Seasonal Food benefits in Hindi: मौसमी खाने में उन ताजे फल और सब्जियों को शामिल किया जाता है, जिन्हें अधिक समय तक स्टोर करके न रखा गया हो और संसाधित नहीं किया गया हो। स्थानीय और मौसमी खाद्य पदार्थ, स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। चूँकि आज के इस युग खाद्य पदार्थों को स्टोर करने या भण्डारण करने की तकनीक विकसित होने के कारण सभी प्रकार के खाद्य पदार्थों को किसी भी ऋतु में प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन भण्डारण प्रक्रिया उन फलों और सब्जियों के पोषक तत्वों में कमी का कारण बनती हैं। लेकिन प्राचीन विज्ञान के अनुसार, मौसम के साथ प्राप्त होने वाले स्थानीय खाद्य पदार्थों (मौसमी आहार) का सेवन सेहत के लिए अधिक लाभदायक माना गया है। जब कोई फल या सब्जी किसी विशेष मौसम में प्राप्त होती है, तो उस समय उसमें विशेष स्वाद और पोषक तत्व चरमसीमा पर होते हैं।
वास्तव में मौसम के अनुसार खानपान में बदलाव, एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली के निर्माण में योगदान देता हैं। अतः विशेषज्ञों द्वारा ऋतु परिवर्तन के अनुसार एक हेल्दी डाइट को अपनाने की सलाह दी जाती है।
आज के इस लेख में आप मौसम के अनुसार खानपान के फायदे या मौसमी खाद्य पदार्थों को खाने से होने वाले फायदे के बारे में जानेंगे।
विषय सूची
1. मौसमी खाद्य पदार्थों को खाने के फायदे – Benefits of Seasonal diet in hindi
2. वसंत ऋतु में मौसमी खानपान – Seasonal diet In spring in hindi
3. गर्मियों के लिए मौसमी भोजन – Seasonal diet For summer in hindi
4. शरद ऋतु या पतझड़ के दौरान खाद्य पदार्थ – Seasonal diet for Autumn in hindi
5. सर्दियों के लिए मौसमी खाद्य पदार्थ – Seasonal diet In winter in hindi
मौसमी खाद्य पदार्थों को खाने के फायदे – Benefits of Seasonal diet in Hindi
आहार में अधिक स्थानीय और मौसमी खाद्य पदार्थों को शामिल करने के आयुर्वेदिक कारण और फायदे निम्न हैं।
मौसमी खाद्य पदार्थों में होते हैं अधिक पोषक तत्व
मौसमी खाद्य पदार्थों में उस मौसम के अनुरूप मानव शरीर को बदलने और स्वस्थ्य रखने के लिए आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, जो कि सूरज और मिट्टी द्वारा खाद्य पदार्थों को प्राप्त होते हैं, न कि कीटनाशक और उर्वरकों द्वारा। इसलिए व्यक्तियों को प्राकृतिक रूप से उगाये गए मौसमी स्वयं से पके हुए और ताजे फल और सब्जियों के अधिक सेवन की सिफारिश की जाती है। क्योंकि अधिक पका हुआ और ताजा आहार केवल स्वाद को ही नहीं, बल्कि उच्च पोषण मूल्य को भी अपने अन्दर समेटे रखता है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि मौसमी ताजे फल और सब्जियों का भरपूर आनंद लें।
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मौसमी खाद्य पदार्थों को खाने के फायदे खाद्य सुरक्षा के लिए
चूँकि फलों और सब्जियों को एक स्थान से किसी दूसरे स्थान तक भेजने के लिए, थोड़े कच्चे फल और सब्जियों को तोड़कर स्टोर किया जाता है, और फिर इन्हें गंतव्य स्थान तक पहुँचने में काफी समय लग सकता है। इस प्रक्रिया में फलों की पोषण सामग्री में कमी आ सकती है तथा जलवायु परिवर्तन के कारण भी पोषक तत्वों में परिवर्तन हो जाता है। अतः पूर्ण रूप से पके आहार के रूप में केवल स्थानीय फल और सब्जियाँ ही स्वास्थ्य के लिए अधिक फायदेमंद हो सकती हैं और कम समय पर उपभोक्ता तक पहुँच सकती है।
इसके अलावा, अनेक उर्वरकों और कीटनाशकों का उच्च स्तर पर उपयोग कर असुरक्षित खाद्य पदार्थों का उत्पादन किया जाता है। इन उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग से खाद्य पदार्थों में विषाक्तता उत्पन्न हो सकती है, और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। अतः स्थानीय स्तर पर उगाये गए फल और सब्जियों के अधिक सेवन पर जोर देना चाहिए।
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मौसमी फल और सब्जियां पाचन और प्रतिरक्षा में सहायक
विशेषज्ञों का कहना है कि, स्थानीय स्तर पर उत्पादन किये जाने वाले ताजे फल और सब्जियों को खाना सम्पूर्ण मानव स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। ताजे मौसमी आहार का सेवन पाचन को सुगम बनाने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में सहायक होता है। जबकि आयुर्वेदिक विशेषज्ञ का कहना है, कि अक्सर डिब्बाबंद, पैक और स्टोर किए गये खाद्य पदार्थ पाचन को सुस्त बना सकते हैं।
अतः जो व्यक्ति मौसमी खाद्य पदार्थों का सेवन न करके, डिब्बाबंद और पैक किये हुए, पुराने आहार या फलों का सेवन करते हैं, तो उनके शरीर की पोषण कोशिकाएं अधूरे पाचन सम्बन्धी उत्पाद (बाइप्राडक्ट) के कारण अवरुद्ध हो सकती है या विषाक्त और अपशिष्ट पदार्थों से भर सकती हैं। जिसके कारण यह स्थिति प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित कर सकती है।
अतः हमेशा स्थानीय स्तर पर उगाया जाने वाले आहार या स्थानीय स्तर पर उपलब्ध ताजे फल, सब्जियों के अधिक सेवन पर विचार करना चाहिए।
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एलर्जी को रोकने में फायदेमंद होती हैं मौसमी फल और सब्जियां
किसी क्षेत्र विशेष में रहने वाले व्यक्तियों द्वारा उसी क्षेत्र के स्थानीय आहार का सेवन, सम्बंधित व्यक्ति को स्वास्थ्य रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। स्थानीय जलवायु में उगाए जाने वाले खाद्य पदार्थों पर आश्रित व्यक्तियों में एलर्जी सम्बन्धी समस्याएं बहुत कम देखने को मिलती हैं। लेकिन जो व्यक्ति दुनिया भर की अलग-अलग जलवायु में उगाए गए विभिन्न खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं, उनमें कब्ज और खाद्य एलर्जी से सम्बंधित समस्याएं अधिक देखने को मिलती हैं। व्यक्तियों को अपनी डाइट में किसी विशेष मौसम में प्राप्त होने वाले आहार को अधिक मात्रा में अपनाने पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
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मौसमी खाद्य पदार्थों का सेवन शरीर के दोषों को संतुलित करता
जो व्यक्ति स्थानीय रूप से उगाए गए भोजन का सेवन करते हैं, वह पूर्ण रूप से मौसमी खाद्य पदार्थों पर आधारित होते हैं। मौसम के अनुरूप अपने आपको बदलने और स्थानीय खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करने से दिमाग और शरीर को संतुलित रखने में मदद मिल सकती है। अतः जो व्यक्ति मौसम के अनुसार खानपान में बदलाव करते हैं, वे व्यक्ति शरीर और मन को आसानी से संतुलित कर सकते हैं और विभिन्न प्रकार के दोषों से निजात पा सकते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति बसंत ऋतु के मौसम में कफ की समस्या के दौरान भारीपन, सुस्ती और कमजोरी जैसे लक्षण महसूस करता है, तो वह बसंत के मौसम में उगाये जाने वाली सब्जियों और फलों का अधिक सेवन कर, इन दोषों या लक्षणों से छुटकारा प्राप्त कर सकता है।
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मौसमी फल शरीर को प्राकिर्तिक रूप से मजबूत करते है
आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार, जब जीव क्षेत्र की मिट्टी पर उगाए गए खाद्य पदार्थों को खाते हैं, तो वह प्रकृति के साथ संबंध को मजबूत करते हैं। अतः यह प्राकृतिक और मौसमी आहार हमारी प्रतिरक्षा, पाचन और संक्रमण से लड़ने की क्षमता को मजबूत बनाते हैं। चूँकि प्रत्येक जीव अपने आस-पास के वातावरण से मजबूती से जुड़ा हुआ होता है। अतः जब स्थानीय स्तर पर मौसम के अनुरूप आहार का सेवन किया जाता है, तब इसके परिणामस्वरूप प्राकृतिक रूप से मजबूती प्राप्त होती है और सर्दी, गर्मी, बरसात जैसे मौसमों में परिवर्तन का शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।
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वसंत ऋतु में मौसमी खानपान – Seasonal diet In spring in hindi
जो व्यक्ति वसंत में बदलती जलवायु के अनुकूल अपने आपको नहीं बदलते हैं, तो वह मौसमी स्वास्थ्य समस्याओं जैसे- सर्दी या फ्लू के लिए अतिसंवेदनशील हो सकते हैं। अतः वसंत के मौसम में प्राप्त होने वाले विशेष आहार (फल और सब्जियां) शरीर को मौसम के अनुकूल बनाने में मदद करते हैं। वसंत ऋतु में मौसमी खाद्य पदार्थ के रूप में निम्न को शामिल किया जाता है:
- पत्तेदार सब्जियां (tender leafy vegetables) जैसे कि पालक
- रोमैन लैट्यूस (Romaine lettuces)
- स्विस चार्ड (swiss chard)
- सिलेंट्रो या धनिया
- पालक
- प्याज
- लीक (leeks)
- शुरुआती मटर (early peas)
- ताजी जड़ी-बूटियां जैसे तुलसी, अजमोद (parsley) और सोआ (dill)।
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गर्मियों के लिए मौसमी भोजन – Seasonal diet For summer in hindi
- स्ट्रॉबेरी (strawberries)
- ब्लूबेरी, ब्लैकबेरी (Blackberries)
- नाशपाती
- सेब
- आलूबुखारा
- समर स्क्वैश (summer squash)
- ब्रोकोली
- मक्का और
- फूलगोभी, इत्यादि।
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शरद ऋतु या पतझड़ के दौरान खाद्य पदार्थ – Seasonal diet for Autumn in hindi
- शकरकंद (sweet potatoes)
- गाजर
- सेब
- नाशपाती
- अंजीर (figs)
- कद्दू
- प्याज और लहसुन
- अदरक और सरसों के बीज, इत्यादि।
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सर्दियों के लिए मौसमी खाद्य पदार्थ – Seasonal diet In winter in hindi
- गाजर
- अंडे
- मक्का
- गन्ने का रस
- नट्स
- घी, मक्खन, दूध
- उड़द की खीर
- दलिया
- आँवले का मुरब्बा
- आलू
- लहसुन
- बैंगन
- गोभी
- पके लाल टमाटर
- सेम, पालक, मेथी आदि हरी सब्जियां, इत्यादि।
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