Menstrual Cycle in Hindi मासिक धर्म क्या है यह प्रश्न लगभग हर किशोर लड़की लिए जिज्ञासा का कारण होता है। मासिक धर्म एक महिला का मासिक रक्तस्राव है जिसे अक्सर अवधि के नाम से जाना जाता है। किशोरावस्था में लड़कियों को यह समझ में नहीं आता है कि मासिक धर्म चक्र क्या है, यह क्यों आता है। इसके अलावा उन्हें इस बात का भी संशय रहता है कि यह कितने दिनों तक रहता है। जिन लड़कियों में मासिक धर्म की शुरुआत होती है उन्हें इस बात का डर रहता है कि कहीं यह उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तो नहीं है। इन सभी प्रश्नों की जानकारी आज आप इस लेख के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं।
विषय सूची
मासिक धर्म एक महिला का मासिक रक्तस्राव है, जिसे अक्सर “पीरियड” कहा जाता है। मासिक धर्म के दौरान महिलाओं का शरीर गर्भाशय के अस्तर के मासिक बिल्डअप (monthly buildup) को त्याग देता है। आपके गभ्राशय से मासिक धर्म का रक्त गर्भाशय ग्रीवा के छोटे छिद्रों के माध्यम से बहता हैं जो महिलाओं की योनि से निकलता है। मासिक धर्म चक्र के दौरान गर्भाशय अस्तर गर्भावस्था की तैयारी के लिए बनाता है। यदि आप गर्भवती नहीं होती हैं तो एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर कम होने लगता है। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन का बहुत कम स्तर आपके शरीर को मासिक धर्म शुरू करने के लिए कहता है।
(और पढ़े – पीरियड्स की जानकारी और अनियमित पीरियड्स के लिए योग और घरेलू उपचार…)
मासिक धर्म चक्र एक प्रकार का मासिक हार्मोनल चक्र है। यह महिला के शरीर को गर्भावस्था के लिए तैयार करता है। सामान्य रूप से महिलाओं का मासिक धर्म चक्र उनकी अवधि के पहले दिन से लेकर उनकी अगली अवधि के पहले दिन तक गिना जाता है। महिलाओं में पाए जाने वाले एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन आमतौर पर पूरे मासिक धर्म चक्र में बदलते रहते हैं जो मासिक धर्म के लक्षणों जैसे ऐठन या दर्द का कारण बनते हैं।
(और पढ़े – पीरियड्स के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं…)
सामान्य मासिक धर्म चक्र 28 दिनों का होता है, लेकिन प्रत्येक महिला में यह अलग-अलग हो सकता है। इसके अलावा, एक महिला के मासिक धर्म चक्र की लंबाई महीने-दर-महीने भिन्न हो सकती है। आपकी अवधि अभी भी “नियमित” है यदि वे आमतौर पर हर 24 से 38 दिनों में आते हैं। इसका मतलब है कि आपकी अंतिम अवधि के पहले दिन से लेकर आपकी अगली अवधि की शुरुआत तक का समय कम से कम 24 दिन है लेकिन 38 दिनों से अधिक नहीं है ।
कुछ महिलाओं के पीरियड्स इतने नियमित होते हैं कि वे दिन और समय का अनुमान लगा सकती हैं कि उनके पीरियड्स कब शुरू हो जाएंगे। अन्य महिलाएं नियमित हैं, लेकिन वे केवल कुछ दिनों के भीतर उनकी अवधि की शुरुआत का अनुमान लगा सकती हैं।
(और पढ़े – पीरियड्स जल्दी लाने और रोकने के घरेलू उपाय…)
जब किसी महिला का अंडाशय अंडोत्सर्जन करता है उस स्थिति को ओव्यूलेशन कहा जाता है। यह इसलिए होता है ताकि भ्रूण निर्माण के लिए अंडे को शुक्राणु द्वारा निषेचित किया जा सके। यह स्थिति किसी महिला को गर्भवती बनाने की सबसे अधिक संभावना को दर्शाती है। यदि कोई महिला ओव्यूलेशन के दिन से पहले और बाद में असुरक्षित यौन संबंध रखती है तो उसके गर्भवती होने की संभावना बढ़ जाती है। क्योंकि इस दौरान शुक्राणु अंडाणु को निषेचित करने के लिए तैयार रहते हैं। एक पुरुष का शुक्राणु महिला की योनि में 3 से 5 दिनों तक जीवित रह सकता है। लेकिन महिलाओं में अंडाणु आव्यूलेशन के बाद सिर्फ 12 से 24 घंटे तक ही जीवित रहता है।
हर महिला की अवधि का समय अलग अलग हो सकता है। जो महिलाएं गर्भवती होती हैं वे डिंबोत्सर्जन नहीं करती हैं। लेकिन जो महिलाएं स्तनपान करा रही हैं वे अंडोत्सर्जन कर सकती हैं। लेकिन यदि वे इस दौरान गर्भवती नहीं होना चाहती हैं तो गर्भनिरोध और डॉक्टरी सलाह ले सकती हैं।
(और पढ़े – ओव्यूलेशन (अंडोत्सर्ग) क्या है, साइकिल, कब होता है, कितने दिन तक रहता है और लक्षण…)
महिलाओं के मन में यह प्रश्न अक्सर उठता है कि वे यह कैसे पता कर सकती हैं वे अंडोत्सर्जन कर रही हैं। ओव्यूलेशन करने के कुछ दिन पहले उनकी योनि का म्यूकस या डिस्चार्ज बदल जाता है। इस दौरान स्रावित तरल पदार्थ अधिक चिकनाई युक्त और स्पष्ट हो जाता है। इस प्रकार का बलगम शुक्राणुओं को अपने गर्भाशय (uterus) में और फैलोपियन ट्यूब (fallopian tubes) में जाने में मदद करता है। जिससे शुक्राणु अंडे को शिषेचित कर सकते हैं। इसके अलावा कुछ महिलाएं अंडोत्सर्जन के दौरान अपने अंडकोष में हल्की ऐंठन का भी अनुभव कर सकती हैं। कुछ महिलाओं में ओव्यूलेशन के कुछ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं।
ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन महिलाओं के मस्तिष्क द्वारा छोड़ा गया एक हार्मोन है जो अंडाशय को उत्तेजित करने में मदद करता है। यह हार्मोन ओव्यूलेशन के लगभग 36 घंटे पहले ऊपर की ओर बढ़ना शुरू कर देता है। ओव्यूलेशन से 12 घंटे पहले यह होर्मोन चरम स्तर पर होता है। गर्भवती होने के लिए ओव्यूलेशन पर नजर रखने वाली महिलाएं अपने सोने से पहले और उठने के बाद के शारीरिक तापमान में मामूली वृद्धि का अनुभव कर सकती हैं।
(और पढ़े – महिलाओं में योनि से सफेद पानी आने (ल्यूकोरिया या श्वेत प्रदर) का घरेलू इलाज…)
जैसे जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है वैसे ही उनका मासिक चक्र भी अलग अलग तरीके से बदलता है। महिलाओं में पीरियड्स उनकी किशोरावस्था में बहुत भारी होते हैं जबकि 20 से 30 की उम्र में पीरियड्स हल्के हो जाते हैं। महिलाओं की पहली अवधि के बाद कुछ वर्षों तक 38 दिन से अधिक समय तक मासिक धर्म होना सामान्य है। लड़कियों को आमतौर पर पीरियड्स शुरू होने के तीन साल के भीतर अधिक नियमित चक्र मिलते हैं। यदि लंबे समय तक या अनियमित मासिक धर्म चक्र इससे अधिक समय तक रहते हैं तो डॉक्टर से संपर्क किया जाना चाहिए।
20 वर्ष से लेकर 30 वर्ष की आयु तक महिलाओं के मासिक चक्र नियमित होते हैं और 24 से 38 दिनों तक के हो सकते हैं। लेकिन 40 की उम्र के बाद आपका शरीर रजोनिवृत्ति के लिए प्रवीण होने लगता है जिससे आपके मासिक धर्म चक्र अनियमित हो सकते हैं। इस दौरान महिलाओं में मासिक धर्म 1 या कुछ महिनों के लिए रूक सकते हैं और फिर से शुरू हो सकते हैं। इस दौरान मासिक प्रवाह सामान्य से हल्के या भारी कुछ भी हो सकते हैं। इस स्थिति में भी आप अपने डॉक्टर से सलाह ले सकती हैं।
(और पढ़े – अनियमित मासिक धर्म के कारण, लक्षण और घरेलू उपचार…)
यदि महिलाओं में पीरियड्स नियमित हैं तो इन महिलाओं को अपने मासिक धर्म पर नजर रखनी चाहिए। क्योंकि इन्हें ट्रैक करने से यह पता चलता है कि ओव्यूलेट कब होता है, क्योंकि इस दौरान महिला के गर्भवती होने की अधिक संभावना होती है।
लेकिन यदि आपके पीरियड नियमित नहीं है तो उन्हें ट्रैक करना और आपके डॉक्टर या नर्स की सलाह आपकी मदद कर सकती है। इसके अलावा यदि पीरियड के दौरान दर्द
या रक्तस्राव होता है जो दैनिक जीवन में असुविधा का कारण बनता है। ऐसी स्थितियों पर भी मासिक धर्म पर नजर और नियंत्रण प्राप्त करने के लिए आप डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।(और पढ़े – जानें गर्भधारण करने का सही समय क्या है…)
महिलाओं को अपने मासिक चक्र का अच्छी तरह से ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि यह उनके शरीर में होने वाले परिवर्तनों का प्रमुख कारण हो सकता है। महिलाएं अपने घर के कैलेंडर में मासिक धर्म की शुरूआत वाले दिन को चिन्हित करके मासिक धर्म को ट्रैक कर सकती हैं। लगातार कुछ महिनों तक ऐसा करने से आप यह पता लगा सकते हैं कि आपके चक्र नियमित हैं या नहीं। इसके अलावा मासिक धर्म को ट्रैक करने के लिए आप निम्न कदम भी उठा सकते हैं।
इन सभी तरीकों के अलावा भी आप अपनी अवधि को ट्रैक करने के लिए फोन ऐप आदि का भी उपयोग कर सकते हैं।
(और पढ़े – प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (पीएमएस) के कारण, लक्षण और इलाज…)
सामान्य रूप से किसी लड़की को पहली अवधि प्राप्त करने की औसत आयु 12 वर्ष की है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सभी लड़कियों को इसी उम्र में मासिक धर्म प्राप्त हो। कोई लड़की 8 वर्ष से लेकर 15 वर्ष की आयु के बीच में कभी भी मासिक धम्र प्राप्त कर सकती है। किसी लड़की का पहला पीरियड उनके ब्रेस्ट विकसित होने, जननांग में बाल आने के लगभग 2 वर्ष बाद आते हैं। इसके अलावा लड़की की मां ने अपनी अवधि जब प्रारंभ की थी उससे अनुमान लगाया जा सकता है कि उसकी लड़की अपनी अवधि कब प्राप्त कर सकती है।
डॉक्टर से संपर्क करें जब इनमें से कोई लक्षण किसी लड़की में हों।
(और पढ़े – लड़की के पहले मासिक धर्म या पीरियड से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी…)
किसी भी महिला को अपने जीवन काल में लगभग औसतन 40 वर्षों तक अवधि प्राप्त होती है। अधिकांश महिलाओं में पेरीमेनोपॉज (Perimenopause) तक नियमित अवधि प्राप्त होती है। यह वह समय होता है जब महिलाओं का शरीर रजोनिवृत्ति में परिवर्तन शुरू करता है। रजोनिवृत्ति की शुरुआत में कुछ वर्षों का समय लग सकता है जिसके दौरान महिलाओं को नियमित अवधि प्राप्त नहीं होती है। रजोनिवृत्ति तब होती है जब किसी महिला को लगातार 12 माह तक अवधि नहीं मिलती है। अधिकतर महिलाओं में यह 45 से 55 वर्ष की उम्र के बीच का समय होता है।
हालांकि गर्भावस्था के दौरान भी पीरियड्स नहीं आते हैं। लेकिन यदि आप गर्भवती नहीं हैं और ना ही स्तनपान करा रही हैं इस दौरान यदि 90 दिनों तक अवधि प्राप्त न करें तो आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
(और पढ़े – रजोनिवृत्ति के कारण, लक्षण और दूर करने के उपाय…)
मासिक धर्म के दौरान महिलाएं औसतन 2 से 3 बड़े चम्मच के बराबर रक्त खो देती हैं। लेकिन हर महिला के लिए यह मात्रा निश्चित नहीं है। कुछ महिलाएं इससे अधिक या कुछ इससे कम मात्रा में रक्त स्रावित कर सकती हैं। रक्त स्राव की जो मात्रा आपके लिए सामान्य है वह किसी अन्य के लिए सामान्य नहीं हो सकती है। इसके अलावा रक्त प्रवाह महीने से महीने तक हल्का या भारी हो सकता है। जैसे जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है उनके पीरियड्स में भी बदलाब आता है। कुछ महिलाओं को रजोनिवृत्ति के पूर्व भारी रक्त स्राव हो सकता है।
भारी मासिक धर्म रक्त स्राव के लक्षणों में शामिल हैं :
(और पढ़े – पीरियड में ब्लीडिंग कम करने के घरेलू उपाय…)
पीरियड्स के दौरान उपयोग किये जाने वाले उत्पादों को निर्देशों के अनुसार उपयोग किया जाना चाहिए। इसके अलावा स्वच्छता बनाए रखने के लिए इन उत्पादों को समय पर बदलना और साफ करना चाहिए। अधिकांश महिलाएं कुछ घंटों में अपने पैड को बदलती हैं।
मासिक धर्म में रक्त स्राव को रोकने के लिए आकार और क्षमता के आधार पर बहुत से उत्पाद मौजूद हैं। मासिक धर्म में रक्त स्राव की मात्रा आमतौर पर एक अवधि के दौरान बदल जाती है। कुछ महिलाएं अपनी अवधि के दौरान अलग-अलग दिनों में अलग-अलग उत्पादों का उपयोग करती हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि इस दौरान उनका रक्तस्राव हल्का या भारी है।
(और पढ़े – टैम्पोन का उपयोग कैसे करें फायदे और नुकसान…)
विषाक्त शॉक सिंड्रोम एक दुर्लभ लेकिन कभी-कभी बैक्टीरिया या विषाक्त पदार्थों को बनाने वाले जीवाणुओं के कारण गंभीर हो सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार 1980 में विषाक्त शॉक सिंड्रोम के कारण लगभग 63 महिलाओं की मृत्यु हो चुकी है। लेकिन टैम्पोन का उपयोग करने के कारण आज इस प्रकार के मामले देखने नहीं मिलते हैं। लेकिन आप इस समस्या का शिकार हो सकते हैं यदि रक्तस्राव में अवश्यकता से अधिक शोषक टैम्पोन को उपयोग करते हैं। इसके अलावा आप समय पर अपने टैम्पोन कम से कम 4 से 8 घंटों में नहीं बदलते हैं तब भी इस समस्या का शिकार हो सकते हैं। मासिक धर्म के कप, सरवाइकल कैप, स्पंज, डायाफ्राम या योनि के अंदर डालने वाले कोई भी उत्पाद इस संक्रमण का खतरा बढ़ा सकते हैं यदि वे लंबे समय (लगभग 24 घंटे) तक योनि के अंदर रहते हैं।
यदि आपके पास टीएसएस (toxic shock syndrome) के कोई भी लक्षण हैं तो टैम्पोन, मासिक धर्म कप, स्पंज या डायाफ्राम को बाहार निकालें और डॉक्टर से संपर्क करें। टीएसएस (टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम) के लक्षणों में शामिल हैं :
(और पढ़े – दस्त (लूस मोशन) रोकने के उपाय…)
मासिक धर्म चक्र के दौरान महिलाओं के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं। यह परिवर्तन महिलाओं में स्वास्थ्य समस्याओं को भी प्रभावित कर सकते हैं।
(और पढ़े – कामकाजी महिलाओं में तनाव के कारण, लक्षण और उपाय…)
इसी तरह की अन्य जानकारी हिन्दी में पढ़ने के लिए हमारे एंड्रॉएड ऐप को डाउनलोड करने के लिए आप यहां क्लिक करें। और आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं।
Homemade face pack for summer गर्मी आपकी स्किन को ख़राब कर सकती है, जिससे पसीना,…
वर्तमान में अनहेल्दी डाइट और उच्च कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन का सेवन लोगों में बीमारी की…
Skin Pigmentation Face Pack in Hindi हर कोई बेदाग त्वचा पाना चाहता है। पिगमेंटेशन, जिसे…
चेहरे का कालापन या सांवलापन सबसे ज्यादा लोगों की पर्सनालिटी को प्रभावित करता है। ब्लैक…
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जिन्हें पहचान कर आप…
त्वचा पर निखार होना, स्वस्थ त्वचा की पहचान है। हालांकि कई तरह की चीजें हैं,…