Side Effects of Obesity In Hindi मोटापा एक जटिल विकार है जिसमें शरीर में वसा की अधिक मात्रा हो जाती है। मोटापा केवल आपकी सुन्दरता को ही कम नहीं करता है बल्कि यह आपके लिए रोगों और स्वास्थ्य समस्याओं जैसे हृदय रोग, मधुमेह और उच्च रक्तचाप के जोखिम को भी बढ़ाता है। बहुत ज्यादा मोटे होने का मतलब यह है कि आपको अपने वजन से संबंधित कई स्वास्थ्य समस्याएं होने की बहुत अधिक संभावना है जिससे जान का जोखिम भी हो सकता है। परन्तु यह भी अच्छी बात है की थोड़ा वजन घटाने से भी मोटापे से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में सुधार या रोकथाम की जा सकती है। यदि आप अपना आहार परिवर्तन करते है, या कोई शारीरिक गतिविधि जैसे व्यायाम आदि करते है तो मोटापे से होने वाली कई गंभीर बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।
दवाएं और वजन घटाने की सर्जरी भी मोटापे के उपचार के लिए अतिरिक्त विकल्प हो सकते हैं। आज इस लेख में हम जानेंगे की मोटापे से होने वाले रोग कौन से है और इनसे बचाव कैसे किया जा सकता है। आइए जानें मोटापे से होने वाली बीमारियों के बारे में।
1. मोटापे से होने वाली बीमारियां – Motape Se Hone Wali Bimari In Hindi
2. मोटापे से होने वाले रोगों से बचाव – Obesity related diseases prevention in Hindi
कहा जाता है की मोटापा कई गंभीर बीमारियों की जड़ होता है और यह सही भी है क्योकि मोटापा बढ़ने से ही कई रोग होते है जो कई तरह के जोखिम तो पैदा करते ही है साथ में जानलेवा भी साबित होते है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ रोगों के बारे में बतायेंगे जो सिर्फ मोटापा बढ़ने की वजह से होते है और बहुत घातक भी होते है। आइए जानें मोटापे से होने वाली बीमारियों के बारे में।
मोटापा कई गंभीर बीमारियों की जड़ होता है मोटापे से लोगों को जो सबसे ज्यादा बीमारी होती है वह है हृदय रोग। एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) मतलब धमनियों (arteries) का सख्त होना, यह समस्या कम मोटे लोगों की तुलना में मोटे लोगों में 10 गुना अधिक होता है। कोरोनरी धमनी की बीमारी (Coronary artery disease) भी मोटे लोगों में अधिक प्रचलित है, क्योंकि फैटी डिपॉजिट्स उन धमनियों में निर्माण कर लेते हैं जो हृदय के रक्त की आपूर्ति करती हैं। हृदय की रक्तवाहिनियों के छोटा होने से और रक्त प्रवाह कम होने से भी सीने में दर्द (एनजाइना) या दिल का दौरा पड़ सकता है। संकुचित धमनियों में रक्त के थक्के भी बन सकते हैं जो स्ट्रोक का कारण बन सकते हैं।
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मोटापे को बीमारी नहीं माना जाता, लेकिन मोटापा टाइप 2 डायबिटीज का प्रमुख कारण होता है। इस प्रकार का मधुमेह आमतौर पर वयस्क होने पर होता है लेकिन, अब इसके गंभीर लक्षण बच्चों में भी देखने को मिल रहे हैं। मोटापा इंसुलिन के प्रतिरोध (resistance) का कारण बनता है, यह हार्मोन रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करता है। जब मोटापा इंसुलिन प्रतिरोध का कारण बनता है, तो ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। यहां तक कि कम मोटापा भी मधुमेह के खतरे और जोखिम को बढ़ाता है।
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मोटापे की वजह से लोगों को उच्च रक्तचाप की बीमारी भी होती है जिससे जान भी जा सकती है। शरीर में अतिरिक्त वसा ऊतकों (Additional fat tissue) को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, जिससे रक्त वाहिकाओं को वसा ऊतक को अधिक रक्त देना पड़ता है। यह हृदय के कार्यभार को बढ़ाता देता है क्योंकि इसे अतिरिक्त रक्त वाहिकाओं के माध्यम से अधिक रक्त पंप करना पड़ता है। अधिक रक्त पंप करने का मतलब धमनी की दीवारों पर अधिक दबाव पड़ना जिससे धमनी की दीवारों पर ज्यादा दबाव पड़ता है और यह उच्च रक्तचाप को बढ़ाता है। इसके अलावा, अतिरिक्त वजन हार्ट रेट को बढ़ा सकता है जिसकी वजह से रक्त वाहिकाओं की क्षमता कम हो जाती है जिससे उन्हें रक्त भेजने में परेशानी हो सकती है।
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मोटापे की वजह से बहुत से लोगों को स्लीप एपनिया (sleep apnea) की बीमारी हो जाती है, जिसके कारण लोग थोड़े समय के लिए सांस लेना बंद कर देते हैं जिससे उनकी नींद में रात भर बाधा आती हैं और नींद पूरी ना होने के कारण
दिन में नींद आने लगती हैं। स्लीप एपनिया भी लोगों में भारी खर्राटों की परेशानी का कारण बनता है। मोटापे से जुड़ी सांस की समस्याएं तब होती हैं जब बहुत ज्यादा मोटापे की वजह से चेस्ट वाल फेफड़ों को पूरी तरह निचोड़ लेता है और सांस लेने में परेशानी पैदा करता है।(और पढ़े – ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (खराटे) बन सकता है मोटापे और मधुमेह का कारण…)
मोटापे की वजह से महिलाओं में विभिन्न तरह के कैंसर होने का खतरा बना रहता है, जैसे स्तन कैंसर (breast cancer), कोलन कैंसर (colon cancer), पित्ताशय की थैली का कैंसर (gallbladder cancer) और गर्भाशय का कैंसर (uterus cancer) सहित विभिन्न प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। अधिक वजन वाले पुरुषों में कोलोन कैंसर (colon cancer) और प्रोस्टेट कैंसर (prostate cancer) का खतरा अधिक होता है।
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मोटापे की वजह से महिलाओं में अक्सर ऑस्टियोआर्थराइटिस जो एक सामान्य संयुक्त स्थिति (joint condition) है यह समस्या देखने को मिलती है। यह रोग अक्सर घुटने, कूल्हे या पीठ को प्रभावित करता है। अतिरिक्त वजन बढ़ जाने से इन जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और कार्टिलेज (मतलब जोड़ों को कुशनिंग करने वाले ऊतक) से दूर हो जाता है जिनका काम सामान्य रूप से जॉइंट्स की रक्षा करने का होता है।
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मेटाबोलिक सिंड्रोम रोग मोटापे की वजह से होता है। राष्ट्रीय कोलेस्ट्रॉल शिक्षा कार्यक्रम (The National Cholesterol Education Program) ने हृदय रोग के लिए एक जटिल जोखिम कारक के रूप में मेटाबोलिक सिंड्रोम की पहचान की है। मेटाबोलिक सिंड्रोम में छह प्रमुख घटक होते हैं पेट का मोटापा (abdominal obesity), रक्त में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ जाना, उच्च रक्तचाप, ग्लूकोज इनटॉलरेंस के साथ या बिना इंसुलिन रेजिस्टेंस के (insulin resistance with or without glucose intolerance), रक्त के कुछ घटकों का बढ़ना जो सूजन होने का संकेत देते हैं (elevation of certain blood components that indicate inflammation), और रक्त में कुछ थक्के जमने के कारकों को बढ़ावा देते हैं (elevation of certain clotting factors in the blood)। भारत में, लगभग एक तिहाई लोग जिनका अधिक वजन है या वह मोटापे से पीड़ित है उनको यह मेटाबोलिक सिंड्रोम की शिकायत हैं।
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मोटापे की वजह से महिलाओं में स्त्री रोग संबंधी बीमारियां जैसे इनफर्टिलिटी और अनियमित पीरियड्स की समस्याएं उत्पन्न होती है। आज के समय में ज्यादातर महिलाएं अनियमित माहवारी की परेशानी से जूझ रही है क्योकि मोटापा बढ़ने से उनके होर्मोनेस ठीक तरह से काम नहीं कर पाते है जिससे कई तरह की जटिलताएं पैदा हो जाती है।
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मोटापे से होने वाले रोगों से बचाव के लिए आपको कुछ सक्त कदम उठाने होंगे क्योकि अगर आप मोटापे की कगार पर है या मोटापे से पहले से पीड़ित है तो यह आपके लिए जानलेवा हो सकता है इसलिए मोटापे को समय रहते नियंत्रित करना बहुत ही जरुरी है क्योकि सरे रोगों की जड़ मोटापा ही है। इसके लिए आप अपनी दिनचर्या में बदलाव करके और अपनी जीवनशैली को ठीक करके इन सभी रोगों से छुटकारा पा सकते है।
आईये जाने मोटापे से होने वाले रोगों से बचाव के उपाय-
यदि आप अपने वजन को बढ़ने से रोकना चाहते है तो इसके लिए आपको सप्ताह में कम से कम 150 से 300 मिनट की मध्यम-तीव्रता वाली शारीरिक गतिविधियां करनी होगी। मध्यम रूप से तीव्र शारीरिक गतिविधियों में तेज चलना और तैराकी भी शामिल है। इन गतिविधियों को करके आप मोटापे से अपने शरीर को सुरक्षित रख सकते है।
कम कैलोरी, पोषक तत्व से भरे खाद्य पदार्थ, जैसे कि फल, सब्जियां और साबुत अनाज अपने आहार में शामिल करें। संतृप्त वसा (saturated fat) से बचें और मिठाई और शराब को सीमित करें। दिन में तीन बार नियमित भोजन करें परन्तु स्नैक्स ज्यादा ना लें। आप चाहें तो छोटी मात्रा में उच्च वसा, उच्च कैलोरी खाद्य पदार्थों का आनंद ले सकते है। बस उन खाद्य पदार्थों का चयन करना पहले सुनिश्चित करें जो ज्यादातर समय स्वस्थ वजन और अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हों।
जो लोग सप्ताह में कम से कम एक बार अपना वजन चेक करते हैं, वे अतिरिक्त वजन घटाने में अधिक सफल होते हैं। अपने वजन को मॉनिटर करने से आपको यह पता चल सकता है कि क्या आपके प्रयास काम कर रहे हैं और आपने कम वजन का पता लगाने से आप कोई बड़ी समस्या उत्पन्न होने से बचा सकते है।
सप्ताह के दौरान, वीकेंड पर और छुट्टियों में भी अपने स्वस्थ-वजन की योजना को नियमित रूप से फॉलो करने से आप अपने वजन को कम करने की लंबी अवधि की सफलता की संभावना को बढ़ा सकते है।
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