Nail biting in hindi कई लोग नाखूनों को चबाते हैं, जब वे चिंता या तनाव में होते हैं। हालांकि नाखून चबाने के नुकसान और इसके हानिकारक प्रभावों को जानने से उनकी चिंता और तनाव और बढ़ेगा। क्योंकि लगभग 30% बच्चों, 45% किशोर और 25% युवा वयस्कों को अपने नाखूनों चबाने की आदत है। आपको बता दें की नाखून चबाने की आदत आम तौर पर बचपन में शुरू होती है और बड़े होने तक रह सकती है।
नाखुनो को चबाना एक ऐसी आदत है जो विभिन्न कारणों से हो सकती है जिसमे घबराहट, उदास, हताशा या तनाव के कारण भी सामिल होते है। लोग अनजाने में अपने नाखूनों को चबाते हैं और लम्बे समय तक नाखून चबाने से इस आदत से छुटकारा पाने में बहुत मुश्किल होती है।
इसलिए नाखून चबाने के नुकसान और हानिकारक प्रभावों को जानना जरूरी हो जाता है। सम्पूर्ण शारीरिक स्वास्थ्य और मुँह के स्वास्थ्य के लिए नाखून चबाने की आदत को छोड़ना बहुत आवश्यक है। मुँह के स्वास्थ्य के लिए नाखून चबाने के हानिकारक प्रभावों को नीचे बताया जा रहा है:
जाने अनजाने में हम अक्सर अपनी उंगलियों के नाखूनों को चबाते हैं। लेकिन ऐसा करने के आपको कुछ गंभीर दुष्प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं। आइए विस्तार से जाने नाखून चबाने के नुकसान क्या हैं।
उंगलियों और हाथों के बाकी हिस्सों की तुलना में नाखूनों को साफ करना अधिक कठिन होता है। इसलिए, वहाँ रहने वाले जीवाणुओं की एक अच्छी मात्रा है, जो नाखून चबाते समय आपके मुंह में और आपके पेट में जा सकती है
द अमेरिकन अकादमी ऑफ़ डर्मेटोलॉजी के अनुसार नाखून चबाने वाले के नाख़ून के किनारे छिल सकते हैं और आपके नाखूनों की त्वचा से खून बह सकता है।
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दांत सामने की तरफ दांतों की नोक पर सबसे पतला होता है। जब कोई नाखून चबाता है तब चबाते समय, इस पतली तामचीनी पर एक दबाव पड़ता है जो एक निश्चित समय के बाद टूट सकता है। एक और कारण है जिससे नाखून खाते समय दाँत में छेद होता है बह है दबाव के कारण दाँत के विपरीत दाँत पर कड़ी चोट लगना जिससे दांतों में छेद हो जाता है।
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कई मामलों में सामने वाले दांतों का आकार बदल जाता है इसका कारण यह है कि नाखूनों को हमेशा चबाते रहने से हमेशा दांतों पर दबाव पड़ता है
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एक अध्ययन के मुताबिक जो युवा वयस्क उदासी या काम के दौरान मुश्किल का सामना करते हैं, उनमें नाख़ून चबाने की आदत आ जाती है यह उनकी विशेष भावनात्मक स्थिति को दर्शाता है।
जब भी कोई जिसे नाखून चबाने की आदत होती है और बह उसे रोकने की कोशिश करता है तो एक तनाव सा उत्पन्न होता है जिससे उसे तनाव महसूस होने लगता है और बह फिर से उसी कम को करने लगता है।
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जब नाखून चबाना कई वर्षों से जारी रहता है, तो सामने के दोनों दाँतो के बीच गैप विकसित हो जाता हैं।
लगातार कई सालों तक नाखून चबाने से दांतों की उपरी परत ख़राब हो जाती है जो दांतों को संवेदना से बचाती है। इसलिए लगातार नाखून चबाने से कई लोगों में दांत की संवेदनशीलता पैदा हो सकती है।
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कान के पास थर्मोमेंडिबुलर जॉइंट (temporomandibular joint ) मुंह को खोलने और बंद करने में मदद करता है। नाखून चबाने के कारण जॉइंट पर निरंतर दबाव पड़ता है जिससे मुँह की संयुक्त सूजन उत्पन्न हो जाती है जिससे कान का दर्द, सिरदर्द , जबड़े का सही से बंद ना हो पाना जैसे संयुक्त समस्यांए हो सकती है
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