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मुंह का कैंसर क्या है, कारण, लक्षण, जांच, इलाज और रोकथाम – Mouth Cancer (Oral Cancer) In Hindi

Mouth Cancer In Hindi मुंह का कैंसर (oral cancer) तब विकसित होता है जब व्यक्ति के गाल, मसूड़ों, मुंह के ऊपरी भाग, जीभ या होंठ के भीतर की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से वृद्धि करती हैं। ओरल कैंसर, सभी कैंसर की तुलना में काफी तेजी से वृद्धि करता हैं और प्रारंभिक स्थिति में इलाज न किये जाने पर काफी जोखिमदायक हो सकता है। पुरुषों को महिलाओं की अपेक्षा मुंह के कैंसर होने की अत्यधिक संभावना होती है। यह कैंसर चहरे को कुरूप बना सकता है और जीवन की अनेक समस्याओं को उत्पन्न कर सकता है। यदि जल्द से जल्द इसका निदान और इलाज नहीं किया गया, तो यह समबन्धित व्यक्ति की मृत्यु का कारण भी बन सकता है।

अतः आज के इस लेख में आप जानेंगे कि मुंह का कैंसर क्या है, ओरल कैंसर के कारण, मुंह के कैंसर के शुरूआती लक्षण क्या हैं तथा इसके निदान, इलाज और रोकथाम के लिए क्या-क्या तरीके अपनाये जा सकते है।

  1. मुंह का कैंसर क्या है – Muh Ka Cancer Kya Hota Hai
  2. मुंह के कैंसर के प्रकार – Type of oral cancer in hindi
  3. मुंह का कैंसर के कारण – Muh Ke Cancer Hone Ke Karan in hindi
  4. मौखिक कैंसर के जोखिम कारक – Oral Cancer risk factors in hindi
  5. मुंह के कैंसर के लक्षण – Muh Ke Cancer Ke Lakshan in hindi
  6. मुंह के कैंसर के चरण – Mouth Cancer Stages in hindi
  7. मुंह के कैंसर की जांच – Oral Cancer Diagnosis in Hindi
  8. मुंह के कैंसर का इलाज – Oral Cancer Treatment in hindi
  9. मुंह के कैंसर की जटिलताएं – Mouth Cancer Complications in hindi
  10. मुंह के कैंसर से बचाव – Oral Cancer Prevention in hindi
  11. मुंह के कैंसर का घरेलू इलाज – home remedies for mouth cancer in hindi

मुंह का कैंसर क्या है – Muh Ka Cancer Kya Hota Hai

मुंह का कैंसर (oral cancer), मुंह में छाले के रूप में विकसित हो सकता है, जो आसानी से ठीक नहीं होता। मुंह का कैंसर मुख्य रूप से जीभ की सतह पर, होंठ, गाल के आंतरिक भाग, मसूड़ों, मुंह के ऊपरी भाग या निचले हिस्से, टॉन्सिल (tonsils) और लार ग्रंथियों (salivary glands) में कहीं भी उत्पन्न हो सकता है। मुंह के अंदर होने वाले कैंसर को कभी-कभी ओरल कैविटी कैंसर (oral cavity cancer) भी कहा जाता है। मुंह का कैंसर अधिकांश 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को अधिक प्रभवित करता है।

कैंसर को कोशिकाओं के अनियंत्रित विकास के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो कि आसपास के क्षेत्र में फैलकर ऊतकों को नुकसान पहुंचाती हैं। मुंह के कैंसर को सिर (head) और गर्दन के कैंसर की श्रेणी में रखा जाता है और इसका इलाज भी सिर के कैंसर और गर्दन के कैंसर के समान ही होता है। मौखिक कैंसर से प्रभावित अधिकतर मनुष्यों को इसका पता तब चलता हैं, जब कैंसर गर्दन के लिम्फ नोड्स में फैल चुका होता है। अतः मुह के कैंसर की जटिलताओं से बचने और इसका उचित इलाज प्राप्त करने के लिए मुंह के कैंसर का जल्द से जल्द पता लगाना महत्वपूर्ण होता है।

(और पढ़े – कैंसर क्या है कारण लक्षण और बचाव के उपाय…)

मुंह के कैंसर के प्रकार – Type of oral cancer in hindi

मौखिक कैंसर (ओरल कैंसर) के प्रकार के अंतर्गत निम्न को शामिल किया जाता है:

  • होंठ का कैंसर (lips cancer)
  • जीभ का कैंसर (tongue cancer)
  • गाल की अंदरूनी परत का कैंसर (inner lining of the cheek cancer)
  • मसूड़ों का कैंसर (gums cancer)
  • मुँह के तल का कैंसर (floor of the mouth cancer)
  • कठोर और मुलायम तालू के कैंसर (hard and soft palate cancer), इत्यादि।

(और पढ़े – गले का कैंसर कारण, लक्षण, जाँच, इलाज और बचाव…)

मुंह का कैंसर के कारण – Muh Ke Cancer Hone Ke Karan in hindi

जब आनुवंशिक उत्परिवर्तन (genetic mutation) या DNA में उत्परिवर्तन (mutations), होंठ या मुंह की कोशिकाओं में अनियंत्रित वृद्धि का कारण बनता है, तब मुंह का कैंसर उत्पन्न होता है। मुंह में कैंसर कोशिकाओं के असामान्य रूप से जमा होने पर एक ट्यूमर बन सकता है, तथा समय के साथ-साथ मुंह के अंदर और शरीर के अन्य हिस्सों तक फैल सकता है।

मुंह के कैंसर सबसे अधिक स्क्वैमस कोशिकाओं (squamous cells) में शुरू होते हैं। अधिकांश मौखिक कैंसर, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (squamous cell carcinomas) होते हैं। यद्यपि यह स्पष्ट करना मुश्किल है कि मुंह के कैंसर का कारण बनने वाली स्क्वैमस कोशिकाओं में म्यूटेशन (mutations) किस कारण से होता है। लेकिन कुछ ऐसे कारकों की पहचान अवश्य की जा सकती है जो मुंह के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।

(और पढ़े – फेफड़ों का कैंसर कारण, लक्षण, इलाज और रोकथाम…)

मौखिक कैंसर के जोखिम कारक – Oral Cancer risk factors in hindi

मुंह के कैंसर (oral cancer) के सबसे बड़े जोखिम कारकों में सिगरेट, सिगार (cigars) और तंबाकू का सेवन आदि को शामिल किया जाता है। महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को मुंह के कैंसर होने की खतरा अधिक होता है। जो व्यक्ति अधिक मात्रा में शराब और तम्बाकू का सेवन करते हैं, वे गभीर रूप से मुंह के कैंसर का शिकार हो सकते हैं। मुंह के कैंसर से सम्बंधित जोखिम कारकों में निम्न को शामिल किया जाता है:

  • ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (HPV) संक्रमण
  • क्रोनिक फेशियल सन एक्सपोजर (chronic facial sun exposure) या कम उम्र में अत्यधिक पराबैंगनी एक्सपोज़र
  • मुंह के कैंसर का पूर्व निदान से सम्बंधित व्यक्ति
  • मौखिक (oral) या अन्य प्रकार के कैंसर का पारिवारिक इतिहास
  • एक कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली का होना
  • खराब पोषण (poor nutrition)
  • आनुवांशिक सिंड्रोम (genetic syndromes)
  • गैस्ट्रो-इसोफेजियल रिफ्लक्स डिजीज (Gastro-esophageal reflux disease (GERD))
  • पूर्व विकिरण उपचार या रेडियोथेरेपी (radiotherapy)
  • नियमित रूप से सुपारी चबाना
  • कुछ रसायनों, विशेष रूप से एस्बेस्टोस, सल्फ्यूरिक एसिड और फॉर्मल्डेहाइड (formaldehyde) के संपर्क में आने से, इत्यादि।

(और पढ़े – शराब पीना कैंसर का कारण बन सकता है…)

मुंह के कैंसर के लक्षण – Muh Ke Cancer Ke Lakshan in hindi

मुंह का कैंसर (mouth cancer), मुंह में कहीं भी एक घाव या ट्यूमर के रूप में उत्पन्न हो सकते हैं। शुरुआती चरणों में मुंह के कैंसर के कोई संकेत या लक्षण अनुभव नहीं किये जा सकते हैं, लेकिन दंत चिकित्सक द्वारा नियमित जांच कराने से मुंह के कैंसर के शुरुआती लक्षण की पहचान की जा सकती है। मुंह के कैंसर से सम्बंधित संकेतों और मुंह के कैंसर के शुरुआती लक्षण के रूप में निम्न को शामिल किया जा सकता है:

  • मुंह के आंतरिक भाग या जीभ पर लाल और सफेद रंग के पैच (patches) या अल्सर उत्पन्न होना
  • मुंह में छाले या घाव उत्पन्न होना, जो ठीक नहीं होते मुंह के कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते है
  • 3 सप्ताह से अधिक मुंह की सूजन
  • मुंह के अंदर गांठ की उपस्थिति
  • मुंह की त्वचा का मोटा या ढीला होना
  • निगलने के दौरान दर्द होना
  • डेन्चर (dentures) या नकली दांत पहनने में परेशानी
  • अस्पष्ट कारण से दांत का ढीला होना
  • जबड़े (jaw) में दर्द या अकड़न (stiffness)
  • गले में खराश (sore throat) उत्पन्न होना
  • जीभ में दर्द (painful tongue)
  • कर्कश आवाज (hoarse voice)
  • गर्दन में दर्द या कान में दर्द बना रहना, इत्यादि।

इनमें से किसी भी प्रकार के लक्षणों का उत्पन्न होना, मुंह के कैंसर की पुष्टि नहीं करता है, इसके लिए मुंह के कैंसर की जांच की जानी आवश्यक है।

(और पढ़े – जीभ पर छाले होने का कारण, लक्षण और घरेलू उपचार…)

मुंह के कैंसर के चरण – Mouth Cancer Stages in hindi

मुंह के कैंसर (oral cancer) के चार चरण होते हैं, जो कि निम्न हैं:

मुंह के कैंसर का चरण 1 (Stage 1) – मुंह के कैंसर के इस चरण में ट्यूमर की साइज़ 1 इंच या 2 सेंटीमीटर (cm) से कम होता है और पास के लिम्फ नोड्स (lymph nodes) तक नहीं फैला होता है।

मुंह के कैंसर का चरण 2 (Stage 2) – मुंह के कैंसर के चरण 2 की स्थिति में ट्यूमर का साइज़ 1-2 इंच या 2 से 4 cm का होता है लेकिन यह आसपास के लिम्फ नोड्स तक नहीं फैला होता है।

मुंह के कैंसर का चरण 3 (Stage 3) – मुंह के कैंसर के इस चरण में ट्यूमर 2 इंच या 4 cm से अधिक बड़ा होता है, लेकिन अन्य हिस्सों में फैला नहीं है, या ट्यूमर किसी भी आकार का है और एक लिम्फ नोड में फैल गया है, लेकिन शरीर के अन्य भागों में नहीं फैला है।

मुंह के कैंसर का चरण 4 (Stage 4) : मुंह के कैंसर के चरण 4 की स्थिति में मुंह का कैंसर मुंह, होंठ और अन्य आस-पास के लिम्फ नोड्स के ऊतकों तक फैलाकर उन्हें प्रभावित करता है या इस चरण में कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है।

मुंह के कैंसर की जांच – Oral Cancer Diagnosis in Hindi

ओरल कैंसर या मुंह के कैंसर (mouth cancer) का निदान करने के लिए डॉक्टर या दंत चिकित्सक एक शारीरिक परीक्षण करेंगे। शारीरिक परीक्षण के दौरान मरीज के मुंह की ऊपरी तथा निचली सतह, गले, जीभ और गालों की आतंरिक सतह में लिम्फ नोड्स (lymph nodes) की बारीकी से जांच की जाती है। यदि डॉक्टर मुंह के कैंसर से सम्बंधित लक्षणों के कारणों को निर्धारित करने में असमर्थ होता है तो उस मरीज को कान, नाक और गले के विशेषज्ञ के पास भेजा जा सकता है।

यदि शारीरिक परीक्षण के दौरान डॉक्टर को कोई ट्यूमर, गांठ या संदेहजनक घाव प्राप्त होता है, तो वे ब्रश बायोप्सी (brush biopsy) या ऊतक बायोप्सी (tissue biopsy) करते हैं। एक ब्रश बायोप्सी (brush biopsy) एक दर्द रहित परीक्षण है, जिसमें  ब्रश करके ट्यूमर कोशिकाओं को एक स्लाइड पर इकट्ठा किया जाता है। ऊतक बायोप्सी (tissue biopsy) के तहत ऊतक का एक छोटा सा हिस्सा प्राप्त किया जाता है ऊतक नमूना लेने के बाद कैंसर कोशिकाओं की माइक्रोस्कोप के तहत जांच की जा सकती है।

इसके अलावा, डॉक्टर निम्नलिखित में से एक या एक से अधिक परीक्षण की सलाह दे सकता है जो कि निम्न हैं:

  • एक्स-रे (X-rays) – कैंसर कोशिकाओं का जबड़े (jaw), छाती या फेफड़ों तक फैलने की स्थिति का पता लगाने के लिए एक्स-रे (X-rays) किया जा सकता है।
  • सीटी स्कैन (CT scan) – मुंह, गले, गर्दन, फेफड़े या शरीर में कहीं भी ट्यूमर की उपस्थिति का निदान करने के लिए सीटी स्कैन (CT scan) परीक्षण की सहायता ली जा सकती है।
  • पीईटी स्कैन (PET scan) – पीईटी स्कैन (PET scan) यह निर्धारित करने में मदद कर सकती है, कि कैंसर, लिम्फ नोड्स या अन्य अंगों तक फैला है या नहीं।
  • एमआरआई स्कैन (MRI scan) – सिर और गर्दन की अधिक स्पष्ट छवियां प्राप्त करने तथा कैंसर की सीमा या अवस्था का निर्धारण करने के लिए एमआरआई स्कैन (MRI scan) किया जा सकता है।
  • एंडोस्कोपी (endoscopy) – नासिका मार्ग (nasal passages), साइनस (sinuses), आंतरिक गले, श्वास नली और ट्रेकिआ (trachea) की जांच करने के लिए एक एंडोस्कोपी (endoscopy) परीक्षण की सहायता ली जा सकती है।

(और पढ़े – एंडोस्कोपी कराने के कारण, तरीका, फायदे एवं नुकसान…)

मुंह के कैंसर का इलाज – Oral Cancer Treatment in hindi

ओरल कैंसर या मुंह के कैंसर (mouth cancer) का इलाज और उपचार कैंसर के प्रकार, स्थान और चरण के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। इसके साथ ही उपचार प्रक्रिया मरीज के समग्र स्वास्थ्य पर भी निर्भर करती है।

मुंह के कैंसर का इलाज सर्जरी द्वारा (Surgery)

सर्जरी के दौरान ट्यूमर और कैंसर प्रभावित लिम्फ नोड्स को हटाने की प्रक्रिया को शामिल किया जाता है। एक छोटे से ट्यूमर की स्थिति में इलाज के लिए मामूली सर्जरी की आवश्यकता होती है, लेकिन जब ट्यूमर की साइज़ बड़ी हो तो, सर्जरी में जीभ या जबड़े के कुछ हिस्सों को भी निकाला जा सकता है। सर्जरी के दौरान आवश्यकतानुसार कुछ अंगों का प्रत्यारोपण (implants) भी किया जा सकता है।

मुंह के कैंसर का इलाज विकिरण थेरेपी द्वारा (Radiation therapy)

विकिरण थेरेपी, मुंह के कैंसर का इलाज करने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली एक उपयोगी प्रक्रिया है। विकिरण थेरेपी ट्यूमर कोशिकाओं को नष्ट करने या ट्यूमर कोशिकाओं के प्रजनन की क्षमता को नष्ट करने के लिए उच्च-ऊर्जा एक्स-रे (X-rays) या विकिरण कणों की बीम का उपयोग किया जाता है। ब्रैकीथेरेपी (brachytherapy) का उपयोग अक्सर जीभ के कैंसर के शुरुआती चरणों में इलाज करने के लिए किया जाता है।

विकिरण थेरेपी शरीर पर कुछ दुष्प्रभावों का कारण बन सकता है जिसमें शामिल है:

(और पढ़े – दांतों में कैविटी से छुटकारा पाने के घरेलू उपाय…)

मुंह के कैंसर का इलाज कीमोथेरपी द्वारा (Chemotherapy)

कीमोथेरेपी के अंतर्गत कुछ विशेष दवाओं को उपचार प्रक्रिया में शामिल किया जाता है जो कैंसर कोशिकाओं नष्ट करने और उनकी प्रजनन क्षमता को कम करने में प्रभावी होती हैं। कीमोथेरेपी के तहत दवा मरीज को मौखिक रूप से (orally) या अंतःशिरा लाइन (intravenous line) के माध्यम से दी जाती है। अधिकांश मरीजों को एक आउट पेशेंट (outpatient) के आधार पर कीमोथेरेपी प्रदान की जाती है तथा कुछ स्थितियों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है। कीमोथेरेपी दवाएं कभी-कभी स्वस्थ ऊतक को भी नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ कुछ साइड इफ़ेक्ट भी उत्पन्न कर सकती हैं। इसके साइड इफ़ेक्ट निम्न हैं, जैसे:

(और पढ़े – कीमोथेरेपी क्या है फायदे और नुकसान…)

मुंह के कैंसर का इलाज टार्गेटेड थेरेपी द्वारा (Targeted therapy)

टार्गेटेड थेरेपी या लक्षित दवा थेरेपी, मुंह के कैंसर के उपचार का दूसरा सबसे प्रभावी उपचार है। यह कैंसर के शुरुआती चरणों और उन्नत चरणों अर्थात दोनों ही स्थितियों में प्रभावी हो सकती है। लक्षित थेरेपी से सम्बंधित दवाएं कैंसर कोशिकाओं पर विशिष्ट प्रोटीन को जोड़ने और उनकी वृद्धि को अवरुद्ध करने का काम करती हैं। टार्गेटेड थेरेपी के अंतर्गत निम्न दुष्प्रभाव उत्पन्न हो सकते हैं, जैसे:

(और पढ़े – एलर्जी लक्षण, बचाव के तरीके और घरेलू उपचार…)

मुंह के कैंसर का इलाज पोषण द्वारा (Nutrition)

पोषण भी मुंह के कैंसर का इलाज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अतः मुंह के कैंसर की स्थिति में एक उचित आहार को अपनाने के लिए डॉक्टर से चर्चा करनी चाहिए। पोषण विशेषज्ञ (nutritionist) शरीर की आवश्यकतानुसार कैलोरी, विटामिन और खनिज को प्राप्त करने में सहायता प्रदान कर सकते हैं।

मुंह के कैंसर की जटिलताएं – Mouth Cancer Complications in hindi

ओरल कैंसर या मुंह के कैंसर (mouth cancer) से अनेक प्रकार की जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं, जो कि निम्न हैं:

  • डिस्फागिया (Dysphagia) या निगलने में कठिनाई
  • डिस्पैगिया (Dysphagia) के दौरान भोजन गलत तरीके से नीचे जा सकता है, जिसके फलस्वरूप श्वसन मार्ग में अवरोध, फेफड़ों में संक्रमण या निमोनिया उत्पन्न हो सकता है।
  • बोलने में समस्या
  • डिप्रेशन (Depression)
  • चिड़चिड़ापन, निराशा और चिंता, इत्यादि।

(और पढ़े – निमोनिया क्या है, लक्षण, कारण, जांच, इलाज और रोकथाम…)

मुंह के कैंसर से बचाव – Oral Cancer Prevention in hindi

मुंह के कैंसर (mouth cancer) की रोकथाम के लिए के लिए कोई उचित तरीका नहीं है। लेकिन कुछ तरीके अपनाकर मुंह के कैंसर की जटिलताओं और इसके खतरे को कम किया जा सकता है, अतः मुंह के कैंसर से बचाव के लिए निम्न तरीके अपनायें, जैसे:

  • तंबाकू का सेवन न करें, क्योंकि तम्बाकू मुंह के कैंसर का कारण बन सकता है, तथा इसकी जटिलताओं को बढ़ा में अपना योगदान देता है।
  • जो व्यक्ति शराब का सेवन करते हैं, तो उन्हें संयम में या कम मात्रा में शराब का सेवन करना चाहिए।
  • होठों को अत्यधिक धूप के संपर्क में आने से बचाएं। त्वचा को पूरी तरह से ढकने वाले कपड़ों को पहनें तथा धूप में निकलने से पहले होंठ पर सनस्क्रीन का प्रयोग करें।
  • नियमित रूप से दंत चिकित्सक से परामर्श लें। एक नियमित दंत परीक्षण और मुंह का निरीक्षण कैंसर के खतरे को कम करने के लिए आवश्यक होता है।
  • जंक फूड (junk foods), सैचुरेटेड फैट्स (saturated fats), रेड मीट, प्रोसेस्ड मीट (processed meats) और तले हुए खाद्य पदार्थों से भरपूर आहार से परहेज करें।
  • कैंसर के विकास की संभावना को कम करने में नियमित व्यायाम और एक स्वस्थ आहार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक स्वस्थ आहार के रूप में फल, सब्जियां, मछली का तेल, जैतून का तेल, साबुत अनाज और जानवर या पौधे पर आधारित कम मात्रा में लीन प्रोटीन आदि का सेवन मुंह के कैंसर की रोकथाम के लिए फायदेमंद होता है।

(और पढ़े – जानिए जंक फूड (फास्ट फूड) के नुकसान और हानिकारक प्रभावों को…)

मुंह के कैंसर का घरेलू इलाज – home remedies for mouth cancer in hindi

मुंह के कैंसर के सर्वश्रेष्ठ घरेलू उपचार के रूप में कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन मुंह के कैंसर के इलाज की गति को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

मुंह के कैंसर के घरेलू उपचार के रूप में निम्न खाद्य पदार्थों को शामिल किया जा सकता है:

(और पढ़े – क्या खाने से कैंसर का खतरा कम किया जा सकता है…)

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Sourabh

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