेनियल चुंबकीय उत्तेजना (transcranial magnetic stimulation), गहन मस्तिष्क उत्तेजना (deep brain stimulation) और योनि तंत्रिका उत्तेजना (vagus nerve stimulation) नामक उपचार शामिल है।
पदार्थ दुर्व्यवहार (Substance abuse) आमतौर पर मानसिक बीमारी का एक लक्षण होता है। यह लक्षण मरीज के उपचार में बाधा पैदा करता है और मानसिक बीमारी को बढ़ा देता है। जब मरीज अपने आप ड्रग्स या शराब का सेवन करना बंद नहीं करता है, तब इस इलाज की ज़रूरत पड़ती है।
जब मानसिक बीमारी बहुत गंभीर हो जाती है, तब मरीज को मनोवैज्ञानिक अस्पताल में देखभाल की ज़रूरत पड़ती है।
आमतौर पर जब मरीज स्वयं की देखभाल करने में सक्षम नहीं होता है, तब मनोवैज्ञानिक अस्पताल में देखभाल की सिफारिश की जा सकती है।
इस उपचार के विकल्पों में शामिल हैं:
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हालांकि मनोवैज्ञानिक दवाएं (psychiatric medications) मानसिक बीमारी का इलाज करने में सहायक नहीं हैं, लेकिन इनका उपयोग लक्षणों में सुधार लाने के लिए किया जा सकते हैं। मनोवैज्ञानिक दवाएं इस बात पर निर्भर करती है कि मरीज का शरीर दवाओं के प्रति कैसी प्रतिक्रिया करता है।
कुछ सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाली चिकित्सकीय दवाओं में शामिल हैं:
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मानसिक रोग के लक्षणों के प्रगट होने पर आपको मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं के बारे में बात करने के लिए चिकित्सक या मनोचिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। और यदि संभव हो तो परिवार या दोस्तों का सहारा जरूर लें, या फिर कोई भी व्यक्ति जो आपको लंबे समय से जानता है और वह व्यक्ति चिकित्सक के साथ आपकी महत्वपूर्ण जानकारी साझा करने में सक्षम हो।
अतः मानसिक रोग से बचने के अनेक उपाय है जैसे-
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मानसिक रोग के लक्षणों को कम करने के लिए या मानसिक रोग से बचने के लिए निम्न घरेलू उपचार अपनाना चाहिए:
इलायची एक सुगंधित मसाला है, जो शरीर को कोशिकाओं को सक्रिय करने में मदद करती हैं, इसके अलावा इलायची मनोदशा में सुधार और डिप्रेशन का इलाज करने में मददगार है।
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ओमेगा -3 फैटी एसिड का सेवन ही लोगों में डिप्रेशन के खतरे की कम कर देता है। मछली का तेल में ओमेगा -3 फैटी एसिड अधिक होता है, जो सामान्य मस्तिष्क के कामकाज के लिए आवश्यक होता है, और अवसाद और क्रोध से लड़ने में प्रभावी है।
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विटामिन सी में समृद्ध होने के कारण काजू तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करता है। इसके अलावा, काजू रिबोफ्लाविन (riboflavin) ऊर्जा को बढ़ाता है, जिससे सक्रियता आती है और आनंदमय मूड बनाती है। काजू में अन्य उपयोगी पोषक तत्व (मैग्नीशियम, ट्रायप्टोफान और विटामिन बी-6) होते है, जो डिप्रेशन से निपटने में मदद करते हैं।
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शोध से पता चला है कि योग मस्तिष्क में तनाव हार्मोन कोर्टिसोल (cortisol) के स्तर को कम कर देता है।
अतः चिंता वाले लोगों के लिए योग एक अच्छा विकल्प है।
इसके साथ ही योग त्वचा के माध्यम से विषाक्त पदार्थों को दूर करने, फोकस बढ़ाने, आत्मविश्वास बढ़ाने और एकाग्रता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण उपाय है।
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ग्रीन टी में कैफीन के साथ-साथ एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटक एल-थेनाइन (L-theanine) होता है। एल-थेनाइन, कैफीन के साथ सहक्रियात्मक रूप से काम करता है। इसके मनोचिकित्सक गुण, रक्त और मस्तिष्क के बीच की बाधा को दूर करने और तनाव को कम करने में सक्षम है।
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मैग्नीशियम एक महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ है जो तनाव को कम कर देता है। मैग्नीशियम के बिना हम ऊर्जा का उत्पादन नहीं कर सकते, डीएनए या आरएनए संश्लेषित नहीं कर सकते हैं और दिमाग में रसायनों को संतुलित नहीं रख सकते हैं। अतः एक मानसिक स्वस्थ के लिए मैग्नीशियम बहुत महत्वपूर्ण पदार्थ है बादाम, काजू, केला, पालक तथा सोया मिल्क में प्रचुर मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है।
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