Nakhun me infection in Hindi लोगों में नेल फंगस होना आम है। वैसे तो, यह किसी भी उम्र के लोगों में विकसित हो सकता है, लेकिन बड़ी उम्र के लोगों में नाखून संक्रमण की समस्या ज्यादा देखी जाती है। यह समस्या आमतौर पर नाखून या पैर की उंगलियों के नीचे सफेद, काले या पीले रंग के धब्बे के रूप में शुरू होती है। जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ता है, नेल फंगस आपके नाखूनों को मोटा, तिरछा करने के साथ इसे किनारे से उखाड़ भी सकता है। इससे आसपास के नाखून भी प्रभावित होते हैं और प्रभावित होने वाले नाखूनों में बहुत दर्द महसूस होता है। यदि इसे अनदेखा किया जाए, तो फंगस धीरे-धीरे नाखूनों को नुकसान पहुंचा सकता है, जिसके लिए बाद में उपचार की आवश्यकता पड़ती है। इस लेख में हमने नेल फंगस के कारण और कुछ उपाय बताए हैं, जो इस स्थिति का इलाज करने में मदद कर सकते हैं।
इसके अलावा आप यहां नेल फंगस के लक्षण, नेल फंगस के कारण और नाखून में संक्रमण का इलाज के बारे में भी जान सकते हैं। लेकिन ये सब जानने से पहले जानिए कि क्या होता है नेल फंगस।
फंगल नेल इंफेक्शन एक फंगस के कारण होता है, जो नाखून के कैराटीन को प्रभावित करता है। यह किसी विशेष भाग में नहीं, बल्कि नेल बेड, नेल प्लेट या फिर नाखून की जड़ को भी प्रभावित कर सकता है। नाखून मोटे, मटमैले दिखने लगते हैं और इनका रंग भी कुछ-कुछ फीका दिखाई देने लगता है। लोगों को फिंगर नेल इंफेक्शन की तुलना में टोनेल्स फंगल इंफेक्शन ज्यादा होता है। आद्र वातावरण, नियमित रूप से नाखून को होने वाले नुकसान, मधुमेह और असुविधाजनक जूते पहनने की वजह से भी फंगल इंफेक्शन की संभावना बढ़ जाती है। यह फंगल उंगलियों के नाखून से ज्यादा अंगूठे के नाखून में देखा जाता है। साइंस की भाषा में इस संक्रमण को ऑनिओमाइकोसिस (Onychomycosis) के नाम से जाना जाता है।
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नाखून में फंगस इंफेक्शन का मतलब है, कि आपके नाखून खराब होना शुरू हो गए हैं। हाथ या पैरों के नाखूनों में संक्रमण होना, कहने को तो आम बात है, लेकिन इस पर ध्यान न दिया जाए, तो यह अन्य नाखूनों पर भी फैल सकता है। नेल फंगस की समस्या आमतौर पर गंदगी, सफाई न रखना, प्रदूषण और पैरों में लंबे समय तक पसीना बने रहने से हो जाती है। इसके अलवा जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, उन्हें भी अक्सर नाखूनों में संक्रमण की शिकायत होती है।
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नाखून संक्रमण अक्सर फंगल ऑर्गेज्म के कारण होता है। सबसे आम एक प्रकार का फंगस है, जिसे डर्माटोफाइट कहा जाता है। यीस्ट और मोल्ड्स भी नाखून संक्रमण का कारण बन सकते हैं। अन्य कारण पैरों में रक्त संचार का कम होना और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली भी हो सकते हैं। जबकि टोनल फंगल संक्रमण एथलीटों में होता है, जो एक नाखून से दूसरे में फैलता है। दरअसल, फंगस कॉमन स्किन बैक्टीरिया के कारण नाखून के आसपास की त्वचा में प्रवेश करते हैं। यह समस्या अक्सर जरूरत से ज्यादा नाखून काट लेने और नाखून के आसपास की त्वचा में फांस चुब जाने की वजह से होती है।
यदि आपके नाखूनों में संक्रमण शुरू हो रहा है, तो इसके कुछ लक्षण हम आपको बता रहे हैं, ताकि बिना देर किए आप इसका इलाज शुरू कर सकें।
नेल फंगस के बढ़ने के लिए कई कारक जिम्मेदार होते हैं, जिन पर अक्सर लोगों का ध्यान नहीं जाता। अगर ध्यान गया भी, तो कई लोग इसे अनदेखा कर देते हैं। यहां हम आपको संक्रमित नाखून के जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों के बारे में बता रहे हैं, ताकि आप इसका उपचार जल्द से जल्द शुरू कर सकें।
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नाखून संक्रमण गंभीर होने के साथ काफी दर्दनाक हो सकता है। यह अन्य गंभीर संक्रमणों को भी जन्म दे सकता है, जो पैरों से फैलता है। यदि आपको डायबिटीज है, तो पैरों में रक्त संचरण और तंत्रिका आपूर्ति कम हो सकती है। आपके पैर में किसी भी तरह की मामूली चोट नाखून फंगल संक्रमण पैदा कर सकती है।
नेल फंगस के निदान के तौर पर डॉक्टर आपके नाखूनों की जांच करेगा। इस दौरान वह आपके नाखून के नीचे से कुछ नाखून की कतरन या खुरचनी मलबे को भी ले सकता है और संक्रमण के कारण फंगस के प्रकार की पहचान करने के लिए एक लैब में सैंपल भेज सकता है। अन्य स्थिति जैसे सोरायसिस भी फंगल इंफेक्शन पैदा कर सकती है। कई बार यीस्ट और बैक्टीरिया भी नाखूनों को संक्रमित कर सकते हैं। संक्रमण के कारण के उपचार को जानने से उपचार के कोर्स को निर्धारित करने में मदद मिल सकती है।
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नेल फंगस के लिए पारंपरिक उपचार में विभिन्न एंटी फंगल क्रीम, मलहम और कुछ ओरल मेडिसिन शामिल हैं। ओरल एंटी फंगल मेडिसिन के कुछ प्रभाव हो सकते हैं, यदि आप गर्भवती हैं या स्तनपान करा रही हैं, तो। कई बार डॉक्टर इस समस्या से निपटने के लिए लेजर ट्रीटमेंट की सलाह देते हैं। लेकिन, यह थोड़ा महंगा होता है और इसके बाद भी इसके पूरी तरह से सही होने की गारंटी नहीं रहती। आगे आप जान सकते हैं, नेल फंगस के विभिन्न इलाज के बारे में।
ये दवाएं अक्सर डॉक्टर प्रायोरिटी के साथ लिखते हैं, क्योंकि ये संक्रमण को तेजी से साफ करती हैं। विकल्पों में टेर्बिनाफिन, इट्राकोनाजोल शामिल हैं। इस तरह की दवा आप छह से 12 हफ्तों तक ले सकते हैं। एक संक्रमण को खत्म करने में चार महीने या उससे ज्यादा का समय भी लग सकता है। इन दवाओं के साथ उपचार की सफलता दर 65 से अधिक उम्र के वयस्कों में कम दिखाई देती है।
नोट – डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी प्रकार की दवा न लें।
डॉक्टर इसके इलाज के लिए एक मेडिकेटिड नेल पॉलिश लिख सकता है, जिसे साइक्लोपीरॉक्स कहा जाता है। आप इसे अपने संक्रमित नाखूनों और इसके आसपास की त्वचा पर दिन में एक बार लगा सकते हैं। इस तरह की नेल पॉलिश का उपयोग एक साल तक रोजाना करना पड़ सकता है।
इसके अलावा डॉक्टर एक एंटी फंगल क्रीम का सुझाव दे सकता है। इसे भिगोने के बाद आप अपने संक्रमित नाखूनों पर लगा सकते हैं। अगर आप नाखूनों को पहले पतला कर लें, तो क्रीम लगाना काफी आसान हो जाएगा।
संक्रमण गंभीर और दर्दनाक होने की स्थिति में डॉक्टर नाखून को अस्थायी रूप से हटाने की सलाह दे सकता है, ताकि वह नाखून के नीचे संक्रमण के लिए एंटी फंगल दवा लगा सके। इनमें से किसी भी उपचार का प्रयोग करने से पहले अपने नाखूनों को ट्रिम कर लें, ताकि कोई भी उपचार को ठीक से किया जा सके।
ये तो जानें आपने नेल फंगस के लिए मेडिकल ट्रीटमेंट चलिए, अब नाखून की बीमारी यानी नेल फंगस के लिए घरेलू उपचार के बारे में जान लेतें हैं।
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नाखून में संक्रमण की बीमारी यानि नेल फंगस किसी को भी हो सकती है। यह स्थिति सामान्य रूप से टो नेल्स को प्रभावित करती है, लेकिन नाखून भी इससे संक्रमित हो सकते हैं। ऐसे कई घरेलू उपचार हैं, जिनकी मदद से नेल फंगस की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
नारियल तेल से नेल फंगस की समस्या को आसानी से खत्म किया जा सकता है। दरअसल, नारियल तेल में एंटी फंगल गुण होते हैं, जो नाखून में फंगस लगने से बचाने में मदद करते हैं। इसका इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले नाखून और इसके आसपास की त्वचा को साफ कर लें। इसके बाद नारियल तेल की कुछ बूंद प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं। दिन में तीन बार ऐसा करने से नेल फंगस की समस्या में आराम मिलेगा।
नाखून का संक्रमण नाखून और इसके आसपास की त्वचा को भी प्रभावित करता है। इसलिए इससे बचने के लिए टी ट्री ऑयल का उपाय बहुत अच्छा है। इस ऑयल में एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, जिससे यह नाखून के संक्रमण के लिए प्रभावी उपचार बन जाता है। संक्रमित नाखून पर इसका इस्तेमाल करने के लिए दो से तीन बूंद टी ट्री ऑयल लें। कॉटन पैड की मदद से इसे प्रभावित क्षेत्र पर 15 मिनट के लिए लगाए रखें और फिर टिशू पेपर या टॉवेल से साफ कर लें। उपयोग करने से पहले टी ट्री ऑयल को किसी अन्य ऑयल के साथ मिलाकर एक से एक अनुपात में इसे पतला करें। दिन में तीन बार इस उपाय को करने से बहुत लाभ मिलेगा।
सदियों से लोग फंगल नेल इंफेक्शन के लिए लैवेंडर ऑयल का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। अपने एंटी फंगल गुणों के कारण जाना जाने वाला लैवेडर ऑयल नाखून संक्रमण से निपटने में बहुत बढ़िया काम करता है। इसका इस्तेमाल करना बेहद आसान है। कॉटन बॉल की मदद से लैवेंडर तेल की कुछ बूंदें प्रभावित हिस्से पर लगाएं और 15 मिनट के लिए छोड़ दें। इसके बाद पेपर टॉवल से इसे साफ कर लें। संक्रमण को जल्द से जल्द ठीक करने के लिए इस उपाय को दिन में तीन बार अवश्य करना चाहिए। ध्यान रखें, कि शुद्ध लैवेंडर ऑयल ही खरीदें, न कि केवल लैवेंडर की खुशबू वाला कोई भी तेल। अगर आपको लैवेंडर ऑयल को लगाने से खुजली होती है, तो आप चाहें, तो इसमें थोड़ा सा टी ट्री ऑयल मिलाकर भी लगा सकते हैं।
नाखून में होने वाला फंगल इंफेक्शन बेहद दर्दनाक होता है। इस दर्द से छुटकारा पाने के लिए सदियों से एप्पल साइडर विनेगर का उपयोग किया जाता रहा है। एंटी फंगल गुण होने के कारण ये जल्द से जल्द नेल फंगस की समस्या से निजात दिलाता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए एक टब में एक भाग एप्पल साइडर विनेगर और दो भाग पानी लें और दोनों को मिला लें। अब कुछ देर तक अपने पैरों को पानी में भिगोएं और फिर पेपर टॉवेल से अच्छे से सुखा लें। इस उपचार को दिन में एक बार एक सप्ताह तक करें। आप चाहें, तो इसकी जगह व्हाइट विनेगर का भी यूज कर सकते हैं, लेकिन इस मामले में एप्पल साइडर विनेगर का इस्तेमाल करना ही बेस्ट तरीका है।
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विक्स वेपोरब आसानी से नेल फंगल इंफेक्शन से आपका बचाव कर सकती है। इसमें मौजूद मेन्थॉलनेल इंफेक्शन के लक्षणों को कम करने में बहुत मदद करता है। इसे लगाने के लिए सबसे पहले अपने नाखूनों को ट्रिम करें और धोएं। अब प्रभावित क्षेत्र पर विक्स लगाएं। चाहें, तो उंगलियों को किसी स्टरलाइज टेप से कवर करें और इसे रातभर ऐसे ही छोड़ दें। नेल फंगस की समस्या में बहुत फायदा मिलेगा।
बेकिंग सोडा फंगल संक्रमण के खिलाफ एंटी फंगल एक्टिविटी को दर्शाता है। यह नाखून में संक्रमण के उपचार के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए दो चम्मच बेकिंग सोडा में थोड़ी मात्रा में पानी मिलाएं और इस मिश्रण को प्रभावित क्षेत्र पर लगा लें। 20-30 मिनट बाद इसे धो लें। दिन में एक से दो बार दोहराने पर अच्छे परिणाम मिलेंगे।
अगर आप नाखून में संक्रमण के दर्द से राहत पाना चाहते हैं, तो एलोवेरा का उपाय बहुत प्रभावी है। इसमें घाव भरने और एंटी फंगल गुण होते हैं। ये दोनों गुण मिलकर नेल फंगस का कारण बनने वाले डर्मेटोफाइट्स से लड़ने में मदद करते हैं। नाखून पर इसका उपयोग करना काफी सरल है। इसके लिए एक ऐलोवरा की पत्ती से जेल निकालें। प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं और 20 मिनट के लिए छोड़ दें। 20 मिनट बाद इसे साफ पानी से धो लें। दिन में एक से दो बार इस प्रक्रिया को दोहराने से संक्रमण धीरे-धीरे कम हो जाएगा।
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आप फंगल नाखून संक्रमण से निपटने के लिए लहसुन का उपयोग कर सकते हैं। दरअसल, लहसुन में एलिसिन और एसिन जैसे सक्रिय यौगिक होते हैं, जिनमें एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं। संक्रमित नाखून पर इसका उपयोग करने के लिए सबसे पहले लहसुन की एक कली लें और इसे कुचल लें। अब इसमें एक या दो बूंद विनेगर और ऑलिव ऑयल की मिलाएं। प्रभावित नाखून पर अब इस मिश्रण को लगाएं और इसके ऊपर पट्टी बांध लें। कम से कम 30 मिनट के लिए इसे छोड़ दें और फिर साफ टॉवेल या पेपर टॉवेल से पोंछ लें। ध्यान रखें, कि लहसुन का इस्तेमाल कुछ लोगों की त्वचा पर खुजली पैदा कर सकता है, इसलिए सावधानी से इसका उपयोग करें।
नाखून के संक्रमण से बचने के लिए घरेलू उपाय तो हम आपको उऊपर बता चुके हैं, लेकिन यहां आप कुछ ऐसे तरीकों के बारे में भी जान सकते हैं, जिन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल कर, नेल फंगस से बचा जा सकता है।
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नेल फंगस अपने आप ठीक नहीं होता। अगर आप इसका जल्द से जल्द उपचार नहीं करते, तो यह अन्य संक्रमण भी पैदा कर सकता है।
यदि इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो यह अन्य उंगलियों की त्वचा के आसपास फैल सकता है और बदले में एथलीट फुट नामक स्थिति पैदा कर सकता है।
ऊपर के लेख में आपने जाना नेल फंगस के लक्षण, नेल फंगस के कारण और नाखून में संक्रमण के घरेलू उपाय और इलाज के बारे में।
इस लेख में दिए गए नेल फंगस के लिए घरेलू उपचार और टिप्स आपको इस समस्या से निपटने में मदद कर सकते हैं। नेल फंगस भले ही आम समस्या हो, लेकिन इस संक्रमण को रोकने के लिए नियमित रूप से स्वच्छता का पालन करना चाहिए। दिन में पैंरों को ज्यादातर साफ और सूखा रखें। पैर की उंगलियों की त्वचा सूखी हों और नमी को सोंखने वाले जूते पहनें। अगर समस्या थोड़ी है, तो आप इसे इस लेख में बताए गए घरेलू उपचारों के जरिए दूर कर सकते हैं, लेकिन समस्या दर्दनाक और गंभीर होने पर डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
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