Premarital check up in Hindi क्या आपने कभी शादी से पहले लड़के और लड़कियों का मेडिकल चेकअप कराने के बारे में सुना है? शायद आपका जवाब ‘न’ हो। आप सोच रहे होंगे कि शादी का मेडिकल चेकअप से क्या लेना देना है। जबकि शादी में कुंडली मिलाने से ज्यादा जरूरी प्रीमैरिटल मेडिकल चेकअप होता है। हालांकि शादी से पहले मेडिकल चेकअप कराने का मतलब एक-दूसरे की कमियां निकालना नहीं है बल्कि इससे आप भविष्य में आने वाली परेशानियों से बच सकते हैं। शादी से पहले मेडिकल चेकअप या प्रीमैरिटल चेकअप शादी के बंधन में बंधने जा रहे जोड़ो द्वारा किसी तरह की गंभीर बीमारी या समस्या का पता लगाने के लिए कराया जाने वाला मेडिकल टेस्ट है। कुछ लोगों को लगता है कि शादी से पहले मेडिकल चेकअप या प्रीमैरिटल चेकअप में वर्जिनिटी टेस्ट जैसा कुछ होता होगा, बल्कि इसमें ऐसा कुछ भी नहीं होता है।
आज के समय में लोग अपनी और अपने प्रियजनों की सेहत को लेकर बहुत ही सजग हो गए है, इसलिए थोड़ी सी भी कोई स्वास्थ्य समस्या होने पर लोग आजकल सीधे डॉक्टर के पास जाते है और बताये गए टेस्ट करवाते है क्योकि किसी भी संक्रमण से बचने का ये एक अच्छा उपाय है। किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचने के लिए सही समय पर टेस्ट और उस बीमारी का उचित इलाज बहुत ही जरुरी है।
आज इस लेख में हम जानेंगे की शादी से पहले मेडिकल चेकअप या प्रीमैरिटल चेकअप क्यों है जरुरी और इसमें कौन कौन से टेस्ट शामिल है।
विषय सूची
1. शादी से पहले प्रीमैरिटल चेकअप जरूरी क्यों है – Medical tests before marriage in hindi
2. शादी से पहले मेडिकल चेकअप में कौन कौन से टेस्ट होते है – Types of Medical Checkup before Marriage in Hindi
शादी से पहले प्रीमैरिटल चेकअप करवाना शादी करने जा रहे जोड़ो के लिए आजकल आम बात हो गयी है। प्रीमैरिटल चेकअप करवाना बहुत जरुरी भी है क्योकि इस टेस्ट से लड़के या लड़की दोनों में से किसी को भी किसी प्रकार की गंभीर बीमारी या संक्रमण तो नहीं है इसका पता लगाया जा सकता है। प्रीमैरिटल चेकअप करवाने से ब्लड रिलेटेड या किसी जेनेटिक बीमारी का पता लगाया जा सकता है। इस टेस्ट से माता पिता में पहले से मौजूद किसी गंभीर बीमारी के संक्रमण से भी बच्चे को बचाया जा सकता है क्योकि आजकल बच्चो में ब्लड रिलेटेड और आनुवांशिक बीमारियाँ तेजी से बढ़ रही है इसलिए यह प्रीमैरिटल चेकअप शादी से पहले करवाना बहुत जरुरी है। इस टेस्ट को करवाने का सही समय शादी से 6 महीने पहले का माना गया है।
प्रीमैरिटल चेकअप के इस पैकेज को कुछ सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं, वंशानुगत विकारों और कुछ संक्रमणों जैसे एचआईवी, हेपेटाइटिस बी आदि का पता लगाने के लिए तैयार किया गया है, जो कि दोनों पार्टनर्स या बच्चे के स्वास्थ्य और यौन संचारित रोगों के संचरण पर असर डाल सकता है। इन टेस्ट को कराने की ऐज 18 वर्ष और उससे अधिक होनी चाहिए।
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प्रीमैरिटल चेकअप में 4 तरह के टेस्ट होते है जिनसे शरीर में मौजूद किसी भी संक्रामक बीमारी का पता लगाया जा सके और उसका उचित इलाज किया जा सके, इन टेस्ट में शामिल है-
अगर आप शादीशुदा जिंदगी को ख़ुशी-ख़ुशी गुजरना चाहते हैं तो सात फेरों से पहले HIV और STD की जांच जरूर करवाएं। एचआईवी, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी और इस तरह की कई गंभीर बीमारियां हैं जो एक बार होने के बाद जीवनभर व्यक्ति के साथ रहती हैं और इन्हें मैनेज करना मुश्किल होता है जिससे कई बार शादीशुदा लोगों की जिंदगी में भी कई मुश्किलें आ सकती हैं। लिहाजा अगर आपको या आपके पार्टनर को इसमें से कोई बीमारी है तो आप दोनों अपने लिए उचित मेडिकल केयर ले सकते हैं या फिर यह भी फैसला ले सकते हैं कि आपको शादी के इस फैसले में उस पार्टनर के साथ आगे बढ़ना है या नहीं।
इसके अलावा किसी भी तरह के सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (STD) की भी पहले से जांच करवा लेना सही रहता है ताकि उस बीमारी का सही इलाज हो सके और साथ ही इन्फर्टिलिटी (infertility) और मिसकैरिज (miscarriage) के खतरे को कम किया जा सके।
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शादी से पहले खून जांच को जरूरी मानी जाती है। (एबीओ-आरएच) परीक्षण आरएच-फैक्टर की असंगति (incompatibility) और महिलाओं को गर्भावस्था में होने वाले जोखिमों की जांच के लिए शादी से पहले यह ब्लड ग्रुप टेस्ट करना महत्वपूर्ण है। यदि टेस्ट में पहले से किसी प्रकार की समस्या पायी जाती है तो डॉक्टर महिला की पहली गर्भावस्था के दौरान ही आरएच इम्यून-ग्लोब्युलिन शॉट्स (anti Rh immune-globulin shots) दे देते है।
आरएच इम्यून-ग्लोब्युलिन शॉट्स एक प्रकार के वैक्सीन (vaccine) की तरह काम करता है, जो माँ के शरीर को किसी भी खतरनाक आरएच एंटीबॉडी (Rh antibodies) का उत्पादन करने से रोकता है, जो नवजात शिशुओं में गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है या भविष्य की किसी भी गर्भावस्था को मुश्किल बना सकता है।
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फर्टिलिटी टेस्ट से शादी में बंधने जा रहे जोड़े की प्रजनन क्षमता का पता लगाया जा सकता है। एक दंपति को प्रजनन क्षमता की समस्या का तब तक पता नहीं चलता जब तक उनकी शादी को लगभग 2 या अधिक वर्षों ना हो गए हों या महिला को गर्भधारण करने में सफलता ना मिल रही हो। यह परीक्षण वास्तव में महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रजनन क्षमता की समस्या को बिना किसी भी सामाजिक या भावनात्मक आघात से गुजरे भी ठीक किया जा सकता है। फर्टिलिटी टेस्ट में आमतौर पर पुरुषों का वीर्य विश्लेषण (semen analysis) किया जाता है जो पुरुष प्रजनन क्षमता का आकलन करता है और इस टेस्ट में महिला के ओवुलेशन (ovulation) का परीक्षण किया जाता है। जो महिला की प्रजनन क्षमता का आकलन करता है
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जेनेटिक और क्रोनिक डिजीज टेस्ट में डायबीटीज, हाइपरटेंशन, किडनी रोग, थाइरोइड से जुड़ी बीमारियां, थैलसीमिया (Thalassemia ) और इसकी जैसे कुछ विभिन्न तरह के कैंसरों का भी टेस्ट किया जाता है, ताकि होने वाले बच्चे में इन बीमारियों से होने वाले खतरे के जोखिम को कम किया जा सके।
इन सभी प्रासंगिक परीक्षण (relevant test) को डॉक्टरों द्वारा शादी से पहले मेडिकल चेकअप (प्री-मैरिटल पैकेज) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
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